नई दिल्ली । नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के अगले वर्ष के पॉवर ग्रुप में सेक्रेटरी 'बनने' की खुशी के जोश में गौरव गर्ग ने सत्ता पार्टी के दूसरे सदस्यों को नाराज कर दिया है, और उन्हें लग रहा है कि गौरव गर्ग का जोश पॉवर ग्रुप को बनने से पहले ही कहीं बिखेर न दे । गौरव गर्ग ने दरअसल पॉवर ग्रुप के सातवें सदस्य को जुटाने के लिए रीजनल काउंसिल के कुछेक सदस्यों का दरवाजा खटखटाया, जिससे पता चला कि छह सदस्यों का तो ग्रुप बन गया - सातवाँ और मिल जाए, तो नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल का पॉवर ग्रुप बन जायेगा । गौरव गर्ग की सूचना के अनुसार, उनके अलावा नितिन कँवर, राजिंदर अरोड़ा, सुमित गर्ग, हरीश जैन और अविनाश गुप्ता ने आपस में गठजोड़ कर लिया है । इनके बीच सहमति बन गई है कि सचिव गौरव गर्ग होंगे तथा चेयरमैन का चुनाव नितिन कँवर, राजिंदर अरोड़ा व अविनाश गुप्ता के नाम की पर्ची डाल कर होगा । बाकी पदों का फैसला सातवाँ सदस्य मिल जाने पर होगा । सातवें सदस्य के लिए रतन सिंह यादव, पंकज गुप्ता, विजय गुप्ता, शशांक अग्रवाल का दरवाजा खटखटाया गया है । इस छह सदस्यों के बीच तय यह हुआ था कि सातवें सदस्य की तलाश में चेयरमैन व सेक्रेटरी पद को लेकर हुए फैसले के बारे में किसी को कुछ नहीं बताया जायेगा और कोशिश की जायेगी कि सातवाँ सदस्य बिना शर्त के इनके साथ जुड़े । गौरव गर्ग ने लेकिन कुछ भी छिपा नहीं रहने दिया ।
गौरव गर्ग ने सातवें सदस्य की तलाश में जहाँ जहाँ भी 'छापा मारा', वहाँ वहाँ साफ साफ बता दिया कि सेक्रेटरी तो मैं हूँ, इसलिए सेक्रेटरी बनने की उम्मीद तो रखना मत । यह बताया, तो फिर चेयरमैन वाली रणनीति का भी उन्होंने खुलासा कर दिया । इससे मामला बिगड़ गया । सभी से अमूमन यही जबाव मिला कि महत्त्वपूर्ण पद आप लोगों ने जब बाँट ही लिए हैं, तो हम क्या करेंगे/पायेंगे ? गौरव गर्ग ने ही लोगों को बताया है कि रतन सिंह यादव ने तो यह कहते हुए उनसे सौदेबाजी भी शुरू कर दी कि मुझे या अजय सिंघल को चेयरमैन बनाओ, तो हम दोनों का समर्थन ले लो । गौरव गर्ग ने उन्हें आश्वस्त किया कि उनके नाम की भी पर्ची डाल लेंगे । रतन सिंह यादव लेकिन इसके लिए तैयार नहीं हुए । उनका कहना रहा कि पर्ची से फैसला पिछली बार भी हुआ था, उस फैसले को लेकिन माना कहाँ गया । रतन सिंह यादव ने गौरव गर्ग से बता दिया कि उन्हें हरीश जैन तथा अविनाश गुप्ता पर भरोसा नहीं है, इसलिए वह उनके साथ पर्ची वाले खेल में शामिल नहीं होंगे । दूसरे लोगों ने भी अपने अपने तर्क देकर साफ साफ कुछ कहने से बचने की ही कोशिश की है । दरअसल पॉवर ग्रुप में शामिल हो सकने वाले सभी लोग अभी 'देखो और इंतजार करो' का फार्मूला अपनाए हुए हैं ।
नितिन कँवर को लेकिन लग रहा है कि गौरव गर्ग ने खुद के सेक्रेटरी बनने की बात का खुलासा करके खेल बिगाड़ दिया है, और छह सदस्यों को जोड़ कर जो पहल की गई थी - उसका शुरू में ही दम तोड़ दिया है । चेयरमैन के पद के लिए पर्ची डालने वाली बात तो फिर भी समझ में आती है; स्वाभाविक ही है कि बनने वाले पॉवर ग्रुप में चेयरमैन पद के लिए यदि एक से अधिक उम्मीदवार हैं, तब फैसला पर्ची डाल कर ही करना पड़ेगा । लेकिन सेक्रेटरी पद सुनिश्चित हो जाने से पॉवर ग्रुप में शामिल हो सकने वाले सदस्यों के कदम रुक जा सकते हैं । नितिन कँवर को लग रहा है कि गौरव गर्ग की हरकत नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल का कामकाज पटरी पर लाने की उनकी कोशिशों को फेल कर सकती है । ऐसे में नितिन कँवर और उनके साथियों के बीच चर्चा भी चली है कि पॉवर ग्रुप के लिए यदि दो सदस्यों का जुगाड़ हो जाए, तो फिर वह गौरव गर्ग को छोड़ भी सकते हैं । इस तरह की बातों से जाहिर है कि गौरव गर्ग ने सेक्रेटरी 'बनने' के जोश में जो कांड कर दिया है, उसने नया पॉवर ग्रुप बनने की संभावनाओं को तो झटका दिया ही है, साथ ही अपने सेक्रेटरी पद को भी असुरक्षित कर लिया है ।
गौरव गर्ग ने सातवें सदस्य की तलाश में जहाँ जहाँ भी 'छापा मारा', वहाँ वहाँ साफ साफ बता दिया कि सेक्रेटरी तो मैं हूँ, इसलिए सेक्रेटरी बनने की उम्मीद तो रखना मत । यह बताया, तो फिर चेयरमैन वाली रणनीति का भी उन्होंने खुलासा कर दिया । इससे मामला बिगड़ गया । सभी से अमूमन यही जबाव मिला कि महत्त्वपूर्ण पद आप लोगों ने जब बाँट ही लिए हैं, तो हम क्या करेंगे/पायेंगे ? गौरव गर्ग ने ही लोगों को बताया है कि रतन सिंह यादव ने तो यह कहते हुए उनसे सौदेबाजी भी शुरू कर दी कि मुझे या अजय सिंघल को चेयरमैन बनाओ, तो हम दोनों का समर्थन ले लो । गौरव गर्ग ने उन्हें आश्वस्त किया कि उनके नाम की भी पर्ची डाल लेंगे । रतन सिंह यादव लेकिन इसके लिए तैयार नहीं हुए । उनका कहना रहा कि पर्ची से फैसला पिछली बार भी हुआ था, उस फैसले को लेकिन माना कहाँ गया । रतन सिंह यादव ने गौरव गर्ग से बता दिया कि उन्हें हरीश जैन तथा अविनाश गुप्ता पर भरोसा नहीं है, इसलिए वह उनके साथ पर्ची वाले खेल में शामिल नहीं होंगे । दूसरे लोगों ने भी अपने अपने तर्क देकर साफ साफ कुछ कहने से बचने की ही कोशिश की है । दरअसल पॉवर ग्रुप में शामिल हो सकने वाले सभी लोग अभी 'देखो और इंतजार करो' का फार्मूला अपनाए हुए हैं ।
नितिन कँवर को लेकिन लग रहा है कि गौरव गर्ग ने खुद के सेक्रेटरी बनने की बात का खुलासा करके खेल बिगाड़ दिया है, और छह सदस्यों को जोड़ कर जो पहल की गई थी - उसका शुरू में ही दम तोड़ दिया है । चेयरमैन के पद के लिए पर्ची डालने वाली बात तो फिर भी समझ में आती है; स्वाभाविक ही है कि बनने वाले पॉवर ग्रुप में चेयरमैन पद के लिए यदि एक से अधिक उम्मीदवार हैं, तब फैसला पर्ची डाल कर ही करना पड़ेगा । लेकिन सेक्रेटरी पद सुनिश्चित हो जाने से पॉवर ग्रुप में शामिल हो सकने वाले सदस्यों के कदम रुक जा सकते हैं । नितिन कँवर को लग रहा है कि गौरव गर्ग की हरकत नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल का कामकाज पटरी पर लाने की उनकी कोशिशों को फेल कर सकती है । ऐसे में नितिन कँवर और उनके साथियों के बीच चर्चा भी चली है कि पॉवर ग्रुप के लिए यदि दो सदस्यों का जुगाड़ हो जाए, तो फिर वह गौरव गर्ग को छोड़ भी सकते हैं । इस तरह की बातों से जाहिर है कि गौरव गर्ग ने सेक्रेटरी 'बनने' के जोश में जो कांड कर दिया है, उसने नया पॉवर ग्रुप बनने की संभावनाओं को तो झटका दिया ही है, साथ ही अपने सेक्रेटरी पद को भी असुरक्षित कर लिया है ।