Monday, March 6, 2017

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3011 में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स का समर्थन पाने के मामले में संजीव राय मेहरा तथा अनूप मित्तल को मिलती दिख रही असफलता रवि दयाल के लिए सुनहरा अवसर बन कर आई है

नई दिल्ली । रवि दयाल ने नाराज पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स की नाराजगी को दूर करने के लिए जो प्रयास किए हैं, वह कुछ कुछ सफल होते दिखने से डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव के संदर्भ में रवि दयाल के समर्थकों और शुभचिंतकों का हौंसला काफी बढ़ा है । डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले कुछेक पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स - जो अभी कुछ दिन पहले तक रवि दयाल को चुनावी मुकाबले में नहीं देख/पा रहे थे, अब जिस तरह से उनकी वकालत-सी करते सुने जा रहे है - उससे लग रहा है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की चुनावी लड़ाई में रवि दयाल के 'भाव' अचानक से बढ़ गए हैं । इन पँक्तियों के लेखक से बात करते हुए एक पूर्व गवर्नर का कहना रहा कि रवि दयाल को संजीव राय मेहरा और अनूप मित्तल से तगड़ी चुनौती मिलती हुई दिख रही थी, लेकिन संजीव राय मेहरा के पूरी तरह फेल रहने और अनूप मित्तल के तेजी पकड़ने के बाद सुस्त पड़ने से रवि दयाल के लिए उक्त चुनौती उतनी तगड़ी नहीं बची है - जितनी कि वह पहले दिखाई दे रही थी । इस बीच रवि दयाल की सक्रियता में भी तेजी आई है और उनकी पत्नी ज्योत्स्ना दयाल ने भी मोर्चा संभाला है - तो लोगों को अचानक से डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में रवि दयाल के लिए स्थितियाँ अनुकूल बनती नजर आईं हैं ।
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए इस बार यूँ तो छह उम्मीदवार मैदान में हैं, लेकिन मुकाबले में रवि दयाल, संजीव राय मेहरा और अनूप मित्तल को ही देखा/पहचाना जा रहा है । अनूप मित्तल ने हालाँकि देर से अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत की, लेकिन अपनी जोरदार सक्रियता से वह जल्दी ही प्रमुख मुकाबलेबाजों में देखे जाने लगे । रवि दयाल ने पिछले वर्ष पराजय का शिकार होने के बाद जिस तरह से पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स पर धोखेबाजी करने के आरोप लगाए थे, उसके कारण पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर उनसे खफा थे और माना जा रहा था कि पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स उनकी राह में रोड़े अटकाने का काम तो जरूर ही करेंगे । संजीव राय मेहरा और अनूप मित्तल को उम्मीद थी कि रवि दयाल के प्रति पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स की यह नाराजगी उनके लिए फायदे का कारण बनेगी - और उन्होंने इसके लिए भरसक प्रयास भी किया । लेकिन लगता है कि उनकी दाल गली नहीं है । संजीव राय मेहरा तो अपने ढीले-ढाले रवैये से पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स को इंप्रेस नहीं कर पाए, और अनूप मित्तल की ताबड़तोड़ तेजी ने लगता है कि पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स के ईगो को हर्ट किया है । पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स के समर्थन के मामले में इन दोनों को मिलती दिख रही असफलता रवि दयाल के लिए सुनहरा अवसर बन कर आई है ।
संजीव राय मेहरा की उम्मीदवारी के प्रति पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स का झुकाव शुरू में दिखा भी था, लेकिन उन्होंने जब देखा कि संजीव राय मेहरा पूरी तरह उन्हीं पर निर्भर हैं और खुद ज्यादा कुछ करने को तैयार नहीं हैं - और इस कारण लोगों के बीच उनकी कोई स्वीकार्यता बन ही नहीं रही है, तब फिर पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स उनकी उम्मीदवारी से पीछे हटने लगे । इस स्थिति का फायदा उठाने के लिए अनूप मित्तल ने कमर कसी, लेकिन परिस्थितियों ने उन पर कुछ ऐसा शिकंजा कसा - जिसका कि वह मुकाबला नहीं कर सके । अनूप मित्तल दरअसल बहुत 'महीन' तरीके से इस जाल में फँसे कि उन्हें निवर्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुधीर मंगला के उम्मीदवार के रूप में देखा/पहचाना गया । यह जाल इतना महीन था कि अनूप मित्तल इसमें फँसने के खतरे को समझ/पहचान ही नहीं पाए । सुधीर मंगला की पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स के बीच जैसी जो 'पहचान' है, उसके कारण अनूप मित्तल पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स के बीच अछूत बन गए । दूसरी बड़ी प्रतिकूल परिस्थिति अनूप मित्तल ने खुद बना ली - कहीं उन्होंने कह दिया कि वह यदि इस बार के चुनाव में सफल नहीं हुए तो अगले रोटरी वर्ष में उम्मीदवार बनेंगे । उनकी इस घोषणा के कारण उन्हें अगले रोटरी वर्ष के उम्मीदवार के रूप में देखा जाने लगा । कुछेक पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स ने तो उन्हें सलाह भी दे डाली कि अगले रोटरी वर्ष के लिए कोई गंभीर उम्मीदवार नहीं दिख रहा है, इसलिए उन्हें अगले रोटरी वर्ष में ही उम्मीदवार होना चाहिए । इस तरह की बातों ने तेजी से आगे बढ़ते अनूप मित्तल के कदमों की रफ्तार को कम कर दिया । संजीव राय मेहरा और अनूप मित्तल की इस दशा ने रवि दयाल को चुनावी मुकाबले में वापस लाने का काम किया है ।
रवि दयाल अनुकूल परिस्थितियों का फायदा उठाते हुए मुकाबले में वापस लौटते हुए भले ही दिख रहे हों, लेकिन उनके ही समर्थकों व शुभचिंतकों के अनुसार - उनके लिए हालात अभी भी पूरी तरह आसान और सुरक्षित नहीं हैं । असल में, पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स की बातों और बातों में व्यक्त किये जाने वाले समर्थन से माहौल तो बनता है - किंतु उससे वोट मिलने जरूरी नहीं हैं । वोट पाने के लिए एक अलग तरह के 'मैनेजमेंट' की जरूरत होती है । इस बार के चुनाव में एक तो उम्मीदवार ज्यादा हैं, और दूसरे किसी भी उम्मीदवार के पक्ष में एकतरफा माहौल नहीं बन सका है - इस कारण डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में दिलचस्पी रखने तथा उसे प्रभावित करने वाले नेता लोग असमंजस में हैं । इस असमंजसता के चलते नेता लोग स्टैंड नहीं ले पा रहे हैं और इस कारण मतदाता तबके को बँटा हुआ देखा/पाया जा रहा है । ऐसे में उम्मीदवारों के लिए जीतने लायक वोटों को प्राप्त करना एक बड़ी चुनौती है । जैसे जैसे चुनाव के दिन नजदीक आ रहे हैं, उम्मीदवारों के लिए यह चुनौती और गंभीर होती जा रही है ।