Monday, February 24, 2020

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3011 के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में महेश त्रिखा की उम्मीदवारी को मिलते दिख रहे व्यापक समर्थन का मुकाबला करने के लिए अशोक कंतूर को नाराज चल रहे रवि चौधरी को मनाने तथा उन्हें अजीत जालान के समर्थन से दूर हटाने की जरूरत महसूस हो रही है

नई दिल्ली । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए वोटिंग शुरू होने के दिन डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट संजीव राय मेहरा द्वारा एजीटीएस (असिस्टेंट गवर्नर्स ट्रेनिंग सेमीनार) करने का संज्ञान लेते हुए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुरेश भसीन ने वोटिंग शुरू करने की तारीख दो/एक दिन आगे बढ़ाने के लिए कार्रवाई शुरू की है, जिसके चलते खामःखाँ पैदा हुए विवाद का अंत होता हुआ दिख रहा है । इसके लिए हर कोई सुरेश भसीन की तारीफ कर रहा है; लोगों को लग रहा है कि नाहक ही पैदा हुए एक विवाद को सुरेश भसीन ने अपनी सूझबूझ से बहुत आराम से खत्म करवाने के लिए कदम उठाया है । उल्लेखनीय है कि एक तरफ तो घोषित कार्यक्रम के अनुसार, डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए भारतीय समयानुसार 29 फरवरी की देर रात से वोटिंग लाइन खुलना हैं; और दूसरी तरफ डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट संजीव राय मेहरा ने 29 फरवरी व एक मार्च को एजीटीएस करने का रेसीडेंशियल प्रोग्राम बना लिया है, जिसमें कई मौजूदा प्रेसीडेंट्स को विभिन्न भूमिकाएँ देते हुए आमंत्रित किया गया है । संजीव राय मेहरा को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में अशोक कंतूर की उम्मीदवारी के समर्थक के रूप में देखा/पहचाना जाता है - इसलिए आरोप लगे कि संजीव राय मेहरा 29 फरवरी की रात को, एजीटीएस में इकट्ठा हुए प्रेसीडेंट्स से अपने सामने अशोक कंतूर के पक्ष में वोट डलवायेंगे । आरोप की शक्ल में विवाद बढ़ता दिखा, तो सुरेश भसीन ने हस्तक्षेप किया और कहा कि वह वोटिंग लाइन खुलने की तारीख दो/एक दिन आगे बढ़वाने के लिए आवश्यक कार्रवाई करते हैं । उनके इस ऐलान से उक्त विवाद शांत हुआ है ।
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव से जुड़ा एक विवाद तो शांत हो गया है, लेकिन अजीत जालान और उनके साथी एक दूसरे विवाद को जिंदा रखने के प्रयासों में लगे हुए हैं । उल्लेखनीय है कि अजीत जालान और उनके साथी डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस में उस समय भड़क उठे थे, जब लोगों के बीच उन्होंने चर्चा सुनी कि अजीत जालान को तो कुल दस/पंद्रह वोट ही मिल सकेंगे और वह नाहक ही उम्मीदवार बने हुए हैं । यह चर्चा सुन कर अजीत जालान और उनके साथियों ने आरोप लगाया कि प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार और उनके समर्थक इस तरह का नकारात्मक प्रचार करके उनकी चुनावी संभावना को खत्म करने का काम कर रहे हैं । उनके इस आरोप को उनका रोना-धोना बताते हुए कई एक लोगों ने उन्हें सलाह भी दी कि चुनाव से पहले हर कोई अपना अपना आकलन पेश करता ही है, इसमें आरोप वाली बात भला क्या है ? कई लोगों ने अजीत जालान और उनके साथियों को समझाया कि रोने-धोने की बजाये, अपनी चुनावी संभावना को मजबूत करने के लिए उन्हें दावा करना चाहिए कि अजीत जालान को तो 150 वोट मिल रहे हैं । अजीत जालान और उनके साथी लेकिन लगातार यही रोना रोये जा रहे हैं कि उन्हें दस/पंद्रह ही वोट मिलने की बात कह कर कुछेक लोग उनकी चुनावी जीत की संभावना को खत्म करने का षड्यंत्र कर हैं । अजीत जालान के नजदीकियों को ही कहना/बताना है कि अजीत जालान जीतने के लिए उम्मीदवार नहीं बने हुए हैं; असल में वह भी जान/समझ रहे हैं कि इस बार वह नहीं जीत रहे हैं - इसके बावजूद वह उम्मीदवार बने हुए हैं और समर्थन जुटाने के लिए प्रयास कर रहे हैं तो इसलिए ताकी अगले रोटरी वर्ष में उनकी उम्मीदवारी को प्रभावी तरीके से समर्थन मिल सके ।
उल्लेखनीय है कि अगले रोटरी वर्ष की उम्मीदवारी के लिए कई उम्मीदवारों ने अभी से अपनी तैयारी शुरू कर दी है, जिसे देखते हुए अजीत जालान को लगता है कि इस बार के चुनाव में पिछड़ने/हारने के बाद भी उन्हें यदि अच्छे वोट मिल जाते हैं, तो अगली बार के लिए उनका दावा मजबूत हो जायेगा । अजीत जालान और उनके साथियों को डर है कि उन्हें मिलने वाले वोटों की संख्या यदि सचमुच दस/पंद्रह ही रह गई, तो अगले रोटरी वर्ष में भी उनकी उम्मीदवारी को कोई गंभीरता से नहीं लेगा । इसलिए वह दस/पंद्रह वोट मिलने की बात से भड़के हुए हैं । इस मामले में रोना/धोना मचाये रख कर अजीत जालान और उनके साथी अपने वोटों की संख्या को थोड़ा बढ़ा लेना चाहते हैं । उनकी इस कोशिश ने अशोक कंतूर और उनके साथियों को डराया हुआ है । दरअसल अशोक कंतूर और उनके साथियों को लगता है कि अजीत जालान को जो भी वोट मिलेंगे, वह वास्तव में उनके वोटों की संख्या को ही घटाने का काम करेंगे । उल्लेखनीय है कि पिछले रोटरी वर्ष में अशोक कंतूर और अजीत जालान एक साथ थे, लेकिन तब भी अशोक कंतूर जीतने के लिए जरूरी वोट प्राप्त नहीं कर सके थे । इस बार अजीत जालान जब खुद भी उम्मीदवार बन बैठे हैं, तब स्वाभाविक रूप से अशोक कंतूर के लिए जीतने के लिए जरूरी वोट पाना और मुश्किल बन गया दिख रहा है । इस मुश्किल को हल करने के लिए अशोक कंतूर की तरफ से पूर्व गवर्नर रवि चौधरी का समर्थन फिर से प्राप्त करने का प्रयास किया जा रहा है । अशोक कंतूर की तरफ से कोशिश की जा रही है कि रवि चौधरी का समर्थन भले ही उन्हें न मिले, लेकिन रवि चौधरी - अजीत जालान को वोट दिलवाने की कोशिश करते हुए भी न दिखें । डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस में रवि चौधरी जिस तरह से गायब रहे और अजीत जालान अकेले ही अपनी उम्मीदवारी के अभियान में जुटे नजर आए - उसे अशोक कंतूर ने रवि चौधरी की मदद के रूप में ही देखा/पहचाना है । डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस में तीनों उम्मीदवारों के 'प्रदर्शन' में महेश त्रिखा की प्रस्तुति को जिस तरह से व्यापक सराहना मिली और उनके क्लब के सदस्य - दोनों पूर्व गवर्नर्स सुरेश जैन तथा संजय खन्ना सहित - बड़ी संख्या में उनकी उम्मीदवारी के प्रति समर्थन दिखाते हुए नजर आये - उसके चलते डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में महेश त्रिखा को एक अच्छी पोजीशन मिलती हुई लगी है । ऐसे में, अशोक कंतूर के शुभचिंतकों ने भी कहना शुरू कर दिया है कि अजीत जालान ने वोट जुटाने के अपने प्रयासों को यदि जारी रखा, तो अशोक कंतूर के लिए महेश त्रिखा की उम्मीदवारी का मुकाबला करना मुश्किल ही होगा ।