नई दिल्ली । विनय भाटिया की डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की उम्मीदवारी के अभियान की बागडोर विनोद बंसल के हाथ में आने के बाद से रवि चौधरी की बढ़ी सक्रियता ने विनय भाटिया के समर्थकों के बीच एक दिलचस्प किस्म की होड़ को जन्म दिया है । विनय भाटिया की उम्मीदवारी के एक बड़े समर्थक का कहना है कि विनय भाटिया के समर्थक नेता विनय भाटिया को समर्थन दिलवाने से ज्यादा विनय भाटिया की जीत का श्रेय 'लेने' के लिए काम कर रहे हैं । संदर्भ के साथ फिट बैठ रही कहावत 'सूत न कपास, जुलाहों में लठ्ठम-लठ्ठा' को याद करते हुए कहा कि विनय भाटिया की चुनावी जीत का अभी कोई अतापता नहीं है, किंतु उनकी जीत का श्रेय लेने के लिए उनके समर्थक नेताओं में होड़ जरूर मच गई है । उल्लेखनीय है कि विनय भाटिया की उम्मीदवारी की बागडोर पहले दीपक तलवार और सुशील खुराना के हाथ में थी, लेकिन जो अब विनोद बंसल के हाथों में नजर आ रही है । पिछले दिनों फरीदाबाद में विनय भाटिया और उनके समर्थकों के प्रयत्नों से पहले विनोद बंसल और फिर विन्स की डिस्ट्रिक्ट कोऑर्डिनेटर के नाते संगीता बंसल के जो कार्यक्रम हुए, उससे सुशील खुराना तथा दीपक तलवार का माथा ठनका; और उन्हें लगा कि विनय भाटिया कहीं विनोद बंसल के 'आदमी' तो नहीं बन गए । विनय भाटिया को विनोद बंसल के कब्जे से बचाने के लिए सुशील खुराना तथा दीपक तलवार ने अपने 'दूत' रवि चौधरी की ड्यूटी लगाई है । ड्यूटी निभाने की कोशिश करते रवि चौधरी को विनय भाटिया की उम्मीदवारी के लिए सबसे ज्यादा सक्रिय देखा जा रहा है ।
रवि चौधरी अपनी सक्रियता में लेकिन विनय भाटिया के लिए समर्थन जुटाने की कोशिश करने की बजाये यह जताने/दिखाने का ज्यादा प्रयास कर रहे हैं कि डिस्ट्रिक्ट में और खास कर दिल्ली में तो उनकी इतनी चलती है कि विनय भाटिया को तो वह घर बैठे ही चुनाव जितवा देंगे । इस तरह के दावों के जरिये वह वास्तव में विनोद बंसल को निशाना बनाने की कोशिश कर रहे हैं । विनय भाटिया की उम्मीदवारी को समर्थन दिलवाने के लिए पिछले दिनों विनोद बंसल खासे सक्रिय हुए हैं; और इस सक्रियता में उन्होंने अपने गवर्नर-काल के क्लब-अध्यक्षों के साथ मीटिंग्स की हैं । विनोद बंसल की इस रणनीति को बेकार की कार्रवाई बताते हुए रवि चौधरी ने कुछेक जगह कहा/बताया है कि विनोद बंसल के गवर्नर-काल के क्लब अध्यक्ष तो नोमीनेटिंग कमेटी के लिए अधिकृत ही नहीं होंगे; ऐसे में उनके साथ मीटिंग करके क्या मिलेगा ? विनोद बंसल के प्रति रवि चौधरी के इस विरोधी रवैये ने उन लोगों को चौंकाया है, जो जानते हैं कि रवि चौधरी के दोनों चुनावों में विनोद बंसल ने उनकी खासी मदद की थी; और उस मदद के चलते ही दोनों के बीच अच्छे संबंध रहे हैं । रवि चौधरी का विनोद बंसल के प्रति रवैया अब लेकिन यदि बदला हुआ लग रहा है, तो लोगों के बीच इसका कारण यही समझा जा रहा है कि रवि चौधरी ऐसा सुशील खुराना और दीपक तलवार की ड्यूटी जोरशोर से बजाने की कोशिश में कर रहे हैं ।
इस कोशिश में रवि चौधरी को चूँकि 'नेता' बनने का मौका भी दिख रहा है, इसलिए रवि चौधरी अपनी इस कोशिश को जोरशोर से लागू करने में लग गए हैं । रवि चौधरी अपना चुनाव भले ही दूसरी बार में बहुत मुश्किलों से जीते हों, लेकिन उन्हें यह दावा करने में कोई हिचक/संकोच नहीं है कि विनय भाटिया को तो वह घर बैठे ही चुनाव जितवा देंगे । दरअसल डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी बनने के बाद रवि चौधरी पर 'गॉडफादर' बनने का जो भूत सवार हुआ है, उसे सुशील खुराना और दीपक तलवार की शह ने और हवा दी है । रवि चौधरी की बदकिस्मती लेकिन यह है कि उन्हें कोई भी गंभीरता से नहीं लेता दिख रहा है । अपने ही क्लब के अशोक कंतूर को लेकर वह कई जगह शिकायत कर चुके हैं कि अशोक कंतूर उनकी सुन ही नहीं रहे हैं । उल्लेखनीय है कि अगले रोटरी वर्ष में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए उम्मीदवारी प्रस्तुत करने की अशोक कंतूर द्वारा जाहिर की गई इच्छा को जानते हुए रवि चौधरी ने उन्हें इस वर्ष से सक्रियता दिखाने का सुझाव दिया है । अशोक कंतूर लेकिन उनके सुझाव पर कोई ध्यान देते हुए नहीं दिखे हैं । अशोक कंतूर ने कुछेक लोगों से कहा है कि वह रवि चौधरी के कहने से थोड़े ही अपनी संभावित उम्मीदवारी के लिए काम करना शुरू कर देंगे; वह बड़े नेताओं की सलाह से ही कुछ करेंगे । विनय भाटिया और उनके समर्थक भी दिल्ली में समर्थन जुटाने के लिए विनोद बंसल पर ज्यादा निर्भर हैं, और उन्हीं को तवज्जो दिए हुए हैं ।
विनय भाटिया की उम्मीदवारी की बागडोर विनोद बंसल के हाथ में वास्तव में आई ही इसलिए क्योंकि विनय भाटिया का पूरा प्रचार अभियान बहुत ही फूहड़ तरीके से चलता हुआ देखा जा रहा था, जिसमें हुड़दंगबाजी ज्यादा थी; और जिस कारण विनय भाटिया की उम्मीदवारी के प्रति लोगों के बीच नकारात्मक भाव बन रहा था । विनय भाटिया की उम्मीदवारी के जो ईमानदार टाइप के समर्थक हैं, उन्होंने ही इस बात को पहचाना तथा रेखांकित किया कि विनय भाटिया के प्रचार अभियान में यदि मैच्योरिटी नहीं आई तो उनकी उम्मीदवारी के लिए हो रहा सारा शोरशराबा ही उनका कबाड़ा कर देगा । इसी सोच के चलते विनोद बंसल की शरण ली गई । विनोद बंसल यूँ तो विनय भाटिया की उम्मीदवारी के शुरू से ही समर्थक रहे हैं; विनय भाटिया के नजदीकियों का तो कहना है कि विनय भाटिया को उम्मीदवार बनने के लिए प्रेरित ही विनोद बंसल ने किया था - लेकिन विनय भाटिया की उम्मीदवारी के प्रति समर्थन दिखाने के हुड़दंग में उनकी कोई भूमिका नहीं थी । विनय भाटिया की उम्मीदवारी की बागडोर विनोद बंसल के हाथ में आई, तो विनोद बंसल ने उम्मीदवारी के अभियान को जिम्मेदार बनाने का काम हाथ में लिया और एक उम्मीदवार के रूप में विनय भाटिया का मैकोवर करने का प्रयास शुरू किया । इस संदर्भ में फरीदाबाद के लोगों के साथ हुई उनकी मीटिंग की बड़ी चर्चा हुई । रोटरी क्लब फरीदाबाद एनआईटी द्वारा आयोजित सेमीनार में संगीता बंसल द्वारा दिए प्रेजेंटेशन को भी विनोद बंसल के चुनावी प्रयासों के रूप में देखा/पहचाना गया । उनके इन प्रयासों ने लेकिन विनय भाटिया की उम्मीदवारी के दूसरे समर्थक-नेताओं को भड़का दिया है । उन्हें डर हुआ है कि विनोद बंसल कहीं विनय भाटिया की उम्मीदवारी के अभियान को अकेले ही न हथिया लें ? विनोद बंसल को काबू में करने/रखने के लिए रवि चौधरी की ड्यूटी लगा तो दी गई है; किंतु रवि चौधरी द्वारा ड्यूटी निभाने के तहत की जा रही गतिविधियों से विनय भाटिया का चुनाव अभियान फजीहत में और जा फँसा है ।