Thursday, October 1, 2015

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 में डिस्ट्रिक्ट दीवाली मेले की तैयारी को लेकर उठ रहे सवालों का ठीकरा मुकेश अरनेजा के सिर फोड़ कर डिस्ट्रिक्ट गवर्नर जेके गौड़ ने मामले को राजनीतिक रंग देकर और दिलचस्प बनाया

गाजियाबाद । जेके गौड़ ने डिस्ट्रिक्ट दीवाली मेले को लेकर पहले जो मनमानी की और फिर उसे डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनावी संदर्भ में रंगने की जो कोशिश की, उसके कारण मीटिंग से शुरू हुआ विवाद अब डिस्ट्रिक्ट में फैल कर बबाल का रूप ले चुका है । इस बबाल के निशाने पर हालाँकि अभी तो जेके गौड़ और अशोक अग्रवाल ही हैं, लेकिन लोगों का मानना और कहना है कि जेके गौड़ की मूर्खतापूर्ण मनमानियाँ यदि इसी तरह चलती रहीं - तो निशाने पर डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद का चुनाव भी आ जायेगा । डिस्ट्रिक्ट दीवाली मेले के नाम पर चल रहे इस बबाल की शुरुआत इसके नाम पर बुलाई गई मीटिंग के पहले ही क्षण में हो गई थी । जेके गौड़ ने डिस्ट्रिक्ट दीवाली मेले की तैयारी के नाम पर गाजियाबाद के लोगों की जो मीटिंग बुलाई, उसके शुरू होते ही मीटिंग में शामिल लोग जेके गौड़ से यह सुन कर भड़क गए कि मेले की तैयारी समिति के चेयरमैन अशोक अग्रवाल होंगे । लोगों में फुसफुसाहट शुरू हुई कि अशोक अग्रवाल को चेयरमैन किसने और कब बना दिया; डिस्ट्रिक्ट में तमाम सारे पद तो इसके पास हैं, डिस्ट्रिक्ट डायरेक्टरी में सबसे ज्यादा बार इसका नाम और फोटो छपा है - फिर भी इसकी पदों की भूख मिटी नहीं है क्या; सभी पद इसे ही चाहिए क्या; आदि-इत्यादि सवाल खड़े हुए । फुसफुसाहटों के रूप में यह सवाल लोगों के बीच इधर-उधर उछलना शुरू ही हुए थे कि जेके गौड़ ने अगला झटका यह बताते हुए दिया कि डिस्ट्रिक्ट दीवाली मेला ये क्लब्स होस्ट करेंगे और यह 'यहाँ' आयोजित होगा; खाने का इंतजाम 'फलाँ' करेगा; प्रत्येक क्लब को 'इतने' रुपये देने हैं, और मेले के टिकट 'इस हिसाब' से लेने हैं; आदि आदि । अशोक अग्रवाल के चेयरमैन बनने की बात सुनकर लोगों का पारा जो चढ़ना शुरू हुआ था, वह इन बातों को सुनकर और भड़क गया । मीटिंग में मौजूद लोगों ने जेके गौड़ से सीधा सवाल किया कि डिस्ट्रिक्ट दीवाली मेले को लेकर जब सारा कुछ आपने तय कर लिया है, तो मीटिंग बुलाई किसलिए है और हमें यहाँ क्या करने के लिए बुलाया है ?
जेके गौड़ ने भी लोगों की 'औकात' को पहचान लिया है, इसलिए उन्होंने इस सवाल का जबाव देना तो दूर - इस सवाल का नोटिस तक नहीं लिया । दरअसल उन्होंने इस बात को अच्छे से जान/समझ लिया है कि लोग नाराजगी भरे सवाल उठाते हैं, विरोध के तेवर दिखाते हैं और फिर तुरंत ही सरेंडर कर देते हैं और खुशामद में लग जाते हैं । यह जान/समझ लेने के कारण ही उन्होंने लोगों की नाराजगियों तथा उनके विरोध पर ध्यान देना छोड़ दिया है । अशोक अग्रवाल को चेयरमैन बनाने को लेकर उठे सवालों पर जेके गौड़ का रवैया ऐसा था; जैसे कि वह लोगों को चुनौती देते हुए कह रहे हों - कि हाँ, मैंने बनाया है अशोक को चेयरमैन, क्या कर लोगे ? मीटिंग में तो लोग कुछ करते हुए नहीं नजर आए, किंतु मीटिंग की बातें बाद में जब डिस्ट्रिक्ट के लोगों के सामने आईं तो माहौल गरमाता हुआ लगा है । जिस तरह की बातें/चर्चाएँ सुनी जा रही हैं उनमें यह तथ्य सामने आया है कि डिस्ट्रिक्ट दीवाली मेले के चेयरमैन पद पर गाजियाबाद, हापुड़, दिल्ली, सोनीपत के कई एक प्रमुख लोगों की निगाह लगी हुई थी; इनमें से कुछेक को तो जेके गौड़ ने आभास भी दिया हुआ था कि उक्त चेयरमैन पद वह उन्हें ही देंगे । लोगों का मानना/कहना है कि यह ठीक है कि चेयरमैन पद किसी एक को ही मिल सकता है; लेकिन उसका चयन पारदर्शी तरीके से तो होना चाहिए ।
डिस्ट्रिक्ट दीवाली मेले का चेयरमैन बनाने का फैसला करते समय जेके गौड़ ने हद तो यह की कि उन्होंने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट शरत जैन, डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी सतीश सिंघल, डिस्ट्रिक्ट मीट एंड कॉन्फ्रेंस कमेटी चेयरमैन आशीष माखीजा, डिस्ट्रिक्ट फेस्टिवल एंड कल्चरल इवेंट्स कमेटी चेयरमैन इंदरमोहन कुमार से पूछा तक नहीं - और मनमाने तरीके से अशोक अग्रवाल को लोगों के ऊपर थोप दिया । दिल्ली के कुछेक बड़े क्लब्स के और सोनीपत के क्लब्स के पदाधिकारी इस बात पर नाराजगी व्यक्त करते हुए सुने गए हैं कि वह डिस्ट्रिक्ट दीवाली मेले को होस्ट करने के बारे में सोच रहे थे, और उन्होंने इस बारे में जेके गौड़ को बता भी दिया था; किंतु जेके गौड़ ने मनमाने तरीके फैसला करते हुए उनसे पूछा तक नहीं । मजे की बात यह है कि जेके गौड़ ने जबर्दस्ती जिन क्लब्स को होस्ट बना दिया है, वह इस बात पर खफा हैं कि इनसे पूछे बिना उन्हें होस्ट क्यों बना दिया ? यानि अपनी मनमानी हरकत से जेके गौड़ ने हर किसी को नाराज कर दिया है । 
डिस्ट्रिक्ट दीवाली मेले को लेकर जेके गौड़ द्वारा गाजियाबाद में बुलाई गई मीटिंग में शामिल हुए लोगों ने तो अपने आप को ठगा पाया ही । उनमें कई पिछले वर्षों में हुए दीवाली मेलों की तैयारी को लेकर हुई मीटिंग्स में शामिल हुए हैं; उन पिछले अनुभवों को याद करते हुए उनका कहना है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में जैसा घटियापन जेके गौड़ ने दिखाया है, वैसा इससे पहले किसी गवर्नर ने नहीं दिखाया । हर बार चेयरमैन का चयन होने से लेकर प्रत्येक काम के लिए लोगों से सुझाव माँगे जाते रहे हैं; और बहुमत के आधार पर फैसले होते रहे हैं । जेके गौड़ ने तो लेकिन सारे फैसले खुद ही कर लिए और उसके बाद मीटिंग बुला कर उन फैसलों को लोगों पर तथा क्लब्स पर लाद दिया । मीटिंग में लोगों की नुक्ताचीनी से परेशान होकर जेके गौड़ ने एक मौके पर यह कह कर लोगों को और भड़का दिया कि उन्होंने जो फैसले किए हैं, वह रमेश अग्रवाल की सलाह से किए हैं । रमेश अग्रवाल से गाजियाबाद में लोग एक तो वैसे ही चिढ़ते हैं; जेके गौड़ ने यह कह कर उन्हें और भड़का दिया - लोगों ने कहा/पूछा भी कि यह रमेश अग्रवाल कौन होता है, इस तरह के फैसले करवाने वाला ? यह फैसले उसे करवाने ही हैं, तो उसे यहाँ मीटिंग में होना था । जेके गौड़ ने लेकिन इस 'पूछने' पर भी कोई गौर नहीं किया ।
डिस्ट्रिक्ट दीवाली मेले की तैयारी को लेकर उठ रहे सवालों से निपटने के लिए जेके गौड़ ने मामले को राजनीतिक रंग देने का जो प्रयास किया है, उससे मामला और दिलचस्प हो गया है । जेके गौड़ ने कुछेक लोगों के बीच कहा है कि दीवाली मेले की तैयारी के सिलसिले में नाराजगी की जो बातें की जा रही हैं, वह मुकेश अरनेजा भड़का रहे हैं; जो डिस्ट्रिक्ट दीवाली मेले की आड़ में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव की राजनीति करना चाहते हैं । जेके गौड़ की तरफ से यह सुनकर मामला खासा गरमा गया है । डिस्ट्रिक्ट दीवाली मेले से संबंधित फैसलों को लेकर गाजियाबाद, हापुड़, दिल्ली, सोनीपत में जो लोग भी नाराजगी व्यक्त कर रहे हैं, उनमें कइयों को सुभाष जैन की उम्मीदवारी के घनघोर समर्थकों के रूप में देखा/पहचाना जाता है । ऐसे में, किसी के लिए भी यह समझना मुश्किल हो रहा है कि जेके गौड़ अपनी कारस्तानी को जस्टिफाई करने के लिए सुभाष जैन की उम्मीदवारी के समर्थकों को मुकेश अरनेजा के पाले में क्यों धकेल रहे हैं ? यह समझना इसलिए और मुश्किल हो रहा है, क्योंकि खुद जेके गौड़ को सुभाष जैन की उम्मीदवारी के समर्थक के रूप में देखा/पहचाना जाता है । ऐसे में, लोगों को लगने यह लगा है कि जेके गौड़ अपनी मूर्खतापूर्ण मनमानियों से सुभाष जैन की उम्मीदवारी के सामने मुश्किलें न खड़ी कर दें ।