Thursday, September 3, 2015

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 में मुकेश अरनेजा की अपनी अहमियत दिखाने की कोशिशों ने दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी को प्रमोट करने के उद्देश्य से बहुत मेहनत करके आयोजित किए गए कार्यक्रम पर पानी फेरा

गाजियाबाद । रोटरी क्लब गाजियाबाद के चार्टर दिवस कार्यक्रम में गैर-जरूरी भूमिका निभा कर पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर मुकेश अरनेजा ने न सिर्फ क्लब के लोगों को नाराज किया, बल्कि कार्यक्रम में शामिल हुए लोगों को झिकाया भी - और मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम में पधारे पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर सुशील गुप्ता से खुद फटकार भी सुनी । कार्यक्रम में शामिल हुए लोगों के रिएक्शन में एक यह बात प्रमुखता से रेखांकित हुई है कि बहुत मेहनत और तैयारी से आयोजित किए गए कार्यक्रम का मुकेश अरनेजा ने अपनी टुच्ची कारस्तानियों से नाश मार दिया । उल्लेखनीय है कि अन्य कई पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स के साथ मुकेश अरनेजा भी अतिथि के रूप में कार्यक्रम में आमंत्रित थे, और उनके अलावा अन्य बहुत से पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स भी कार्यक्रम में मौजूद थे - लेकिन एक अकेले मुकेश अरनेजा ही थे जो बार-बार अपनी कुर्सी से उठ खड़े होकर कभी एमओसी को तो कभी क्लब के दूसरे पदाधिकारियों को हिदायतें दे रहे थे; और अपनी इस हरकत से कार्यक्रम को वास्तव में डिस्टर्ब ही कर रहे थे । मुकेश अरनेजा की इस हरकत से खीझ रहे लोग तरह तरह की टिप्पणियाँ भी कर रहे थे - किसी को कहते सुना गया कि 'इसकी कुर्सी में चीटियाँ तो नहीं है जिनके काटने से यह कुर्सी से बार-बार उठ रहा है'; तो किसी ने फब्ती कसी कि 'इसने क्या रोटरी क्लब गाजियाबाद ज्वाइन कर लिया है' । मुकेश अरनेजा की हरकत से खीझ कर एक मौके पर तो मुख्य अतिथि की भूमिका निभा रहे पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर सुशील गुप्ता तक ने मुकेश अरनेजा को फटकारा कि 'तुम मत बोलो, क्लब के पदाधिकारियों को जबाव देने दो ।' लेकिन अपनी बेशर्मी के लिए (कु)ख्यात मुकेश अरनेजा पर लोगों की फब्तियों और सुशील गुप्ता की फटकार का कोई असर नहीं पड़ा ।
मुकेश अरनेजा की हरकतों से रोटरी क्लब गाजियाबाद के पदाधिकारियों ने तो अपने आप को बहुत अपमानित तक महसूस किया । खासकर कार्यक्रम में एमओसी की भूमिका निभा रहे सचिन वत्स ने ! मुकेश अरनेजा द्वारा बार बार टोके जाने से क्षुब्ध और अपमानित महसूस कर रहे सचिन वत्स ने एक मौके पर तो क्लब के पदाधिकारियों से यहाँ तक कह दिया कि यह काम किसी और से करा लो - तब क्लब के वरिष्ठ सदस्य अनिल अग्रवाल ने हस्तक्षेप करके मामले को संभाला । दरअसल एमओसी के रूप में सचिन वत्स जो कुछ कह/कर रहे थे, उसमें कमियाँ/खामियाँ निकालते हुए मुकेश अरनेजा उनके कहे/किए को बार बार संशोधित कर रहे थे - और लोगों के सामने ऐसा जता/दिखा रहे थे कि सचिन वत्स को तो कुछ पता ही नहीं है और वह जो कुछ भी कह/कर रहे हैं, वह सब गलत-सलत है । मुकेश अरनेजा द्वारा बार-बार टोके जाने से अपमानित महसूस करते हुए सचिन वत्स ने एमओसी की जिम्मेदारी छोड़ देने की बात की, तो अनिल अग्रवाल आगे आए और उन्होंने लोगों को बताया कि सचिन वत्स की बातों में जो गलतियां हो रही हैं, वह वास्तव में स्क्रिप्ट का हिस्सा हैं - यानि यह गलतियाँ जानबूझ कर की जा रही हैं, ताकि कार्यक्रम में लोगों की दिलचस्पी और संलग्नता को बनाए रखा जा सके । इस पर रोटरी क्लब गाजियाबाद के ही कुछेक लोगों को अनिल अग्रवाल से कहते हुए सुना गया कि यह बात मुकेश अरनेजा को बताओ और उससे कहो कि जैसे दूसरे लोग चुपचाप बैठे कार्रवाई देख/सुन रहे हैं, वैसे ही वह भी देखे/सुने और कार्यक्रम में बंदर की तरह उछल-कूद न करे ।
मुकेश अरनेजा ने बदतमीजी की हद तो लेकिन तब पार की जब चार्टर दिवस के मौके पर क्लब की उपलब्धियों व भावी योजनाओं को लेकर हो रही बातों में सवालों के जबाव देने से उन्होंने क्लब के पदाधिकारियों को रोका और खुद जबाव देने लगे । यह देख कर सुशील गुप्ता ने उन्हें कस कर फटकारा और कहा कि क्लब से जुड़े मामलों में क्लब के पदाधिकारियों को बोलने दो । इस फटकार का मुकेश अरनेजा पर थोड़ी देर के लिए तो असर दिखा, लेकिन जल्दी ही फिर वह अपनी 'औकात' पर आ गए । मुकेश अरनेजा की हरकतों से माहौल इतना तनावपूर्ण हो गया था कि सुशील गुप्ता का जब बोलने का नंबर आया तो अपनी बात उन्होंने यह कहते हुए शुरू की कि मैं तो इस तरह के कार्यक्रमों में आता ही नहीं हूँ, क्योंकि अपने अनुभव से मैं जानता हूँ कि इस तरह के कार्यक्रमों में माहौल काम की कोई बात करने का होता ही नहीं है । सुशील गुप्ता ने चार्टर दिवस के कार्यक्रम को चुनावी मीटिंग बना देने के आईडिया की भी आलोचना की । कार्यक्रम का मुख्य अतिथि यदि इस तरह की बात करे, तो समझा जा सकता है कि कार्यक्रम का माहौल क्या बना/रहा होगा । कार्यक्रम में मौजूद रहे लोगों ने अच्छे भले और खासी मेहनत से तैयार किए गए कार्यक्रम को बर्बाद करने के लिए मुकेश अरनेजा को जिम्मेदार ठहराया है । मुकेश अरनेजा की जिन हरकतों ने कार्यक्रम को बर्बाद किया, वह हरकतें उन्होंने कोई बड़ा लक्ष्य पाने के लिए नहीं की - बल्कि अपने आप को ज्यादा 'होशियार' दिखाने तथा रोटरी क्लब गाजियाबाद के ज्यादा नजदीक 'दिखाने' के लिए कीं; और उनकी हरकतों ने रोटरी क्लब गाजियाबाद के पदाधिकारियों को ही अपमानित किया तथा उनके कार्यक्रम को बर्बाद किया ।
रोटरी क्लब गाजियाबाद के इस कार्यक्रम का एक प्रमुख उद्देश्य क्लब के वरिष्ठ सदस्य दीपक गुप्ता की अचानक से प्रस्तुत हुई उम्मीदवारी का प्रमोशन भी था - इस तरह मुकेश अरनेजा की हरकतों ने कार्यक्रम को ही बर्बाद नहीं किया, दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के प्रमोशन में ही पलीता लगा दिया । यह हाल तब हुआ, जबकि दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी को उकसाने में मुकेश अरनेजा का ही हाथ सुना/बताया जाता है । अधिकतर लोगों का शुरू से ही मानना और कहना रहा है कि मुकेश अरनेजा को दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी से कोई मतलब नहीं हैं; उन्होंने तो अपनी राजनीति के लिए मौका 'बनाने' खातिर दीपक गुप्ता को उम्मीदवारी के लिए उकसाया है और उनके मददगार होने का दिखावा कर रहे हैं । इस कार्यक्रम को मुकेश अरनेजा ने अपनी चालबाजी से कैसे बर्बाद किया, इसका एक उदाहरण तो क्लब के पदाधिकारियों ने ही दिया - उनके अनुसार, कार्यक्रम की तैयारी मुकेश अरनेजा के निर्देशन में ही तैयार हुई और आमंत्रितों की सूची मुकेश अरनेजा ने ही तैयार करवाई । सूची के हिसाब से ही हॉल चुना गया । मुकेश अरनेजा किंतु ऐन मौके तक सूची में आमंत्रितों के नाम जोड़ते गए और सूची बढ़वाते गए । इसका नतीजा यह हुआ कि जितने लोगों के लिए इंतजाम किया गया था, लोग उससे ज्यादा आ गए और कार्यक्रम में अव्यवस्था फैली । कार्यक्रम की जगह छोटी पड़ी, और आमंत्रितों को बैठने तक के लिए जगह नहीं मिली । कई लोगों ने खाना न मिलने की शिकायत की और बिना खाना खाए लौटने को लेकर अपना असंतोष व्यक्त किया । इससे क्लब की तो बदनामी हुई ही, दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के प्रमोशन की भी बुरी गत बनी । कुछ लोगों का कहना है कि मुकेश अरनेजा ने आमंत्रितों की संख्या बढ़ाने का काम जानबूझ कर किया, जिससे कि अव्यवस्था फैले और दीपक गुप्ता की मेहनत पर पानी फिरे ।
मुकेश अरनेजा ने एक और 'बदमाशी' की - उन्होंने कार्यक्रम की तैयारी करते हुए ऐसे हालात बनाए कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर जेके गौड़ और डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर रमेश अग्रवाल ने अपने आप को इस कार्यक्रम से अलग-थलग रखा और इसमें शामिल नहीं हुए । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट शरत जैन भी मुकेश अरनेजा के रवैये से इतने क्षुब्ध थे कि कार्यक्रम में अनमने से ही रहे । एक मौके पर उनकी उपस्थिति दिखाने के लिए उनका नाम पुकारा गया, किंतु वह दाएँ-बाएँ हो गए और मौके पर पहुँचे ही नहीं । डिस्ट्रिक्ट 3011 के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुधीर मंगला तथा कई पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर कार्यक्रम में खूब सक्रिय दिखे - जिस पर कई लोगों ने मुकेश अरनेजा से यह पूछ कर चुस्की भी ली कि 'दीपक को क्या डिस्ट्रिक्ट 3011 में चुनाव लड़वा रहे हो ?' दूसरे डिस्ट्रिक्ट के लोगों की उपस्थिति को संभव बनवा कर मुकेश अरनेजा अपना 'जलवा' दिखलाने में तो कामयाब रहे - किंतु दीपक गुप्ता को इससे क्या फायदा हुआ ? जाहिर है कि दीपक गुप्ता की 'कीमत' पर मुकेश अरनेजा ने खुद को प्रमोट करने का अवसर पा लिया है । इस तरह यह आरोप एक बार फिर सच साबित होता हुआ दिखा है कि दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी को उन्होंने अपना 'दूसरा' मकसद साधने के लिए उकसाया है और वह नहीं चाहते हैं कि दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी सचमुच में लोगों के बीच अपनी कोई जगह बनाए । अन्य कुछेक लोगों का कहना लेकिन यह भी है कि मुकेश अरनेजा दरअसल बहुत ही कन्फ्यूज किस्म का व्यक्ति है - वह कोई काम करता तो यह सोच कर है कि वह बड़ी अक्लमंदी कर रहा है, किंतु अंततः वह उसकी मूर्खता साबित होता है । ऐसा कहने वालों का तर्क है कि जो मुकेश अरनेजा अपनी तमाम तिकड़मों से अपना खुद का भला नहीं कर सका - और अपने क्लब में तथा अपने पारिवारिक बिजनेस में 'पिटा', वह भला दूसरे किसी का क्या फायदा करवा सकेगा ? रोटरी क्लब गाजियाबाद का कार्यक्रम क्लब के पदाधिकारियों की तमाम मेहनत के बावजूद - मुकेश अरनेजा की चालबाजी का शिकार बना, या उनकी मूर्खता का; इस पर बहस करके रोटरी क्लब गाजियाबाद व दीपक गुप्ता के हुए नुकसान की भरपाई तो नहीं की जा सकती - लेकिन इस बहस के चलते लोगों के बीच एक नसीहत जरूर चर्चा में आई है, और वह यह कि दीपक गुप्ता जितनी जल्दी मुकेश अरनेजा के चँगुल से बाहर निकलेंगे, उतना ही अपना खुद का भला करेंगे ।