Thursday, February 20, 2020

रोटरी इंडिया सेन्टेंनियल समिट में शेखर मेहता के साथ कमल सांघवी जिस तरह से जुड़े रहे, और किसी तीसरे को इस समिट में तवज्जो मिलती नहीं दिखी - उससे मनोज देसाई की रोटरी में 'आगे की यात्रा' में रोड़े पड़ते देखे/पहचाने जा रहे हैं

नई दिल्ली । रोटरी इंडिया सेन्टेंनियल समिट में हर मौके पर इंटरनेशनल प्रेसीडेंट नॉमिनी शेखर मेहता और इंटरनेशनल डायरेक्टर कमल सांघवी की जैसी छाप रही, उसे पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर मनोज देसाई की 'भावी योजना' को तगड़ी चोट पहुँचने के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है । माना/समझा जा रहा है कि इस समिट का घोषित उद्देश्य चाहें जो रहा हो, लेकिन इसका अघोषित उद्देश्य भारत से अगले इंटरनेशनल प्रेसीडेंट पद के लिए कमल सांघवी को प्रमोट करना था - और शेखर मेहता व कमल सांघवी ने इस अघोषित उद्देश्य को बहुत ही प्रभावी तरीके से अंजाम दिया । इसके लिए शेखर मेहता व कमल सांघवी की जोड़ी ने दो बातों का खास ख्याल रखा - एक तो यह कि इन्होंने अपने अलावा किसी तीसरे को पूरे आयोजन में कोई तवज्जो नहीं मिलने दी; और दूसरे उन्होंने खेमेबाजी की दीवारों को तोड़ने की कोशिश की ताकि कोई भी नाराज न हो । विरोधी समझे जाने वाले खेमे के लोगों को छोटे छोटे मौकों पर जिम्मेदारियाँ देकर संदेश देने की कोशिश की गई कि यह सभी को साथ लेकर आगे बढ़ना चाहते है । प्रेसीडेंट नॉमिनी डिनर की जिम्मेदारी राजु सुब्रमणियन को सौंपे जाने के फैसले पर हर किसी को हैरानी हुई । राजु सुब्रमणियन को पूर्व प्रेसीडेंट केआर रवींद्रन के नजदीक समझा/पहचाना जाता है, इसलिए उन्हें जिम्मेदारी सौंपने के फैसले को शेखर मेहता व कमल सांघवी की जोड़ी की बड़ी चाल के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है ।
शेखर मेहता व कमल सांघवी की इस चाल को मनोज देसाई की आगे की राजनीति के लिए खतरे की घंटी के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है । उल्लेखनीय है कि भारत से अगले इंटरनेशनल प्रेसीडेंट पद के लिए मनोज देसाई की उम्मीदवारी की चर्चा रही है । सुशील गुप्ता जब प्रेसीडेंट नॉमिनी चुने गए थे, तभी यह चर्चा थी कि उनके बाद प्रेसीडेंट पद के लिए शेखर मेहता व मनोज देसाई के बीच मुकाबला होगा । दोनों ही सुशील गुप्ता की आँखों के तारे रहे हैं; हालाँकि सुशील गुप्ता के नजदीकियों को लगता था कि सुशील गुप्ता पहले शेखर मेहता को और फिर मनोज देसाई को प्रेसीडेंट का पद दिलवाने का प्रयास करेंगे । अप्रत्याशित रूप से सुशील गुप्ता के प्रेसीडेंट पद तक पहुँचने के रास्ते से हट जाने के बाद, शेखर मेहता 'उम्मीद से पहले' ही प्रेसीडेंट पद के नजदीक हो गए । सुशील गुप्ता के सीन से हटने के बाद उनका खेमा नेतृत्वविहीन हो गया है । अलग अलग कारणों से चूँकि कल्याण बनर्जी और राजेंद्र उर्फ़ राजा साबू की हैसियत भी 'डेकोरेटिव आईटम' जैसी हो गई है, जिससे देश की रोटरी राजनीति में नेतृत्व का वैक्यूम पैदा हो गया है । प्रेसीडेंट (नॉमिनी) होने के कारण शेखर मेहता के पास इस वैक्यूम को भरने का एक बढ़िया मौका है, और वह इस मौके का पूरा पूरा फायदा उठाते हुए दिख भी रहे हैं - लेकिन फायदा उठाने के उनके मौके में कमल सांघवी की मौजूदगी लोगों के बीच बेचैनी व हलचल भी पैदा कर रही है ।
रोटरी इंडिया सेन्टेंनियल समिट में शेखर मेहता के साथ कमल सांघवी जिस तरह से जुड़े रहे, और किसी तीसरे को इस समिट में तवज्जो मिलती नहीं दिखी - उससे लोगों के बीच कई सवाल पैदा हुए हैं । समिट में सबसे बुरी बीती भरत पांड्या और विनोद बंसल के साथ । भरत पांड्या इंटरनेशनल डायरेक्टर हैं, और विनोद बंसल समिट की तैयारी समिति के प्रेसीडेंट थे - इसके बावजूद दोनों को खास तवज्जो नहीं मिली, और दूसरे लोगों की तरह यह दोनों भी शेखर मेहता व कमल सांघवी के दिशा-निर्देशों पर ही 'काम' करते हुए देखे गए । दरअसल समिट के पूरे आयोजन में, महत्त्वपूर्ण पदों पर होने के बावजूद भरत पांड्या और विनोद बंसल की जैसी जो उपेक्षा हुई, उसे देख कर ही लोगों का ध्यान इस बात की तरफ गया कि पूरा आयोजन तो वास्तव में शेखर मेहता व कमल सांघवी की गिरफ्त में है । पूरे आयोजन का 'डिजाईन' खासी होशियारी से तैयार किया गया था, जिसमें ऐसे लोगों को तो छोटे छोटे मौकों पर जिम्मेदारियाँ दी गईं और अलग अलग कारणों से तथा रूपों में मंच पर आने का मौका दिया गया - जो शेखर मेहता व कमल सांघवी के लिए कोई खतरा और या चुनौती नहीं बनते हैं; लेकिन उनके लिए खतरा और या चुनौती बन सकने वाले बड़े नेताओं को 'किनारे' लगा दिया गया । शेखर मेहता व कमल सांघवी की इसी होशियारी में मनोज देसाई की रोटरी में 'आगे की यात्रा' में रोड़े पड़ते देखे/पहचाने जा रहे हैं ।