मेरठ । सुनील गुप्ता को उन सूचनाओं ने बुरी तरह परेशान कर दिया है, जिनमें रोटरी इंटरनेशनल कार्यालय से डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में खर्चे-पानी के लिए मिलने वाली रकम की उनकी दूसरी किस्त को रोक लेने की बात की/कही जा रही है । दरअसल डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में सुनील गुप्ता ने जिस तरह से जो कमाई की है, उसके तथ्य रोटरी के बड़े पदाधिकारियों व बड़े नेताओं तक जा पहुँचे हैं - और उन तथ्यों के आलोक में सुनील गुप्ता पर रोटरी को 'बेचने' का आरोप सुबूतों सहित पुख्ता हुआ है । मजे की बात यह हुई है कि सुनील गुप्ता से बार बार यह माँग हुई है कि इकट्ठा की गई रकम तथा विभिन्न मदों में हुए खर्चे का हिसाब वह सार्वजनिक करें, किंतु सुनील गुप्ता ने इस माँग पर कोई ध्यान नहीं दिया है । रोटरी को 'बेच' कर रकम इकट्ठा करने के जिस तरह के आरोप सुनील गुप्ता पर हैं, उन्हें देखते हुए उम्मीद की गई थी कि सुनील गुप्ता अपने कार्यकाल का सारा हिसाब-किताब सबके सामने रख देंगे - ताकि उनकी फजीहत न हो । सुनील गुप्ता ने लेकिन हिसाब-किताब को छिपा कर रखने की जो कोशिश की, उससे उनके खिलाफ लगने वाले आरोप सच 'दिखने' लगे - और इसके चलते रोटरी के बड़े नेताओं व पदाधिकारियों को कोई न कोई कार्रवाई करना जरूरी लगा है । रोटरी इंटरनेशनल के दिल्ली स्थित साउथ एशिया ऑफिस के पदाधिकारियों का कहना है कि रोटरी इंटरनेशनल कार्यालय कभी भी इस बात पर ध्यान नहीं देता है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स अपने कार्यकाल के खर्चों को पूरा करने के लिए कैसे और कितनी रकम इकट्ठा करते हैं; किंतु सुनील गुप्ता का मामला तो बहुत ही अलग है । तमाम घटनाओं के हवाले से लोगों को लगा है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में सुनील गुप्ता का सारा ध्यान सिर्फ इस बात पर है कि वह कैसे और कहाँ कहाँ से पैसे इकट्ठा कर लें, और कहाँ खर्चा बचा लें - ताकि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में वह अच्छी कमाई कर लें ।
सुनील गुप्ता द्वारा रोटरी को 'बेचने' की शिकायतें समय समय पर इंटरनेशनल प्रेसीडेंट केआर रवींद्रन, इंटरनेशनल डायरेक्टर मनोज देसाई तथा पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर पीटी प्रभाकर को की गईं । मनोज देसाई ने आरोपों को देखा/परखा तथा अपने स्रोतों से मामले को समझने का प्रयास किया, तो प्रथम दृष्टया आरोपों को सच माना/पाया । मनोज देसाई ने मामले को और स्पष्टता से समझने तथा आवश्यक कार्रवाई का जिम्मा पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर सुशील गुप्ता को सौंप दिया । सुना/बताया गया कि सुशील गुप्ता ने डिस्ट्रिक्ट 3100 के दो वरिष्ठ पूर्व गवर्नर्स ओम प्रकाश सपरा व विष्णु सरन भार्गव से इस बारे में बात की । इन दोनों ने उन्हें क्या कहा/बताया, इसकी जानकारी तो नहीं मिली - किंतु सुशील गुप्ता से इनकी हुई बातचीत के बाद रोटरी को 'बेचने' के मामले में सुनील गुप्ता के फँसने और उनके खिलाफ कार्रवाई होने की चर्चा ने जोर जरूर पकड़ लिया । इससे समझा यही गया है कि ओम प्रकाश सपरा व विष्णु सरन भार्गव ने सुनील गुप्ता के खिलाफ लगे आरोपों की पुष्टि ही की होगी । दरअसल सुनील गुप्ता ने रोटरी को 'बेचने' का जो उपक्रम किया है, वह इतना स्पष्ट है कि उसे छिपा पाना असंभव ही है । डिस्ट्रिक्ट डायरेक्टरी में 70 से अधिक पृष्ठों में विज्ञापन प्रकाशित हुए हैं - उनकी कीमत को ही यदि जोड़ लिया जाए, तो वह अच्छी-खासी रकम बनती है । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में सुनील गुप्ता ने अपनी टीम का सदस्य बनाने के लिए लोगों से मोटी मोटी जो रकम बसूली और इंटरसिटी जैसे विभिन्न कार्यक्रमों में रजिस्ट्रेशन व स्पॉन्सरशिप के जरिए जो उगाही की, उसका हिसाब अलग है ।
सुनील गुप्ता का दुस्साहस यह रहा कि रोटरी को 'बेचने' के आरोप उन पर लगते रहे, लेकिन वह फिर भी बसूली करते रहे । दरअसल उन्होंने माना यह था कि डिस्ट्रिक्ट के लोग शोर मचाने तथा शिकायत करने के अलावा और करेंगे क्या, तथा रोटरी के बड़े नेता व पदाधिकारी इस मामले में चाहेंगे तो भी कार्रवाई कर नहीं पायेंगे । उल्लेखनीय है कि रोटरी इंटरनेशनल के पदाधिकारियों के पास इस तरह के कोई अधिकार ही नहीं हैं, कि वह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पर इस तरह का कोई अंकुश लगा सके कि वह अपने गवर्नर-काल में कैसे और कितनी रकम इकट्ठा करे और क्या/कैसे/कहाँ खर्च करे ? इस बात का सुनील गुप्ता ने पूरा फायदा उठाया, और रोटरी को 'बेचने' के आरोपों की कोई परवाह नहीं की । शुरू शुरू में उन्हें बदनामी का डर जरूर हुआ था, किंतु फिर उन्होंने अपने आप को जैसे समझा लिया कि बदनामी होगी तो क्या हुआ, पैसे तो मिलेंगे ! इसके बाद तो फिर वह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में लिए जाने वाले हर फैसले को पैसे के तराजू पर ही तौलने लगे । अपनी डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस के चेयरमैन को चुनने के मामले में उन्होंने खुद ही लोगों को बताया कि कॉन्फ्रेंस के चेयरमैन पद के लिए वह किसी ऐसे पैसे वाले व्यक्ति को खोज रहे हैं, जो उनकी हर बात माने । लंबी सौदेबाजीभरी तलाश के बाद कॉन्फ्रेंस चेयरमैन पद के लिए उन्होंने जब रोटरी क्लब मेरठ के सत्य प्रकाश बंसल को चुनने की घोषणा की, तो लोगों को यह समझने में देर नहीं लगी कि सुनील गुप्ता जो करने की ठान लेते हैं, तो फिर उसे कर ही लेते हैं ।
डिस्ट्रिक्ट के लोगों द्वारा लगाए जा रहे आरोपों के बीच सुनील गुप्ता रोटरी को 'बेचते' हुए मोटी रकम बना लेने में भले कामयाब हो गए हों, लेकिन रोटरी इंटरनेशनल के बड़े नेताओं व पदाधिकारियों की नजर में आ जाने से वह मुश्किल में फँसते हुए दिख रहे हैं । रोटरी इंटरनेशनल के बड़े नेताओं व पदाधिकारियों का कहना है कि यह ठीक है कि रोटरी इंटरनेशनल के पास पैसों की हेराफेरी करने वाले रोटरी पदाधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के अधिकार नहीं हैं; किंतु ऐसा भी नहीं है कि पैसों की हेराफेरी को रोटरी इंटरनेशनल चुपचाप बैठा देखता रहेगा । उनका कहना है कि इस संबंध में जब जब गंभीर आरोप सामने आए हैं, रोटरी इंटरनेशनल ने उचित कार्रवाई की है - और तरह की कार्रवाई डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स के खिलाफ ही नहीं, इंटरनेशनल प्रेसीडेंट तक के खिलाफ हुई है । इस तरह की कार्रवाइयों में रोटरी इंटरनेशनल से होने वाले भुगतान को रोकना एक कारगर तरीका रहा है । इसी बिना पर चर्चा सुनी जा रही है कि रोटरी इंटरनेशनल से डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स को खर्चे-पानी के लिए जो भुगतान होता है, सुनील गुप्ता को उसकी दूसरी किस्त भेजने से रोटरी इंटरनेशनल इंकार कर सकता है । इस चर्चा से सुनील गुप्ता की नींद उड़ गई है । उन्हें डर हुआ है कि यदि ऐसा हुआ, तो डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में उन्होंने जितना पैसा 'कमाने' का लक्ष्य निर्धारित किया था - उसे पूरा कर पाना उनके लिए मुश्किल ही हो जायेगा ।