Tuesday, February 18, 2020

इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के प्रेसीडेंट अतुल गुप्ता से अपने बदले हुए नाम तथा अपने विज्ञापन को लेकर फटकारे जा चुके राजिंदर अरोड़ा नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल का चेयरमैन बनने लिए अतुल गुप्ता के भाई अरुण गुप्ता को सीढ़ी की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं क्या ?

नई दिल्ली । इंस्टीट्यूट मुख्यालय में गैर काउंसिल सदस्यों के प्रवेश के लिए निषिद्ध घोषित कैंटीन में राजिंदर अरोड़ा और अतुल गुप्ता की लंच मीटिंग की संलग्न तस्वीर नार्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के गठन की  पर्दे के पीछे चल रही कोशिशों का संकेत दे रही है क्या ? इस तस्वीर में सेंट्रल काउंसिल में सरकार द्वारा नामित सदस्य विजय झालानी तथा अतुल गुप्ता के भाई अरुण गुप्ता की मौजूदगी दरअसल मामले को संदेहास्पद बना रही है । तस्वीर में नजर आने वाले बाकी चेहरे संगरूर ब्रांच के पदाधिकारियों के हैं, जो अतुल गुप्ता को प्रेसीडेंट बनने की बधाई देने मुख्यालय आये थे । मुख्यालय में इन्हें अतुल गुप्ता से मिलवाने की जिम्मेदारी राजिंदर अरोड़ा ने ही ली और निभाई थी । राजिंदर अरोड़ा ने इस जिम्मेदारी को अतुल गुप्ता के भाई अरुण गुप्ता के जरिये निभाया था । प्रेसीडेंट ऑफिस के स्टॉफ के अनुसार, अतुल गुप्ता के प्रेसीडेंट के बनने बाद से प्रेसीडेंट ऑफिस पर अरुण गुप्ता ने ही 'कब्जा' किया हुआ है, और ऑफिसियल काम के अलावा दूसरे काम वही देखते/करते हैं । कुछेक सेंट्रल काउंसिल सदस्य तथा वरिष्ठ स्टॉफ अरुण गुप्ता की दखलंदाजी को लेकर इशारों इशारों अपनी नाराजगी जता चुका है, लेकिन अतुल गुप्ता पर इसका कोई असर नहीं पड़ा है ।
इस मामले में विजय झालानी के रवैये पर भी सभी को हैरानी है । लोगों का कहना है कि विजय झालानी वैसे तो हमेशा ही नियम-कायदों की दुहाई देते रहते हैं, लेकिन अरुण गुप्ता मुख्यालय में जिस तरह से 'नॉन-कॉन्स्टीट्यूशनल पॉवर' बन गए हैं, उस पर न केवल चुप्पी साधे हुए हैं, बल्कि अरुण गुप्ता के साथ सहभागिता दिखाते हुए भी नजर आते हैं । इन शब्दों के साथ संलग्न तस्वीर से जुड़े मामले को ही लें : संगरूर ब्रांच के पदाधिकारी अतुल गुप्ता को प्रेसीडेंट बनने की बधाई देने मुख्यालय आते हैं, और चूँकि लंच के टाइम पर आते हैं, इसलिए अतुल गुप्ता उन्हें लंच करवाते हैं - यह बात तो समझ में आती है; राजिंदर अरोड़ा चूँकि संगरूर ब्रांच के पदाधिकारियों को लेकर आते हैं, इसलिए राजिंदर अरोड़ा भी लंच करने बैठ जाते हैं - यह बात भी स्वीकार्य कर ली जा सकती है । लेकिन यहाँ विजय झालानी और अरुण गुप्ता की मौजूदगी का क्या मतलब है ? विजय झालानी सेंट्रल काउंसिल सदस्य होने के नाते इस कैंटीन में आने के अधिकारी तो हैं, लेकिन अरुण गुप्ता यहाँ क्या रहे हैं ? यहाँ विजय झालानी की उपस्थिति दरअसल इसलिए भी महत्त्वपूर्ण और सवालिया बनी है, कि हमेशा ही नियम-कानूनों की बात करने वाले विजय झालानी ने इस बात पर आपत्ति क्यों नहीं की, कि सिर्फ सेंट्रल काउंसिल सदस्यों के लिए अधिकृत कैंटीन में गैर काउंसिल सदस्य कैसे बैठे हैं ? यूँ बात बहुत छोटी सी है, लेकिन यह दिखाने के लिए काफी है कि प्रेसीडेंट और उनके नजदीकी किस तरह इंस्टीट्यूट में नियम-कानूनों का मजाक बनाते हैं, और सरकार द्वारा नामित सदस्य कैसे उनके साथ मिले होते हैं ।
राजिंदर अरोड़ा के नजदीकियों के अनुसार, संगरूर ब्रांच के पदाधिकारियों को अतुल गुप्ता से मिलवाने ले जाना तो एक बहाना था - राजिंदर अरोड़ा वास्तव में अतुल गुप्ता के साथ नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के नए पॉवर ग्रुप के गठन को लेकर बात करने का मौका खोज रहे थे । राजिंदर अरोड़ा दरअसल नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल का चेयरमैन बनना चाहते हैं, और इसके लिए वह रीजनल काउंसिल के सदस्यों को यह दिखाना चाहते हैं कि अतुल गुप्ता के साथ उनके बड़े नजदीकी के और बड़े खास संबंध हैं । राजिंदर अरोड़ा के लिए समस्या की बात यह है कि उन्होंने सोशल मीडिया में जिस तरह से अपना नाम 'जीएसटी सीए राजिंदर अरोड़ा' किया हुआ है और अपनी सेवाओं के लिए तरह तरह से विज्ञापन करते रहते हैं, उसे लेकर अतुल गुप्ता कुछेक बार अपनी नाराजगी दिखा चुके हैं, और उनसे कह चुके हैं कि इस तरह की बातें प्रोफेशन तथा प्रोफेशन से जुड़े लोगों को बदनाम करती हैं । राजिंदर अरोड़ा पर लेकिन इन बातों का कोई असर नहीं पड़ा है । लोगों के बीच भी चर्चा है कि राजिंदर अरोड़ा की जो राजनीतिक सक्रियता है, उसके पीछे उनका वास्तविक उद्देश्य अपना धंधा बढ़ाना है । लोगों को लगता है कि नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल का चेयरमैन वह इसलिए ही बनना चाहते हैं, ताकि उन्हें लोगों तक एक विश्वसनीय पहुँच बनाने का मौका मिले और उन्हें क्लाइंट्स मिलें । अतुल गुप्ता के साथ नजदीकी दिखा कर राजिंदर अरोड़ा को लगता है कि वह रीजनल काउंसिल में चेयरमैन का पद पा लेंगे, जिससे फिर उन्हें अपना धंधा बढ़ाने में भी मदद मिलेगी ।