Friday, September 4, 2015

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3080 में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में राजा साबू ने टीके रूबी को ही नहीं हराया, डिस्ट्रिक्ट के रोटेरियंस तथा रोटरी को भी औकात बता दी है; और बेचारे इंटरनेशनल प्रेसीडेंट केआर रवींद्रन की तो मिट्टी ही कूट दी है - और इस तरह रोटरी के इतिहास में उन्होंने एक विलक्षण अध्याय जोड़ा है

चंडीगढ़ । राजेंद्र उर्फ़ राजा साबू के नेतृत्व में डिस्ट्रिक्ट के पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स ने एक बड़ी लड़ाई जीती है, पर उनके बीच जीतने की खुशी कहीं दिखाई नहीं दे रही है । अजीब बात यह है कि इस जीत का नेतृत्व करने वाले राजा साबू और उनके संगी-साथी पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स जीत की खुशी मनाने और जीत की बधाई तक लेने से बचते हुए दिखे हैं । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए करीब छह महीने से चली आ रही लड़ाई के नतीजे से जो लोग सचमुच खुश हैं, उनकी बदकिस्मती यह रही कि उन्होंने अपनी खुशी में राजा साबू तथा अन्य पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स को शामिल करने का प्रयास किया भी, तो उन्हें उपेक्षा का ही सामना करना पड़ा है । ऐसा लगता है कि इस जीत के लिए व्यूह रचना तैयार करने वाले राजा साबू और उनके गिरोह के लोगों को भी 'पता' है कि इस जीत के बावजूद रोटेरियंस के बीच उनकी चमक फीकी पड़ी है, रोटेरियंस के बीच उनका सम्मान घटा है - और सिर्फ डिस्ट्रिक्ट में ही नहीं, बल्कि दूसरे डिस्ट्रिक्ट्स के लोगों के बीच भी उनकी जमकर थू थू हो रही है । यह जानने के कारण ही उनमें इस जीत को लेकर न कोई खुशी है और न कोई उत्साह । कुछ लोगों को लगता है कि इस जीत को पाने के लिए इन्हें जो जो (कु)कर्म करने पड़े, उन्हें लेकर इन्हें आत्मग्लानि भी है; पर कई अन्य लोगों का कहना है कि आत्मग्लानि इन्हें नहीं होगी - यदि इसका कोई अहसास भी इन्हें होता, तो इतने (कु)कर्म यह करते ही क्यों ?
कहते हैं कि सफलता हर घाव भर देती है । रोटरी में भी जब भी कोई नतीजा आता/निकलता है, तो अपने साथ आरोपों-प्रत्यारोपों को भी लाता ही है - किंतु देखने में आता है कि फिर जल्दी ही सब सामान्य हो जाता है, और लोग सफलता पाने वाले के साथ आ खड़े होते हैं । लेकिन राजा साबू के नेतृत्व में लड़ी गई लड़ाई में जीत पाने के बाद भी खुशी की बजाए जैसा मातम पसरा हुआ है, उससे साफ लग रहा है कि खुद 'जीतने' वालों को भी लग रहा है कि वह जीत जरूर गए है, पर इस जीत के सही 'हकदार' वह नहीं हैं । मनुष्य के साथ सबसे बड़ी समस्या यही है कि वह दूसरों से तो झूठ बोल सकता है, किंतु अपने आप से झूठ नहीं बोल पाता । जीत के बाद भी जीत में मुख्य भूमिका निभाने वाले मनुष्य जीत की खुशी नहीं मना पा रहे हैं, तो इसका कारण सिर्फ यही है कि वह भी जान रहे हैं कि उनकी यह जीत एक नकली जीत है - और इसे पाने के लिए उन्होंने खोया ज्यादा है । जो खोया है, उसका अहसास और उसकी समझ ही उन्हें जीत की खुशी में शामिल होने से रोक रही है । 
और यह हाल तब है, जब 'यह जीत' कोई सामान्य जीत नहीं है - बल्कि एक बहुउउउउउउउउउउउउउउउत बड़ी जीत है । राजा साबू और उनके गिरोह ने सिर्फ डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद का चुनाव ही नहीं जीता है; उन्होंने नोमीनेटिंग कमेटी द्वारा चुने गए अधिकृत उम्मीदवार टीके रूबी को ही नहीं हराया है - उन्होंने डिस्ट्रिक्ट के रोटेरियंस तथा रोटरी के नियम-कानूनों व आदर्शों को भी हराया है; और एक तरह से डिस्ट्रिक्ट के रोटेरियंस व रोटरी को उनकी 'औकात' दिखाई है । राजा साबू और उनके गिरोह के पूर्व गवर्नर्स की यह जीत इसलिए भी बड़ी जीत है, क्योंकि इस जीत के जरिए उन्होंने बेचारे इंटरनेशनल प्रेसीडेंट केआर रवींद्रन की तो मिट्टी ही कूट दी है । राजा साबू ने दिखा/बता दिया है कि रोटरी में उन्हें 'राजा' सिर्फ नाम के लिए ही नहीं कहा जाता है - उनके सामने यदि डिस्ट्रिक्ट के रोटेरियंस आयेंगे, रोटरी के नियम-कानून आयेंगे और यदि खुद रोटरी के इंटरनेशनल प्रेसीडेंट भी आयेंगे; तो वह उन्हें भी 'पीट' कर अपना लक्ष्य हासिल करेंगे । दरअसल, राजा साबू को यह बात बिलकुल पसंद नहीं आई कि डिस्ट्रिक्ट के लोगों ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी चुनने में उनकी पसंद को अनदेखा किया; राजा साबू ने इस बात की जरा भी परवाह नहीं की कि डिस्ट्रिक्ट के लोगों द्वारा लिए गए फैसले को बदलने की उनकी कोशिश में खुद उनके ही द्वारा तय किए गए मानदंड व रोटरी के नियम-कानूनों की बलि चढ़ रही है; और राजा साबू ने इस बात को तो तवज्जो देने लायक भी नहीं समझा कि इंटरनेशनल प्रेसीडेंट केआर रवींद्रन ने रोटरी की चुनावी राजनीति में रोटरी गवर्नर्स की सक्रिय भूमिका को हतोत्साहित करने के लिए अभियान छेड़ा हुआ है, और साफ घोषणा की हुई है कि जो कोई चुनावी राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाता हुआ मिलेगा, उसके खिलाफ वह कड़ी कार्रवाई करेंगे । राजा साबू जानते हैं कि केआर रवींद्रन कह चाहें जो रहे हों, उनकी 'औकात' है नहीं कि उनके और उनके साथी गवर्नर्स के खिलाफ कोई कार्रवाई कर सकें ।
राजा साबू के नेतृत्व में प्राप्त की गई यह जीत वास्तव में रोटरी के इतिहास में सिर्फ इसीलिए याद रखी जाएगी, क्योंकि इस जीत में रोटरी इंटरनेशनल प्रेसीडेंट की सार्वजनिक तौर पर हुई फजीहत का तथ्य मौजूद है । रोटरी के इतिहास की यह एक विलक्षण घटना है जिसमें रोटरी के एक पूर्व प्रेसीडेंट राजा साबू ने मौजूदा प्रेसीडेंट केआर रवींद्रन की खुलेआम मिट्टी कूटी । दरअसल इसी कारण से राजा साबू के नेतृत्व में मिली यह जीत एक बड़ी जीत हो जाती है, लेकिन जो राजा साबू को बहुत 'छोटा' बना देती है । छोटेपन का यही अहसास राजा साबू और उनके साथी गवर्नर्स को जीत की खुशी मनाने से रोक रहा है । 
राजा साबू के सामने एक समस्या और है । उन्हें संकेत मिल रहे हैं कि टीके रूबी का क्लब - रोटरी क्लब हिमालयन रेंजेस मनसादेवी, खुली बेईमानी से हुए इस चुनावी नतीजे को स्वीकार नहीं करेगा, और रोटरी ने विरोध दर्ज कराने के जो अधिकार दिए हैं, उनका इस्तेमाल करते हुए रोटरी इंटरनेशनल में इस जीत के खिलाफ अपील करेगा । उल्लेखनीय है कि टीके रूबी के क्लब को पहले भी, राजा साबू के दिशा-निर्देशन में लिए गए मनमाने और बेईमानीपूर्ण फैसले के खिलाफ न्याय मिला है; इसलिए राजा साबू और उनके गिरोह के लोगों को डर है कि उनकी बेईमानीपूर्ण कारस्तानियों को रोटरी इंटरनेशनल ने यदि 'पकड़' लिया और इस जीत के फैसले को पलट दिया - तो उनके लिए तो 'प्याज भी खाने और जूते भी खाने' वाला किस्सा हो जायेगा । वास्तव में, इसी डर के चलते राजा साबू और उनके गिरोह के लोग एक बड़ी जीत हासिल करने के बावजूद जीत की खुशी मनाने से दूर बने हुए हैं ।