Monday, May 13, 2019

इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल में ट्रेजरर विजय गुप्ता के रवैये से कामकाज के बुरी तरह प्रभावित होने को लेकर चिंता जताते हुए गौरव गर्ग द्वारा की गई धरने की घोषणा का सचमुच कोई असर पड़ेगा, या यह भी एक तमाशा भर साबित होगा ?

नई दिल्ली । नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के इतिहास में 14 मई की दोपहर को वह होने जा रहा है, जो इससे पहले यहाँ क्या - संभवतः इंस्टीट्यूट के इतिहास में कभी नहीं हुआ है । नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल की मैनेजिंग कमेटी के सदस्य गौरव गर्ग ने सोशल मीडिया में दिए अपने एक संदेश में रीजनल काउंसिल कार्यालय में 14 मई को धरने पर बैठने की घोषणा की है । उनकी तरफ से दावा  किया गया है कि उनके धरने को 13 सदस्यीय मैनेजिंग कमेटी के पाँच अन्य सदस्यों - शशांक अग्रवाल, राजिंदर अरोड़ा, सुमित गर्ग, नितिन कँवर और अविनाश गुप्ता का भी समर्थन मिल गया है । गौरव गर्ग का कहना है कि नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल में कामकाज का बुरा हाल है, जिसके चलते सेमीनार कैंसिल हो रहे हैं, रीजनल काउंसिल का न्यूजलैटर प्रकाशित नहीं हो पा रहा है, रीजनल काउंसिल द्वारा संचालित लायब्रेरीज को बंद करने के नोटिस मिल रहे हैं - और पदाधिकारी समस्याओं को हल करने की कोशिश करना तो दूर की बात, काउंसिल के दूसरे सदस्यों को यह बताने तक  के लिए तैयार नहीं हैं कि ऐसा क्यों हो रहा है । गौरव गर्ग ने सोशल मीडिया में दिए अपने संदेश में कहा/बताया है कि उन्होंने पदाधिकारियों को कई ईमेल संदेश लिखे और पूछा कि रीजनल काउंसिल के रूटीन काम भी आखिर क्यों नहीं हो पा रहे हैं, लेकिन पदाधिकारियों की तरफ से उन्हें कभी कोई जबाव नहीं मिला । गौरव गर्ग का गंभीर आरोप यह है कि काउंसिल में होने के बावजूद उन्हें तथा उनके साथ-साथ अन्य कई काउंसिल सदस्यों तक को यह नहीं पता है कि नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के रूटीन व जरूरी काम भी आखिर हो क्यों नहीं पा रहे हैं ?
नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल में रूटीन व जरूरी काम दरअसल इसलिए नहीं हो पा रहे हैं कि काम करने वाले वेंडर्स को भुगतान नहीं हो पा रहा है, जिसके कारण वेंडर्स ने आगे काम करने से इंकार कर दिया है ।होटलों का भुगतान न हो पाने के कारण रीजनल काउंसिल को सेमीनार के लिए बुकिंग नहीं मिल पा रही है, जिसके चलते सेमीनार कैंसिल करने पड़े हैं । लायब्रेरीज की बिल्डिंग का किराया नहीं दिए जाने के कारण बिल्डिंग मालिकों की तरफ से बिल्डिंग खाली करने के नोटिस मिल रहे हैं और खतरा यह मंडरा रहा है कि लायब्रेरीज पर कभी भी ताला लटका मिल/दिख सकता है । इसी कारण से रीजनल काउंसिल का न्यूजलैटर नहीं प्रकाशित हो पा रहा है । इस अव्यवस्था के लिए रीजनल काउंसिल के ट्रेजरर विजय गुप्ता को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है । कहा/बताया जा रहा है कि ट्रेजरर के रूप में विजय गुप्ता भुगतान के चेक साइन नहीं कर रहे हैं, जिसके चलते रीजनल काउंसिल की व्यवस्था ठप्प पड़ गई है । विजय गुप्ता की तरफ से चेयरमैन हरीश चौधरी जैन को यह कहते हुए निशाना बनाया जा रहा है कि वह काउंसिल के दूसरे पदाधिकारियों को विश्वास में लिए बिना, मनमाने तथा बेईमानीपूर्ण तरीके से खर्चे कर रहे हैं; और खर्चे के पूरे ब्यौरे भी नहीं दे रहे हैं । विजय गुप्ता का कहना है कि खर्चों का पूरा ब्यौरा जाने बिना, ट्रेजरर के रूप में वह यदि चेक साइन कर देते हैं तो रीजनल काउंसिल में होने वाली लूट खसोट में वह भी शामिल समझे जायेंगे - और इसीलिए वह साइन करने से पहले खर्चों का ब्यौरा देखना/जानना चाहते हैं लेकिन जो उनसे छिपाया जा रहा है ।
हरीश चौधरी जैन की तरफ से विजय गुप्ता के इन आरोपों पर कहा/बताया जा रहा है कि यह आरोप वास्तव में बहानेबाजी है, और इस बहानेबाजी से भुगतान रोक कर विजय गुप्ता दरअसल वेंडर्स से पैसे ऐंठना चाहते हैं और इसलिए ही वह भुगतान रोके हुए हैं । हरीश चौधरी जैन की तरफ से तर्क देते हुए पूछा जा रहा है कि होटलों के बिल में और लायब्रेरीज की बिल्डिंग के किराये में छिपाने जैसी भला क्या बात है ? उनका कहना है कि विजय गुप्ता को यदि सचमुच लगता है कि होटलों को और लायब्रेरीज की बिल्डिंग्स के मालिकों को ज्यादा पैसे दिए जा रहे हैं, तो वह सस्ते विकल्प क्यों नहीं सुझा रहे हैं, जिससे कि वास्तव में काउंसिल और इंस्टीट्यूट का पैसा बचेगा - बजाये इसके वह भुगतान रोक कर वेंडर्स को ब्लैकमेल करने के साथ-साथ रीजनल काउंसिल के कामकाज को ही ठप किए दे रहे हैं । नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल में यह जो तमाशा हो रहा है, उसके पीछे कई लोग चेयरमैन पद की राजनीति को जिम्मेदार मान रहे हैं । दरअसल हरीश चौधरी जैन जिस तरह की तिकड़मबाजी व धोखाधड़ी से चेयरमैन बने हैं, और रतन सिंह यादव से चेयरमैन का पद 'छिन' गया है, उसके बाद से रतन सिंह यादव ने हरीश चौधरी जैन को 'निशाने' पर ले लिया है । खुशकिस्मती से उन्हें विजय गुप्ता का संग-साथ भी मिल गया है । स्वभाव व तौर-तरीकों को लेकर रतन सिंह यादव व विजय गुप्ता के बीच कई समानताएँ भी हैं; जिनके चलते कई लोग विजय गुप्ता को 'छोटा आरएस यादव' भी कहते हैं । आरोपपूर्ण चर्चाओं के अनुसार, विजय गुप्ता को भड़का कर वास्तव में रतन सिंह यादव ऐसे हालात पैदा कर रहे हैं, जिससे चेयरमैन हरीश चौधरी जैन की फजीहत हो रही है । इनकी खुन्नसी लड़ाई से लेकिन नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल का कामकाज बुरी तरह प्रभावित हो रहा है और उसकी पहचान व प्रतिष्ठा धूल में मिल रही है । उक्त खुन्नसी लड़ाई के प्रतिकूल प्रभावों से रीजनल काउंसिल को बचाने के लिए रीजनल काउंसिल के ही एक सदस्य गौरव गर्ग ने धरने की जो घोषणा की है - देखना दिलचस्प होगा कि उसका कोई असर सचमुच पड़ेगा, या वह भी एक तमाशा भर साबित होगा ?