Saturday, March 9, 2019

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 सी वन में डिस्ट्रिक्ट व लायनिज्म के बेहतर भविष्य के लिए विनय मित्तल, संजीवा अग्रवाल और अश्वनी काम्बोज के बीच बने तालमेल को आगे भी जारी रखने के लिए सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद पर गौरव गर्ग का चुना जाना डिस्ट्रिक्ट के लोगों को जरूरी लग रहा है

मसूरी । सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के उम्मीदवार के रूप में गौरव गर्ग ने जिस शालीनता और गरिमा के साथ अपना चुनाव अभियान चलाया हुआ है, उसके चलते उन्होंने उन लोगों को भी प्रभावित किया है, जो खेमेबाजी के नजरिये से उनके विरोधियों के रूप में देखे/पहचाने जाते हैं; और इस तरह से गौरव गर्ग ने अनुभव की कमी की शिकायत को निष्प्रभावी करने में भी सफलता प्राप्त की है । उल्लेखनीय है कि राजेश गुप्ता और उनके कुछेक समर्थकों व शुभचिंतकों ने सीनियर/जूनियर का हवाला देते हुए दोनों उम्मीदवारों के बीच तुलना करने की कोशिश की और तर्क दिया कि राजेश गुप्ता को डिस्ट्रिक्ट व लायनिज्म में काफी समय हो गया है, जिस कारण उन्हें अच्छा अनुभव है - जबकि गौरव गर्ग को डिस्ट्रिक्ट व लायनिज्म में कम समय हुआ है और इस नाते उनका अनुभव कम है । इस तर्क से राजेश गुप्ता की उम्मीदवारी के पक्ष में माहौल बनाने का प्रयास किया गया; लेकिन यह प्रयास इसलिए कामयाबी की राह पर नहीं बढ़ सका क्योंकि लोगों ने यह देखने/समझने/परखने की कोशिश की कि ज्यादा अनुभवी होने के बावजूद राजेश गुप्ता ने दिया/किया क्या है - डिलीवर क्या किया है ? इस कोशिश में राजेश गुप्ता का ट्रेक रिकॉर्ड जब बहुत ही खराब देखा/पाया गया, तो उनके सीनियर होने के नाते बढ़त बनाने के प्रयास की सारी हवा निकल गई । हमारे यहाँ एक बड़ी मशहूर कहावत भी है - 'बड़ा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खुजूर/ पंछी को छाया नहीं, फल लागे अति दूर ।' लोगों ने माना/पाया कि राजेश गुप्ता को डिस्ट्रिक्ट और लायनिज्म में समय चाहें बहुत हो गया हो, पर उन्होंने ऐसा कुछ भी नहीं किया - जो दूसरों के लिए अनुकरणीय हो; और इस तरह वह डिस्ट्रिक्ट के लिए कोई 'ऐसेट' नहीं हैं, बल्कि एक 'लायबिलिटी' हैं - और ऐसा व्यक्ति यदि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बन भी गया तो वह डिस्ट्रिक्ट पर एक बोझ ही साबित होगा । 
दूसरी तरफ गौरव गर्ग को डिस्ट्रिक्ट व लायनिज्म में ज्यादा समय भले ही न हुआ हो, लेकिन उन्हें जितना भी समय हुआ है - उतने समय में उन्होंने अपने व्यवहार और अपने आचरण से लोगों के दिल में जगह बनाई है ।सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के उम्मीदवार में गौरव गर्ग के सामने आने के बाद कई लोगों ने जिक्र किया है कि मसूरी जाने पर गौरव गर्ग से मिलने पर गौरव गर्ग ने अपनी सामर्थ्यानुसार उनकी मदद की और उनका आदर-सत्कार किया था । लोगों का यह अनुभव इसलिए और ज्यादा महत्त्वपूर्ण है - क्योंकि गौरव गर्ग ने अपना दोस्तानापूर्ण और सहयोगात्मक व्यवहार उस समय दिखाया, जब अपनी उम्मीदवारी के बारे में उन्होंने सोचा भी नहीं था । निस्वार्थ भाव से दिखाए दोस्तानापूर्ण व सहयोगपूर्ण व्यवहार के कारण ही गौरव गर्ग ने लोगों के बीच अपनी एक सच्चे लायन की पहचान बनाई है । एक सच्चे लायन के साथ-साथ एक जेनुइन लीडर वाले गुण गौरव गर्ग ने पिछले दिनों तब दिखाए, जब अपनी उम्मीदवारी के समर्थन के लिए वह डिस्ट्रिक्ट के वरिष्ठ और प्रभावी नेता मुकेश गोयल से मिलते थे । मुकेश गोयल ने खुद ही लोगों को बताया है कि दो/तीन महीने पहले तक वह गौरव गर्ग की उम्मीदवारी के पक्ष में नहीं थे; और इसलिए गौरव गर्ग जब भी उनसे मिलते - वह उन्हें हतोत्साहित ही करते थे; कुछेक बार तो मुकेश गोयल ने गौरव गर्ग को अपनी नाराजगी और गुस्से का भी शिकार बनाया - लेकिन मुकेश गोयल खुद ही कहते/बताते हैं कि गौरव गर्ग ने उन्हें कभी पलट कर जबाव नहीं दिया, और हमेशा ही उनके प्रति सम्मान प्रकट किया । दरअसल गौरव गर्ग के इसी गरिमापूर्ण और सम्मानपूर्ण रवैये ने मुकेश गोयल को अपना मन और अपनी राय बदलने के लिए मजबूर किया और सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए गौरव गर्ग की उम्मीदवारी का विरोध करने वाले मुकेश गोयल को डिस्ट्रिक्ट व लायनिज्म के बेहतर भविष्य के लिए गौरव गर्ग की उम्मीदवारी का समर्थन करना जरूरी लगा ।
विडंबना की बात यह रही कि मुकेश गोयल के प्रति राजेश गुप्ता के व्यवहार ने भी मुकेश गोयल को गौरव गर्ग की उम्मीदवारी के समर्थन के प्रति राय बदलने के लिए 'प्रेरित' किया । दरअसल तीन महीने पहले तक मुकेश गोयल ने तरह तरह से राजेश गुप्ता को उम्मीदवार बनने के लिए राजी करने का भरसक प्रयास किया था; लेकिन राजेश गुप्ता ने निहायत बदतमीजीपूर्ण तरीके से उनसे दो-टूक कह दिया कि उनके समर्थन के भरोसे तो वह उम्मीदवार हरगिज नहीं बनेंगे - और यह बदतमीजी करते हुए राजेश गुप्ता ने न तो मुकेश गोयल की वरिष्ठता व प्रभावी हैसियत का ख्याल किया; न मुकेश गोयल के साथ रहे अपने वर्षों के संबंधों का लिहाज किया; और न इस बात पर ध्यान दिया कि एक वरिष्ठ लायन होने के नाते उन्हें मुकेश गोयल जैसे नेता के साथ ही नहीं, बल्कि किसी के साथ भी ऐसा व्यवहार नहीं करना चाहिए । आज/अब बार बार अपने साथ किए गए वायदे की याद दिलाने और संबंधित पत्रों की फोटो दिखाने वाले राजेश गुप्ता यदि लायन वर्ष के शुरु से उम्मीदवार के रूप में सक्रिय रहते, लोगों से मिलते/जुलते, विभिन्न क्लब्स तथा डिस्ट्रिक्ट के आयोजनों में अपनी उपस्थिति दिखाते - और समय रहते मुकेश गोयल की बात मान लेते, तो हो सकता है कि डिस्ट्रिक्ट का चुनावी परिदृश्य आज कुछ और होता । लेकिन राजेश गुप्ता ने अपने व्यवहार से बार बार दिखाया/जताया है कि सही समय पर सही निर्णय लेने की क्षमता और समझ उनमें है ही नहीं; और वह सिर्फ अपने ही साथियों के साथ धोखेबाजी कर सकते हैं तथा अपने वरिष्ठों के साथ बदतमीजी कर सकते हैं । अपने साथ किए गए वायदे की बात बार बार करके राजेश गुप्ता वास्तव में अपने 'धोखेबाजी'भरे रवैये को ही दिखा/जता रहे हैं, और इसीलिए उनकी यह चालाकी उनकी उम्मीदवारी को कोई फायदा पहुँचाती हुई नहीं दिख रही है । डिस्ट्रिक्ट में लोगों को लग रहा है कि कुछेक लोगों की हरकतों के कारण डिस्ट्रिक्ट में जो बदमजगी फैली है और डिस्ट्रिक्ट की लायन समुदाय में जो भारी बदनामी हुई है; जिसे सुधारने की अजय सिंघल के गवर्नर-काल से शुरू हुई कोशिशों को विनय मित्तल के गवर्नर-काल में नई ऊँचाई व दृढ़ता मिली है - उन कोशिशों को जारी रखने के लिए गौरव गर्ग जैसे व्यक्ति को ही गवर्नर चुना जाना चाहिए । विनय मित्तल, संजीवा अग्रवाल, अश्वनी काम्बोज यूँ तो अलग अलग क्षमताओं व सोच के लोग हैं - लेकिन डिस्ट्रिक्ट व लायनिज्म की भलाई के लिए इन्होंने आपस में जिस तरह का तालमेल बनाया है; उस तालमेल को आगे भी जारी रखने के लिए - डिस्ट्रिक्ट के लोगों को लग रहा है कि गौरव गर्ग का सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर चुना जाना जरूरी है ।