Saturday, March 16, 2019

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 बी वन में जगदीश अग्रवाल के नामांकन को स्वीकार करने के मामले में विशाल सिन्हा द्वारा 'सेट' किए गए इंटरनेशनल डायरेक्टर जेपी सिंह से हरी झंडी मिलने के बाद ही संजय चोपड़ा ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर एके सिंह की फजीहत करने वाले हालात बनाये

लखनऊ । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर एके सिंह को अंततः पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स - संजय चोपड़ा, विशाल सिन्हा, अनुपम बंसल की तिकड़ी के सामने झुकने/दबने के लिए मजबूर होना पड़ा है, और सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए फर्जी और अधूरे तथ्यों पर आधारित जगदीश अग्रवाल का नामांकन स्वीकार हो गया है । जगदीश अग्रवाल इसके लिए खुलकर नोमीनेटिंग कमेटी के चेयरमैन संजय चोपड़ा का आभार व्यक्त कर रहे हैं, और लोगों को बता रहे हैं कि एके सिंह की तरफ से मिलने वाली धमकियों की परवाह न करते हुए संजय चोपड़ा ने उनके नामांकन को स्वीकार करने का साहसिक फैसला किया है । जगदीश अग्रवाल बता रहे हैं कि एके सिंह की तरफ से लगातार यह संदेश दिया जा रहा था कि संजय चोपड़ा ने यदि जगदीश अग्रवाल का नामांकन स्वीकार किया तो वह संजय चोपड़ा को नोमीनेटिंग कमेटी के चेयरमैन पद से हटा देंगे; संजय चोपड़ा ने लेकिन इस संदेश की परवाह नहीं की और उनके नामांकन को हरी झंडी दे दी । जगदीश अग्रवाल अपने नामांकन के नियमविरुद्ध होने के बावजूद स्वीकृत होने के लिए संजय चोपड़ा के साथ-साथ विशाल सिन्हा को भी श्रेय देते हैं । लोगों को उन्होंने बताया है कि इस मामले में संजय चोपड़ा से लेकर दिल्ली में बैठे इंटरनेशनल डायरेक्टर जेपी सिंह तक को 'साधने' का काम विशाल सिन्हा ने ही किया है । विशाल सिन्हा ने ही जेपी सिंह से यह आश्वासन लिया है कि नामांकन स्वीकार करने में हुई 'बेईमानी' को लेकर लायंस इंटरनेशनल में यदि शिकायत होती है, तो जेपी सिंह वहाँ मामला 'संभाल' लेंगे । जेपी सिंह से यह आश्वासन मिलने के बाद ही संजय चोपड़ा ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर एके सिंह की धमकी को अनसुना करते हुए जगदीश अग्रवाल के नामांकन को स्वीकार कर लिया । जगदीश अग्रवाल द्वारा बताई जा रही बातों में यह बात लेकिन और भी खासी गंभीर है कि अपनी उम्मीदवारी का नामांकन स्वीकार करवाने के लिए उन्हें बड़ी मोटी रकम खर्च करना पड़ी है - जो लखनऊ व शाहजहाँपुर से लेकर दिल्ली तक के मुख्य पात्रों के बीच बँटी बताई/सुनी जा रही है । 
जगदीश अग्रवाल के नामांकन के मामले में हुआ दरअसल यह है कि उम्मीदवार होने के लिए नियमानुसार जिन शर्तों का पालन करना जरूरी था, जगदीश अग्रवाल द्वारा प्रस्तुत किए गए कागज उन शर्तों को पूरा नहीं करते थे, जिसके चलते नोमीनेटिंग कमेटी की मीटिंग में उनका नामांकन रद्द हो जाना चाहिए था; किंतु विशाल सिन्हा और अनुपम बंसल द्वारा दिए गए 'ऑफर' के दबाव के चलते नोमीनेटिंग कमेटी के चेयरमैन के रूप में संजय चोपड़ा ने जगदीश अग्रवाल को दूसरे कागज प्रस्तुत करने के लिए समय दे दिया । लायंस इंटरनेशनल के नियमों में हालाँकि इस तरह की कोई व्यवस्था ही नहीं है कि किसी उम्मीदवार के पेपर यदि आधे-अधूरे हैं, तो उसे 'सही' पेपर प्रस्तुत करने के लिए समय दिया जाए । वास्तव में, उम्मीदवारी के पेपर तैयार करने की प्रक्रिया ही ऐसी है कि उसमें नए पेपर देने/लेने का कोई मौका ही नहीं बनता है । लेकिन अपने बड़े 'लालच' को पूरा करने के ऐवज में संजय चोपड़ा ने नियम और प्रक्रिया को ही अनदेखा कर दिया । संजय चोपड़ा के फैसले को पक्षपातपूर्ण माना गया और इसमें 'सौदेबाजी' होने की आशंका देखी/पहचानी गई है । संजय चोपड़ा की यह कार्रवाई डिस्ट्रिक्ट गवर्नर एके सिंह को उचित नहीं लगी और उन्होंने संजय चोपड़ा को बहुत समझाने की कोशिश की कि उन्हें यह नियमविरुद्ध काम नहीं करना चाहिए, अन्यथा उनके साथ-साथ डिस्ट्रिक्ट की भी बहुत बदनामी होगी । एके सिंह ने यह संकेत भी दिए कि संजय चोपड़ा ने यदि नियमों का पालन नहीं किया, तो वह उन्हें नोमीनेटिंग कमेटी के चेयरमैन पद से हटा देंगे । लोगों के बीच चर्चा है कि जगदीश अग्रवाल और विशाल सिन्हा की तरफ से नामांकन स्वीकार करने के बदले में उन्हें इतना जोरदार और उनकी 'पसंद' का ऑफर था कि संजय चोपड़ा ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर एके सिंह की समझाइस व धमकी तक की परवाह नहीं की ।
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर एके सिंह के लिए फजीहत की बात यह रही कि उनके द्वारा नियुक्त किए गए नोमीनेटिंग कमेटी चेयरमैन संजय चोपड़ा ने तो नियमविरुद्ध कार्रवाई करके 'बेईमानी' की ही, इंटरनेशनल डायरेक्टर जेपी सिंह तक ने संजय चोपड़ा की इस बेईमानी को हरी झंडी दी । इस मामले को 'देखने' वाले मल्टीपल के बड़े और लायंस इंटरनेशनल के नियमों को अच्छे से समझने वाले लोगों का मानना और कहना है कि इंटरनेशनल डायरेक्टर जेपी सिंह से हरी झंडी मिले बिना संजय चोपड़ा उक्त फैसला करने का साहस नहीं कर सकते थे । इस मामले में दिलचस्प पहलू यह भी है कि पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर विनोद खन्ना पहले ही यह स्पष्ट कर चुके थे कि नियमानुसार जगदीश अग्रवाल का नामांकन स्वीकार नहीं हो सकता है । दरअसल लखनऊ में हुई नोमीनेटिंग कमेटी की मीटिंग में जगदीश अग्रवाल के पेपर्स को जब आधा-अधूरा देखा/पाया गया था, तब विनोद खन्ना से ही सलाह ली गई थी कि नियमानुसार क्या किया जाना चाहिए । विनोद खन्ना का साफ कहना था कि जगदीश अग्रवाल की तरफ से जो पेपर दिए गए हैं, उनके आधार पर तो उनका नामांकन स्वीकार नहीं हो सकता है । विशाल सिन्हा और संजय चोपड़ा ने तब विनोद खन्ना को छोड़ कर जेपी सिंह का दामन पकड़ा और जेपी सिंह की तरफ से हरी झंडी मिलते ही संजय चोपड़ा ने जगदीश अग्रवाल द्वारा मुहैय्या कराये गए नए पेपर्स के आधार पर उनकी उम्मीदवारी को स्वीकार कर लिया - और डिस्ट्रिक्ट गवर्नर एके सिंह के लिए फजीहत वाली स्थिति बना दी ।