Monday, October 19, 2015

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3100 के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुनील गुप्ता की गवर्नरी पर इंटरनेशनल प्रेसीडेंट केआर रवींद्रन की चिट्ठी से लटकी तलवार ने राजीव सिंघल की उम्मीदवारी के समर्थकों की हरकतों पर भी रोक लगने की उम्मीद पैदा की है


मेरठ । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुनील गुप्ता को इंटरनेशनल प्रेसीडेंट केआर रवींद्रन की तरफ से लिखे गए पत्र के मजमून ने उस आशंका को सच साबित कर दिया है, जो रोटरी को बेचने के आरोपों के संदर्भ में 'रचनात्मक संकल्प' की आठ अक्टूबर 2015 की पोस्ट में व्यक्त की गई थी । सुनील गुप्ता पर जो आरोप लगते रहे हैं, उन्हें प्रथम दृष्टया सच मानते हुए इंटरनेशनल प्रेसीडेंट केआर रवींद्रन ने उन पर कार्रवाई शुरू कर दी है । कार्रवाई के तहत ही, केआर रवींद्रन ने सुनील गुप्ता को उक्त आरोपों पर अपना जबाव देने के लिए नोटिस भेजा है, जिसमें उन्होंने साफ साफ लिख दिया है कि आरोपों पर उन्होंने यदि संतोषजनक जबाव नहीं दिया तो जनवरी में होने वाली इंटरनेशनल बोर्ड मीटिंग में उनकी गवर्नरी को जारी रखने व मान्य रखने के बारे में फैसला लिया जायेगा । डिस्ट्रिक्ट टीम के सदस्यों को पद बेचने के आरोप पर केआर रवींद्रन ने बहुत ही तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है; साथ ही डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के उम्मीदवारों से पैसे ऐंठने तथा डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव की आड़ में मोटा पैसा कमाने की सुनील गुप्ता की कोशिशों को भी केआर रवींद्रन ने खासा गंभीर माना है । उल्लेखनीय है कि रोटरी को बेचने के आरोपों को लेकर सुनील गुप्ता पिछले काफी समय से डिस्ट्रिक्ट में लोगों के निशाने पर रहे हैं । सुनील गुप्ता ने डिस्ट्रिक्ट के लोगों द्वारा लगाए जा रहे आरोपों का कभी कोई नोटिस नहीं लिया । दरअसल वह यह सोच कर आश्वस्त रहे कि डिस्ट्रिक्ट के लोग आरोप लगाते रहने से ज्यादा कुछ कर नहीं पायेंगे, और रोटरी के बड़े पदाधिकारी इन आरोपों पर कोई कार्रवाई नहीं करेंगे । किंतु खुद इंटरनेशनल प्रेसीडेंट केआर रवींद्रन की तरफ से लिखे गए पत्र के प्राप्त होने के बाद से सुनील गुप्ता के लिए मामला गंभीर हो गया है । दरअसल 15 अक्टूबर की आधी रात के बाद आए तथा 16 अक्टूबर की सुबह देखे/पढ़े गए केआर रवींद्रन के पत्र से सुनील गुप्ता की गवर्नरी छिनने की जमीन तैयार होती दिख रही है ।  
सुनील गुप्ता ने अपनी गवर्नरी बचाने के लिए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव की स्थिति को टलवाने का फार्मूला सोचा है, तथा इस पर अपनी तरफ से प्रयास उन्होंने शुरू भी कर दिए हैं । दरअसल केआर रवींद्रन के कोप से बचने को लेकर सुनील गुप्ता ने डिस्ट्रिक्ट के बाहर के कुछेक प्रमुख लोगों से सलाह ली, तो उन्हें समझाया गया कि केआर रवींद्रन का मुख्य एजेंडा वास्तव में यह है कि उनके प्रेसीडेंट-काल में रोटरी में किसी भी स्तर पर कोई चुनाव न हो । वह मानते हैं कि चुनाव के चक्कर में ही रोटरी में तमाम झगड़े-झंझट होते हैं, इसलिए जब चुनाव ही नहीं होंगे तो झगड़े-झंझट स्वतः ही खत्म हो जायेंगे । न रहेगा बाँस, तो न रहेगी बाँसुरी । सुनील गुप्ता को समझाया गया है कि वह यदि अपने डिस्ट्रिक्ट में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव की संभावना को खत्म कर/करवा दें, तो केआर रवींद्रन उनसे खुश हो जायेंगे - और तब रोटरी को बेच कर मोटा पैसा बनाने के जो आरोप उन पर हैं, उसकी कालिख को भी केआर रवींद्रन अनदेखा कर देंगे । इस तरह उनकी गवर्नरी भी बच जायेगी, तथा रोटरी को बेच कर जो पैसा उन्होंने बनाया/कमाया है वह भी बच जायेगा । यह सलाह मिलने के बाद से सुनील गुप्ता ने मंजु गुप्ता तथा दिवाकर अग्रवाल की उम्मीदवारी को वापस कराने के लिए युद्ध-स्तर पर प्रयास शुरू कर दिए हैं । इन प्रयासों में सुनील गुप्ता का घृणित रूप यह और सामने आया है कि इस काम के लिए वह अपने बच्चों का इस्तेमाल कर रहे हैं । दिवाकर अग्रवाल व मंजु गुप्ता की उम्मीदवारी को वापस कराने के लिए सुनील गुप्ता रोते-धोते हुए अपने बच्चों की कसमें दे कर भावनात्मक दबाव बनाने का काम कर रहे हैं । मंजु गुप्ता शुरू में तो उनके इस नाटक पर पसीजती हुईं सुनी गईं, लेकिन फिर उन्होंने भी सुनील गुप्ता की चाल को समझ/पहचान लिया । 
सुनील गुप्ता ने एक तर्क यह भी दिया कि पिछले रोटरी वर्ष में तत्कालीन डिस्ट्रिक्ट गवर्नर संजीव रस्तोगी के कहने पर यदि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव की संभावना समाप्त हो सकती है, तो उनके प्रयासों को समर्थन क्यों नहीं मिल सकता है । उनका यह तर्क वाजिब होते हुए भी इसलिए नहीं चला, क्योंकि उनके प्रयासों में शुरू से ही बेईमानी के तत्व देखे/पहचाने जा रहे हैं ।पिछले रोटरी वर्ष में संजीव रस्तोगी ने जब ऐसा ही प्रयास किया था, तो उनके फार्मूले पर किसी को भी ऊँगली उठाने का मौका नहीं मिला था; वह किसी उम्मीदवार के साथ पक्षपात करते हुए नहीं दिखे थे - और इसीलिए सभी उम्मीदवारों व उनके समर्थक नेताओं ने संजीव रस्तोगी के प्रयासों को सहयोग व समर्थन दिया था । सुनील गुप्ता चाहते तो यह हैं कि उन्हें भी वैसा ही सहयोग व समर्थन मिले, जैसा पिछले रोटरी वर्ष में संजीव रस्तोगी को मिला था; लेकिन संजीव रस्तोगी ने जिस ईमानदारी के साथ प्रयास किया था, वैसी ही ईमानदारी अपनाने को वह तैयार नहीं हैं । इस वर्ष डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए जो तीन उम्मीदवार हैं, सुनील गुप्ता उनमें से दो पर ही यह दबाव बना रहे हैं कि वह अपनी अपनी उम्मीदवारी को वापस ले लें तथा राजीव सिंघल को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी बन जाने दें । उनका यह प्रयास साबित कर रहा है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव को टलवाने के पीछे उनका उद्देश्य डिस्ट्रिक्ट में सद्भाव बनाना नहीं, बल्कि राजीव सिंघल के लिए रास्ता साफ करवाना है । राजीव सिंघल के लिए रास्ता साफ करवाने के लिए सुनील गुप्ता अपने बच्चों को आगे करके उनकी कसमें देने तक के रास्ते पर क्यों बढ़ गए हैं - इसका जबाव भी उनकी ही बातों में मिल जा रहा है । दिवाकर अग्रवाल व मंजु गुप्ता के समर्थकों से सुनील गुप्ता बता रहे हैं कि राजीव सिंघल तो चुनाव में एक करोड़ रुपये खर्च करेंगे, दिवाकर अग्रवाल व मंजू गुप्ता कैसे उनका मुकाबला करेंगे ? जाहिर है कि सुनील गुप्ता की निगाह इस बात पर है कि वह यदि राजीव सिंघल के लिए रास्ता साफ करवा देते हैं, तो चुनाव के नाम पर राजीव सिंघल द्वारा खर्च होने वाले एक करोड़ रुपयों में से मोटा हिस्सा वह भी ऐंठ सकेंगे । 
मजे की बात यह है कि सुनील गुप्ता के ऊपर इंटरनेशनल प्रेसीडेंट की तरफ से कार्रवाई की यह जो तलवार लटकी है, वह राजीव सिंघल के समर्थक नेताओं के किए-धरे का नतीजा है - लेकिन फिर भी डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुनील गुप्ता उन्हीं राजीव सिंघल का काम बनाने के प्रयासों में लगे हुए हैं । इसका कारण सिर्फ यही है कि उन्हें राजीव सिंघल से ही पैसा ऐंठ पाने की उम्मीद है । सुनील गुप्ता को उनके लिए रास्ता साफ करने में लगा देख कर राजीव सिंघल व उनके समर्थक खुश तो बहुत हैं, लेकिन इस सवाल ने उन्हें बहुत डराया हुआ भी है कि सुनील गुप्ता से गवर्नरी छिनने की नौबत यदि आई, तो फिर डिस्ट्रिक्ट गवर्नर का काम करने की जिम्मेदारी किसे मिलेगी ? अपनी तरफ से उन्होंने जहाँ जहाँ भी इस सवाल का जबाव तलाशने की कोशिश की, वहाँ वहाँ से उन्हें यही सुनने को मिला है कि तब फिर उक्त जिम्मेदारी निवर्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर संजीव रस्तोगी को ही मिलेगी । उनके लिए चिंता की बात यह है कि इंटरनेशनल प्रेसीडेंट केआर रवींद्रन के अनुसार, सुनील गुप्ता के भविष्य का फैसला यदि सचमुच जनवरी में होने वाली इंटरनेशनल बोर्ड मीटिंग में हुआ और उसी मीटिंग में डिस्ट्रिक्ट का कामकाज चलाने का जिम्मा निवर्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर संजीव रस्तोगी को सौंप दिया गया, तो डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस तो फिर संजीव रस्तोगी की देखरेख में होगी - और तब राजीव सिंघल व उनके समर्थक नेताओं को मनमानी करने की छूट नहीं मिल सकेगी । इस तरह, सुनील गुप्ता को लिखे/भेजे केआर रवींद्रन के पत्र ने सुनील गुप्ता के लिए ही नहीं, उनके साथ-साथ राजीव सिंघल व उनके समर्थक नेताओं के सामने भी भारी मुश्किल खड़ी कर दी है ।