Friday, February 7, 2020

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी अशोक अग्रवाल के गवर्नर-वर्ष का डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर बनने के लिए अन्य किसी के तैयार न होने की स्थिति में, मजबूरी में जेके गौड़ को डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर बनाए जाने से एमएलसी स्नातक बनने की जेके गौड़ की तैयारी को झटका लगा है क्या ?

गाजियाबाद । पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर जेके गौड़ को अपने गवर्नर-वर्ष के लिए डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर चुन कर डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी अशोक अग्रवाल ने एमएलसी स्नातक सीट पाने के चुनाव में सक्रिय जेके गौड़ की चुनाव जीतने की संभावना पर मिट्टी डालने का काम किया है क्या ? उल्लेखनीय है कि अशोक अग्रवाल लगातार यह कहते/बताते रहे हैं कि वह वैसे तो जेके गौड़ को ही डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर बनाते, लेकिन एमएलसी स्नातक बन जाने के कारण चूँकि जेके गौड़ को रोटरी के लिए ज्यादा समय निकाल पाना मुश्किल होगा - इसलिए मजबूरी में उन्हें किसी और को डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर बनाना पड़ेगा । लेकिन अब जब अशोक अग्रवाल ने जेके गौड़ को डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर बना और घोषित कर दिया है, तो लोगों को लग रहा है कि जैसे उन्होंने संकेत दिया है कि जेके गौड़ को रोटरी के कामों के लिए समय की कोई समस्या नहीं होगी - तो इस तरह क्या अशोक अग्रवाल ने मान/समझ लिया है कि जेके गौड़ एमएलसी स्नातक नहीं बन रहे हैं, और उनके गवर्नर वर्ष में जेके गौड़ के पास समय ही समय होगा । जेके गौड़ हालाँकि एमएलसी स्नातक चुनाव जीतने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं; उनके बहुत नजदीक होने के नाते विश्वास किया जाता है कि अशोक अग्रवाल उनकी मेहनत से परिचित होंगे ही और यह इच्छा भी रखते ही होंगे कि जेके गौड़ को अपनी मेहनत का सुफल मिले - लेकिन जेके गौड़ को डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर बना और घोषित करके अशोक अग्रवाल ने उनकी मेहनत तथा उस मेहनत के भरोसे मिलने वाले सुफल पर सवाल खड़ा कर दिया है, और एमएलसी स्नातक सीट पाने के लिए चलाए जा रहे जेके गौड़ के चुनावी अभियान को मनोवैज्ञानिक झटका दिया है ।
अशोक अग्रवाल और जेके गौड़ के नजदीकियों का हालाँकि कहना यह है कि अशोक अग्रवाल ने जेके गौड़ को बहुत ही मजबूरी में डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर बनाया है । उन्होंने डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर पद के लिए किसी और को राजी करने के लिए कोशिशें तो खूब की थीं, लेकिन अन्य कोई उनके गवर्नर-वर्ष में डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर बनने के लिए तैयार ही नहीं हुआ । अशोक अग्रवाल के पास हालाँकि विकल्प भी बहुत सीमित थे । सीमित विकल्पों के बीच, अशोक अग्रवाल उन मुकेश अरनेजा को भी डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर बनाने के लिए तैयार हो गए थे - जिन्होंने उनके चुनाव में उनकी उम्मीदवारी का जमकर विरोध किया था, और हर संभव तरीके से उन्हें हरवाने का प्रयास किया था । अशोक अग्रवाल की बदकिस्मती ही रही कि डिस्ट्रिक्ट के 'परमानेंट डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर' का ख़िताब पा चुके मुकेश अरनेजा ने भी उनके गवर्नर-वर्ष में डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर बनने से इंकार कर दिया । हर तरफ से निराश होकर अशोक अग्रवाल ने फिर जेके गौड़ को ही डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर का पद थमा दिया । लोगों को लग रहा है कि डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर का पद स्वीकार करके जेके गौड़ की तरफ से भी लोगों को संदेश मिला है कि जैसे उन्होंने स्वीकार कर लिया है कि एमएलसी स्नातक सीट पर तो चुनाव जीतना उनके लिए मुश्किल ही होगा, और इसलिए उन्होंने रोटरी में डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर का पद अपने लिए सुरक्षित कर लिया है । 
इस बात पर डिस्ट्रिक्ट के लोगों को लेकिन हैरानी है कि अशोक अग्रवाल के गवर्नर वर्ष में डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर बनने के लिए और कोई - यहाँ तक कि मुकेश अरनेजा भी - राजी क्यों नहीं हुआ ? अशोक अग्रवाल के नजदीकियों के अनुसार, इसका कारण उनका पूर्व गवर्नर रमेश अग्रवाल के साथ किया गया व्यवहार जिम्मेदार है । उल्लेखनीय है कि रमेश अग्रवाल को जेके गौड़ के गवर्नर-वर्ष में डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर बनाया गया था; लेकिन काम पूरा हो जाने के बाद जेके गौड़ और उनके सहयोगी के रूप में अशोक अग्रवाल ने रमेश अग्रवाल की जमकर लानत-मलामत की । जेके गौड़ और अशोक अग्रवाल की इस हरकत को अहसानफरामोशी के रूप में देखा/पहचाना गया और माना/कहा गया कि अपना काम निकालने के लिए तो यह किसी को भी भाई-बाप बना लेते हैं, और काम निकलने के बाद उसे धिक्कारने लगते हैं । रमेश अग्रवाल के साथ इन्होंने यही किया । हालाँकि इनका कहना था कि रमेश अग्रवाल ने डिस्ट्रिक्ट ट्रेनरी करते हुए इन्हें तरह तरह से परेशान और अपमानित किया और लगातार इनके साथ बदतमीजी करते रहे - और इसीलिए रमेश अग्रवाल के खिलाफ इनका गुस्सा फूटा । लोगों का कहना लेकिन यह रहा कि रमेश अग्रवाल 'ऐसे' ही हैं, क्या यह बात इन्हें पहले से पता नहीं थी, और या क्या इन्होंने यह सोचा था कि हर किसी से बदतमीजी करने वाले आदतन बद्तमीज रमेश अग्रवाल इन्हें बख़्श देंगे और इनके साथ बदतमीजी नहीं करेंगे । रमेश अग्रवाल ने तो वही किया, जिसके लिए वह (कु)ख्यात हैं । इन्होंने क्या किया - इन्हें जब लगा कि रमेश अग्रवाल इन्हें परेशान और अपमानित कर रहे हैं, तब इन्होंने रमेश अग्रवाल का साथ क्यों नहीं छोड़ दिया था ? इन्हें पता ही था कि डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर के रूप में मुकेश अरनेजा ने जब अमित जैन को परेशान करना शुरू किया था, तब अमित जैन ने मुकेश अरनेजा को डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर के पद से हटा दिया था । यह भी रमेश अग्रवाल को डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर के पद से हटा कर उनकी बदतमीजियों का शिकार होने से बच सकते थे । जेके गौड़ और अशोक अग्रवाल की जोड़ी ने ऐसा नहीं किया; इन्होंने किया यह कि पहले तो अपना काम निकाला/बनाया और फिर तुरंत ही रमेश अग्रवाल को धिक्कारने लगे । उसी प्रसंग को ध्यान में रखते हुए चूँकि अन्य कोई पूर्व गवर्नर अशोक अग्रवाल का डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर बनने को तैयार नहीं हुआ, और इंकार करते करते जेके गौड़ ही डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर बना दिए गए हैं । इससे लेकिन एमएलसी स्नातक बनने की जेके गौड़ की तैयारी को झटका लगा है ।