Friday, September 25, 2015

इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की सेंट्रल काउंसिल की उम्मीदवारी के संदर्भ में सत्यनारायण माहेश्वरी को इंदौर में मिली अनपेक्षित सफलता विकास जैन के लिए मुसीबत बनी

इंदौर । सत्यनारायण माहेश्वरी ने विकास जैन के कई नजदीकियों, समर्थकों व संभावित समर्थकों को सेंट्रल काउंसिल के लिए प्रस्तुत अपनी उम्मीदवारी के अभियान में जोड़ कर विकास जैन की संभावनाओं को तगड़ा झटका दिया है । यह झटका इतना तगड़ा है कि विकास जैन और उनके समर्थक अभी यह समझने का ही प्रयास कर रहे हैं कि दरअसल हुआ क्या है ? जैसे आँखों पर तेज लाईट पड़ने पर खुली आँखें भी सामने का कुछ भी देख पाने में समर्थ नहीं होती हैं; सत्यनारायण माहेश्वरी के चुनाव अभियान की 'इंदौर की उपलब्धियों' ने विकास जैन और उनके समर्थकों के सामने भी वैसा ही मामला बना दिया है । विकास जैन और उनके समर्थकों की बदकिस्मती यह है कि इस स्थिति के लिए अधिकतर लोग उन्हें ही जिम्मेदार ठहरा रहे हैं । दरअसल विकास जैन की जीत को लेकर वह खुद और उनके समर्थक इतने आश्वस्त थे कि सेंट्रल काउंसिल के लिए प्रस्तुत उनकी उम्मीदवारी को लेकर वह लोग जरा भी गंभीर नहीं थे । जीत को लेकर आश्वस्त होने के उनके पास एक नहीं, बल्कि कई ठोस कारण थे । इंदौर और मालवा क्षेत्र में ही इतने जैन चार्टर्ड एकाउंटेंट्स हैं कि विकास जैन और उनके समर्थकों को लगा कि जैन होने के कारण उन्हें वह सब वोट तो आराम से मिल ही जायेंगे, और उतने वोट उनकी जीत के लिए काफी होंगे - और इसलिए उन्हें ज्यादा कुछ करने की जरूरत नहीं है । इसके अलावा, इंदौर में चुनावी राजनीति की बागडोर अपने हाथ में रखने वाले 'काका जी' विष्णु झावर उनके समर्थन में हैं, और विष्णु झावर के चलते इंस्टीट्यूट के प्रेसीडेंट मनोज फडनिस उनका समर्थन करने के लिए मजबूर होंगे ही । विकास जैन और उनके समर्थकों का मानना और कहना रहा कि विष्णु झावर और मनोज फडनिस का समर्थन उनकी जीत के अंतर को बढ़ाने का ही काम करेगा । 
विकास जैन और उनके समर्थक अपनी जीत को लेकर इसलिए और ज्यादा आश्वस्त थे क्योंकि इंदौर में उन्हें कोई चुनावी चुनौती मिलती नहीं दिख रही थी । सेंट्रल इंडिया रीजनल काउंसिल की चेयरपरसन रह चुकीं केमिशा सोनी ने भी हालाँकि सेंट्रल काउंसिल के लिए अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत की हुई है, किंतु विकास जैन और उनके समर्थकों ने केमिशा सोनी की उम्मीदवारी को कभी भी गंभीरता से नहीं लिया । उनकी तरफ से सुना भी गया था कि केमिशा सोनी के खिलाफ वह ऐसा अभियान चलायेंगे कि केमिशा सोनी खुद ही चुनाव से हट जायेंगी । सत्यनारायण माहेश्वरी हालाँकि इंदौर में अपनी उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने की कोशिश करते देखे/सुने तो गए थे, किंतु माना/समझा गया कि जैसे दूसरे उम्मीदवार यह जानते/बूझते कोशिश कर रहे हैं कि इंदौर में उन्हें कुछ मिलेगा तो नहीं ही; वैसे ही सत्यनारायण माहेश्वरी भी कोशिश कर रहे हैं और इसमें कोई खास बात नहीं है । यह तथ्य भी सामने आया कि सत्यनारायण माहेश्वरी ने चार्टर्ड एकाउंटेंट की पढ़ाई इंदौर में की है और यहाँ कुछ समय उन्होंने चार्टर्ड एकाउंटेंट के रूप में काम भी किया है । लेकिन इस तथ्य में भी कोई बहुत बड़ा राजनीतिक खतरा नहीं देखा/पहचाना गया । माना/समझा गया कि सत्यनारायण माहेश्वरी लंबे समय से उदयपुर में ही सक्रिय हैं, और जीवन में उन्हें जो कुछ भी मिला है - वह उदयपुर में रहते हुए ही मिला है; इसलिए इंदौर में उनके कुछ समय गुजारने के तथ्य से उनके या विकास जैन के चुनाव पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है । 
विकास जैन तथा उनके रणनीतिकारों ने फिर भी सत्यनारायण माहेश्वरी से निपटने की रणनीति के तहत विजेश खण्डेलवाल को रीजनल काउंसिल के उम्मीदवार के रूप में प्रस्तुत किया । उनका आकलन रहा कि विजेश खण्डेलवाल की उम्मीदवारी के जरिए वह इंदौर के माहेश्वरियों की चौकीदारी कर सकेंगे तथा उन्हें अपने साथ जोड़े रखने में सफल होंगे, और तब सत्यनारायण माहेश्वरी को यहाँ ज्यादा कुछ नहीं मिलेगा । सत्यनारायण माहेश्वरी ने लेकिन इंदौर में अनपेक्षित सफलता प्राप्त की है । इंदौर में उन्हें इंदौर के तीसरे उम्मीदवार के रूप में देखा/पहचाना जाने लगा है । विकास जैन की उम्मीदवारी को एक तो इस बात से तगड़ा झटका लगा है; विकास जैन के लिए लेकिन इससे भी ज्यादा झटके की बात यह हुई है कि इंदौर में उनके कई नजदीकियों और समर्थकों ने उनकी उम्मीदवारी का झंडा छोड़ कर सत्यनारायण माहेश्वरी की उम्मीदवारी का झंडा उठा लिया है । सत्यनारायण माहेश्वरी ने विकास जैन के नजदीकियों व समर्थकों को अपनी तरफ मिला कर विकास जैन पर तो मनोवैज्ञानिक दबाव बनाया ही है, साथ ही इंदौर के चुनावी परिदृश्य को भी बदल दिया है । बदले चुनावी परिदृश्य में दूसरों को तो छोड़िए, खुद विकास जैन की उम्मीदवारी के समर्थक उनकी जीत को लेकर उतने आश्वस्त नहीं रह गए हैं, जितने कि वह अभी कुछ समय पहले तक थे ।
विकास जैन के समर्थकों की तरफ से आरोप लगाया गया है कि सत्यनारायण माहेश्वरी अपने राजनीतिक संपर्कों का सहारा लेकर उनके समर्थकों को उनसे छीन रहे हैं । सत्यनारायण माहेश्वरी की पत्नी किरण माहेश्वरी के राजस्थान की भाजपा सरकार में मंत्री होने का हवाला देते हुए आरोप लगाया जा रहा है कि पत्नी के राजनीतिक रसूख का सहारा लेकर सत्यनारायण माहेश्वरी जानबूझकर खासकर ऐसे लोगों पर अपने साथ आने का दबाव बना रहे हैं, जो विकास जैन की उम्मीदवारी की ताकत हैं । इस तरह सत्यनारायण माहेश्वरी ने विकास जैन की उम्मीदवारी के अभियान की हवा ही निकाल देने की योजना पर काम किया है । इंदौर में हालाँकि यह मानने/कहने वालों की भी कमी नहीं है कि विकास जैन को इंदौर में अपना जो आधार खिसकता हुआ दिख रहा है, उसके लिए कोई और नहीं, बल्कि वह खुद और उनके समर्थक ही जिम्मेदार हैं । जीत की आश्वस्ति में उन्होंने दरअसल दूसरों को कोई तवज्जो ही नहीं दी, और निरंतर मनमानियाँ करते रहे । अपनी मनमानियों के चलते वह विरोधियों को तो अपना बनाने का प्रयास नहीं ही कर सके, अपने समर्थकों को भी उन्होंने खोना शुरू कर दिया । यह सच्चाई अभी तक 'दिख' इसलिए नहीं रही थी, क्योंकि एक तो चुनावी शिड्यूल में इसके 'दिखने' का उचित समय नहीं आया था; दूसरे विकास जैन को सबक सिखाने की तैयारी किए बैठे लोगों को 'उचित जगह' नहीं मिल रही थी । केमिशा सोनी अपनी उम्मीदवारी के प्रति लोगों के बीच कोई भरोसा पैदा नहीं कर पा रही थीं । सत्यनारायण माहेश्वरी ने अपनी उम्मीदवारी के प्रति जैसे ही भरोसा पैदा किया, वैसे ही विकास जैन की उम्मीदवारी के प्रति लोगों का 'रवैया' सामने आ गया । इंदौर में सत्यनारायण माहेश्वरी के नजदीकियों का ही मानना और कहना है कि यहाँ सत्यनारायण माहेश्वरी को जो समर्थन मिल रहा है, वह सत्यनारायण माहेश्वरी के काम के कारण नहीं, बल्कि विकास जैन और उनके समर्थकों की नकारात्मकता के कारण मिल रहा है । इंदौर में हालाँकि कई लोगों का यह भी मानना और कहना है कि विकास जैन के लिए स्थितियाँ अभी भी इतनी नहीं बिगड़ी हैं कि संभाली न जा सकें - किंतु यह इस पर निर्भर करेगा कि विकास जैन और उनके समर्थक सारे मामले को देख/समझ कैसे रहे हैं ? यह देखना दिलचस्प होगा कि सत्यनारायण माहेश्वरी द्वारा पैदा की गई चुनौती से निपटने के लिए विकास जैन और उनके समर्थक क्या रणनीति अपनाते हैं ?