नई दिल्ली । नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल का अमृतसर में आयोजित हुआ ओरिएंटेशन कार्यक्रम अपनी बदइंतजामी के लिए चौतरफा आलोचना का शिकार हो रहा है । मजे की बात यह है कि चेयरमैन हरीश चौधरी जैन इस बदइंतजामी के लिए सेक्रेटरी पंकज गुप्ता को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं, तो पंकज गुप्ता बदइंतजामी का ठीकरा हरीश चौधरी जैन के सिर फोड़ रहे हैं । हरीश चौधरी जैन का गंभीर आरोप यह है कि पंकज गुप्ता ने पहले तो वाइस चेयरपरसन श्वेता पाठक व ट्रेजरर विजय गुप्ता के साथ मिल कर ओरिएंटेशन कार्यक्रम की व्यवस्था हथिया ली और फिर व्यवस्था की जिम्मेदारियों का निर्वाह भी ठीक से नहीं किया, जिस कारण हर मौके पर अव्यवस्था का आलम रहा और हर किसी को परेशान होना पड़ा । पंकज गुप्ता की तरफ से कहा/बताया जा रहा है कि उन्होंने ओरिएंटेशन कार्यक्रम अमृतसर में न करने के बहुत सुझाव दिए थे, लेकिन चेयरमैन के रूप में हरीश चौधरी जैन ने पहले तो उनके सुझाव की अनसुनी की, और फिर कार्यक्रम की तैयारी में कोई सहयोग भी नहीं किया - अधिकतर मौकों पर तरह तरह से बाधा खड़ी करने और कार्यक्रम की तैयारियों में अड़चन ही डालने का काम किया, जिसके परिणामस्वरूप कार्यक्रम में बदइंतजामी होना ही थी । बदइंतजामी का आलम यह रहा कि इंस्टीट्यूट के इतिहास में शायद यह पहला मौका रहा जबकि कार्यक्रम में बैकड्रॉप ही नहीं लग पाया । कार्यक्रम शुरू होने से पहले बैकड्रॉप हालाँकि लगा था, लेकिन कार्यक्रम शुरू होने से ठीक पहले उसे हटा दिया गया और दूसरे दिन तक भी नया बैकड्रॉप तैयार नहीं करवाया जा सका ।
ओरिएंटेशन प्रोग्राम की तैयारी से जुड़े लोगों का कहना/बताना है कि कार्यक्रम शुरू होने से ठीक पहले रतन सिंह यादव ने बैकड्रॉप पर इंस्टीट्यूट के प्रेसीडेंट प्रफुल्ल छाजेड़ का नाम न होने को लेकर बखेड़ा खड़ा कर दिया और बैकड्रॉप को हटवा ही दम लिया । काउंसिल के दूसरे सदस्यों को हैरानी भी हुई कि इससे पहले भी कुछेक कार्यक्रमों में, जिनमें प्रेसीडेंट की कोई भूमिका नहीं थी, और उसके चलते उनका नाम बैकड्रॉप पर नहीं था - रतन सिंह यादव को प्रेसीडेंट का नाम याद नहीं आया; लेकिन यहाँ उन्होंने खासा हंगामा खड़ा कर दिया । कुछेक लोगों का कहना/बताना है कि रतन सिंह यादव का माथा तो दरअसल अविनाश गुप्ता का नाम प्रमुखता से छपा देख कर गरमाया था; प्रेसीडेंट का नाम न होने का तो उन्होंने वास्तव में बहाना बनाया । लोगों के अनुसार, इसकी जड़ में बात असल में यह है कि रतन सिंह यादव को लगता है कि अविनाश गुप्ता के कारण ही उनसे चेयरमैन की कुर्सी छिनी है, इसलिए वह अविनाश गुप्ता का नाम कहीं भी प्रमुखता से लगा/छपा देखते हैं तो उनके तन-बदन में आग सी लग जाती है । बैकड्रॉप में अविनाश गुप्ता का नाम प्रमुखता से छपा देख कर रतन सिंह यादव ने अमृतसर ब्रांच के चेयरमैन इकबाल सिंह ग्रोवर के साथ खासी बदतमीजी की । इकबाल सिंह ग्रोवर बेचारे सफाई देते रहे कि अविनाश गुप्ता चूँकि अमृतसर ब्रांच की मैनेजिंग कमेटी में एक्स-ऑफिसो हैं, इसलिए प्रोटोकॉल के हिसाब से उनका नाम प्रमुखता से देना/छापना ही था; लेकिन रतन सिंह यादव ने उनकी एक न सुनी और बैकड्रॉप हटवा कर ही माने । इस मामले में इससे भी ज्यादा रोचक बात यह है कि इकबाल सिंह ग्रोवर ने चार दिन पहले ही बैकड्रॉप की तस्वीर चेयरमैन हरीश चौधरी जैन तथा सेक्रेटरी पंकज गुप्ता को भेज दी थी, और दोनों में से किसी ने भी बैकड्रॉप को लेकर कोई आपत्ति नहीं की थी, लेकिन रतन सिंह यादव बैकड्रॉप को लेकर जब बदतमीजी कर रहे थे, तब किसी ने भी मामले में हस्तक्षेप नहीं किया और बैकड्रॉप को हट जाने दिया और इंस्टीट्यूट के इतिहास में पहली बार बिना बैकड्रॉप के ही कार्यक्रम होने दिया ।
इस प्रसंग से साबित है कि अमृतसर में आयोजित हुए ओरिएंटेशन कार्यक्रम का कोई 'माईबाप' नहीं था, और जिसकी जैसी मर्जी हो रही थी, वह कार्यक्रम में हस्तक्षेप कर रहा था । कार्यक्रम में बदइंतजामी का तथा हरीश चौधरी जैन और पंकज गुप्ता की लापरवाही का हाल देख कर लोगों को लग रहा था कि इन दोनों कोजब अपनी अपनी जिम्मेदारियों को निभाना ही नहीं है, तो इन्हें काउंसिल में पद लेने की जरूरत क्या पड़ी थी ? हरीश चौधरी जैन और पंकज गुप्ता के नाकारापन को देखते हुए लोगों को लग रहा है कि नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल में इस वर्ष के कामकाज का तो बस भगवान ही मालिक है ।