Thursday, March 21, 2019

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 सी टू में सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के चुनाव में सुनीता बंसल की उम्मीदवारी की बागडोर संभालने को लेकर उनके समर्थक नेताओं के बीच मचे झगड़े ने श्याम बिहारी अग्रवाल की स्थिति को बेहतर बनाया

आगरा । सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए सुनीता बंसल की उम्मीदवारी को मिल रहे समर्थन को 'दिखलाने' के उद्देश्य से हुए होली मिलन समारोह में जुटे लोगों को देख/जान कर श्याम बिहारी अग्रवाल की उम्मीदवारी के समर्थक डिस्ट्रिक्ट के सत्ता खेमे के लोगों ने राहत की साँस ली है । दरअसल डिस्ट्रिक्ट के सत्ता खेमे के नेताओं ने जब से श्याम बिहारी अग्रवाल की उम्मीदवारी का झंडा उठाया है, तब ही से विरोधी खेमे के नेताओं ने डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच यह हवा बनाने की कोशिश की है कि सत्ता खेमे के कई नेता श्याम बिहारी अग्रवाल को उम्मीदवार बनाये जाने से खुश नहीं हैं और श्याम बिहारी अग्रवाल की उम्मीदवारी को लेकर सत्ता खेमे में फूट पड़ गई है । यह हवा बनाने के लिए विरोधी खेमे के नेताओं ने तर्क दिया कि सत्ता खेमे के जो नेता पिछली बार श्याम बिहारी अग्रवाल की उम्मीदवारी का विरोध कर रहे थे, उन्होंने अचानक से इस बार जिस तरह से श्याम बिहारी अग्रवाल की उम्मीदवारी का झंडा उठा लिया है - उसे देख कर उन नेताओं के संगी-साथी ही खफा हैं, और इससे सत्ता खेमे की राजनीतिक ताकत कमजोर हुई है । सत्ता खेमे की राजनीतिक ताकत कमजोर हुई है या नहीं, यह तो निश्चित रूप से अभी नहीं पता है; लेकिन सुनीता बंसल की उम्मीदवारी के लिए हुए आयोजन से यह जरूर पता चल गया है कि विरोधी खेमे को उसका कोई लाभ मिलता हुआ नहीं दिख रहा है । सुनीता बंसल की उम्मीदवारी के समर्थन में कमोवेश वही लोग दिख रहे हैं, जो पिछले वर्ष श्याम बिहारी अग्रवाल की उम्मीदवारी के समर्थन में थे । ऐसे में लोगों को कहने का मौका मिला है कि 'वह लोग' पिछले वर्ष जब श्याम बिहारी अग्रवाल को नहीं जितवा सके थे, तब फिर वह इस वर्ष सुनीता बंसल को भला कैसे चुनाव जितवा सकेंगे ?
मजे की बात यह हुई है कि विरोधी खेमे के नेता जिस तर्क से सत्ता खेमे के नेताओं को 'लपेटने' की कोशिश कर रहे हैं, वह तर्क पलट कर खुद उनके लिए ही मुसीबत बन गया है । डिस्ट्रिक्ट में लोगों का कहना/पूछना है कि विरोधी खेमे के जो नेता पिछले वर्ष श्याम बिहारी अग्रवाल की उम्मीदवारी का समर्थन कर रहे थे, उन्हें तो यह देख/जान कर खुश होना चाहिए कि 'उनके' श्याम बिहारी अग्रवाल को अब पिछले वर्ष विरोधी रहे लोगों ने भी स्वीकार कर लिया है - और इस तरह 'उनके' श्याम बिहारी अग्रवाल के लिए तो इस वर्ष निर्विरोध सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर चुने जाने की स्थितियाँ बनी हैं । इस स्थिति पर खुश होने की बजाये 'समर्थक' रहे विरोधी खेमे के नेता जिस तरह से श्याम बिहारी अग्रवाल की उम्मीदवारी के विरोधी बन गए हैं, उससे वास्तव में वह यही साबित कर रहे हैं कि सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की चुनावी राजनीति में उन्हें उम्मीदवार से कोई लगाव नहीं है, वह तो बस उम्मीदवार को इस्तेमाल करते हुए अपनी राजनीति करना चाहते हैं । पिछले वर्ष उन्होंने उम्मीदवार के रूप में श्याम बिहारी अग्रवाल को इस्तेमाल किया, इस बार वह सुनीता बंसल की उम्मीदवारी के सहारे विरोध की अपनी राजनीति दिखा रहे हैं । विरोधी खेमे के नेता पिछले वर्ष भी सत्ता खेमे के नेताओं की तथाकथित फूट के तथा श्याम बिहारी अग्रवाल की उम्मीदवारी के समर्थन में होने वाले आयोजनों में जुटे लोगों के आधार पर अपनी स्थिति मजबूत देखा/बताया करते थे, और इस बार सुनीता बंसल की उम्मीदवारी के मामले में भी उनका वैसा ही रंग-ढंग है । सुनीता बंसल की उम्मीदवारी के पक्ष में पिछले दिनों हुए होली मिलन में यही नजारा देखने को मिला कि वहाँ या तो ऐसे लोग थे, जो प्रायः हर आयोजन में होते हैं और या फिर वह लोग थे जो पिछली बार श्याम बिहारी अग्रवाल की उम्मीदवारी के साथ थे - लेकिन जो श्याम बिहारी अग्रवाल को चुनाव जितवा नहीं सके थे ।
सुनीता बंसल की उम्मीदवारी के समर्थक नेताओं में से ही कुछेक का मानना/कहना है कि सुनीता बंसल की उम्मीदवारी के मामले में सबसे बड़ी समस्या यह है कि डिस्ट्रिक्ट में उनकी कोई सक्रियता नहीं रही है, जिसके चलते न तो डिस्ट्रिक्ट के लोग उन्हें जानते/पहचानते हैं, और न वह ही डिस्ट्रिक्ट के लोगों को जानती/पहचानती हैं । सुनीता बंसल की चूँकि अपने क्लब के कार्यक्रमों में भी कोई खास भागीदारी नहीं रही/दिखी है; मौजूदा लायन वर्ष में क्लब के जो महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम हुए, उनमें सुनीता बंसल की कोई खास सक्रियता न दिखी, न रही - इसलिए उनकी उम्मीदवारी को लेकर क्लब के लोगों तथा पदाधिकारियों के बीच कोई उत्साह नहीं नजर आ रहा है, जिसका खामियाजा उनकी उम्मीदवारी को झेलना पड़ रहा है । सुनीता बंसल की उम्मीदवारी के समर्थक बने विरोधी खेमे के नेताओं के बीच के आपसी 'झगड़े' भी सुनीता बंसल की उम्मीदवारी के लिए मुसीबत बने हुए हैं; दरअसल विरोधी खेमे के नेताओं के बीच सुनीता बंसल की उम्मीदवारी की बागडोर संभालने को लेकर जो होड़ मची है, उससे भी सुनीता बंसल की उम्मीदवारी के सामने सबसे बड़ी समस्या खड़ी हो रही है । दूसरी तरफ सत्ता खेमे में श्याम बिहारी अग्रवाल की उम्मीदवारी को स्वीकार करने को लेकर शुरू में जो हिचक और असमंजस दिख रहा था, वह काफी हद तक दूर होता नजर आ रहा है । विरोधी खेमे के नेताओं के बीच बनी/फैली असमंजसता और बिखराव की स्थिति ने भी श्याम बिहारी अग्रवाल की चुनावी स्थिति को बेहतर बनाया है ।