रोहतक/नई दिल्ली । रविंदर उर्फ रवि गुगनानी के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की उम्मीदवारी से पीछे हटने से बाकी तीनों उम्मीदवार - अशोक कंतूर, अजीत जालान और महेश त्रिखा खासे खुश हैं; और अलग अलग कारणों से अपनी अपनी चुनावी स्थिति को खासा मजबूत हुआ मान रहे हैं । दिलचस्प बात यह है कि अगले रोटरी वर्ष में होने वाले डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए ताल ठोक रहे चारों उम्मीदवारों में रवि गुगनानी की स्थिति को ही सबसे मजबूत माना/समझा जा रहा था, और उनकी उम्मीदवारी ने बाकी तीनों उम्मीदवारों के लिए समर्थन जुटाने के अवसरों को छीना तथा सीमित किया हुआ था । उम्मीदवारी घोषित करते ही रवि गुगनानी जिस अचानक तरीके से डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस के कन्वेनर बन कर डिस्ट्रिक्ट के सत्ताधारियों के लाड़ले बन गए थे, उसे देख कर बाकी तीनों उम्मीदवारों ने अपने आपको भारी मुसीबत में पाया था । पहले तो ऐसा लग रहा था कि रवि गुगनानी को सिर्फ उन लोगों का समर्थन प्राप्त होगा, जिन्होंने इस वर्ष के चुनाव में अनूप मित्तल को जितवाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी; लेकिन डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस के कन्वेनर बन कर रवि गुगनानी ने संकेत और सुबूत 'दिखाए' कि वह अनूप मित्तल के खिलाफ अशोक कंतूर की उम्मीदवारी का समर्थन करने वाले विनोद बंसल का भी समर्थन जुटा सकते हैं । इस तरह, डिस्ट्रिक्ट के दोनों खेमों के नेताओं के बीच अपनी पैठ दिखा/जता कर रवि गुगनानी ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की चुनावी दौड़ में अपने आपको बाकी तीनों उम्मीदवारों से काफी आगे बना लिया था । लेकिन अचानक से सामने आए एक नाटकीय घटनाचक्र में रवि गुगनानी ने अगले वर्ष की डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की चुनावी दौड़ से हटने की घोषणा करके बाकी तीनों उम्मीदवारों को एक बड़ी चुनावी राहत दी है ।
रवि गुगनानी ने 'रचनात्मक संकल्प' की एक रिपोर्ट से आहत होकर यह फैसला किया । रवि गुगनानी के नजदीकियों का कहना हालाँकि यह भी है कि रवि गुगनानी के इस फैसले को अंतिम न माना जाए - और बहुत संभव है कि वह अपने फैसले पर पुनर्विचार करें और फिर से डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की चुनावी दौड़ में शामिल हो जाएँ । ऐसा सोचने और कहने वाले रवि गुगनानी के नजदीकियों का तर्क है कि रवि गुगनानी ने ऐसा ही 'तमाशा' डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस में भी किया था - जहाँ डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विनय भाटिया व डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर विनोद बंसल के रवैये से खफा होकर पहले तो उन्होंने डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस के बहिष्कार की घोषणा कर दी थी, और उससे जुड़े एक महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम का उन्होंने बहिष्कार भी कर दिया था - लेकिन अगले ही दिन फिर वह डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस में आ गए थे । रवि गुगनानी के नजदीकियों का कहना है कि रवि गुगनानी थोड़े तुनकमिजाज व्यक्ति हैं; वह कब किस बात पर तुनक जाएँ - यह पहचानना/समझना बड़ा मुश्किल है । अपनी तुनकमिजाजी में वह कई बार ऐसे फैसले कर लेते हैं कि बाद में उन्हें खुद पछताना पड़ता है और फिर वह अपने ही फैसले पर नहीं टिकते हैं - जैसा कि डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस के मामले में हुआ । नजदीकियों को भले ही लगता हो कि डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस के मामले की तरह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की उम्मीदवारी के मामले में भी रवि गुगनानी पलटी मार सकते हैं - लेकिन दूसरे लोगों का मानना/कहना है कि अब की बार घोषित किए गए अपने फैसले से पलटी मारना रवि गुगनानी के लिए मुश्किल होगा । कई लोगों का मानना और कहना है कि दरअसल इस बार, रवि गुगनानी ने अपनी तुनकमिजाजी में 'रायता' कुछ ज्यादा फैला लिया है, जिसे समेटना आसान नहीं होगा ।
हालाँकि कई लोग अलग अलग तरीकों से रवि गुगनानी को मनाने का प्रयास कर रहे हैं कि उन्हें इस तरह से डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की चुनावी दौड़ से बाहर नहीं हो जाना चाहिए, और अपने फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए । हालाँकि दिलचस्प बात यह भी देखने में आई है कि 'रचनात्मक संकल्प' की रिपोर्ट से आहत होकर अपनी ही उम्मीदवारी के दुश्मन बन बैठे रवि गुगनानी के - डिस्ट्रिक्ट व रोटरी को अपनी हरकतों व कारस्तानियों से बार बार शर्मशार करने वाले कुछेक लोग - हमदर्द बन बैठे हैं । रवि गुगनानी से हमदर्दी दिखा/जता कर यह लोग दरअसल अपने अपने चेहरों पर लगी 'कालिख' को साफ करने की कोशिश कर रहे हैं । एक और मजे की बात यह है कि रवि गुगनानी द्वारा अचानक लिए उक्त फैसले ने उन्हें 'लेकर' बनाई गईं डिस्ट्रिक्ट के कई नेताओं की अलग अलग तरह की 'प्लानिंग्स' को खतरे में डाल दिया है । नेताओं को डर हुआ है कि रवि गुगनानी ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बनने का 'सपना' यदि सचमुच छोड़ दिया, तो उनके उस सपने के 'भरोसे' बनाई गईं उनकी प्लानिंग्स का क्या होगा ? सबसे बड़ा संकट रवि गुगनानी की एकेएस सदस्यता को लेकर पैदा हुआ है । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विनय भाटिया ने चेन्नई इंस्टीट्यूट में एकेएस सदस्यता को लेकर रवि गुगनानी से हामी भरवाई थी, जिसके चलते रोटरी के बड़े नेताओं की मौजूदगी में उनका स्वागत हुआ था । विनय भाटिया को डर यह लग रहा है कि ताजा घटनाचक्र के चलते रवि गुगनानी का मन यदि रोटरी से विमुख हो गया तो कहीं वह एकेएस सदस्यता का पैसा देने से इंकार न कर दें । रोहतक में रोटरी का एक बड़ा हिस्सा रवि गुगनानी के 'भरोसे' है - रवि गुगनानी की नाराजगी के बने रहने से उसके अस्तित्व पर भी खतरा पैदा हो सकता है । इसलिए कई तरह के लोग अलग अलग कारणों से और अपने अपने तरीके से रवि गुगनानी को मनाने/समझाने का प्रयास कर रहे हैं । यह देखना दिलचस्प होगा कि रवि गुगनानी डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस की तरह अपनी उम्मीदवारी के मामले में भी यू-टर्न लेते हैं या अपनी नाराजगी को बनाए रखते हुए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के बाकी उम्मीदवारों के लिए मुकाबले को सचमुच आसान बना देंगे ।