नई दिल्ली । मुकेश अरनेजा को अपने ही क्लब की बोर्ड मीटिंग में भाषण देने से मना कर दिया गया, और फलस्वरूप भाषण देने की तैयारी करके गए मुकेश अरनेजा को अपने ही क्लब की बोर्ड मीटिंग से बैरंग लौटना पड़ा । इस प्रसंग के चलते उनके क्लब - रोटरी क्लब दिल्ली नॉर्थ के अध्यक्ष मनीष गोयल को अपने ही बोर्ड मेंबर्स से खरी-खोटी और सुननी पड़ी । मनीष गोयल आजकल इस बात का एक जीवंत उदाहरण बने हुए हैं कि 'एक मूर्ख व बदनाम किस्म के व्यक्ति की दोस्ती' किस तरह मुसीबतों का जंजाल बन जाती है । क्लब के लोगों का ही कहना है कि मनीष गोयल बेचारे भले व्यक्ति हैं, लेकिन मुकेश अरनेजा से दोस्ती निभाने के चक्कर में ऐसी ऐसी हरकतें कर जातें हैं कि क्लब से लेकर डिस्ट्रिक्ट तक में मजाक का विषय बन कर रह गए हैं । क्लब की पिछली बोर्ड मीटिंग में मुकेश अरनेजा के भाषण मामले में यही हुआ । नियमानुसार और परंपरानुसार बोर्ड मीटिंग का एक बना-बनाया एजेंडा होता है; उसमें यदि कुछ जोड़ना होता है तो अध्यक्ष दूसरे पदाधिकारियों से बात करके एजेंडे को विस्तार दे देता है - दे सकता है । क्लब की पिछली बोर्ड मीटिंग के एजेंडे में मुकेश अरनेजा का भाषण था नहीं; लेकिन जैसे ही बोर्ड मीटिंग शुरू हुई - पता चला की मुकेश अरनेजा भाषण देने की तैयारी कर रहे हैं । बोर्ड मेंबर उखड़ गए । उन्होंने अध्यक्ष से पूछा कि यह सब क्या हो रहा है । मनीष गोयल ने उन्हें बताया कि ऐन मौके तक कोई स्पीकर तय नहीं हो रहा था; इसलिए उन्होंने सोचा कि पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर मुकेश अरनेजा को ही स्पीकर के रूप में आमंत्रित कर लूँ । बोर्ड मेंबर्स को यह समझने में देर नहीं लगी कि मनीष गोयल यह जो बोल रहे हैं, इसकी चाबी किसने भरी है; लिहाजा उन्होंने मनीष गोयल को बताया कि मुकेश अरनेजा इस क्लब के मेंबर हैं, इस क्लब के पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नहीं हैं; और दूसरी बात यह कि चाहें कितना ही ऐन मौका हो स्पीकर का फैसला आप दूसरे पदाधिकारियों से सलाह करके ही कर सकते हैं । मनीष गोयल ने कुछ कहने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने देखा/पाया कि इस मामले में वह बिलकुल अकेले पड़ गए हैं - लिहाजा वह चुप होने तथा बोर्ड के सदस्यों की बात मानने के लिए मजबूर हुए ।
भाषण देने की तैयारी से बोर्ड मीटिंग में पहुँचे मुकेश अरनेजा ने मनीष गोयल को सरेंडर करते देखा, तो उन्होंने मनीष गोयल में हवा भरने की कोशिश तो की; किंतु बोर्ड मेंबर्स की सख्ती और तल्खी से मनीष गोयल में इतना बड़ा पंक्चर हो गया था कि फिर मुकेश अरनेजा द्वारा भरी गई हवा उनमें ठहर ही नहीं पाई । अंततः मुकेश अरनेजा को बिना भाषण दिए हुए ही अपने क्लब की बोर्ड मीटिंग से वापस लौटना पड़ा । मुकेश अरनेजा की 'भक्ति' करने के कारण मनीष गोयल को यह कोई पहली बार फजीहत का सामना नहीं करना पड़ा । इससे पहले भी कई बार वह मुकेश अरनेजा के कारण क्लब में और डिस्ट्रिक्ट में किरकिरी करवा चुके हैं । क्लब में उनकी समस्या यह है कि उनके बोर्ड में ऐसे लोग हैं जिन्हें मुकेश अरनेजा के विरोधी के रूप में देखा/पहचाना जाता है; इसलिए वह कोई ऐसा काम कर ही नहीं पाते हैं, जिसे मुकेश अरनेजा अपने आपको प्रमोट करने के लिए करना जरूरी समझते हों । मनीष गोयल को साफ-साफ बता दिया गया है कि अध्यक्ष के रूप में क्लब और रोटरी की गरिमा के अनुरूप तथा हित में कोई काम करोगे, तो हर तरह का सहयोग मिलेगा; मुकेश अरनेजा के कहने से कोई उल्टा-सीधा काम करने की कोशिश करोगे तो सहयोग तो नहीं ही मिलेगा, विरोध का सामना भी करना पड़ेगा । क्लब के लोगों का कहना है कि मनीष गोयल ने भी इस बात को समझ लिया है, और वह अपनी तरफ से कोई ऐसी हरकत नहीं करते हैं जिससे कि उन्हें फजीहत का सामना करना पड़े; किंतु कभी-कभी मुकेश अरनेजा की 'होशियारी' के चलते ऐसी स्थिति आ ही जाती है ।
मुकेश अरनेजा ने मनीष गोयल से कई एक क्लब-अध्यक्षों को सिफारिश करवाई कि अपने यहाँ के कार्यक्रमों में वह मुकेश अरनेजा को भी बुलाएँ । इसके लिए लेकिन कई अध्यक्षों ने तो उनकी सिफारिश पर कोई गौर ही नहीं किया, और कुछेक ने तो उन्हें सीधा और साफ साफ इंकार भी कर दिया । मजे की बात यह रही कि जिन कुछेक क्लब्स से मुकेश अरनेजा को निमंत्रण मिले, उनके पदाधिकारियों से मुकेश अरनेजा ने मनीष गोयल को भी आमंत्रित करने को कहा । कुछेक को तो मुकेश अरनेजा ने इसका कारण भी बता दिया कि फिर मैं मनीष गोयल के साथ उनकी ही गाड़ी में आ जाऊँगा, अन्यथा मैं कैसे आऊँगा ? मुकेश अरनेजा को चूँकि क्लब्स में आने जाने के कम मौके मिले, इसलिए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में अपनी भूमिका उन्हें बहुत हद तक फोन से निभानी पड़ रही है । इस कारण से डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में वह दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के पक्ष में उतना काम करते हुए नहीं नजर आ रहे हैं, जितने काम की उनसे उम्मीद की जाती है । कई एक लोगों का कहना है कि उनकी राजनीति चूँकि बुरी तरह पिट गई है और लोग उनके कहे में नहीं फँस रहे हैं, इसलिए चुनावी तिकड़मों के रूप में क्लब्स में - खासतौर से गाजियाबाद व उत्तर प्रदेश के क्लब्स में तोड़फोड़ मचाने की उनकी कोशिशें दरअसल सफल नहीं हो पा रही हैं, और यही कारण है कि चुनाव में उनका कोई खास असर नहीं दिख रहा है ।
मुकेश अरनेजा की समस्या यह है कि रोटरी में वैसे तो उनकी कोई साख व इज्जत नहीं रह गई है; इसलिए जुगाड़ बैठाने में अपने माहिरपने का इस्तेसेमाल करते हुए उन्हें अपने लिए मौके बनाने पड़ते हैं - जिनमें कभी-कभार वह कामयाब भी हो जाते हैं । पिछले दिनों डिस्ट्रिक्ट 3100 में मेंबरशिप डेवलपमेंट विषय पर हुई इंटरसिटी में मुख्य अतिथि के रूप में अपने को बुलाए जाने को मुकेश अरनेजा ने बड़ा प्रचारित किया । किंतु इसके पीछे की कहानी बड़ी दिलचस्प है । डिस्ट्रिक्ट 3100 के उक्त कार्यक्रम में दरअसल पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर पीटी प्रभाकर को आना था । इसके एक दिन पहले लेकिन पीटी प्रभाकर अपने घर में बाथरूम में फिसल जाने से चोट खा बैठे । ऐसे में उनका आ पाना स्थगित ही होना था । मुकेश अरनेजा को यह खबर मिली, तो 'किसी के मरने की सूचना मिलते ही तेरहवीं खाने की तैयारी करने' की प्रवृत्ति का इज़हार करते हुए उन्होंने तुरंत डिस्ट्रिक्ट 3100 के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुनील गुप्ता से संपर्क किया । उन्हें पता था कि सुनील गुप्ता के बस की इतना जल्दी किसी मुख्य अतिथि का इंतजाम करना नहीं होगा । कोई ढंग का रोटेरियन 'मजबूरी' वाला मुख्य अतिथि बनने को तैयार भी नहीं होगा । मुकेश अरनेजा ने खुद ही ऑफर किया कि कोई और न मिल रहा हो, तो मैं आ जाऊँगा । सुनील गुप्ता का भी आसानी से काम बन रहा था, सो उन्होंने भी हाँ कहने में देर नहीं लगाई । जुगाड़ से मुख्य अतिथि बने मुकेश अरनेजा फोटो दिखा दिखा कर अपने यहाँ लोगों को बता/जता रहे हैं कि देखिए, बाहर उनकी कितनी पूछ है ।
इससे पहले, डिस्ट्रिक्ट 3080 में हुए एक सेमिनार के निमंत्रण का जुगाड़ भी उन्होंने तीन-तिकड़मों से किया । डिस्ट्रिक्ट 3080 में पिछले रोटरी वर्ष में हुए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव को लेकर बड़ा झगड़ा चल रहा है । इस झगड़े के कारण दोनों पक्षों ने डिस्ट्रिक्ट से बाहर भी अपने अपने लिए समर्थन जुटाने का अभियान छेड़ा हुआ है । मुकेश अरनेजा ने इंटरनेशनल डायरेक्टर मनोज देसाई से अपनी नजदीकी का वास्ता देकर दोनों पक्षों के लोगों के साथ अपने तार जोड़ लिए और सेमिनार का निमंत्रण जुगाड़ लिया । डिस्ट्रिक्ट 3080 की राजनीति में अपनी राजनीति की रोटियाँ सेंकने के लिए मुकेश अरनेजा ने जिस तरह से मनोज देसाई के नाम का इस्तेमाल किया, उससे मनोज देसाई उनसे बुरी तरह खफा हैं । उनका खफा-पन अभी हाल ही में तब जाहिर हुआ, जब डिस्ट्रिक्ट 3080 के एक इंटरसिटी कार्यक्रम में जाने से ठीक पहले मनोज देसाई ने मसूरी में कुछेक प्रमुख रोटेरियंस के साथ मीटिंग की - और उसमें उन्होंने मुकेश अरनेजा को नहीं बुलाया । मुकेश अरनेजा ने उनका निमंत्रण पाने की हालाँकि हर संभव कोशिश की, किंतु मनोज देसाई की सख्ती के चलते उनकी कोई भी कोशिश सिरे नहीं चढ़ सकी ।
मुकेश अरनेजा ने अपने क्लब की बोर्ड मीटिंग में भाषण देने की भूमिका बनाने में भी कई तिकड़में लगाईं, किंतु यहाँ भी उन्हें मुँहकी खानी पड़ी । अपने साथ उन्होंने अपने क्लब के अध्यक्ष मनीष गोयल की फजीहत मुफ्त में और करवा दी ।