लखनऊ । केएस लूथरा ने सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए एके सिंह की उम्मीदवारी के समर्थन से पीछे हटने के संकेत देकर डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति को पुनः दोराहे पर ला खड़ा कर दिया है । उल्लेखनीय है कि अभी तक सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए एक अकेले एके सिंह को ही उम्मीदवार के रूप में देखा/पहचाना जा रहा था; गुरनाम सिंह खेमे की तरफ से भी चूँकि किसी उम्मीदवार की चर्चा नहीं सुनी जा रही थी - इसलिए माना जा रहा था कि एके सिंह निर्विरोध ही सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बन जायेंगे । उल्लेखनीय है कि दो वर्ष पहले विशाल सिन्हा के लिए रास्ता साफ कराने हेतु एके सिंह की उम्मीदवारी को वापस कराने के समय ऐसा ही करने/कराने का वायदा किया भी गया था । किंतु केएस लूथरा के तेवरों से एके सिंह का निर्विरोध सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बनना मुश्किल लगने लगा है । गौर करने वाला तथ्य यह है कि दो वर्ष पहले एके सिंह की उम्मीदवारी को वापस कराने के लिए जो 'सौदेबाजी' हुई थी, उसमें केएस लूथरा शामिल नहीं थे - लेकिन वह सौदेबाजी हुई थी केएस लूथरा के विरोधी रवैये के कारण ही । आज भी दोनों पक्षों के लोग मानते और कहते हैं कि उस समय केएस लूथरा यदि एके सिंह का साथ देते तो उक्त सौदेबाजी करने की मजबूरी न होती और आज विशाल सिन्हा की जगह एके सिंह ही फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर होते । पिछली बार केएस लूथरा के कारण ही सफलता एके सिंह से रूठ गई थी - और इस बार भी सफलता और एके सिंह के बीच केएस लूथरा आते दिख रहे हैं ।
एक फर्क लेकिन जरूर है : पिछली बार केएस लूथरा का समर्थन न मिलने के लिए एके सिंह खुद जिम्मेदार थे; इस बार यह जिम्मेदारी शिव कुमार गुप्ता के सिर हैं । विडंबना की बात यह है कि जिन शिव कुमार गुप्ता को एके सिंह की उम्मीदवारी के सबसे बड़े समर्थक के रूप में देखा/पहचाना जाता रहा है, वही शिव कुमार गुप्ता अब एके सिंह की उम्मीदवारी के लिए सबसे बड़ा खतरा बने दिख रहे हैं । दरअसल एके सिंह की उम्मीदवारी के प्रति केएस लूथरा के सुर जो बिगड़े हैं, उसके लिए जिम्मेदार शिव कुमार गुप्ता और केएस लूथरा के बीच चल रही तनातनी है । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में शिव कुमार गुप्ता की कार्रवाइयों से केएस लूथरा जिस तरह बाहर हैं, उससे केएस लूथरा बुरी तरह आहत हैं । लखनऊ में लोगों का कहना है कि शिव कुमार गुप्ता के गवर्नर-काल में केएस लूथरा जिस तरह की चौधराहट जमाना/दिखाना चाहते थे, शिव कुमार गुप्ता ने उन्हें उसका मौका ही नहीं दिया - फलस्वरूप केएस लूथरा का पारा सातवें आसमान पर है । लोगों का मानना और कहना है कि शिव कुमार गुप्ता आज जिस पोजीशन पर हैं, उसके लिए श्रेय सिर्फ और सिर्फ केएस लूथरा को ही दिया जा सकता है - इसलिए शिव कुमार गुप्ता को उन्हें विशेष अधिकार व सम्मान तो देना ही चाहिए था; जिसे दे पाने में शिव कुमार गुप्ता विफल रहे और इसके चलते केएस लूथरा का खफा होना स्वाभाविक भी है ।
केएस लूथरा और शिव कुमार गुप्ता के बीच की तनातनी को डिस्ट्रिक्ट में कुछेक लोग हालाँकि गवर्नर और उसके 'गॉडफादर' के बीच चलती चली आ रही सनातन व शाश्वत 'समस्या' के रूप में ही देखते हैं : 'गॉडफादर' हमेशा यह उम्मीद करता है कि गवर्नर हर काम उससे पूछ पूछ कर ही करे; जबकि गवर्नर समझता है कि अपने मन की यदि वह अभी नहीं कर सका तो फिर कब करेगा ? दोनों की चल जाए - ऐसा फार्मूला बनाना कोई मुश्किल तो नहीं होना चाहिए, किंतु देखने में आता है कि ऐसा फार्मूला प्रायः बन नहीं पाता है । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में केएस लूथरा खुद अपने 'गॉडफादर' रहे गुरनाम सिंह के रवैये का शिकार हो चुके हैं । लोगों का कहना है कि लेकिन अब वह खुद ही गुरनाम सिंह वाला रोल निभा रहे हैं । केएस लूथरा के नजदीकियों का कहना है कि शिव कुमार गुप्ता ने गवर्नर का कामकाज शुरू करते ही केएस लूथरा को इग्नोर करना शुरू कर दिया था, और हर काम अपनी ही मर्जी से करने लगे थे; उन्होंने इस बात का भी ख्याल नहीं रखा कि उन्हें गवर्नर बनवाने के लिए केएस लूथरा ने जिन कुछेक लोगों से वायदे किए हुए थे, उन्हें भी पूरा किया जाना है । गवर्नर का कामकाज शुरू करते ही शिव कुमार गुप्ता का रवैया जैसा हो गया, उससे लगा कि शिव कुमार गुप्ता सुनियोजित तरीके से केएस लूथरा को डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच अपमानित करना व कमजोर करना चाहते हैं । कहने को तो केएस लूथरा को महत्वपूर्ण पद मिला, लेकिन वह सजावटी ही साबित हुआ - क्योंकि उससे जुड़े सारे फैसले शिव कुमार गुप्ता ने ही किए/लिए । अपनी टीम के लिए सदस्यों का चुनाव करने से लेकर, टीम के सदस्यों से कितने कितने पैसे लिए जाएँ - तक के फैसलों से शिव कुमार गुप्ता ने जिस तरह केएस लूथरा को बाहर रखा, उसके कारण केएस लूथरा पूरी तरह उखड़ गए ।
हद यह हुई कि सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के चुनाव के संदर्भ में चुनावी राजनीति की बागडोर भी शिव कुमार गुप्ता ने अपने हाथ में ले ली, और उन्होंने ही एके सिंह को निर्देश देना शुरू कर दिया कि उम्मीदवार के रूप में उन्हें क्या करना है, और क्या नहीं करना है । यह देख कर केएस लूथरा ने भी अपने तेवर दिखाने शुरू कर दिए - उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि एके सिंह यदि शिव कुमार गुप्ता के उम्मीदवार के रूप में 'दिखेंगे' तो फिर उन्हें कोई दूसरा उम्मीदवार खोजना होगा । केएस लूथरा के नजदीकियों की तरफ से सुना गया कि वह पीएस जग्गी को उम्मीदवार के रूप में तैयार करने का प्रयास कर रहे हैं । शिव कुमार गुप्ता और एके सिंह की जोड़ी हालाँकि अभी केएस लूथरा के तेवरों को गंभीरता से लेती नहीं दिख रही है । उन्हें लग रहा है कि केएस लूथरा यदि चुनाव की नौबत ले भी आए तो गुरनाम सिंह खेमा केएस लूथरा के साथ जाने की बजाए उनके साथ रहेगा - और तब केएस लूथरा कुछ कर नहीं पायेंगे । डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में दिलचस्पी रखने वाले लोगों का कहना लेकिन यह भी है कि केएस लूथरा को हमेशा ही कम करके आँका गया है, किंतु उन्होंने हर बार अपनी चुनावी सामर्थ्य को साबित किया है । इसके अलावा, यह सोचना/मानना भी जल्दबाजी करना होगा कि चुनाव की स्थिति में गुरनाम सिंह खेमा एके सिंह का समर्थन करेगा ही । विशाल सिन्हा अभी भले ही शिव कुमार गुप्ता के साथ दिख रहे हों, किंतु इस बात का कोई भरोसा नहीं किया जा सकता है कि चुनाव की नौबत आने पर वह शिव कुमार गुप्ता के हाथों हुईं हार का बदला न लेना चाहें । यह ठीक है कि उस हार के लिए वास्तविक जिम्मेदार केएस लूथरा हैं; लेकिन यह शिव कुमार गुप्ता हैं जिनकी उपस्थिति विशाल सिन्हा को हार का अहसास कराती है । इस अहसास से निपटने खातिर विशाल सिन्हा के लिए - प्रकारांतर से गुरनाम सिंह खेमे के लिए - शिव कुमार गुप्ता को निशाने पर लेना जरूरी हो सकता है ।
क्या होगा, यानि चुनाव से जुड़ी परिस्थितियों का ऊँठ किस करवट बैठेगा, यह अभी से समझना/कहना तो मुश्किल है; लेकिन यह सवाल जरूर चर्चा में आ गया है कि शिव कुमार गुप्ता के उम्मीदवार के रूप में एके सिंह कहीं एक बार फिर केएस लूथरा के विरोधी तेवरों का शिकार तो नहीं होंगे ?