Wednesday, September 30, 2015

रोटरी इंटरनेशनल डायरेक्टर पद पर बास्कर चॉकलिंगम् को जितवा कर पीटी प्रभाकर ने वास्तव में इंटरनेशनल प्रेसीडेंट केआर रवींद्रन को तगड़ा वाला झटका दिया है

चेन्नई । पीटी प्रभाकर ने बास्कर चॉकलिंगम् को इंटरनेशनल डायरेक्टर चुनवा कर रोटरी इंटरनेशनल प्रेसीडेंट केआर रवींद्रन को जो तगड़ी राजनीतिक चोट दी है, उससे केआर रवींद्रन के सहारे रोटरी में आगे बढ़ने वाले नेताओं के बीच खासी खलबली मच गई है । पीटी प्रभाकर के उम्मीदवार के रूप में डिस्ट्रिक्ट 3000 के बास्कर चॉकलिंगम् इंटरनेशनल डायरेक्टर न सिर्फ चुने गए हैं, बल्कि अच्छे मार्जन से चुने गए हैं - और इसी तथ्य ने रोटरी की राजनीति में उनका कद बढ़ा दिया है, तथा केआर रवींद्रन के भरोसे रहने वाले नेताओं के लिए समस्या खड़ी कर दी है । बास्कर चॉकलिंगम् की जीत को वास्तव में पीटी प्रभाकर की जीत और केआर रवींद्रन की हार के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है । उल्लेखनीय है कि इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए केआर रवींद्रन डिस्ट्रिक्ट 3201 के सुनील जचारिया का समर्थन कर रहे थे; और उन्होंने अपने कई नजदीकियों को सुनील जचारिया के लिए समर्थन जुटाने के काम पर लगाया हुआ था । इसके बावजूद 15 सदस्यों वाली नोमीनेटिंग कमेटी में सुनील जचारिया को सिर्फ तीन वोट मिले । सुनील जचारिया की इतनी बुरी हार की उम्मीद उनके विरोधियों को भी नहीं थी । इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए प्रस्तुत उनकी उम्मीदवारी को इंटरनेशनल प्रेसीडेंट केआर रवींद्रन के खुले समर्थन को देखते हुए उम्मीद की जा रही थी कि वह बास्कर चॉकलिंगम् को अच्छी टक्कर देंगे, लेकिन केआर रवींद्रन का खुला समर्थन उनके किसी काम नहीं आया । केआर रवींद्रन के नजदीकियों के अनुसार, केआर रवींद्रन ने सुनील जचारिया की इस हार के लिए राजा साबू, कल्याण बनर्जी, शेखर मेहता, मनोज देसाई आदि से मिले धोखे को जिम्मेदार ठहराया है ।  
इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए यूँ तो बास्कर चॉकलिंगम् की स्थिति काफी मजबूत मानी जा रही थी । पीटी प्रभाकर जब इंटरनेशनल डायरेक्टर थे, तभी से वह बास्कर चॉकलिंगम् की उम्मीदवारी के पक्ष में माहौल बनाने में जुटे हुए थे; और अपने कई कार्यक्रमों में उन्हें आगे आगे किए हुए थे । पीटी प्रभाकर और बास्कर चॉकलिंगम् का रिश्ता काफी पुराना है । पीटी प्रभाकर जब इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के उम्मीदवार थे, तब बास्कर चॉकलिंगम् ने उनके लिए खूब काम किया था । पीटी प्रभाकर के चुनाव की बागडोर एक तरह से बास्कर चॉकलिंगम् के हाथ  थी । उसी समय से चर्चा थी कि अपने जोन में पीटी प्रभाकर अपने बाद बास्कर चॉकलिंगम् को ही इंटरनेशनल डायरेक्टर बनवायेंगे । इस तरह की चर्चाओं और तैयारियों के कारण ही इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए बास्कर चॉकलिंगम् का पलड़ा भारी दिख रहा था । किंतु सुनील जचारिया की उम्मीदवारी को इंटरनेशनल प्रेसीडेंट केआर रवींद्रन का समर्थन मिलने से बास्कर चॉकलिंगम् के लिए स्थिति थोड़ी मुश्किल होती दिखने लगी थी । पीटी प्रभाकर और केआर रवींद्रन के संबंध चूँकि अच्छे नहीं रहे हैं, इसलिए केआर रवींद्रन के लिए पीटी प्रभाकर के उम्मीदवार के रूप में पहचाने जाने वाले बास्कर चॉकलिंगम् को चुनाव हरवाना साख का मामला बन गया । इसके चलते मुख्यतः बास्कर चॉकलिंगम् व सुनील जचारिया के बीच होने वाले इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव को दिलचस्पी के साथ देखा जाने लगा था । 
केआर रवींद्रन की पक्षपातपूर्ण सक्रियता के कारण सुनील जचारिया की उम्मीदवारी में दम पैदा होता हुआ देखा जाने लगा था । इसका कारण भी है । रोटरी की चुनावी राजनीति मूलतः निजी स्वार्थों पर टिकी नजर आती है । इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए अधिकृत उम्मीदवार का चयन करने वाली नोमीनेटिंग कमेटी में डिस्ट्रिक्ट्स के महत्वाकांक्षी पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स होते हैं, जिनके बारे में माना/कहा जाता है कि जो इंटरनेशनल असाइनमेंट के बदले में अपना वोट 'बेचने' के लिए तैयार रहते हैं । इसी बिना पर माना जा रहा था कि केआर रवींद्रन अवश्य ही सुनील जचारिया के लिए पर्याप्त वोटों की व्यवस्था कर लेंगे । लेकिन चुनावी नतीजा आया तो पता चला कि केआर रवींद्रन का इंटरनेशनल प्रेसीडेंट होना और इंटरनेशनल प्रेसीडेंट के रूप में उनका समर्थन भी सुनील जचारिया के काम नहीं आया । अब इसका कारण यह माना/बताया जा रहा है कि केआर रवींद्रन ने पीटी प्रभाकर की राजनीतिक ताकत को कम करके आँका और सुनील जचारिया के लिए समर्थन जुटाने की व्यवस्था करने में चूक की ।
केआर रवींद्रन के नजदीकियों का कहना है कि केआर रवींद्रन ने सुनील जचारिया की हार के लिए राजा साबू, कल्याण बनर्जी, शेखर मेहता, मनोज देसाई आदि को जिम्मेदार ठहराया है । इस मामले में केआर रवींद्रन मौजूदा इंटरनेशनल डायरेक्टर मनोज देसाई से तो बुरी तरह खफा बताए जा रहे हैं । उनका कहना है कि सुनील जचारिया के लिए समर्थन जुटाने हेतु उन्होंने इन बड़े नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी थी, जिसका इन्होंने ठीक से निर्वाह नहीं किया । केआर रवींद्रन ने अपने नजदीकियों के बीच मनोज देसाई के रवैये को लेकर तो भारी नाराजगी दिखाई है । उनका कहना रहा है कि मनोज देसाई यदि ठीक से काम करते, तो सुनील जचारिया के लिए जीतने लायक समर्थन जुटाया जा सकता था । मनोज देसाई तथा बाकी नेताओं की तरफ से अपनी अपनी सफाई में कहा जा रहा है कि दक्षिण भारत के डिस्ट्रिक्ट्स में उनका कोई खास दखल नहीं है, और वहाँ की चुनावी राजनीति के समीकरण उनकी समझ और उनकी कार्यनीति से बिलकुल बाहर हैं; इसलिए बहुत चाहने और करने की कोशिश करने के बाद भी उनके लिए कुछ कर पाना संभव नहीं हो सका । इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव में सुनील जचारिया की हार से इंटरनेशनल प्रेसीडेंट केआर रवींद्रन की जो भद्द पिटी है, और पीटी प्रभाकर की जो धाक जमी है - उसे देख कर केआर रवींद्रन के सहारे और भरोसे रोटरी में आगे बढ़ने की कोशिशें करने वाले रोटरी नेताओं को खासा तगड़ा झटका लगा है ।