नई
दिल्ली । रमेश अग्रवाल ने इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए अधिकृत उम्मीदवार
का चयन करने वाली नोमीनेटिंग कमेटी के लिए अपनी उम्मीदवारी के बाबत
सक्रियता दिखा कर डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में हलचल मचा दी है - जो
अगले रोटरी वर्ष के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए बनने वाले चुनावी समीकरणों को भी प्रभावित करती नजर आ रही है । उल्लेखनीय
है कि उक्त पद के लिए अभी तक जेके गौड़ की दावेदारी को निर्विवाद रूप से
देखा/पहचाना जा रहा था, और रमेश अग्रवाल ने भी इस 'स्थिति' के सामने समर्पण
किया हुआ था । लेकिन अब जिस तरह अचानक से रमेश अग्रवाल उक्त पद के लिए
अपनी उम्मीदवारी के बाबत सक्रिय हुए हैं, उससे लोगों को लगा है कि अंदरखाने
रमेश अग्रवाल को कोई बड़ा 'ताकत का इंजेक्शन' लगा है - जिसके असर में
उन्हें उक्त नोमीनेटिंग कमेटी में अपनी जगह पक्की होती हुई दिखी है, और
उन्होंने इसके लिए प्रयास शुरू कर दिया है । दो दिन पहले रोटरी क्लब
गाजियाबाद आईडियल के कार्यक्रम में अपनी पत्नी के साथ उनके आने/पहुँचने तथा
देर रात तक अशोक अग्रवाल के साथ तू तू मैं मैं में उनके उलझे रहने से
लोगों को यह 'संदेश' तो मिल गया है कि रमेश अग्रवाल ने उक्त पद के लिए जेके
गौड़ के साथ दो-दो हाथ करने की तैयारी कर ली है । रमेश अग्रवाल के
नजदीकियों ने इन पँक्तियों के लेखक से बात करते हुए साफ कहा कि रमेश
अग्रवाल इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चयन के लिए बनने वाली नोमीनेटिंग कमेटी
की सदस्यता के लिए उम्मीदवार हो रहे हैं, और वह चुनाव लड़ने के लिए तैयार
हैं ।
रमेश अग्रवाल को इसके लिए ताकत का इंजेक्शन कहाँ से और किस से मिल रहा है, इस बारे में उनके नजदीकी साफ साफ तो कुछ नहीं बता रहे हैं - लेकिन वह यह जरूर कह रहे हैं कि यहाँ दुश्मन को दोस्त बनने में कितनी देर लगती है ? इससे समझा जा रहा है कि रमेश अग्रवाल को ताकत का इंजेक्शन मुकेश अरनेजा की तरफ से लगा है । मजे की बात यह है कि मुकेश अरनेजा के भरोसे ही अभी तक जेके गौड़ उक्त पद के लिए अकेले और निर्विवाद दावेदार बने हुए थे । माना जा रहा था कि मुकेश अरनेजा किसी भी कीमत पर उक्त पद के लिए रमेश अग्रवाल का समर्थन नहीं ही करेंगे; और इस तरह जेके गौड़ का रास्ता इतना साफ था - कि रमेश अग्रवाल ने उनके रास्ते में आने की हिम्मत तक नहीं की । मुकेश अरनेजा का समर्थन और पक्का करने के लिए ही जेके गौड़ ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में अशोक जैन के साथ धोखा किया । इस धोखाधड़ी के चक्कर में जेके गौड़ वास्तव में अपने ही जाल में फँस गए । अशोक जैन के साथ धोखाधड़ी की तो उन्होंने रमेश अग्रवाल से बदला लेने के लिए - लेकिन इसे अंजाम तक पहुँचाने के लिए उन्होंने सुभाष जैन को जिस तरह से सीढ़ी बनाया और फिर सुभाष जैन को धोखा दिया, उससे जेके गौड़ के बुरे दिनों की शुरुआत हुई ।
रमेश अग्रवाल को इसके लिए ताकत का इंजेक्शन कहाँ से और किस से मिल रहा है, इस बारे में उनके नजदीकी साफ साफ तो कुछ नहीं बता रहे हैं - लेकिन वह यह जरूर कह रहे हैं कि यहाँ दुश्मन को दोस्त बनने में कितनी देर लगती है ? इससे समझा जा रहा है कि रमेश अग्रवाल को ताकत का इंजेक्शन मुकेश अरनेजा की तरफ से लगा है । मजे की बात यह है कि मुकेश अरनेजा के भरोसे ही अभी तक जेके गौड़ उक्त पद के लिए अकेले और निर्विवाद दावेदार बने हुए थे । माना जा रहा था कि मुकेश अरनेजा किसी भी कीमत पर उक्त पद के लिए रमेश अग्रवाल का समर्थन नहीं ही करेंगे; और इस तरह जेके गौड़ का रास्ता इतना साफ था - कि रमेश अग्रवाल ने उनके रास्ते में आने की हिम्मत तक नहीं की । मुकेश अरनेजा का समर्थन और पक्का करने के लिए ही जेके गौड़ ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में अशोक जैन के साथ धोखा किया । इस धोखाधड़ी के चक्कर में जेके गौड़ वास्तव में अपने ही जाल में फँस गए । अशोक जैन के साथ धोखाधड़ी की तो उन्होंने रमेश अग्रवाल से बदला लेने के लिए - लेकिन इसे अंजाम तक पहुँचाने के लिए उन्होंने सुभाष जैन को जिस तरह से सीढ़ी बनाया और फिर सुभाष जैन को धोखा दिया, उससे जेके गौड़ के बुरे दिनों की शुरुआत हुई ।
जेके गौड़ ने दीपक गुप्ता की जीत का श्रेय जिस तरह से
खुद लिया और उसके बाद आलोक गुप्ता की उम्मीदवारी की खिलाफत करना शुरू किया,
उससे उन्होंने वास्तव में मुकेश अरनेजा को भड़काने का काम किया । मुकेश
अरनेजा ने अपना अगला लक्ष्य आलोक गुप्ता की उम्मीदवारी को सफल बनाने का तय
किया हुआ है । आलोक गुप्ता को धोखा देने का कलंक वह एक बार अपने माथे पर
ले चुके हैं; वह जल्दी से जल्दी उस कलंक से मुक्त होना चाहते हैं । इससे
भी बड़ी बात यह कि वह ललित खन्ना की उम्मीदवारी के रास्ते में मुसीबतें खड़ी
करना चाहते हैं । ऐसे में, जेके गौड़ ने आलोक गुप्ता की उम्मीदवारी का
विरोध घोषित करके तथा ललित खन्ना की उम्मीदवारी के प्रति नजदीकी दिखा कर
वास्तव में मुकेश अरनेजा को सीधी चुनौती देने का काम किया । समझा जाता है
कि जेके गौड़ के इसी रवैये ने मुकेश अरनेजा को रमेश अग्रवाल की तरफ धकेलने
का काम किया । मुकेश अरनेजा जानते/समझते हैं कि रमेश अग्रवाल इस समय
इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए अधिकृत उम्मीदवार का चयन करने वाली
नोमीनेटिंग कमेटी की सदस्यता के लिए मरे जा रहे हैं; रोटरी में अपने
भविष्य को बचाए रखने के लिए रमेश अग्रवाल को उक्त सदस्यता प्राप्त करना
जरूरी लग रहा है । मुकेश अरनेजा को लगता है कि उक्त सदस्यता दिलवाने के लिए
वह यदि रमेश अग्रवाल की मदद करते हैं, तो रमेश अग्रवाल भी बदले में आलोक
गुप्ता को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी चुनवाने में उनकी मदद करेंगे ।
मुकेश अरनेजा की तरफ से दोस्ती के लिए बढ़े हाथ ने रमेश अग्रवाल को उत्साहित किया है, और उन्हें उम्मीद हो चली है कि मुकेश अरनेजा के भरोसे वह जेके गौड़ का चुनावी मुकाबला कर लेंगे । डिस्ट्रिक्ट में हालाँकि कई लोगों का मानना और कहना है कि रमेश अग्रवाल की डिस्ट्रिक्ट में बहुत ही बदनामी है; पिछले दिनों ही संपन्न हुए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में अशोक जैन को मिली भारी हार के नतीजे को रमेश अग्रवाल के प्रति डिस्ट्रिक्ट के लोगों की नाराजगी के रूप में ही देखा/पहचाना गया है । मुकेश अरनेजा का संग-साथ उनकी बदनामी में कोई कमी करेगा - इसे लेकर लोगों को शक है; क्योंकि मुकेश अरनेजा की उनसे ज्यादा बदनामी है । पिछले दिनों ही संपन्न हुए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में मुकेश अरनेजा जिन दीपक गुप्ता के समर्थन में थे, उन दीपक गुप्ता ने उनसे कहा हुआ था कि - तुम बस मेरी एक मदद करो और वह यह कि तुम मेरी कोई मदद न करो ! मुकेश अरनेजा ने दीपक गुप्ता की बात मान ली थी, और वह उनकी उम्मीदवारी के लिए कुछ करते हुए नहीं नजर आए - जिसका नतीजा रहा कि दीपक गुप्ता को अच्छी जीत मिली । पिछले रोटरी वर्ष में मुकेश अरनेजा ने दीपक गुप्ता के पक्ष में जोरदार अभियान चलाया था, और नतीजा हुआ था कि दीपक गुप्ता बुरी तरह हार गए थे । इसी आधार पर माना/कहा जा रहा है कि मुकेश अरनेजा का संग-साथ मिल जाने से रमेश अग्रवाल की स्थिति में कोई सुधार नहीं हो जायेगा । हाँ, यह जरूर होगा कि जेके गौड़ के लिए डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच जब कोई समर्थन-आधार नहीं बचा रह जायेगा, तब रमेश अग्रवाल के लिए जेके गौड़ से निपटना आसान जरूर हो जायेगा ।
इंटरनेशनल
डायरेक्टर पद के लिए अधिकृत उम्मीदवार का चयन करने वाली नोमीनेटिंग कमेटी
की सदस्यता के लिए रमेश अग्रवाल को मिलते दिख रहे मुकेश अरनेजा के समर्थन
का डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति के समीकरणों पर भी असर पड़ना लाजिमी है । रमेश अग्रवाल की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ा कर मुकेश अरनेजा ने अगले रोटरी वर्ष के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव को आलोक गुप्ता की मुट्ठी में कर देने का उपक्रम भी कर दिया है । आलोक गुप्ता की उम्मीदवारी को मुकेश अरनेजा के साथ साथ रमेश अग्रवाल का भी समर्थन मिलेगा, तो आलोक गुप्ता की उम्मीदवारी के अभियान के सामने चुनौती कम होगी और उन्हें मनोवैज्ञानिक फायदा पहुँचेगा ।मुकेश अरनेजा की तरफ से दोस्ती के लिए बढ़े हाथ ने रमेश अग्रवाल को उत्साहित किया है, और उन्हें उम्मीद हो चली है कि मुकेश अरनेजा के भरोसे वह जेके गौड़ का चुनावी मुकाबला कर लेंगे । डिस्ट्रिक्ट में हालाँकि कई लोगों का मानना और कहना है कि रमेश अग्रवाल की डिस्ट्रिक्ट में बहुत ही बदनामी है; पिछले दिनों ही संपन्न हुए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में अशोक जैन को मिली भारी हार के नतीजे को रमेश अग्रवाल के प्रति डिस्ट्रिक्ट के लोगों की नाराजगी के रूप में ही देखा/पहचाना गया है । मुकेश अरनेजा का संग-साथ उनकी बदनामी में कोई कमी करेगा - इसे लेकर लोगों को शक है; क्योंकि मुकेश अरनेजा की उनसे ज्यादा बदनामी है । पिछले दिनों ही संपन्न हुए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में मुकेश अरनेजा जिन दीपक गुप्ता के समर्थन में थे, उन दीपक गुप्ता ने उनसे कहा हुआ था कि - तुम बस मेरी एक मदद करो और वह यह कि तुम मेरी कोई मदद न करो ! मुकेश अरनेजा ने दीपक गुप्ता की बात मान ली थी, और वह उनकी उम्मीदवारी के लिए कुछ करते हुए नहीं नजर आए - जिसका नतीजा रहा कि दीपक गुप्ता को अच्छी जीत मिली । पिछले रोटरी वर्ष में मुकेश अरनेजा ने दीपक गुप्ता के पक्ष में जोरदार अभियान चलाया था, और नतीजा हुआ था कि दीपक गुप्ता बुरी तरह हार गए थे । इसी आधार पर माना/कहा जा रहा है कि मुकेश अरनेजा का संग-साथ मिल जाने से रमेश अग्रवाल की स्थिति में कोई सुधार नहीं हो जायेगा । हाँ, यह जरूर होगा कि जेके गौड़ के लिए डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच जब कोई समर्थन-आधार नहीं बचा रह जायेगा, तब रमेश अग्रवाल के लिए जेके गौड़ से निपटना आसान जरूर हो जायेगा ।