गाजियाबाद । नितिन गुप्ता के अनुज गोयल से हाथ मिला लेने की खबरें सुन कर विनय मित्तल इतने खफा हुए हैं कि वह सेंट्रल काउंसिल के लिए प्रस्तुत अपनी उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने की बात भूल कर रीजनल काउंसिल के लिए प्रस्तुत नितिन गुप्ता की उम्मीदवारी के खिलाफ प्रचार करने में जुट गए हैं । इस 'जुटने' के तहत ही विनय मित्तल जहाँ भी जाते हैं, वहाँ के लोगों को नितिन गुप्ता की धोखेबाजी का किस्सा बताने से नहीं चूकते हैं । किस्सा भी सिर्फ यह कि नितिन गुप्ता ने उनसे उनकी उम्मीदवारी के लिए काम करने का वायदा किया था, लेकिन फिर अचानक से पता नहीं क्या हुआ कि अपने वायदे को भूल कर नितिन गुप्ता खुद ही उम्मीदवार हो गए । विनय मित्तल को लगता है कि उनके चुनाव अभियान को नुकसान पहुँचाने के इरादे से अनुज गोयल ने नितिन गुप्ता को उम्मीदवारी के लिए प्रेरित किया; और अनुज गोयल की बातों में आकर नितिन गुप्ता ने उनके साथ धोखा किया । विनय मित्तल लोगों को यह भी बताते हैं कि नितिन गुप्ता को रीजनल काउंसिल का चुनाव जितवाने का लालच देकर अनुज गोयल ने नितिन गुप्ता को पूरी तरह अपने वश में कर लिया है, तथा नितिन गुप्ता के जरिए उनके समर्थकों को बरगलाने व तोड़ने का काम करते हुए सेंट्रल काउंसिल के लिए प्रस्तुत उनकी उम्मीदवारी को नुकसान पहुँचाने की कोशिश कर रहे हैं ।
उल्लेखनीय है कि नितिन गुप्ता पिछले चुनाव में विनय मित्तल के साथ थे, और पिछली बार रीजनल काउंसिल के लिए प्रस्तुत विनय मित्तल की उम्मीदवारी के पक्ष में उन्होंने जम कर काम किया था । गाजियाबाद में ही नहीं, गाजियाबाद के आसपास की ब्रांचेज में भी लोगों का मानना और कहना रहा है कि पिछली बार रीजनल काउंसिल के चुनाव में विनय मित्तल को जो जीत मिली थी - उसमें नितिन गुप्ता की महत्वपूर्ण भूमिका थी । पिछले चुनाव के दौरान लोगों को विनय मित्तल और नितिन गुप्ता के बीच जो केमिस्ट्री देखने को मिली थी, उसके आधार पर ही अनुमान लगाया जा रहा था कि अबकी बार सेंट्रल काउंसिल के लिए प्रस्तुत विनय मित्तल की उम्मीदवारी के अभियान की बागडोर नितिन गुप्ता के हाथ में ही होगी । खुद विनय मित्तल भी नितिन गुप्ता के सहयोग को लेकर आश्वस्त थे । किंतु नितिन गुप्ता ने सभी अनुमानों और आश्वस्तियों को गलत साबित करते हुए सेंट्रल इंडिया रीजनल काउंसिल के लिए अपनी उम्मीदवारी घोषित कर दी । नितिन गुप्ता की इस घोषणा से विनय मित्तल को तगड़ा वाला झटका तो लगा, तथा दूसरों को भी आश्चर्य तो हुआ - लेकिन यह मान लिया गया कि आखिर नितिन गुप्ता की भी राजनीतिक महत्वाकांक्षाएँ हैं और यदि वह उन्हें पूरा करना चाहते हैं, तो किसी को भी उन पर ऊँगली उठाने का हक नहीं है । विनय मित्तल ने भी इस सच्चाई को स्वीकार कर लिया कि सेंट्रल काउंसिल का चुनाव उन्हें नितिन गुप्ता की मदद के बिना ही लड़ना होगा; तथा इस हकीकत के चलते पैदा हुई स्थितियों से निपटने लिए उन्होंने अपनी उम्मीदवारी के संदर्भ में तैयारी भी कर ली ।
विनय मित्तल लेकिन यह देख/जान कर भड़क गए हैं कि नितिन गुप्ता ने अनुज गोयल से नजदीकी बना ली है । रीजनल काउंसिल के चुनाव के संदर्भ में अनुज गोयल को पहले हालाँकि मुकेश बंसल के समर्थन में देखा/पहचाना जा रहा था, और अनुज गोयल कुछेक जगह मुकेश बंसल की उम्मीदवारी को समर्थन दिलाने के प्रयास करते देखे/सुने भी गए थे; किंतु अभी उन्हें नितिन गुप्ता के साथ देखा जाने लगा है । लोगों के बीच चर्चा है कि अनुज गोयल ने मुकेश बंसल का साथ छोड़ कर अब नितिन गुप्ता की उम्मीदवारी का झंडा उठा लिया है । यह तो कोई ऐसी बात नहीं है, जिस पर विनय मित्तल भड़कें - लेकिन उनके भड़कने का कारण अनुज गोयल का नितिन गुप्ता को उनके खिलाफ इस्तेमाल करना बना । नितिन गुप्ता का अनुज गोयल के हाथों इस्तेमाल होने के लिए तैयार जाने ने उनके 'भड़कने' को और ज्यादा भड़काने का काम किया । दरअसल देखा/पाया यह गया कि अनुज गोयल ने नितिन गुप्ता की मदद से विनय मित्तल की जड़ें खोदने का काम शुरू किया है, और चुन चुन कर विनय मित्तल के समर्थकों व शुभचिंतकों को 'तोड़ने' व विनय मित्तल से दूर करने का प्रयास कर रहे हैं । नितिन गुप्ता चूँकि विनय मित्तल के समर्थकों व शुभचिंतकों को अच्छे से जानते/पहचानते हैं, इसलिए नितिन गुप्ता की मदद अनुज गोयल के खूब काम आ रही है । नितिन गुप्ता की मदद से अनुज गोयल सिर्फ विनय मित्तल के नजदीकियों को पहचानने का ही काम नहीं कर रहे हैं, बल्कि नितिन गुप्ता की मदद से वह विनय मित्तल के खिलाफ नकारात्मक अभियान भी चला रहे हैं । अनुज गोयल जो कर रहे हैं, या करना चाहते हैं - वह तो अपनी जगह है ही; विनय मित्तल के लिए झटके की बात यह है कि नितिन गुप्ता इस काम में बढ़चढ़ कर अनुज गोयल की मदद कर रहे हैं ।
अनुज गोयल दरअसल नहीं चाहते हैं कि सेंट्रल काउंसिल में उनके द्वारा खाली की गई सीट पर विनय मित्तल काबिज हों । इसके लिए उन्होंने अपने भाई जितेंद्र गोयल को भी बलि का बकरा बना दिया, लेकिन जल्दी ही उन्हें समझ में आ गया कि जितेंद्र गोयल के जरिए वह विनय मित्तल को शायद न रोक सकें । जितेंद्र गोयल को समर्थन दिलाने की अनुज गोयल ने जितनी जो कोशिशें की हैं, उनसे फायदा होना तो दूर की बात - रीजन में उनकी फजीहत और हुई है । लोग खुलेआम कहने भी लगे हैं कि चुनाव में जितेंद्र गोयल की हालत तो अमरेश वशिष्ट से भी बुरी होनी है । जितेंद्र गोयल के जरिए विनय मित्तल को 'रोकने' में असफलता मिलती देख कर ही अनुज गोयल ने नितिन गुप्ता के मार्फत विनय मित्तल का शिकार करने की योजना बनाई । नितिन गुप्ता को अपनी तरफ मिलाना अनुज गोयल के लिए इसलिए भी आसान हुआ, क्योंकि खुद नितिन गुप्ता अपनी उम्मीदवारी के संदर्भ में विनय मित्तल के रवैये से आहत थे । असल में, नितिन गुप्ता को विश्वास था कि विनय मित्तल के साथ पीछे उनके जैसे सहयोगात्मक संबंध रहे हैं, उसके कारण विनय मित्तल उनकी मदद करेंगे । लेकिन मदद करना तो दूर की बात, विनय मित्तल ने उनकी उम्मीदवारी के प्रति दुश्मनी जैसा भाव रखा । इसीलिए अनुज गोयल ने जैसे ही उनकी तरफ सहयोग का हाथ बढ़ाया, तो उन्होंने हाथ पकड़ने में देर नहीं लगाई - और फिर वह विनय मित्तल को उखाड़ने के लिए चली जा रही अनुज गोयल की चालों में भी मदद करते हुए दिखने लगे । यह देख/जान कर विनय मित्तल ने नितिन गुप्ता के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है । लोगों का कहना है कि विनय मित्तल सेंट्रल काउंसिल के लिए प्रस्तुत अपनी उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने की बजाए नितिन गुप्ता की रीजनल काउंसिल के लिए प्रस्तुत उम्मीदवारी के खिलाफ काम करने में ज्यादा दिलचस्पी ले रहे हैं ।