Thursday, September 10, 2015

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3100 में पूर्व गवर्नर हितेश कुमार शर्मा के फर्जी पत्र मामले में मनोज देसाई के रवैये से उत्साहित राजीव सिंघल और उनके समर्थकों ने जिस षड्यंत्रपूर्ण तरीके से मंजु गुप्ता को रास्ते से हटाने की कोशिश की है, उससे राजीव सिंघल की उम्मीदवारी की कमजोरी ही साबित हुई है

मेरठ । राजीव सिंघल और उनके समर्थक नेताओं ने इंटरनेशनल डायरेक्टर मनोज देसाई के नाम पर डिस्ट्रिक्ट में जो गंदगी फैलाई हुई है, उस पर चुप्पी साध कर मनोज देसाई ने अपनी फजीहत और कराई हुई है । मनोज देसाई पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर हितेश कुमार शर्मा के पत्र पर जिस तरह कुंडली मार कर बैठ गए हैं, उससे राजीव सिंघल तथा उनके समर्थक नेताओं के हौंसले और बुलंद हुए हैं । इस बुलंद हौंसले की बदौलत ही राजीव सिंघल तथा उनके समर्थक नेताओं ने रोटरी क्लब मेरठ डायमण्ड में फर्जी तरीके से अधिकांश सदस्यों को ड्रॉप कर/करवा दिया है, ताकि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए राजीव सिंघल को मंजु गुप्ता से मिल रही चुनौती को खत्म किया जा सके । उल्लेखनीय है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए राजीव सिंघल और उनके समर्थकों ने जब मंजु गुप्ता की उम्मीदवारी को मिल रहे समर्थन के सामने अपने आपको कमजोर पाया, तो उन्होंने षड्यंत्र करके मंजु गुप्ता को रोटरी से ही 'बाहर' कर/करवा दिया है । राजीव सिंघल और उनके समर्थक नेता इस मामले में अब सीधे डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुनील गुप्ता को चुनौती दे रहे हैं कि वह मंजु गुप्ता तथा अन्य सदस्यों की सदस्यता बचा कर दिखाएँ । दरअसल रोटरी क्लब मेरठ डायमण्ड के अध्यक्ष तन्मय शर्मा ने जिस षड्यंत्रपूर्ण तरीके से मंजु गुप्ता तथा क्लब के अन्य सदस्यों को क्लब से बाहर कर दिया है, उसे अमान्य बताते हुए रोटरी इंटरनेशनल के दिल्ली स्थित कार्यालय के पदाधिकारियों ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुनील गुप्ता से कार्रवाई करने के लिए कहा है । राजीव सिंघल और उनके समर्थक नेताओं का कहना है कि रोटरी इंटरनेशनल के इस स्पष्ट निर्देश के बाद सुनील गुप्ता ने क्लब के अध्यक्ष तन्मय शर्मा के साथ मीटिंग व बातचीत तो कर ली है, किंतु कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं कर पा रहे हैं । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुनील गुप्ता अपने ही डिस्ट्रिक्ट के एक क्लब के अध्यक्ष के सामने अपने आपको जिस तरह से असहाय पा रहे हैं - उसे राजीव सिंघल और उनके समर्थक नेता अपनी जीत के रूप में देख रहे हैं; और अपनी इस 'जीत' का श्रेय मनोज देसाई को दे रहे हैं । 
मनोज देसाई लेकिन राजीव सिंघल और उनके समर्थक नेताओं की इससे भी बड़ी मदद हितेश कुमार शर्मा के फर्जी पत्र के मामले में कर रहे हैं । मनोज देसाई जिस दिन यह मदद करना बंद कर देंगे, उस दिन राजीव सिंघल और उनके समर्थक नेताओं में से कोई एक बड़ी मुसीबत में फँस जायेगा । दरअसल हुआ यह कि डिस्ट्रिक्ट के पूर्व गवर्नर हितेश कुमार शर्मा की तरफ से निवर्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर संजीव रस्तोगी तथा मौजूदा गवर्नर सुनील गुप्ता के खिलाफ आरोप लगाते हुए एक पत्र निवर्तमान इंटरनेशनल डायरेक्टर पीटी प्रभाकर को भेजा गया, जिसकी प्रति मनोज देसाई को भी संलग्न की गई । इंटरनेशनल डायरेक्टर होने के नाते मनोज देसाई ने इस पत्र का संज्ञान लिया, और हितेश कुमार शर्मा से कुछ स्पष्टीकरण माँगे । इस पर हितेश कुमार शर्मा का माथा चकराया । उन्होंने मनोज देसाई से कहा कि यह पत्र उन्होंने न तो लिखा है, और न ही भेजा है । हितेश कुमार शर्मा का एक बड़ा तर्क रहा कि उन्होंने अपना समस्त पत्र व्यवहार हिंदी में ही किया है; यहाँ तक कि जब वह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर थे, तब भी उन्होंने हिंदी में ही पत्र लिखे थे - लिहाजा अब यदि उन्हें कोई पत्र लिखना ही होता, तो वह अंग्रेजी में क्यों लिखते ? हितेश कुमार शर्मा ने कहा कि उनके नाम का इस्तेमाल करते हुए किसी ने अपनी राजनीति साधने के लिए यह ओछा काम किया है । हितेश कुमार शर्मा ने मनोज देसाई से अनुरोध किया कि उनके नाम से भेजे गए इस फर्जी पत्र को जिस ईमेल से भेजा गया है, उस ईमेल का विवरण वह उन्हें उपलब्ध करवाएँ, जिससे कि वह यह ओछी हरकत करने वाले के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर सकें । मनोज देसाई ने लेकिन हितेश कुमार शर्मा को उक्त ईमेल का विवरण उपलब्ध नहीं करवाया है । हितेश कुमार शर्मा के फर्जी पत्र पर कार्रवाई करने में मनोज देसाई ने जो तत्परता दिखाई, वैसी तत्परता चूँकि वह उक्त फर्जी ईमेल का विवरण उपलब्ध करवाने में नहीं कर रहे हैं - इसलिए इस मामले में उनकी भूमिका संदेहास्पद हो गई है । 
हितेश कुमार शर्मा के नाम से लिखे/भेजे गए फर्जी पत्र में जो बातें और आरोप हैं, वह कमोवेश वही हैं जो राजीव सिंघल के एक समर्थक नेता पूर्व गवर्नर एमएस जैन द्वारा पहले लिखे/भेजे गए पत्र में हैं - इसलिए अनुमान लगाया जा रहा है कि हितेश कुमार शर्मा के नाम से फर्जी पत्र भेजने के पीछे राजीव सिंघल और उनके समर्थक नेताओं में से ही किसी का हाथ है । मजे की बात यह है कि एमएस जैन द्वारा लिखे गए पत्र पर डिस्ट्रिक्ट में जब बबाल मचा था, तब एमएस जैन ने यह कह कर पीछा छुड़ाया था कि उक्त पत्र उन्होंने नहीं लिखा/भेजा था; उनकी ईमेल आईडी किसी ने हैक करके यह शरारत की है । इस पर उनसे कहा गया था कि ईमेल आईडी हैक होने की रिपोर्ट उन्हें पुलिस में करना चाहिए ताकि हैकर को पकड़वा कर उसे सजा दिलवाई जा सके । एमएस जैन ने लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं की - जिससे साबित हुआ कि ईमेल आईडी हैक होने की उनकी बात उनका सिर्फ एक बहाना है और उक्त शिकायती मेल उन्होंने ही किया था । उक्त ईमेल को लेकर एमएस जैन की लोगों के बीच बहुत ही थू थू हुई और उन्हें भारी शर्मिंदगी से गुजरना पड़ा । समझा जाता है कि एमएस जैन की हुई फजीहत से सबक लेकर ही राजीव सिंघल और उनके समर्थक नेताओं ने निवर्तमान व मौजूदा गवर्नर तथा अन्य कुछेक वरिष्ठ रोटेरियंस को झूठे आरोपों में बदनाम करने के लिए फर्जी तरीके अपनाने की राह चुनी - और इसके लिए हितेश कुमार शर्मा के नाम का इस्तेमाल किया । किसी के लिए भी यह समझना मुश्किल हो रहा है कि गवर्नर्स तथा वरिष्ठ रोटेरियंस को झूठी बातों के सहारे बदनाम करने तथा इस तरह रोटरी को कलंकित करने वालों को प्रश्रय देकर और उन्हें बचाने का प्रयास करके मनोज देसाई आखिर हासिल क्या करना चाहते हैं ?
राजीव सिंघल की उम्मीदवारी के समर्थक नेताओं ने सिर्फ डिस्ट्रिक्ट के लोगों को ही नहीं, बल्कि अपनी हरकतों से रोटरी के बड़े नेताओं तक को चुनौती दी हुई है । यहाँ यह याद करना प्रासंगिक होगा कि इंटरनेशनल प्रेसीडेंट केआर रवींद्रन ने रोटरी में राजनीति को हतोत्साहित करने का आह्वान किया हुआ है और स्पष्ट चेतावनी दी हुई है कि जो कोई भी राजनीति करता हुआ पाया जायेगा, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी । इंटरनेशनल प्रेसीडेंट की इस स्पष्ट चेतावनी के बावजूद पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर एमएस जैन, गजेंद्र सिंह धामा, योगेश मोहन गुप्ता खुलेआम राजीव सिंघल की उम्मीदवारी के समर्थन में अभियान चलाए हुए हैं । केआर रवींद्रन के आह्वान और उनकी चेतावनी की याद दिलाए जाने पर इनकी तरफ से प्रायः यही सुनने को मिलता है कि - हम तो जो कर रहे हैं, खुलेआम कर रहे हैं; हम भी देखेंगे कि रवींद्रन क्या करते हैं ? रोटरी को कलंकित करने के मामले में इनके हौंसले इस कदर ऊँचे हैं कि रोटरी क्लब मुरादाबाद नॉर्थ के एक कार्यक्रम में पूर्व गवर्नर योगेश मोहन गुप्ता रोटरी फाउंडेशन में पैसे न देने के लिए यह कहते हुए आह्वान करते हैं कि रोटरी फाउंडेशन का पैसा रोटरी के बड़े पदाधिकारियों और नेताओं की मौजमस्ती में इस्तेमाल होता है, इसलिए उसमें पैसे देने से क्या फायदा ? यही लोग राजीव सिंघल की उम्मीदवारी का झंडा उठाए हुए हैं । 
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के उम्मीदवार के रूप में राजीव सिंघल की समस्या यह है कि उनके समर्थक नेता नकारात्मक और ओछी किस्म की हरकतें करने के कारण डिस्ट्रिक्ट में खासे बदनाम हैं; जिस कारण लोगों के बीच उनकी उम्मीदवारी को लेकर कोई सकारात्मक सोच बन ही नहीं पा रही है । राजीव सिंघल के लिए मेरठ में ही समर्थन जुटाना मुश्किल हो रहा है । मेरठ में लोगों के बीच उनसे ज्यादा स्वीकार्यता मंजु गुप्ता की उम्मीदवारी के लिए बनती नजर आ रही है । मंजु गुप्ता ने डिस्ट्रिक्ट में ही नहीं, डिस्ट्रिक्ट के बाहर भी - बल्कि दूसरे देशों तक में अपनी सक्रियता व संलग्नता से अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है । इस पहचान के चलते ही मेरठ में उनके लिए अच्छा समर्थन है । राजीव सिंघल के कुछेक समर्थकों ने उन्हें 'मेरठ के उम्मीदवार' के रूप में प्रमोट करने का प्रयास किया, किंतु मेरठ के कई प्रमुख रोटेरियंस ने उन्हें साफ बता दिया कि यदि सचमुच चाहते हो कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी मेरठ का चुना जाए, तो राजीव सिंघल को छोड़ कर मंजु गुप्ता की उम्मीदवारी का समर्थन करो । मंजु गुप्ता की उम्मीदवारी से मिल रही चुनौती से निपटना राजीव सिंघल और उनके समर्थकों को जब मुश्किल और असंभव लगा, तो उन्होंने षड्यंत्रपूर्वक मंजु गुप्ता की उम्मीदवारी को समाप्त करने का दुष्चक्र रचा । उनकी बदकिस्मती रही कि उनके दुष्चक्र की पोल जल्दी ही खुल गई, और मंजु गुप्ता तथा उनके समर्थकों ने समय रहते आवश्यक कार्रवाई कर ली । मनोज देसाई के रवैये के कारण अनिश्चय में फँसे डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुनील गुप्ता अभी भले ही मंजु गुप्ता को न्याय देने में ढील-ढाल कर रहे हैं, लेकिन इस मामले में रोटरी इंटरनेशनल के दिशा-निर्देश इतने स्पष्ट हैं कि देर-सबेर सुनील गुप्ता को मंजु गुप्ता को न्याय देना/दिलवाना ही होगा । मंजु गुप्ता की उम्मीदवारी से निपटने के लिए राजीव सिंघल और उनके समर्थक नेताओं ने जिस तरह की कायराना हरकत की, उससे राजीव सिंघल की उम्मीदवारी की कमजोरी ही साबित हुई है - और इसके चलते लोगों के बीच राजीव सिंघल की उम्मीदवारी के प्रति समर्थन और कमजोर हो गया है ।