चंडीगढ़ । इंटरनेशनल डायरेक्टर मनोज देसाई ने 27 सितंबर को पंचकुला में प्रस्तावित इंटरसिटी में न आने की धमकी देकर डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनावी चक्कर में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर डेविड हिल्टन को सांसत में डाल दिया है, और इस कारण तीन सितंबर के तयशुदा कार्यक्रम के एजेंडे पर पुनर्विचार के लिए डेविड हिल्टन दो सितंबर को मीटिंग करने के लिए मजबूर हुए हैं । उल्लेखनीय है कि रोटरी इंडिया लिटरेसी मिशन को लेकर 27 सितंबर को पंचकुला में डिस्ट्रिक्ट 3080 की एक विशेष इंटरसिटी का आयोजन किया गया है, जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में इंटरनेशनल डायरेक्टर मनोज देसाई ने आने/पहुँचने के लिए अपनी स्वीकृति दी हुई है । मनोज देसाई ने इस बीच लेकिन डिस्ट्रिक्ट गवर्नर डेविड हिल्टन को साफ बता दिया है कि 27 सितंबर तक उनके डिस्ट्रिक्ट में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी घोषित हो जाना चाहिए और उस संदर्भ में कोई विवाद या झगड़ा बचा नहीं रहना चाहिए, अन्यथा मैं इंटरसिटी में नहीं आऊँगा । मनोज देसाई के इस निर्देश के बारे में डेविड हिल्टन ने डिस्ट्रिक्ट के 'चीफ कमांडर' राजेंद्र उर्फ़ राजा साबू तथा 'सेकेंड इन लाइन टू द चीफ कमांडर' यश पाल दास को अवगत करा दिया है । मनोज देसाई के इस निर्देश पर दोनों 'कमांडरों' का क्या रिएक्शन रहा, यह तो पता नहीं चल सका है - लेकिन इतना जरूर पता चला है कि इन दोनों से बात करने के बाद डिस्ट्रिक्ट गवर्नर डेविड हिल्टन ने तीन सितंबर के कार्यक्रम के एजेंडे पर पुनर्विचार के लिए दो सितंबर को अपने घर पर अपनी कोर टीम के सदस्यों की एक अनौपचारिक मीटिंग बुलाई है ।
मनोज देसाई की धमकी ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर डेविड हिल्टन तथा दोनों 'कमांडरों' के सामने गंभीर संकट खड़ा कर दिया है । इंटरनेशनल प्रेसीडेंट केआर रवींद्रन के बाद यदि मनोज देसाई ने भी राजा साबू के डिस्ट्रिक्ट के किसी आयोजन में आने से सचमुच इंकार कर दिया, तो डिस्ट्रिक्ट के लिए यह बहुत ही बदनामी की बात होगी । उल्लेखनीय है कि अगस्त महीने के पहले-दूसरे सप्ताह में इंटरनेशनल प्रेसीडेंट केआर रवींद्रन जब भारत के दौरे पर थे, तब राजा साबू की मदद से डेविड हिल्टन ने डिस्ट्रिक्ट में उनका एक कार्यक्रम करवाने का प्रयास किया था; किंतु केआर रवींद्रन ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव को लेकर चल रहे झगड़े का हवाला देते हुए डिस्ट्रिक्ट के किसी कार्यक्रम में शामिल होने से साफ इंकार कर दिया था । अब मनोज देसाई को भी केआर रवींद्रन के पदचिन्हों पर चलता देख कर डेविड हिल्टन और राजा साबू को - लगता है कि कुछ चिंता हुई है ।
मनोज देसाई की धमकी ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर डेविड हिल्टन तथा दोनों 'कमांडरों' के सामने गंभीर संकट खड़ा कर दिया है । इंटरनेशनल प्रेसीडेंट केआर रवींद्रन के बाद यदि मनोज देसाई ने भी राजा साबू के डिस्ट्रिक्ट के किसी आयोजन में आने से सचमुच इंकार कर दिया, तो डिस्ट्रिक्ट के लिए यह बहुत ही बदनामी की बात होगी । उल्लेखनीय है कि अगस्त महीने के पहले-दूसरे सप्ताह में इंटरनेशनल प्रेसीडेंट केआर रवींद्रन जब भारत के दौरे पर थे, तब राजा साबू की मदद से डेविड हिल्टन ने डिस्ट्रिक्ट में उनका एक कार्यक्रम करवाने का प्रयास किया था; किंतु केआर रवींद्रन ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव को लेकर चल रहे झगड़े का हवाला देते हुए डिस्ट्रिक्ट के किसी कार्यक्रम में शामिल होने से साफ इंकार कर दिया था । अब मनोज देसाई को भी केआर रवींद्रन के पदचिन्हों पर चलता देख कर डेविड हिल्टन और राजा साबू को - लगता है कि कुछ चिंता हुई है ।
पर चिंता में वह करें क्या, यह उन्हें सचमुच समझ नहीं आ रहा है - क्योंकि विकल्प उनके पास बहुत सीमित हैं । विकल्प उनके पास शायद कोई है ही नहीं । दरअसल विकल्प के सभी खिड़की-दरवाजे उन्होंने खुद ही बंद कर लिए हैं । हमारे यहाँ संतों की एक बड़ी सीख यह रही है कि अहंकार जब सिर पर सवार होता है, तो सबसे पहले वह बुद्धि नष्ट करता है । राजा साबू की एक बड़ी छोटी सी अहंकारपूर्ण चाहत रही है कि उनके डिस्ट्रिक्ट में गवर्नर वही बने, जिसे वह चाहें । उनकी इस अहंकारपूर्ण चाहत को इस बार ठेस लगी, तो फिर उन्होंने अपने दिशा-निर्देशन में जो जो काम किए/करवाएँ - उससे न सिर्फ रोटरी व डिस्ट्रिक्ट को बल्कि खुद उन्हें भी लज्जित होना पड़ा है । बहुत से लोगों को आश्चर्य है कि अपनी पसंद का गवर्नर बनवाने के लिए राजा साबू को आखिर इस हद तक नीचा गिरने की जरूरत क्यों पड़ी ? लेकिन यह आश्चर्य उन्हीं लोगों को है जिन्होंने संतों की उस सीख को नहीं पढ़ा/जाना है जिसमें अहंकार के बुद्धि नष्ट कर देने की बात कही गई है ।
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर डेविड हिल्टन ने तीन सितंबर को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव का नतीजा निकालने की तैयारी की है । मजाक यह है कि नतीजा तीन सितंबर को निकलेगा, किंतु डिस्ट्रिक्ट में हर किसी को यह पहले से पता है कि उस दिन क्या नतीजा निकलेगा ! दरअसल इसीलिए इंटरनेशनल डायरेक्टर मनोज देसाई की धमकी ने डेविड हिल्टन और राजा साबू को चिंता में डाला है । नोमीनेटिंग कमेटी द्वारा डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस में 22 फरवरी को अधिकृत उम्मीदवार के रूप में चुने गए टीके रूबी को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी न बनने देने के लिए राजा साबू और उनके गिरोह ने जिस जिस तरह के हथकंडे अपनाए और अंततः खुल कर चुनावी प्रक्रिया में शामिल हुए, उससे साबित है कि अपनी मनमर्जी थोपने के लिए राजा साबू ने रोटरी और अपने डिस्ट्रिक्ट की चुनावी व्यवस्था का किस तरह मजाक बना दिया है - और तीन सितंबर को क्या नतीजा 'निकलवाने' की उन्होंने व्यवस्था की है । उल्लेखनीय है कि राजा साबू हमेशा इस बात की वकालत करते रहे हैं कि नोमीनेटिंग कमेटी द्वारा चुने गए अधिकृत उम्मीदवार को चेलैंज नहीं करना चाहिए और उसे ही डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी बनना चाहिए । इंटरनेशनल प्रेसीडेंट केआर रवींद्रन ने अपने कार्यकाल का मुख्य एजेंडा ही रोटरी में होने वाली चुनावी राजनीति को हतोत्साहित करने का बनाया है - लेकिन राजा साबू ने अपने अहंकार को पूरा करने के लिए अपनी खुद की ही बात को तो भुला ही दिया, इंटरनेशनल प्रेसीडेंट केआर रवींद्रन के एजेंडे को भी धुआँ कर दिया । इसीलिए तीन सितंबर को 'निकलने' वाले नतीजे को लेकर किसी को भी उत्सुकता नहीं है । उत्सुकता सिर्फ इस बात की है कि तीन सितंबर को निकलने वाले नतीजे के घोषित होने के बाद घटनाचक्र किस दिशा में मुड़ता है ।
दरअसल रोटरी इंटरनेशनल के आदेश के बाद डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए चुनावी प्रक्रिया जब दोबारा शुरू हुई, तो उसमें इतनी अनियमितताएँ हुई हैं कि मामला तीन सितंबर को आने वाले नतीजे पर खत्म होता हुआ नहीं दिख रहा है । जो अनियमितताएँ हुई हैं उनके डिटेल्स में जाए बिना यदि यह समझना हो कि किस तरह पूरी चुनाव-प्रक्रिया को मजाक बना दिया गया, तो उसके लिए एक उदाहरण काफी होगा और वह यह कि चुनावी प्रक्रिया के लिए सिर्फ 37 क्लब मान्य घोषित हुए थे, लेकिन चैलेंजिंग उम्मीदवार को कॉन्करेंस जुटाने के लिए सभी 76 क्लब्स का ऑप्शन दिया गया, जिसमें से 52 क्लब्स की कॉन्करेंस जुटाई गईं और सौंपी गईं । चुनाव के लिए वोट देने का अधिकार हालाँकि मान्य 37 क्लब्स को ही मिला । लोगों के बीच बार बार यह सवाल उठा कि कॉन्करेंस इकट्ठा करने के लिए 37 क्लब्स का ही ऑप्शन आखिर क्यों नहीं दिया गया; इस सवाल का लोगों को कोई आधिकारिक जबाव तो नहीं मिला, लेकिन लोगों के बीच चर्चा में यह जरूर सुना गया कि डर यह था कि यदि उक्त 37 क्लब्स में से उचित संख्या में कॉन्करेंस नहीं मिली तो फिर क्या होगा ? इसलिए अमान्य क्लब्स से भी कॉन्करेंस इकट्ठा कर ली गईं; और जब यह साफ हो गया कि पूर्व गवर्नर्स गिरोह की तीन-तिकड़म सफल हो रही हैं, तब चुनाव मान्य क्लब्स से ही करवा लिया गया । इसी तरह की मनमानी अनिमितताओं को देखते हुए लोगों को आशंका ही नहीं, बल्कि पूरा भरोसा है कि तीन सितंबर को औपचारिक व अधिकृत रूप से खुलने वाले नतीजों से असंतुष्ट होने वाले लोग मामले को आगे ले जायेंगे ।
यानि, यह तय दिख रहा है कि तीन सितंबर को तथाकथित रूप से 'निकलने' वाले नतीजे से मामला समाप्त होने नहीं जा रहा है । मनोज देसाई की धमकी के संदर्भ में डेविड हिल्टन और राजा साबू के लिए चिंता और परेशानी की बात वास्तव में यही है । मनोज देसाई की समस्या यह है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव का झगड़ा रहते वह डिस्ट्रिक्ट के किसी कार्यक्रम में यदि जाते/पहुँचते हैं, और वहाँ लोग उनसे राजा साबू तथा उनके गिरोह के पूर्व गवर्नर्स द्वारा की गई कारस्तानियों के बारे में सवाल पूछेंगे तो - इंटरनेशनल डायरेक्टर के रूप में वह क्या जबाव देंगे ? इसीलिए उन्होंने डेविड हिल्टन को अल्टीमेटम दे दिया है कि 27 सितंबर तक डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद का झगड़ा सुलटाओ - अन्यथा 27 सितंबर की इंटरसिटी में मैं नहीं आऊँगा । मनोज देसाई की इस धमकी के मद्देनजर तीन सितंबर को क्या करें, इसे फिर से समझने और तय करने के लिए डेविड हिल्टन ने दो सितंबर को अपने घर पर मीटिंग बुलाई है ।