नई दिल्ली । दिल्ली रोटरी ब्लड बैंक की मैनेजिंग कमेटी की मीटिंग बुलाने की माँग को लगातार टालते आ रहे ब्लड बैंक के प्रमुख कर्ताधर्ता विनोद बंसल अंततः मीटिंग बुलाने के लिए मजबूर हुए, जिसके चलते बहुप्रतीक्षित मीटिंग कल होने जा रही है । कल होने वाली मीटिंग को रोटरी में विनोद बंसल के राजनीतिक भविष्य के संदर्भ में महत्त्वपूर्ण समझा जा रहा है । मजे की बात यह है कि इस मीटिंग को - और इस मीटिंग को बुलाने की लगातार होती माँग को - राजनीतिक रंग खुद विनोद बंसल ने ही दिया है । उल्लेखनीय है कि मामले की शुरुआत तब हुई, जब ब्लड बैंक के दूसरे पदाधिकारियों को - सेक्रेटरी रमेश अग्रवाल तथा ट्रेजरर संजय खन्ना तक को - ब्लड बैंक में लाखों/करोड़ों रुपयों के खर्च से होने वाले कामों की जानकारी तब मिली, जब उनके भुगतान के बिल आए । लंबे-चौड़े बिल देख कर पदाधिकारियों के सिर चकराए कि ब्लड बैंक में ऐसे कौन से काम हो रहे हैं, जिनके बारे में उन्हें भनक तक भी नहीं है । पदाधिकारियों का कहना रहा कि ब्लड बैंक में लाखों/करोड़ों रुपये के खर्चे वाले जो काम हो रहे हैं, उनकी जानकारी ब्लड बैंक के पदाधिकारियों तथा मैनेजिंग कमेटी के सदस्यों को तो होनी ही चाहिए - और उनके अनुमति ली जानी चाहिए । विनोद बंसल ने इस बात पर कोई ध्यान नहीं दिया । बात जब बढ़ी, तो विनोद बंसल ने यह आरोप और लगा दिया कि डिस्ट्रिक्ट के कुछेक लोग उन्हें बदनाम करने के इरादे से ब्लड बैंक में हो रहे कामकाज को मुद्दा बना रहे हैं । विनोद बंसल की तरफ से मामले को राजनीतिक रंग देते हुए कहना/बताना शुरू किया गया कि इंटरनेशनल डायरेक्टर पद की चुनावी दौड़ से उन्हें हटाने के लिए रंजन ढींगरा और दीपक कपूर की तरफ से उन्हें बदनाम करने का प्रचार शुरू किया गया है ।
विनोद बंसल ने इंटरनेशनल प्रेसीडेंट नॉमिनी शेखर मेहता से भी यह शिकायत की । समझा जाता है कि शेखर मेहता से शिकायत करने के पीछे विनोद बंसल का उद्देश्य उनकी सहानुभूति प्राप्त करने का रहा, जिसे 'दिखा' कर वह लोगों को बता सकें कि शेखर मेहता का समर्थन उनके साथ है । लोगों के बीच चर्चा रही कि इस तरह विनोद बंसल ने ब्लड बैंक के प्रतिकूल पड़ते मामले को अनुकूल बनाने तथा उससे दोहरा फायदा उठाने का जुगाड़ लगाया । विनोद बंसल की लेकिन बदकिस्मती रही कि शेखर मेहता उनकी चाल में नहीं फँसे और समझा जाता है कि शेखर मेहता की तरफ से उन्हें यही सलाह मिली कि मैनेजिंग कमेटी के लोग यदि मीटिंग चाहते हैं, तो उन्हें मीटिंग कर लेनी चाहिए । समझा जाता है कि शेखर मेहता की इस सलाह के चलते ही विनोद बंसल ब्लड बैंक की मैनेजिंग कमेटी की मीटिंग बुलाने के लिए मजबूर हुए । विनोद बंसल ने मीटिंग तो बुला ली है; उनके नजदीकियों के अनुसार, लेकिन वह इस बात से डरे हुए भी हैं कि मीटिंग में कुछेक लोग उन पर ब्लड बैंक का प्रेसीडेंट पद छोड़ने के लिए दबाव भी बना सकते हैं । मैनेजिंग कमेटी में एक्स-ऑफिसो के रूप में शामिल डिस्ट्रिक्ट 3012 के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर दीपक गुप्ता तो पहले ही आरोप लगा चुके हैं कि ब्लड बैंक में बिना चुनाव करवाए विनोद बंसल अनधिकृत रूप से प्रेसीडेंट बने हुए हैं, और मनमाने तरीके से काम कर रहे हैं । उन्होंने माँग की हुई है कि विनोद बंसल को ब्लड बैंक का प्रेसीडेंट पद तुरंत छोड़ देना चाहिए और नए चुनाव होने तक किसी और को वर्किंग प्रेसीडेंट बनाया जाना चाहिए ।
दीपक गुप्ता की इस माँग ने विनोद बंसल की मुसीबत को एक अलग तरीके से खासा गंभीर बना दिया है । दरअसल दीपक गुप्ता को विनोद बंसल के नजदीकियों के रूप में देखा/पहचाना जाता रहा है; विनोद बंसल का दावा रहा है कि उन्होंने कई मौकों पर दीपक गुप्ता की मदद की है । डिस्ट्रिक्ट 3012 में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए दीपक गुप्ता और सुभाष जैन के बीच हुए चुनाव में विनोद बंसल ने अपनी सामर्थ्यभर दीपक गुप्ता का सहयोग/समर्थन किया था । ऐसे में, दीपक गुप्ता को अपने विरोधियों के साथ खड़ा देख कर विनोद बंसल को तगड़ा झटका लगा है । विनोद बंसल का कहना है कि दीपक गुप्ता असल में रमेश अग्रवाल के बहकावे में आकर उनके अहसानों को भूल गए हैं । दीपक गुप्ता जैसे अपने नजदीकियों के विरोधियों के साथ जा मिलने से विनोद बंसल ब्लड बैंक के मामले में अलग-थलग और अकेले पड़ गए हैं, और इसीलिए ब्लड बैंक के हिसाब-किताब से जुड़े आरोपों के मामले में उनके लिए हालात ज्यादा गंभीर हो गए हैं । विनोद बंसल के नजदीकियों के अनुसार, विनोद बंसल के लिए मामला चाहें जितना गंभीर हो गया हो और कल होने वाली मीटिंग में उन पर चाहें जितना भी दबाव पड़े - वह ब्लड बैंक का प्रेसीडेंट पद तो नहीं छोड़ेंगे । दरअसल माना/समझा जा रहा है कि ब्लड बैंक में हिसाब-किताब अभी जिस 'हालत' में है, उसी हालत में वह यदि उनके विरोधियों के हाथ लग गया - तो उसका इस्तेमाल करके उनके विरोधी उन्हें बदनाम करने का मौका पा लेंगे । नजदीकियों का ही कहना है कि विनोद बंसल ब्लड बैंक के हिसाब-किताब को 'डेकोरेट' करने के लिए समय चाहेंगे, और इसके लिए प्रेसीडेंट पद पर बने रहने की पुरजोर कोशिश करेंगे । ब्लड बैंक की मैनेजिंग कमेटी की कल की मीटिंग में हो चाहें कुछ भी, एक बात यह तय है कि विनोद बंसल की मुश्किलें खत्म होने नहीं जा रही हैं - कल की मीटिंग के बाद बल्कि वह बढ़ेंगी ही ।