Monday, March 25, 2019

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 बी वन में नोमीनेटिंग कमेटी के चेयरमैन पद से तथा कमेटी से हटाए जाने की लायंस इंटरनेशनल में शिकायत करते हुए संजय चोपड़ा ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर एके सिंह पर सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के चुनाव में पक्षपातपूर्ण भूमिका निभाने का आरोप लगाया

लखनऊ । सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए जगदीश अग्रवाल की उम्मीदवारी के नामांकन को लेकर चल रहे विवाद में अब डिस्ट्रिक्ट गवर्नर एके सिंह भी लपेटे में आ गए हैं, और डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में उनकी भूमिका को पक्षपातपूर्ण बताते हुए लायंस इंटरनेशनल कार्यालय में शिकायत दर्ज हो गई है । इस शिकायत को देखते/समझते हुए माना/कहा जा रहा है कि एके सिंह ने नोमीनेटिंग कमेटी के चेयरमैन पद से संजय चोपड़ा को हटा कर अपने लिए बड़ी मुसीबत आमंत्रित कर ली है । संजय चोपड़ा ने नोमीनेटिंग कमेटी के चेयरमैन पद से हटाये जाने को लायंस इंटरनेशनल में चुनौती दी है । संजय चोपड़ा का आरोप है कि जगदीश अग्रवाल की उम्मीदवारी के संदर्भ में नोमीनेटिंग कमेटी के निर्णय को प्रभावित करने के उद्देश्य से डिस्ट्रिक्ट गवर्नर एके सिंह ने उन्हें कार्रवाई के बीच में ही नोमीनेटिंग कमेटी के चेयरमैन पद से हटा दिया है, जो न तो न्यायपूर्ण है और न लायंस इंटरनेशनल के नियमों के अनुरूप है । संजय चोपड़ा का कहना है कि नोमीनेटिंग कमेटी ने अपना काम करना शुरू कर दिया है, लेकिन जो अभी पूरा नहीं हुआ है - इसलिए कार्रवाई के बीच में उन्हें तथा बाकी तीन सदस्यों में से दो सदस्यों को हटा देने से उनकी पक्षपातपूर्ण भूमिका का संकेत और सुबूत मिलता है । संजय चोपड़ा का आरोप है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नोमीनेटिंग कमेटी पर जगदीश अग्रवाल के नामांकन पत्र को रिजेक्ट करने के लिए दबाव बना रहे थे, लेकिन चार सदस्यीय नोमीनेटिंग कमेटी के बहुमत सदस्यों ने जब उनके दबाव को मानने से इंकार कर दिया, तो एके सिंह ने चेयरमैन सहित तीन सदस्यों को हटा कर उनकी जगह नए सदस्य बना दिए हैं । 
डिस्ट्रिक्ट में लोगों को लगता है कि नोमीनेटिंग कमेटी के चेयरमैन के साथ-साथ दो और सदस्यों को हटा कर उनकी जगह नए सदस्यों को नियुक्त करने का कोई कारण न बता कर डिस्ट्रिक्ट गवर्नर एके सिंह ने अपने फैसले को संदेहास्पद व विवादग्रस्त बना लिया है - और इस तरह अपने पैरों पर खुद ही कुल्हाड़ी मार ली है । उल्लेखनीय है कि मामले की पृष्ठभूमि में नोमीनेटिंग कमेटी के हटाये जा चुके चेयरमैन संजय चोपड़ा के जो भी किस्से/कहानियाँ चल रहे हों और जो भी आरोप/प्रत्यारोप लग रहे हों, डिस्ट्रिक्ट गवर्नर एके सिंह ने आधिकारिक रूप से नोमीनेटिंग कमेटी के चेयरमैन के रूप में संजय चोपड़ा पर कोई आरोप नहीं लगाया है; और संजय चोपड़ा को चेयरमैन पद से हटाए जाने का भी उन्होंने कोई कारण नहीं बताया है । इसी तथ्य का वास्ता देकर संजय चोपड़ा ने लायंस इंटरनेशनल को लिखी/भेजी अपनी शिकायत में एके सिंह ने आरोप लगाया है कि नोमीनेटिंग कमेटी के चेयरमैन के रूप में वह तथा अन्य दो सदस्य चूँकि जगदीश अग्रवाल की उम्मीदवारी के नामांकन पत्र को रिजेक्ट करने की डिस्ट्रिक्ट गवर्नर एके सिंह के माँग को पूरा नहीं कर रहे थे, इसलिए बिना कोई कारण बताये उन्हें नोमीनेटिंग कमेटी से बाहर कर दिया गया है ।
संजय चोपड़ा ने लायंस इंटरनेशनल को लिखी/भेजी अपनी शिकायत में यह दावा भी किया है कि एके सिंह ने पहले नोमीनेटिंग कमेटी के चेयरमैन के रूप में उनके उस अधिकार को मानने/देने से इंकार किया था, जिसके तहत उन्होंने जगदीश अग्रवाल को अपने आधे-अधूरे कागजातों को पूरा करने का मौका दिया था । एके सिंह का कहना था कि नोमीनेटिंग कमेटी को जगदीश अग्रवाल की तरफ से जो कागजात मिले हैं, उनके आधार पर ही उनके नामांकन की स्वीकृति का फैसला करना है; जगदीश अग्रवाल को दोबारा से दूसरे कागजात प्रस्तुत करने का मौका नहीं दिया जा सकता है । संजय चोपड़ा ने लेकिन मल्टीपल काउंसिल द्वारा स्वीकृत किए गए नियमों का हवाला देकर एके सिंह को बताया कि नोमीनेटिंग कमेटी किसी भी उम्मीदवार को अपने कागजात दुरुस्त करने तथा पूरे करने का मौका दे सकती है । संजय चोपड़ा का आरोप है कि एके सिंह को जब लगा कि वह नियमतः वह नोमीनेटिंग कमेटी को जगदीश अग्रवाल का नामांकन रिजेक्ट करने के लिए मजबूर नहीं कर सकते हैं, तब उन्होंने चेयरमैन सहित चार सदस्यीय कमेटी के तीन सदस्यों को ही हटा दिया और उनकी जगह नए सदस्य नियुक्त कर दिए । इससे लेकिन मामला खत्म होने की बजाये भड़क और गया है, और निशाने पर अब डिस्ट्रिक्ट गवर्नर एके सिंह खुद आ गए हैं । संजय चोपड़ा की शिकायत ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में एके सिंह की भूमिका को संदेहास्पद व विवादपूर्ण बना दिया है । एके सिंह के लिए मुसीबत व फजीहत की बात यह हो गई है कि उक्त मामले में उनके पक्ष के लोग भी मानने और कहने लगे हैं कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में एके सिंह ने मामले को होशियारी तथा उचित तरीके से हैंडल नहीं किया, जिस कारण मामला उलझ भी गया है और डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में एके सिंह के लिए भी मुश्किलें खड़ी हो गईं हैं ।