Wednesday, February 12, 2020

इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के वाइस प्रेसीडेंट पद के चुनावी नतीजे को लेकर नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के वरिष्ठ सदस्य सुमित गर्ग की झूठ फैलाने की हरकत वास्तव में काउंसिल्स के कई सदस्यों की गैरजिम्मेदार व बेवकूफीपूर्ण सोच तथा व्यवहार का सुबूत पेश करती है

नई दिल्ली । सुमित गर्ग बुके खरीद कर चले तो थे प्रकाश शर्मा को बधाई देने, लेकिन फिर उन्हें वह बुके निहार जंबुसारिया को देने के लिए मजबूर होना पड़ा । दरअसल सुमित गर्ग को पहले सूचना मिली कि इंस्टीट्यूट के वाइस प्रेसीडेंट पद के लिए सेंट्रल रीजन के प्रकाश शर्मा की जीत हुई है; सो आनन-फानन में सोशल मीडिया में प्रकाश शर्मा को विजयी बताते हुए और उन्हें बधाई देते हुए, सुमित गर्ग तेजी से प्रकाश शर्मा को खोजते हुए उन्हें बुके सौंपने को दौड़े - वह प्रकाश शर्मा को सबसे पहले बुके सौंप कर उनकी निगाह में आना चाहते थे । प्रकाश शर्मा को खोजते सुमित गर्ग रास्ते में लेकिन यह देख कर ठिठके कि लोग वेस्टर्न रीजन के निहार जंबुसारिया को घेरे खड़े हैं और उन्हें बधाई दे रहे हैं और उनके साथ फोटो खिंचवा रहे हैं । उन्होंने माजरा समझने की कोशिश की तो उन्हें पता चला कि जो बुके वह प्रकाश शर्मा के लिए ले जा रहे हैं, उस पर निहार जंबुसारिया का हक़ है और उन्हें अपना बुके निहार जंबुसारिया को दे देना चाहिए । सो, उन्होंने अपने दौड़ते कदमों की दिशा बदली और वह निहार जंबुसारिया की तरफ मुड़े । सुमित गर्ग नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के सदस्य हैं; वह दूसरी बार सदस्य बने हैं, वह तरह तरह से लोगों को जताते/दिखाते रहते हैं कि वह बहुत ज्ञानी किस्म के व्यक्ति हैं - लेकिन इंस्टीट्यूट के वाइस प्रेसीडेंट के चुनाव नतीजे के मामले में उनके ज्ञान ने लोगों को भ्रमित करने का काम किया और उनकी खुद की फजीहत करवाई ।
नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल में होने वाली हरकतों में सुमित गर्ग के साथ रहने वाले सदस्य नितिन कँवर ने भी सुमित गर्ग की सूचना पर सोशल मीडिया में प्रकाश शर्मा को वाइस प्रेसीडेंट बनने की बधाई दे डाली थी, लेकिन जल्दी ही उन्हें इस सूचना के गलत होने की जानकारी मिली, तो सोशल मीडिया में अपनी पोस्ट उन्होंने तुरंत से डिलीट कर दी । सुमित गर्ग ने अपनी पोस्ट को डिलीट करने पर ध्यान नहीं दिया, और वह गलत सूचना देते हुए 'पकड़े' गए । हालाँकि अपने आप में यह बात कोई बड़ा 'अपराध' नहीं है; अपने निजी जीवन में और अपने कामधाम में इस तरह की चूक प्रायः सभी करते हैं - और फिर 'सुबह का भूला यदि शाम को घर लौट आए, तो उसे भूला नहीं कहते हैं' वाला तर्क भी सर्वमान्य है ही । लेकिन फिर भी यह प्रसंग इसलिए महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि यह प्रोफेशन व प्रोफेशन की राजनीति से जुड़े जाने/अनजाने तथ्यों से अवगत करवाता है । सुमित गर्ग वरिष्ठ चार्टर्ड एकाउंटेंट हैं, यह प्रोफेशन की जरूरत है कि वह तथ्यों को ज्यादा संजीदगी से देखें; फिर वह अभी रीजनल काउंसिल में हैं और आगे सेंट्रल काउंसिल का सदस्य होने की हसरत रखते हैं - काउंसिल सदस्य के रूप में उनसे उम्मीद की जायेगी कि वह तथ्यों को सही रूप में जानेंगे, तभी तो उचित फैसले ले पायेंगे; तथ्यों के प्रति वह यदि लापरवाही दिखायेंगे तो प्रोफेशनली तथा प्रशासनिक रूप में सही निर्णय कैसे करेंगे ? यह सच है कि तथ्यों के प्रति गैर जिम्मेदारी दिखाने के मामले में अभी सुमित गर्ग 'पकड़े' जरूर गए हैं, लेकिन दूसरे काउंसिल सदस्यों का मामला भी कोई बहुत अलग नहीं है ।
वाइस प्रेसीडेंट के चुनावी नतीजे के मामले में सुमित गर्ग द्वारा की गई गलतबयानी इंस्टीट्यूट की चुनावी राजनीति में बढ़ती अनिश्चितता की तरफ भी ध्यान खींचती है । निहार जंबुसारिया की जीत पर हर किसी को हैरानी है । हालाँकि यह चर्चा खासी जोरों पर थी कि निहार जंबुसारिया अपने रिलायंस संबंधों का फायदा उठाते और दिलवाने का वास्ता देकर अपने लिए समर्थन जुटाने का जुगाड़ कर रहे हैं; दावे किए जा रहे थे कि पूर्व प्रेसीडेंट अमरजीत चोपड़ा ने रिलायंस में कोई बड़ी 'जिम्मेदारी' लेने के चक्कर में निहार जंबुसारिया को जितवाने का 'ठेका' ले लिया है - लेकिन फिर भी निहार जंबुसारिया की उम्मीदवारी को ज्यादा गंभीरता से नहीं लिया जा रहा था । दरअसल रिलायंस कनेक्शन के भरोसे निहार जंबुसारिया पहले भी वाइस प्रेसीडेंट बनने के प्रयास कर चुके हैं और असफल रह चुके हैं । अमरजीत चोपड़ा को भी प्रफुल्ल छाजेड़, अतुल गुप्ता व उत्तम अग्रवाल के उम्मीदवारों के बीच 'झूलते' हुए देखा/पहचाना जा रहा था । ऐसे में, माना जा रहा था कि निहार जंबुसारिया को कोई राजनीतिक गणित नहीं, बल्कि सिर्फ किस्मत ही वाइस प्रेसीडेंट चुनवा सकती है । और यही हुआ भी । वाइस प्रेसीडेंट का चुनाव कितना अनिश्चितताभरा होता है यह इससे भी जाहिर है कि जो प्रकाश शर्मा दूर दूर तक दौड़ में नहीं थे, सुमित गर्ग व नितिन कँवर को उनके जीतने की फर्जी सूचना पर विश्वास हो गया और उन्होंने प्रकाश शर्मा को बधाई देते हुए उक्त सूचना को फ्लैश भी कर दिया ।
सुमित गर्ग और नितिन कँवर की उतावलीपूर्ण इस हरकत से यह भी समझा जा सकता है कि नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल की हालत इतनी खराब क्यों है - कि वहाँ पदाधिकारियों के अधिकार निलंबित हैं, और अगले वर्ष के पदाधिकारियों का चयन भी आसान नहीं दिख रहा है । नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल की दुर्दशा के लिए सिर्फ सुमित गर्ग व नितिन कँवर को जिम्मेदार मानना/ठहराना इनके साथ ज्यादती भी होगा, क्योंकि अन्य कुछेक सदस्य भी इनके जैसे ही हैं - और कुछेक तो इनसे भी ज्यादा बड़बोले और बेवकूफ किस्म के हैं । वाइस प्रेसीडेंट के चुनावी नतीजे को फ्लैश करने के मामले में सुमित गर्ग की हरकत दरअसल काउंसिल्स के सदस्यों की गैरजिम्मेदार व बेवकूफीपूर्ण सोच तथा व्यवहार का एक सुबूत पेश करती है ।