नई दिल्ली । रोटरी इंडिया सेन्टेंनियल समि ट शुरू होने से पहले कोलकाता पहुँचे प्रमुख रोटेरियंस के बीच दिल्ली रोटरी ब्लड बैंक के कामकाज में अनिमितताओं और घपलेबाजियों से जुड़े आरोपों की जो चर्चा सुनी गई है, उनमें विनोद बंसल के लिए सतीश सिंघल जैसी दशा में 'पहुँचने' का डर पैदा होता दिख रहा है । उल्लेखनीय है कि नोएडा रोटरी ब्लड बैंक में अनियमितताओं व घपलेबाजियों के आरोपों के चलते डिस्ट्रिक्ट 3012 में गवर्नर पद की जिम्मेदारी निभा रहे सतीश सिंघल को रोटरी इंटरनेशनल ने गवर्नर पद से हटा दिया था, और उन्हें पूर्व गवर्नर का दर्जा भी नहीं दिया गया । सतीश सिंघल नोएडा रोटरी ब्लड बैंक के प्रमुख कर्ताधर्ता थे । विनोद बंसल दिल्ली रोटरी ब्लड बैंक के प्रमुख कर्ताधर्ता हैं । सतीश सिंघल की तरह ही विनोद बंसल पर आरोप है कि ब्लड बैंक की प्रशासनिक व्यवस्था में सारा लेना-देना विनोद बंसल मनमाने तरीके से करते हैं, और ब्लड बैंक के दूसरे पदाधिकारियों को उसकी हवा भी नहीं लगने देते हैं । विनोद बंसल के इस रवैये पर पिछले दिनों बबाल तब उठा, जब ब्लड बैंक की बन रही बिल्डिंग से जुड़े बड़े खर्चों के बिल भुगतान के लिए ब्लड बैंक के ट्रेजरर पूर्व गवर्नर संजय खन्ना के पास आए । संजय खन्ना का कहना रहा कि लाखों/करोड़ों रुपये के खर्चे वाले जो काम हो रहे हैं, उनकी जानकारी ब्लड बैंक की मैनेजिंग टीम के सदस्यों को तो होनी ही चाहिए । ब्लड बैंक के सेक्रेटरी पूर्व गवर्नर रमेश अग्रवाल को मामले का जब पता चला, तो वह भी वह भी बुरी तरह भड़के; उनका कहना रहा कि वह ब्लड बैंक के सेक्रेटरी हैं, और उन्हें भी नहीं पता कि ब्लड बैंक में हो क्या रहा है और किस काम में किन लोगों पर कितना पैसा खर्च हो रहा है ? डिस्ट्रिक्ट 3012 के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर दीपक गुप्ता का तो आरोप है कि ब्लड बैंक में बिना चुनाव करवाए विनोद बंसल अनधिकृत रूप से प्रेसीडेंट बने हैं, और मनमाने तरीके से काम कर रहे हैं । उन्होंने माँग की कि ब्लड बैंक की मैनेजिंग टीम के सदस्यों की जल्दी से जल्दी मीटिंग बुलाई जाए और नियमानुसार चुनाव करवाए जाएँ । विनोद बंसल लेकिन ब्लड बैंक की मैनेजिंग कमेटी की मीटिंग बुलाने की माँग को लगातार टालते ही जा रहे हैं ।
दिल्ली रोटरी ब्लड बैंक में अनियमितताओं व घपलेबाजियों के आरोपों में घिरे विनोद बंसल के लिए मुसीबत की बात लेकिन यह हुई है कि रोटरी इंडिया सेन्टेंनियल समिट के आयोजन में कोलकाता में जुटे वरिष्ठ रोटेरियंस के बीच आरोपों की बातें सुनी/सुनाई जा रही हैं । यह बातें वहाँ दरअसल इसलिए चर्चा में आईं, क्योंकि रोटरी इंडिया सेन्टेंनि यल समिट के प्रेसीडेंट के रूप में वह उचित फंड जुटाने के मामले में फेल हुए हैं । उल्लेखनीय है कि विनोद बंसल रोटरी में फंड जुटाने के मामले में 'मास्टर' समझे जाते हैं । वास्तव में अपनी इसी खूबी के चलते उन्होंने रोटरी की सीढ़ियाँ बड़ी तेजी से चढ़ी हैं । लेकिन लगता है कि उनकी यही खूबी उनके लिए मुसीबत बन गई है । रोटरी में हर छोटा/बड़ा नेता उनकी तरफ इसी उम्मीद से 'देखता' है कि वह उसके 'आयोजन' के लिए फंड जुटाएँ । रोटरी इंडिया सेन्टेंनियल समिट के लिए भी उनसे बड़ी रकम की उम्मीद की गई थी । समझा जाता है कि समिट का प्रेसीडेंट उन्हें इसीलिए बनाया गया, ताकि इसका खर्च वह जुटाएँ । विनोद बंसल लेकिन उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे हैं, और इसीलिए बड़े नेता उनसे बुरी तरह नाराज हुए हैं । विनोद बंसल के फंड जुटाने के मामले में असफल रहने का कारण यह माना/पहचाना जा रहा है कि लोगों के बीच उनकी पोल खुल गई है, और लोगों ने समझ लिया है कि वह झूठे आश्वासन देकर अपना काम निकालते हैं और लोगों बरगलाते हैं - इसलिए लोग उनके झाँसे में नहीं आते हैं । रोटरी फाउंडेशन से ग्लोबल ग्रांट लेकर तथा दिलवा कर विनोद बंसल जिस तरह का 'काम' करते हैं, उसे लेकर भी उनकी खासी बदनामी हुई है । दिल्ली रोटरी ब्लड बैंक को लेकर जो बबाल मचा है, उसके चलते तो विनोद बंसल की साख पर और दाग लगे हैं । इसी सब का नतीजा है कि फंड जुटाने के उनके स्रोत 'सूख' गए हैं, और इसीलिए रोटरी इंडिया सेन्टेंनि यल समिट के लिए फंड जुटाने के मामले में वह बुरी तरह असफल रहे हैं ।
रोटरी इंडिया सेन्टेंनि यल समिट के प्रेसीडेंट होने के बावजूद विनोद बंसल को समिट के लिए फंड जुटाने के मामले में जिस असफलता का मुँह देखना पड़ा है, उसके कारण रोटरी के बड़े नेता और मुख्य कर्ताधर्ता उनसे बुरी तरह नाराज हैं । रोटरी इंडिया सेन्टेंनि यल समिट शुरू होने से पहले कोलकाता में जुटे रोटरी के बड़े नेताओं के बीच विनोद बंसल के प्रति नाराजगी जिस तरह खुल कर प्रकट हुई है, उसे देखने/सुनने वाले लोगों को लगा है कि रोटरी के बड़े नेताओं ने जैसे मान लिया है कि विनोद बंसल अब उनके - और रोटरी के काम के नहीं रह गए हैं । ऐसे में, दिल्ली रोटरी ब्लड बैंक की अनियमितताओं और घपलेबाजियों की चर्चा को विनोद बंसल के लिए बड़े खतरे के संकेत के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है । विनोद बंसल से हमदर्दी रखने वाले नेताओं का मानना/कहना है कि विनोद बंसल ने दिल्ली रोटरी ब्लड बैंक में भड़के बबाल को यदि होशियारी से हैंडल नहीं किया, तो कहीं उनका हाल भी नोएडा रोटरी ब्लड बैंक के सतीश सिंघल जैसा न हो जाए ।