नई दिल्ली । ईस्ट एंड सीपीई स्टडी सर्किल के 6 मई को होने वाले सेमीनार में स्पीकर के रूप में अविनाश गुप्ता को आमंत्रित किए जाने ने नितिन कँवर तथा अविनाश गुप्ता के बीच चलने वाली साँप-नेवले जैसी लड़ाई से परिचित रहे लोगों को हैरान किया है । नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के पिछले टर्म में नितिन कँवर ने कई मौकों पर स्पीकर के रूप में अविनाश गुप्ता को मिले आमंत्रणों को रद्द करवाने का काम किया था, जिसके लिए अविनाश गुप्ता ने नितिन कँवर की सार्वजनिक रूप से लानत-मलानत की थी । नितिन कँवर की तरफ से खुलकर कहा/सुना जाता था कि जिस जिस ब्राँच में और कार्यक्रमों में उनकी 'चलेगी', वह अविनाश गुप्ता को उनमें 'घुसने' नहीं देंगे । अविनाश गुप्ता की तरफ से भी 'जैसे को तैसा' वाले अंदाज में नितिन कँवर को जबाव दिया जाता था । रीजन के लोगों के बीच नितिन कँवर और अविनाश गुप्ता के बीच की लड़ाई को साँप-नेवले जैसी लड़ाई के रूप में देखा/पहचाना और चिन्हित किया जाता था । मौजूदा टर्म में अविनाश गुप्ता के रीजनल काउंसिल में आने के बाद से, खासकर चेयरमैन के चुनाव का नाटक हो जाने के बाद से नितिन कँवर और अविनाश गुप्ता के संबंध हालाँकि सुधरते हुए दिखे हैं - लेकिन वह इस हद तक सुधर गए हैं कि नितिन कँवर के स्टडी सर्किल के रूप में देखे/पहचाने जाने वाले ईस्ट एंड सीपीई स्टडी सर्किल के सेमीनार में अविनाश गुप्ता को स्पीकर बनने का मौका मिलेगा, यह किसी ने नहीं सोचा था और इसीलिए यह दोनों के नजदीकियों तक के लिए हैरानी की बात है ।
अविनाश गुप्ता से तेजी से संबंध सुधारने की नितिन कँवर की कोशिश को दरअसल अगले वर्ष नितिन कँवर की चेयरमैन बनने की कोशिश के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है । रीजनल काउंसिल सदस्य के रूप में नितिन कँवर के रवैये से परिचित लोगों का कहना यह भी है कि रीजनल काउंसिल में चौथे वर्ष नितिन कँवर ने अपनी बदतमीजियों पर कुछ लगाम लगाई है; जिसके चलते पिछले तीन वर्षों के मुकाबले इस वर्ष उनकी हरकतें कुछ कम देखने/सुनने को मिल रही हैं । नितिन कँवर के नजदीकियों का कहना/बताना है कि नितिन कँवर ने लगता है कि इस बात को समझ लिया है कि बदतमीजियों को छोड़े बिना उनके लिए चेयरमैन बन पाना मुश्किल ही होगा; इस टर्म में तो और भी मुश्किल होगा - जहाँ कि 'तीन कनौजियाँ, तेरह चूल्हे' वाली स्थिति है । नजदीकियों के अनुसार, नितिन कँवर अपने 'स्वभाव' में ज्यादा परिवर्तन तो नहीं ला सकते हैं, लेकिन फिर भी वह कोशिश कर रहे हैं कि नाहक ही वह हर किसी के साथ बदतमीजी न करें । इसी कोशिश में उन्होंने अविनाश गुप्ता के साथ संबंध सुधारने का प्रयास शुरू किया है । दरअसल मौजूदा वर्ष में चेयरमैन पद के चुनाव को लेकर हुए नाटक में रतन सिंह यादव और अविनाश गुप्ता के बीच जो दूरी बनी है, उसमें नितिन कँवर को अगले वर्ष अपनी दाल गलती हुई दिख रही है, और उसमें अविनाश गुप्ता उन्हें अपने लिए उपयोगी नजर आ रहे हैं ।
नितिन कँवर के नजदीकियों का मानना और कहना है कि नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल में इस समय जो और जिस तरह का बिखराव है, उसे देखते हुए वहाँ एक नया समीकरण और या गठजोड़ बनने का ही आभास मिल रहा है । चेयरमैन चुनाव का नतीजा आने से पहले और उसके बाद जो गठजोड़ बना है, उसके दोबारा आकार लेने की कोई संभावना नहीं है; ऐसे में नितिन कँवर को लगता है कि अविनाश गुप्ता के साथ मिल कर वह नए गठजोड़ की नींव रख सकते हैं - लिहाजा उन्होंने पुरानी बातों को भूल कर अविनाश गुप्ता की तरफ हाथ बढ़ाया है । नितिन कँवर के नजदीकियों का कहना/बताना है कि नितिन कँवर ने पिछले दिनों अविनाश गुप्ता के साथ कुछेक निजी और पारिवारिक मुलाकातें की हैं, और अविनाश गुप्ता की तरफ से भी उन्हें सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है । दरअसल जिन कारणों से नितिन कँवर को अविनाश गुप्ता से दोस्ती की जरूरत महसूस हो रही है, ठीक वही कारण अविनाश गुप्ता को भी नितिन कँवर से दोस्ती कर लेने के लिए प्रेरित कर रहे हैं । दोनों को ही लग रहा है कि अकेले अकेले पड़ गए दोनों लोग मिल जायेंगे तो 'एक से भले दो' की तर्ज पर दोनों को ही लाभ मिलेगा । नितिन कँवर और अविनाश गुप्ता के बीच अभी तक पर्दे के पीछे चल दोस्ती की कोशिशों को 6 मई को होने वाले ईस्ट एंड सीपीई स्टडी सर्किल के सेमीनार के निमंत्रण पत्र ने सार्वजनिक रूप से उद्घाटित कर दिया है, और इसीलिए दोनों के बीच चलती रही घमासानपूर्ण लड़ाई से परिचित रहे लोगों को इस निमंत्रण पत्र ने हैरान किया है - कुछेक को हालाँकि परेशान भी किया है । कुछेक लोगों को हालाँकि लगता है कि नितिन कँवर और अविनाश गुप्ता के बीच दोस्ती ज्यादा दिन नहीं चलेगी; चलेगी या नहीं चलेगी - यह तो बाद में पता चलेगा, अभी लेकिन दोनों के बीच दोस्ती होने की बात ने नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के सदस्यों के बीच बनने वाले समीकरणों ने जरूर हलचल सी मचा दी है ।