Sunday, October 25, 2015

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3100 में राजीव सिंघल की उम्मीदवारी के समर्थक पूर्व गवर्नर्स की 'ठुकाई'/'बजाई' से बचने लिए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुनील गुप्ता ने कॉलिज ऑफ गवर्नर्स की मीटिंग का विचार छोड़ने में ही अपनी भलाई देखी है

मेरठ । पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स पर भरोसा न कर पाने के कारण डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुनील गुप्ता कॉलिज ऑफ गवर्नर्स की मीटिंग बुलाने को लेकर असमंजस में फँस गए हैं । मजे की बात यह हुई है कि इंटरनेशनल प्रेसीडेंट केआर रवींद्रन से मिले चेतावनी पत्र की मार से बचने के लिए सुनील गुप्ता ने पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स के यहाँ शरण खोजने की जो कोशिश की, उसका उन्हें बड़ा उत्साहजनक जबाव मिला और प्रायः हर पूर्व गवर्नर ने कॉलिज ऑफ गवर्नर्स की मीटिंग बुलाने के उनके प्रस्ताव का हाथों-हाथ समर्थन किया - किंतु फिर भी कॉलिज ऑफ गवर्नर्स की मीटिंग बुलाने का वह कोई फैसला नहीं कर पा रहे हैं । दरअसल राजीव सिंघल व उनके समर्थकों ने सुनील गुप्ता को आगाह किया है कि कॉलिज ऑफ गवर्नर्स की मीटिंग बुलाने के उनके प्रस्ताव पर पूर्व गवर्नर्स ने जो उत्साह दिखाया है, वह उनकी मदद करने के संदर्भ में नहीं दिखाया है - बल्कि उनकी 'ठोकने'/'बजाने' का मौका बनाने/पाने के संदर्भ में दिखाया है । राजीव सिंघल व उनके समर्थकों ने सुनील गुप्ता को कहा/बताया है कि कुछेक पूर्व गवर्नर्स तो कॉलिज ऑफ गवर्नर्स की मीटिंग को लेकर इसलिए उत्साहित हैं क्योंकि उसमें 'उन्हें' उन्हें 'धोने' का मौका मिलेगा, और बाकी कई फ्री का तमाशा देखने की उम्मीद में कॉलिज ऑफ गवर्नर्स की मीटिंग करवा लेना चाहते हैं । सुनील गुप्ता के नजदीकियों के अनुसार ही, यह कहते/बताते हुए राजीव सिंघल ने सुनील गुप्ता को आश्वस्त किया है कि इन पूर्व गवर्नर्स के चक्कर में मत पड़ो - मैं इंटरनेशनल डायरेक्टर मनोज देसाई से कह कर तुम्हें बचवाऊँगा । 
राजीव सिंघल से यह आश्वासन मिलने के बाद ही सुनील गुप्ता ने दो काम एक साथ किए - एक तरफ तो उन्होंने यह कहते हुए अपना 'दम' दिखाना शुरू किया कि इंटरनेशनल प्रेसीडेंट की चिट्ठी से क्या होता है, देखना मैं सब मैनेज कर लूँगा; और दूसरी तरफ उन्होंने कॉलिज ऑफ गवर्नर्स की मीटिंग के विचार से पीछे हटने के संकेत देने शुरू कर दिए । कॉलिज ऑफ गवर्नर्स की मीटिंग से उन्हें पीछे हटता पाकर कुछेक पूर्व गवर्नर्स ने अपने आप को ठगा हुआ महसूस किया है । उनका कहना है कि सुनील गुप्ता ही तो उनके पास आया था; रोते-धोते हुए और अपने बच्चों की कसमें देते हुए खुद को बचाने की गुहार लगाते हुए उनके पैरों में बैठ गया था; खुद ही कह/बता रहा था कि अब पूर्व गवर्नर्स ही मुझे बचा सकते हैं; उसके रोने-धोने को देखते हुए उन्होंने आपस में विचार-विमर्श भी किया तथा उसकी मदद करने को लेकर सक्रिय भी हुए - अब सुना है कि सुनील गुप्ता लोगों के बीच कह रहे हैं कि उन्हें पूर्व गवर्नर्स पर भरोसा ही नहीं है । मजे की बात यह हुई है कि राजीव सिंघल की उम्मीदवारी को समर्थन देने के चक्कर में सुनील गुप्ता ने जिन बृज भूषण व योगेश मोहन गुप्ता को तवज्जो दी, वही दोनों सुनील गुप्ता के हाथों उपेक्षित होने की शिकायत करते सुने गए हैं । उनकी शिकायतों की सुनील गुप्ता हालाँकि कोई परवाह करते हुए भी नहीं देखे जा रहे हैं । कहीं कहीं तो सुनील गुप्ता यह तक कहते सुने गए हैं कि बृज भूषण और योगेश मोहन गुप्ता ने ज्यादा शिकायतबाजी की, तो उनका हाल भी एमएस जैन जैसा कर दिया जायेगा । एमएस जैन भी राजीव सिंघल की उम्मीदवारी के बड़े समर्थक हैं, जिनकी सुनील गुप्ता ने खासी दुर्गति करते हुए उन्हें उनके क्लब से निकलवा दिया हुआ है । 
कॉलिज ऑफ गवर्नर्स की मीटिंग कराने से पीछे हटने के पीछे सुनील गुप्ता का एक बड़ा डर दरअसल एमएस जैन वाला किस्सा भी है । राजीव सिंघल की तरफ से सुनील गुप्ता को स्पष्ट बता दिया गया है कि कॉलिज ऑफ गवर्नर्स की मीटिंग यदि हुई तो एमएस जैन तथा दूसरे गवर्नर्स उनकी ऐसी हालत करेंगे, जैसी उन्होंने सोची भी नहीं होगी । सुनील गुप्ता ने अपनी हरकतों और बातों से पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स को इतना अपमानित किया हुआ है, कि कई पूर्व गवर्नर्स बदला लेने की ताक में ही बैठे हुए हैं । कॉलिज ऑफ गवर्नर्स की मीटिंग पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स को सुनील गुप्ता से बदला लेने का अच्छा मौका उपलब्ध करवा सकती है । राजीव सिंघल के समर्थक पूर्व गवर्नर्स की तरफ से बन रहे इस खतरे को भाँप कर ही सुनील गुप्ता कॉलिज ऑफ गवर्नर्स की मीटिंग करने/कराने से बच रहे हैं ।    
इस तरह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुनील गुप्ता और डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के उम्मीदवार राजीव सिंघल के संबंध एक पहेली की तरह बन गए हैं - जिसमें हर किसी के लिए फिलहाल यह समझना मुश्किल हो रहा है कि कौन किसको इस्तेमाल कर रहा है ? सुनील गुप्ता डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में राजीव सिंघल की हर संभव मदद कर रहे हैं और करने के प्रयासों में लगे हैं, किंतु दूसरी तरफ राजीव सिंघल के समर्थक नेता सुनील गुप्ता की पूरी तरह ऐसी-तैसी करने में लगे हैं । डिस्ट्रिक्ट में हर किसी के लिए हैरानी की बात यह है कि राजीव सिंघल के समर्थक नेता जब सुनील गुप्ता की गवर्नरी खराब करने के साथ-साथ 'छीनने' की भी कोशिश कर रहे हैं, तब सुनील गुप्ता आखिर किस 'लालच' में   राजीव सिंघल की उम्मीदवारी के समर्थन में अपना तन-मन लगाए हुए हैं ? राजीव सिंघल के नजदीकियों की तरफ से हालाँकि इसका कारण यह बताया गया है कि राजीव सिंघल की उम्मीदवारी का समर्थन करने के बदले में उनसे मोटी रकम ऐंठ लेने की उम्मीद में सुनील गुप्ता उनके समर्थक नेताओं से प्रताड़ित व अपमानित होने के बावजूद उनकी उम्मीदवारी का काम करने में लगे हुए हैं । राजीव सिंघल ने इंटरनेशनल डायरेक्टर मनोज देसाई के नाम का इस्तेमाल करते हुए सुनील गुप्ता को उनकी गवर्नरी बचाने का आश्वासन देकर अपनी तरफ और खींच लिया है । 
डिस्ट्रिक्ट में लोगों का कहना/पूछना लेकिन यह है कि राजीव सिंघल के मनोज देसाई के साथ यदि सचमुच नजदीकी संबंध हैं, और उन संबंधों के चलते वह वास्तव में सुनील गुप्ता की गवर्नरी को बचा लेंगे - तो उन्होंने सुनील गुप्ता की गवर्नरी को मुसीबत में फँसने ही क्यों दिया ? उल्लेखनीय है कि सुनील गुप्ता की गवर्नरी पर जो आफत है, उसके प्रमुख सूत्रधार के रूप में मनोज देसाई को ही देखा/पहचाना जा रहा है । मनोज देसाई यदि चाहते तो सुनील गुप्ता के खिलाफ हुई शिकायतों को बीच में ही दफ़्न कर सकते थे । उन्होंने ऐसा नहीं किया, उससे जाहिर है कि राजीव सिंघल ने उनसे सुनील गुप्ता की वकालत या तो की नहीं और या उनकी सुनी नहीं गई । यह इस बात का सुबूत है कि मनोज देसाई का नाम लेकर राजीव सिंघल वास्तव में डिस्ट्रिक्ट के लोगों को तथा सुनील गुप्ता को उल्लू ही बना रहे हैं । सुनील गुप्ता इसलिए खुशी खुशी बन भी रहे हैं, क्योंकि दूसरी बातों की बजाए उनकी निगाह राजीव सिंघल से रकम ऐंठने पर ज्यादा है ।