Friday, February 28, 2020

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3011 में गणतंत्र दिवस पर दारू पार्टी करने के बाद, वोटिंग शुरू होने के समय गज़ल सुनवाने का आयोजन करने वाले अजीत जालान और उनके साथियों पर गंभीर आरोप यही है कि वह अपनी हरकतों से रोटरी और उसके आदर्शों व उसके नियमों से खिलवाड़ क्यों करते रहते हैं ?

नई दिल्ली । गणतंत्र दिवस पर दारू पार्टी का आयोजन करके डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनावी मुकाबले में अजीत जालान के लिए वोट जुटाने की कोशिश में फेल हो जाने तथा फजीहत का शिकार हो जाने के बाद रोटरी क्लब दिल्ली साऊथ वेस्ट 'शाम-ए-गज़ल' के नाम से एक और बबाली कार्यक्रम प्रस्तुत कर रहा है । यह कार्यक्रम रोटरी लिट्रेसी सेंटर तथा रोटरी डायलिसिस सेंटर के लिए फंड जुटाने के नाम पर किया जा रहा है । कहा/बताया गया है कि जो लोग 'शाम-ए-गज़ल' में शामिल होना चाहते हैं, उन्हें क्लब के ट्रस्ट 'रोटरी दिल्ली साऊथ वेस्ट फाउंडेशन' के नाम पर दान देना होगा, जिस पर 80जी के तहत कर छूट भी मिलेगी । मजे की बात यह भी देखने में आ रही है कि एक तरफ तो कार्यक्रम में शामिल होने के लिए दान देना जरूरी बताया गया है, लेकिन दूसरी तरफ क्लब्स के प्रेसीडेंट को तथा डिस्ट्रिक्ट के अन्य प्रमुख रोटेरियंस को दो दो पास फ्री में दिए गए हैं । बबाल दरअसल इसी बात से शुरू हुआ है । बबाल को बढ़ाने का काम कार्यक्रम की टाईमिंग ने भी किया है । कार्यक्रम ठीक उस समय रखा गया, जो डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए वोटिंग शुरू होने का समय था । हालाँकि वोटिंग शुरू होने का समय अब आगे बढ़ा दिया गया है; अन्यथा माना गया था कि रोटरी क्लब दिल्ली साऊथ वेस्ट के लोगों ने पक्की व्यवस्था कर ली थी कि कार्यक्रम में आने/पहुँचने वाले डिस्ट्रिक्ट के क्लब्स के प्रेसीडेंट्स को वह बिना दान दिए गज़ल सुनवायेंगे और लगे हाथ उनसे अजीत जालान की उम्मीदवारी के पक्ष में वोट भी डलवा लेंगे । 
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए वोटिंग शुरू होने का टाइम आगे बढ़ जाने के कारण, गज़ल सुनवाते हुए वोट डलवाने का प्रोग्राम तो खटाई में पड़ गया है, लेकिन अजीत जालान के क्लब के पदाधिकारियों व सदस्यों को विश्वास है कि फ्री में गज़ल सुनने वाले प्रेसीडेंट्स इतने अहसानफरामोश नहीं साबित होंगे कि वोट देते समय अजीत जालान के नाम के सामने ठप्पा लगाना भूल जाएँ । हालाँकि गणतंत्र दिवस पर प्रेसीडेंट्स को दारू पिलवाने का अजीत जालान और उनके क्लब के पदाधिकारियों का कार्यक्रम कोई प्रभाव नहीं बना पाया था - और उस कार्यक्रम को लेकर उनके हाथ सिर्फ बदनामी ही लगी थी । अभी हाल ही में संपन्न हुई डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस तक में लोगों का आकलन था कि अजीत जालान को दस/पंद्रह वोट से ज्यादा नहीं मिलेंगे । इस आकलन को सार्वजनिक चर्चा का विषय बनता देख अजीत जालान और उनके नजदीकियों को डर हुआ कि यह बात यदि लोगों के बीच फैली, तो कहीं ऐसा न हो कि उन्हें इतने वोट भी न मिलें । कोई भी क्लब या प्रेसीडेंट दोस्ती के नाम पर ऐसे उम्मीदवार को भला क्यों वोट देना चाहेगा, जो बुरी तरह पिछड़ता हुआ नजर आ रहा है । इसी डर पर विजय पाने के लिए अजीत जालान और उनके नजदीकियों ने 'शाम-ए-गज़ल' कार्यक्रम पर अपनी उम्मीद टिका दी है । लेकिन यह कार्यक्रम ही आरोपों का शिकार बन गया है । गंभीर आरोप यही है कि अजीत जालान और उनके नजदीकी अपनी हरकतों से रोटरी और उसके आदर्शों व उसके नियमों से खिलवाड़ करते हैं, और उनका मजाक बनाते रहते हैं ।
अजीत जालान और उनके नजदीकियों के साथ यह बड़ा तमाशा होता रहता है कि वह कुछ बड़ा काम करना चाहते हैं, लेकिन उसकी तैयारी कुछ ऐसे षड्यंत्रपूर्ण व बेईमानीपूर्ण तरीके से करते हैं कि काम तो खटाई में पड़ता ही है, उनकी बदनामी और फजीहत अलग होती है । 'शाम-ए-गज़ल' कार्यक्रम जिस रोटरी दिल्ली साऊथ वेस्ट फाउंडेशन के नाम पर किया जा रहा है, उस फाउंडेशन का गठन ही विवादपूर्ण तरीके से हुआ है । दरअसल क्लब ने इसके गठन से ठीक पहले एक और ट्रस्ट बनाया था, जिसे लेकर घपलेबाजी के इतने गंभीर आरोप लगे थे कि मामला काउंसिल ऑफ गवर्नर्स की मीटिंग तक पहुँचा था, जहाँ उक्त ट्रस्ट को बंद कर देने का फैसला हुआ था - और जो अब पूर्व हो चुके तत्कालीन सत्ता खेमे में शामिल गवर्नर्स के रूप में डॉक्टर सुब्रमणियन व रवि चौधरी की देखरेख में बंद किया गया था । उस ट्रस्ट को बंद करके ही क्लब के लोगों ने रोटरी दिल्ली साऊथ वेस्ट फाउंडेशन का गठन किया है । इस फाउंडेशन के जरिये जो डायलिसिस सेंटर बनाया जा रहा है, और जिसके लिए फंड इकट्ठा करने के लिए 'शाम-ए-गज़ल' आयोजित की जा रही है - उसे लेकर भी भारी झोल होने के आरोप हैं, जिनके चलते रोटरी ब्लड बैंक के प्रेसीडेंट विनोद बंसल की कुर्सी तक खतरे में पड़ गई है । यह दरअसल काम करने का बदनीयतीपूर्ण तरीका ही है, जिसके चलते डायलिसिस सेंटर बनाने जैसा अच्छा/बड़ा काम ऐसी फजीहत का शिकार हो बैठा है कि एक तरफ तो उसके कारण रोटरी ब्लड बैंक में बबाल हो गया है, और दूसरी तरफ उसके लिए फंड इकट्ठा करने का आयोजन राजनीतिक षड्यंत्र के रूप में देखा/पहचाने जाना लगा है ।