Tuesday, May 28, 2019

इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के सेक्रेटरी पंकज गुप्ता द्वारा गैरकानूनी बताई जा रही 6 जून की रीजनल काउंसिल की मीटिंग को करने की जिद पर अड़े चेयरमैन हरीश चौधरी जैन के रवैये से काउंसिल में हालात जल्दी सुधरते हुए नजर नहीं आ रहे हैं

नई दिल्ली । नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के चेयरमैन हरीश चौधरी जैन द्वारा 6 जून को रीजनल काउंसिल की मीटिंग बुलाये जाने को लेकर विवाद हो गया है । सेक्रेटरी पंकज गुप्ता ने हरीश चौधरी जैन के इस कदम को इंस्टीट्यूट के नियम-कानूनों से खिलवाड़ करने के नए उदाहरण के रूप में बताया है । पंकज गुप्ता का कहना है कि इंस्टीट्यूट के नियम-कानूनों के अनुसार, चेयरमैन को मीटिंग बुलाने का अधिकार ही नहीं है; नियम-कानूनों केअनुसार, चेयरमैन मीटिंग बुलाने के लिए सेक्रेटरी से कहेगा और सेक्रेटरी मीटिंग बुलायेगा । हरीश चौधरी जैन ने लेकिन सेक्रेटरी को 'कष्ट' देने की जरूरत ही नहीं समझी और खुद से ही 6 जून को मीटिंग बुला ली है । पंकज गुप्ता ने नियम-कानूनों का हवाला देते हुए इंस्टीट्यूट के पदाधिकारियों से हरीश चौधरी जैन की इस कार्रवाई की शिकायत की है और 6 जून को बुलाई गई मीटिंग को रद्द करने/करवाने की माँग की है । पंकज गुप्ता का कहना है कि हरीश चौधरी जैन नियमानुसार मीटिंग बुलाने की प्रक्रिया अपनाये; सेक्रेटरी के रूप में वह मीटिंग का नोटिस निकालेंगे - वह तो खुद चाहते हैं कि नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल की मीटिंग हो ताकि यहाँ जो तमाशे हो रहे हैं, उनके कारणों की पहचान हो और सभी को सच्चाई का पता चले । इस तरह देखने को तमाशे की बात यह मिल रही है कि चेयरमैन और सेक्रेटरी रीजनल काउंसिल की मीटिंग होने/बुलाने के पक्ष में तो हैं - लेकिन चेयरमैन इसके लिए नियमों का पालन नहीं करना चाहता है, और सेक्रेटरी नियमों का पालन न होने का वास्ता देकर मीटिंग का विरोध कर रहा है ।
इस तमाशे के पीछे असली कारण दरअसल मीटिंग का एजेंडा है । हरीश चौधरी जैन ने मनमाने तरीके से नियम-कानूनों को धता बता कर जिस मीटिंग का नोटिस निकाला है, उसके एजेंडे पर पंकज गुप्ता को ऐतराज है । उल्लेखनीय है कि 6 जून की प्रस्तावित मीटिंग के एजेंडे में ट्रेजरर विजय गुप्ता को निशाना बनाने की तैयारी है । सेक्रेटरी पंकज गुप्ता का कहना है कि रीजनल काउंसिल की मीटिंग अवश्य ही होना चाहिए और उसमें सभी मुद्दों पर चर्चा होनी चाहिए और इसके लिए विस्तृत एजेंडा बनना चाहिए । हरीश चौधरी जैन की तरफ से हालाँकि दावा किया जा रहा है कि 6 जून की प्रस्तावित मीटिंग का एजेंडा इसी आधार पर तैयार किया गया है, जिससे कि रीजनल काउंसिल के कामकाज में पैदा हुए मौजूदा गतिरोध को खत्म किया जा सके । हरीश चौधरी जैन की तरफ से कहा/बताया जा रहा है कि रीजनल काउंसिल में कामकाज बुरी तरह प्रभावित हो रहा है; हद की बात यहाँ तक हुई कि स्टॉफ की तनख्वाह समय से नहीं दी जा सकी, जिस कारण स्टॉफ को हड़ताल पर जाना पड़ा और काउंसिल को कई सेमिनार्स तक रद्द करने पड़े हैं, जिसके नतीजे में सदस्यों के बीच नाराजगी व असंतोष पैदा हुआ है । इस स्थिति के लिए हर कोई दूसरों को जिम्मेदार ठहरा रहा है, जिस कारण न तो यह साफ हो पा रहा है कि काउंसिल में ऐसे हालात आखिर बने क्यों और न यह तय हो पा रहा है कि इस हालात से निकले कैसे ? हरीश चौधरी जैन की तरफ से कहा/बताया जा रहा है कि उन्होंने मीटिंग का एजेंडा इसी तरह से बनाया है ताकि आरोपों/प्रत्यारोपों का खेल रुके और साफ साफ पता चले कि गड़बड़ी आखिर है क्या और कहाँ ? मीटिंग बुलाने की प्रक्रिया को भी हरीश चौधरी जैन ने नियमानुरूप बताया है; उनका कहना है कि इंस्टीट्यूट प्रशासन जब भी उनसे पूछेगा, वह यह साबित  कर देंगे कि मीटिंग बुलाने का काम उन्होंने नियमानुरूप ही किया है ।
इस बीच मजे की बात यह हुई है कि हरीश चौधरी जैन और उनके साथियों ने ट्रेजरर विजय गुप्ता के साथ-साथ सेक्रेटरी पंकज गुप्ता को भी आरोपों के घेरे में लेना शुरू कर दिया है, और इसके लिए पिछले दिनों अमृतसर में हुए ओरिएंटेशन कार्यक्रम में बाँटे गए बैजेज के भुगतान को मुद्दा बनाया है । उनकी तरफ से बताया जा रहा है कि कार्यक्रम में 'हीरोपंती' दिखाते हुए पंकज गुप्ता ने घोषणा की थी कि यह बैजेज उनकी तरफ से लोगों को दिए जा रहे हैं, लेकिन अब पता चला है कि उक्त बैजेज का भुगतान काउंसिल के अकाउंट्स से किया गया है, जबकि इसके लिए पर्चेज कमेटी की स्वीकृति भी नहीं ली गई है । पंकज गुप्ता की तरफ से इस मामले में सफाई आई है कि उक्त बैजेज उनकी तरफ से दिए जरूर गए थे, लेकिन उन्होंने यह कभी कहीं नहीं कहा था कि इसका पैसा वह देंगे; और फिर इसका जो भुगतान हुआ है, उस पर चेयरमैन के भी हस्ताक्षर हैं । पंकज गुप्ता की तरफ से कहा/बताया जा रहा है कि चेयरमैन हरीश चौधरी जैन यही गंदी राजनीति खेल रहे हैं - एक तरफ तो वह भुगतान स्वीकृत कर रहे हैं और दूसरी तरफ भुगतान पर सवाल उठा रहे हैं । नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल में कामकाज का इस समय जो बुरा हाल है, और उसे लेकर परस्पर आरोपों/प्रत्यारोपों का जो शोर है - उससे निजात पाने का एक ही तरीका है कि रीजनल काउंसिल सदस्यों की मीटिंग हो और उसमें आमने-सामने सारी बातें हों, ताकि सच्चाई अपने वास्तविक रूप में सामने आ सके । लेकिन यहाँ तो मीटिंग को लेकर ही झगड़ा पैदा हो गया है । झगड़ा भी खासा पेचीदा है - क्योंकि दोनों ही पक्ष चाहते हैं कि मीटिंग हो; झगड़ा लेकिन इस बात को लेकर है कि कैसे हो । इस झगड़े को देखते हुए लगता नहीं है कि नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल में हालात जल्दी सुधरेंगे !