Friday, March 1, 2019

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 सी टू में श्याम बिहारी अग्रवाल को 'गोद' लेने व आगरा पर थोपने तथा डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में बीके गुप्ता के कार्य-व्यवहार से नाराज लोगों के निशाने पर जितेंद्र चौहान के आने से श्याम बिहारी अग्रवाल की उम्मीदवारी के लिए मुसीबत बढ़ी

आगरा । जितेंद्र चौहान और उनके साथी अन्य पूर्व गवर्नर्स पिछले लायन वर्ष में जिन श्याम बिहारी अग्रवाल की उम्मीदवारी का विरोध कर रहे थे - और सिर्फ विरोध ही नहीं कर रहे थे, बल्कि तरह तरह के आरोपों के साथ बदनाम और लांछित भी कर रहे थे; इस वर्ष उन्होंने उन्हीं श्याम बिहारी अग्रवाल की उम्मीदवारी का झंडा उठा लिया है । इसे लेकर डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच - खासतौर से जितेंद्र चौहान के नजदीकियों व शुभचिंतकों के बीच खासी नाराजगी दिख रही है । उनका कहना/पूछना है कि जो जितेंद्र चौहान पिछले वर्ष श्याम बिहारी अग्रवाल के कुछेक 'कार्यक्रमों' का हवाला देकर उनके लायन सदस्य बने रहने पर भी सवाल उठा रहे थे, इस वर्ष वह उन्हीं श्याम बिहारी अग्रवाल को (सेकेंड वाइस) डिस्ट्रिक्ट गवर्नर चुनवाने की बात किस मुँह से करेंगे ? लोगों के बीच आरोपपूर्ण चर्चाओं में कहा/सुना जा रहा है कि इस शीर्षासनी बदलाव में पैसों के लेनदेन की बड़ी और निर्णायक भूमिका है । इस भूमिका के चलते एक बड़ा काम लायंस क्लब आगरा रॉयल के फिर से 'जी' उठने का हुआ है । उल्लेखनीय है कि ड्यूज जमा न होने के कारण लायंस इंटरनेशनल ने इस क्लब को 'मरणासन्न' सूची में डाल दिया था; लेकिन जितेंद्र चौहान और श्याम बिहारी अग्रवाल के बीच हुई 'सौदेबाजी' में इस क्लब के बकाया करीब 700 अमेरिकी डॉलर के डयूज जमा हुए और यह क्लब फिर से जी उठा । महत्त्वपूर्ण बात यह है कि इस क्लब के मुखिया राजीव मोहन सक्सेना, जितेंद्र चौहान के बड़े खास लोगों में देखे/पहचाने जाते हैं । पहले डिस्ट्रिक्ट गवर्नर और फिर मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन के रूप में जितेंद्र चौहान ने अपना कामकाज राजीव मोहन सक्सेना के ऑफिस से ही चलाया था । श्याम बिहारी अग्रवाल ने इस क्लब को नया जीवन तो दिया ही है, साथ ही साथ इस क्लब की सदस्यता भी ले ली है ।
इसके चलते श्याम बिहारी अग्रवाल आगरा के उम्मीदवार बन जाने का दावा कर रहे हैं । उनके इस दावे पर लेकिन आगरा के कई लोग भड़के हुए हैं । उनका कहना/पूछना है कि जितेंद्र चौहान को अपनी राजनीति चलाने के लिए आगरा में कोई उम्मीदवार नहीं मिला क्या - जो उन्होंने श्याम बिहारी अग्रवाल को आगरा के सिर पर थोप दिया है । जितेंद्र चौहान के नजदीकी इस बात का बड़ा तर्कपूर्ण जबाव देते हुए बताते हैं कि जितेंद्र चौहान ने पहले कपिल अग्रवाल और फिर सतीश अग्रवाल को उम्मीदवार बनाने की कोशिश की तो थी; लेकिन जितेंद्र चौहान की डिमांड्स के सामने दोनों ही नहीं टिक पाए - जितेंद्र चौहान तब श्याम बिहारी अग्रवाल को 'गोद' लेने के लिए मजबूर हुए । जितेंद्र चौहान भले ही किसी सौदेबाजी में श्याम बिहारी अग्रवाल को 'गोद' लेने के लिए मजबूर हुए हों और श्याम बिहारी अग्रवाल को भी भले ही लग रहा हो कि जितेंद्र चौहान का समर्थन मिल जाने से सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए उनकी दावेदारी मजबूत हो गई है - लेकिन जितेंद्र चौहान और श्याम बिहारी अग्रवाल के बीच बने इस गठजोड़ को लेकर लोगों के बीच जिस तरह की नाराजगी देखने/सुनने को मिल रही है, उससे संकेत लग रहा है कि दोनों के लिए आगे का रास्ता आसान नहीं होगा । दरअसल डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में बीके गुप्ता के कार्य-व्यवहार से नाराज लोगों का निशाना भी जितेंद्र चौहान को बनना पड़ रहा है । लोगों का कहना है कि जितेंद्र चौहान अपने स्वार्थ में ऐसे लोगों को गवर्नर बनवा देते हैं, जो किसी काम के साबित नहीं होते हैं और सिर्फ कठपुतली बने रहते हैं । जितेंद्र चौहान और बीके गुप्ता के प्रति पैदा होने वाली यह नाराजगी श्याम बिहारी अग्रवाल की उम्मीदवारी के लिए मुसीबत का कारण बन सकती है । देखना दिलचस्प होगा कि जितेंद्र चौहान अपने आपको और श्याम बिहारी अग्रवाल को लोगों की नाराजगी से पैदा होने वाली मुसीबत से बचाने के लिए क्या और कैसे करतब पेश करते हैं ।