मसूरी । डिस्ट्रिक्ट 321 सी वन में हुए सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के चुनाव में गौरव गर्ग ने जोरदार और ऐतिहासिक जीत हासिल की है । कुल पड़े 330 वोट में गौरव गर्ग को 316 वोट मिले; उनके प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार राजेश गुप्ता को कुल 13 वोट मिले और एक वोट निरस्त हुआ । इतनी बड़ी जीत इससे पहले डिस्ट्रिक्ट में क्या, मल्टीपल में - और संभवतः देश में किसी को नहीं मिली होगी । 330 में से 13 वोट पाने वाले राजेश गुप्ता को पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर अनीता गुप्ता, सुनील जैन तथा लायन समाज में 'चोर' गवर्नर के रूप में कुख्यात एक अन्य पूर्व गवर्नर का समर्थन प्राप्त था; 'चोर' गवर्नर ने तो राजेश गुप्ता को समर्थन दिलवाने के उद्देश्य से मुकेश गोयल व विनय मित्तल के खिलाफ सोशल मीडिया में गाली-गलौच से भरा भारी अभियान चलाया हुआ था - तीन तीन पूर्व गवर्नर्स की मेहनत के बावजूद राजेश गुप्ता को मात्र 13 वोट ही मिल पाए । चुनाव से पहले के करीब दस दिनों में राजेश गुप्ता का चुनाव अभियान हालाँकि दम तोड़ता दिखने लगा था; वह और उनके समर्थक पूर्व गवर्नर्स ठंडे पड़ते और अपनी हार स्वीकार करते नजर आने लगे थे; लेकिन उनकी तरफ से डिस्ट्रिक्ट के लोगों को कन्फ्यूज करने तथा बरगलाने का काम जारी था; मुकेश गोयल और विनय मित्तल के बीच बनी एकता को तोड़ने के लिए तरह तरह के उपाय किए जा रहे थे और वोटिंग शुरू होने से ठीक पहले होने उम्मीदवारों द्वारा किए जाने वाले उद्बोधनों में राजेश गुप्ता बता रहे थे कि यदि वह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बने तो वह आधिकारिक ड्यूज के अलावा लोगों से कोई पैसा नहीं लेंगे । चुनाव से ठीक पहले की जा रही राजेश गुप्ता और उनके समर्थक गवर्नर्स की कोशिशों को दरअसल बुरी हार से बचने की तरकीबों के रूप में देखा/पहचाना जा रहा था; लेकिन अंततः उनकी कोई तरकीब काम न आई और कुल पड़े 330 वोटों में मात्र 13 वोट पाकर राजेश गुप्ता एक बड़ी पराजय को प्राप्त हुए ।
गौरव गर्ग को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विनय मित्तल के उम्मीदवार के रूप में 'चित्रित' करते हुए मुकेश गोयल को भड़का कर उन्हें विनय मित्तल से अलग करने की कोशिशें चुनाव से ऐन पहले तक खूब हुईं, लेकिन एक अनुभवी व कुशल नेता के रूप में मुकेश गोयल ने डिस्ट्रिक्ट में विनय मित्तल की प्रशासनिक व राजनीतिक हैसियत को पहचान लिया था और समझ लिया था कि डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति की 'नब्ज' इस समय विनय मित्तल के हाथ में है, और विनय मित्तल के विरोध में होने का मतलब अपने आप को राजनीतिक रूप से खत्म कर लेना होगा - लिहाजा मुकेश गोयल किसी झाँसे में नहीं आए । गौर करने वाला तथ्य यह है कि कॉल आने और नामांकन होने से ठीक पहले तक मुकेश गोयल सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए गौरव गर्ग की उम्मीदवारी के पक्ष में बिल्कुल भी नहीं थे; वह एक तरफ तो गौरव गर्ग को हर तरह से डराने व हतोत्साहित करने के काम में लगे थे, दूसरी तरफ अन्य लोगों को उम्मीदवार बनने के लिए 'तैयार' करने के काम में जुटे थे, और तीसरी तरफ विनय मित्तल पर दबाव बना रहे थे कि वह गौरव गर्ग की जगह अपनी पसंद के और किसी को उम्मीदवार बना लें । विनय मित्तल ने लेकिन ऐसी व्यूह रचना तैयार की कि मुकेश गोयल को फिर गौरव गर्ग की उम्मीदवारी के समर्थन के लिए ही राजी होना पड़ा । इसीलिए सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की चुनावी प्रक्रिया के पूरे घटनाक्रम को देखने वाले लोग गौरव गर्ग की भारी जीत को वास्तव में विनय मित्तल की जीत के रूप में देख रहे हैं । लायन राजनीति में ऐसा शायद ही कभी/कहीं हुआ होगा कि एक डिस्ट्रिक्ट गवर्नर 'अपने' उम्मीदवार को जीत - और वह भी भारी भरकम जीत दिलवा दे ।
गौरव गर्ग की उम्मीदवारी के अभियान को आगे बढ़ाना विनय मित्तल के लिए भारी चुनौती का काम था । दरअसल गौरव गर्ग की एक तो डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच कोई पहचान नहीं थी, और दूसरे वह बहुत महँगा चुनाव लड़ने के लिए तैयार नहीं थे; मुकेश गोयल तो गौरव गर्ग की उम्मीदवारी के खिलाफ थे ही, गौरव गर्ग के अपने क्षेत्र मसूरी/देहरादून के दो प्रमुख पूर्व गवर्नर्स अनीता गुप्ता और सुनील जैन भी उनकी उम्मीदवारी के मुखर रूप में खिलाफ थे । सबसे बड़ी मुसीबत की बात यह हुई कि गौरव गर्ग को शुरु में ही विनय मित्तल के उम्मीदवार के रूप में पहचान लिया गया था - जिस कारण विनय मित्तल से किसी भी कारण से थोड़ी बहुत नाराजगी रखने वाले लोग भी गौरव गर्ग की खिलाफत करने लगे थे; दरअसल गौरव गर्ग की खिलाफत में वह विनय मित्तल से 'बदला लेने' का सुख पा रहे थे । ऐसे में, विनय मित्तल के लिए गौरव गर्ग की उम्मीदवारी की राह बनाना तथा उसे कामयाबी दिलवाना एक बड़ी चुनौती थी । यह बड़ी चुनौती इसलिए और भी ज्यादा बड़ी थी, क्योंकि विनय मित्तल खुद की पहचान सिर्फ एक 'चुनावबाज' नेता के रूप में नहीं बनाना चाहते हैं; वह एक अच्छे डिस्ट्रिक्ट गवर्नर भी 'बनना' चाहते हैं, जो लायनिज्म के उच्च आदर्शों का पालन करते हुए लायनिज्म के काम-काज को भी न सिर्फ प्रमुखता देता है, बल्कि ईमानदारी के साथ अपना काम भी करता है । डिस्ट्रिक्ट 321 सी वन में 'चोर' गवर्नर की हरकतों - आपदा पीड़ितों की मदद के नाम पर मिले पैसों के साथ-साथ ड्यूज तक के पैसों को हड़पने की उसकी हरकतों के चलते - लोगों ने यह मान लिया था कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर का काम हर तरह से पैसा लूटना ही होता है; और इस तरह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर जैसे महत्त्वपूर्ण व प्रतिष्ठा के पद की साख गर्त में जा पड़ी थी; उसे सुधारने की जरूरी जिम्मेदारी भी विनय मित्तल ने ली हुई थी ।
विनय मित्तल ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में दोहरी जिम्मेदारी ली हुई थी - एक तरफ उन्हें डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद को लोगों के बीच पुनर्प्रतिष्ठित करना था, और दूसरी तरफ हर तरह से कमजोर समझे जा रहे गौरव गर्ग की उम्मीदवारी को कामयाबी दिलवाना था । इन जिम्मेदारियों को निभाने में उन्हें तमाम लोगों - खुद 'अपने' लोगों के 'षड्यंत्रों' तथा तगड़े विरोध का सामना करना पड़ रहा था; सिर्फ सामना ही नहीं करना पड़ रहा था, हर पल खतरा बना हुआ था कि कब कौन 'अपना' उनके लिए मुसीबत खड़ी कर दे । विरोधियों और अपनों के बनाये गए चक्रव्यूह में विनय मित्तल अकेले ही थे, और उन्हें अकेले ही उसमें से बाहर निकलना था । लेकिन ठहरिये - यहाँ कुछ बताना छूट रहा है । यहाँ फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर संजीवा अग्रवाल की भूमिका को रेखांकित न करना उनके साथ अन्याय करना होगा । एक अकेले संजीवा अग्रवाल ही हैं, जो हर तरह से और पूरे भरोसे के साथ विनय मित्तल के साथ रहे । संजीवा अग्रवाल के सहयोग के साथ विनय मित्तल ने एक साथ युधिष्ठिर और अर्जुन की भूमिका निभाई और इतिहास रचा ।