गाजियाबाद । सुभाष जैन की डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए प्रस्तुत उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने की मुहिम में रवींद्र सिंह की सक्रियता देख कर, कईएक लोगों को शक होने लगा है कि रवींद्र सिंह कहीं अगले रोटरी वर्ष में अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत करने की तैयारी तो नहीं कर रहे हैं । कुछेक लोगों को यह शक तब भी हुआ था, जब रवींद्र सिंह के क्लब - रोटरी क्लब गाजियाबाद हैरिटेज के पदाधिकारियों का अधिष्ठापन समारोह खासे जोरशोर से हुआ था । उक्त अधिष्ठापन समारोह के पीछे चूँकि सोच और तैयारी रवींद्र सिंह की ही देखी/पहचानी जा रही थी, इसलिए कुछेक लोगों को शक हुआ था कि इस अधिष्ठापन समारोह को रवींद्र सिंह अगले रोटरी वर्ष में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए अपनी प्रश्नाकुल उम्मीदवारी के लॉन्चिंग पैड के रूप में तो नहीं देख रहे हैं ? कुछेक लोगों ने इस बारे में रवींद्र सिंह से पूछ भी लिया था । रवींद्र सिंह ने इस बारे में पूछे गए सवालों को चूँकि मुस्कुराकर टाल दिया था, इसलिए सवाल ख़त्म तो नहीं हुआ था पर उस पर धूल जरूर पड़ गई थी । इसके बाद, जब शरत जैन की टीम में रवींद्र सिंह का नाम तो लोगों ने नहीं देखा/पाया किंतु यह जरूर सुना गया कि रवींद्र सिंह ने अपने क्लब के ब्रजेश वार्ष्णेय को शरत जैन के गवर्नर-काल में असिस्टेंट गवर्नर बनवाया है - तब एक बार फिर रवींद्र सिंह की संभावित उम्मीदवारी को लेकर सवाल उठे । इस सवाल पर चूँकि रवींद्र सिंह ने कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं दी है, और मामले को गोलमोल बना कर रखा हुआ है - इसलिए लोगों को अपना शक सच होता हुआ लग रहा है; और उन्हें लग रहा है कि रवींद्र सिंह अपनी उम्मीदवारी को लेकर गंभीर हो रहे हैं ।
डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति के जिन खिलाड़ियों ने अगले रोटरी वर्ष की चुनावी राजनीति को लेकर खिचड़ी पकानी शुरू कर दी है, उन्हें रवींद्र सिंह की गतिविधियों ने खासा सशंकित किया हुआ है । मुकेश अरनेजा को लेकर रवींद्र सिंह ने जो रवैया अपनाया, उससे भी उनकी तैयारी को लेकर पैदा हुआ संशय और बढ़ा । उल्लेखनीय है कि रवींद्र सिंह एक समय मुकेश अरनेजा के बड़े खास हुआ करते थे । फिर दोनों के बीच संबंध सहज नहीं रह गए । खास बात यह रही कि पिछले कुछेक वर्षों में ऐसे मौके तो आए जब मुकेश अरनेजा ने उनके साथ अपने संबंध ठीक करने का प्रयास किया, लेकिन रवींद्र सिंह ने उनके प्रयासों को संबंध सुधारने की आड़ में एक बार फिर उनकी इस्तेमाल करने की कोशिश को देखा/पहचाना और कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं दी । इस बार अभी लेकिन उल्टी बात नजर आई । अभी हाल के दिनों में रवींद्र सिंह को मुकेश अरनेजा के नजदीक जाने की कोशिश करते हुए देखा गया । रवींद्र सिंह के क्लब के अधिष्ठापन समारोह में मुकेश अरनेजा को जिस तरह से शामिल किया गया, उसने रवींद्र सिंह के नजदीकियों को खासा चौंकाया । उसके बाद भी, रवींद्र सिंह ने जिस तरह से मुकेश अरनेजा से 'मिलने' की कोशिशें कीं - उसमें भी उनके कुछेक 'अतिरिक्त' उद्देश्य पहचानने के प्रयास हुए । मुकेश अरनेजा से मिलने की कोशिशों के पीछे रवींद्र सिंह की तरफ से जो कहा/बताया गया, उसमें सुभाष जैन की उम्मीदवारी के हित की बात मुख्य उद्देश्य थी । रवींद्र सिंह मानते हैं और कहते रहे हैं कि दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के जरिए मुकेश अरनेजा ने आमतौर पर उत्तर प्रदेश व खासतौर पर गाजियाबाद के रोटेरियंस के बीच फूट डालने का काम किया है; और अपनी इस कार्रवाई से मुकेश अरनेजा ने गाजियाबाद व उत्तर प्रदेश में अपने आप को खलनायक बना लिया है । रवींद्र सिंह की तरफ से कहा/बताया गया कि मुकेश अरनेजा से मिलकर वह उन्हें यही बताना चाहते थे कि अपनी गतिविधियों व कार्रवाइयों से गाजियाबाद व उत्तर प्रदेश के रोटेरियंस के बीच अपनी बची-खुची साख व पहचान को भी खो दे रहे हैं । मुकेश अरनेजा को इस सच्चाई का अहसास कराकर रवींद्र सिंह भले ही सुभाष जैन की उम्मीदवारी के पक्ष को और मजबूत बनाने का काम करना चाह रहे हों, लेकिन उनकी इस चाहना में उनके कुछ अन्य 'उद्देश्यों' - खासकर अगले रोटरी वर्ष की अपनी उम्मीदवारी की संभावना को टटोलने को भी छिपा देखा/महसूस किया गया ।
रवींद्र सिंह अपनी उम्मीदवारी के बारे में पूछे जाने पर हमेशा यही जबाव देते हुए सुने गए हैं कि मैं तो हमेशा उम्मीदवार हूँ ! उनके इस गोलमोल से जबाव में लोगों ने यही 'पढ़ा/सुना' है कि रवींद्र सिंह अपनी उम्मीदवारी के संदर्भ में सिर्फ एक बेहतर मौके के इंतजार में हैं - और वह सिर्फ मौके के इंतजार में ही नहीं हैं, वह मौका 'बनाने' का प्रयास भी कर रहे हैं । उल्लेखनीय है कि इस बार के चुनाव को सुभाष जैन ने जितना 'बड़ा' बना दिया है, उसके कारण आगे आने वाले संभावित उम्मीदवार अपने कदम पीछे खींचते हुए दिखे हैं । अपनी अपनी उम्मीदवारी को लेकर जो कुछेक रोटेरियंस टोह लेते हुए सुने/देखे जा रहे थे, उन्होंने अचानक से चुप्पी साध ली है । रोटरी क्लब दिल्ली रिवरसाइड के मनोज लाम्बा अगले रोटरी वर्ष में प्रस्तावित अपनी उम्मीदवारी की बात लोगों से कर रहे थे, किंतु इसे लेकर पिछले दिनों उनके द्वारा किए गए एक आयोजन में लोगों की जो प्रतिक्रिया सामने आई, उससे मनोज लाम्बा का सारा उत्साह हवा होता हुआ दिख रहा है । उनके नजदीकियों का कहना है कि पहले ही आयोजन में मनोज लाम्बा को सबक मिल गया है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव की राह उतनी आसान नहीं है, जितनी की वह समझ रहे हैं; और इसीलिए अगले रोटरी वर्ष में प्रस्तावित अपनी उम्मीदवारी को लेकर वह पुनर्विचार की प्रक्रिया में आ गए हैं । समझा जा रहा है कि इन परिस्थितियों में रवींद्र सिंह भी इस बात को जान रहे हैं कि अगले रोटरी वर्ष में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद का चुनाव ज्यादा चुनौतीपूर्ण नहीं होगा; और इसीलिए वह हर तरफ से तैयारी कर लेना चाहते हैं । सुभाष जैन की उम्मीदवारी के समर्थक होने के नाते उन्हें अपनी तैयारी करने का मौका भी खूब मिल रहा है - और उनकी सक्रियता बता रही है कि वह मौके का पूरा पूरा फायदा भी उठा रहे हैं ।
सुभाष जैन की उम्मीदवारी के यूँ तो और बहुत से समर्थक हैं, और सभी अपने अपने तरीके से सुभाष जैन की उम्मीदवारी के पक्ष में समर्थन मजबूत बनाने तथा माहौल बनाने का काम कर रहे हैं; किंतु रवींद्र सिंह को कुछ ज्यादा ही सक्रिय देखा जा रहा है - और किन्हीं किन्हीं अवसरों पर तो वह रणनीतिकार व कार्यकर्ता की भूमिका एकसाथ निभाते तक देखे गए हैं । उन्हें जाननेवालों का कहना है कि ऐसा उनके 'स्वभाव' के कारण भी है : वह कोई भी काम हाथ में लेते हैं तो उसे पूरी शिद्दत से करते हैं । शिद्दत से काम करने के स्वभाव में यदि कोई उद्देश्य भी जुड़ जाए, तो फिर सक्रियता का एक उच्च स्तर देखने को मिलता है । रवींद्र सिंह की सक्रियता के इस उच्च स्तर में घोषित उद्देश्य तो सुभाष जैन की उम्मीदवारी ही है, लेकिन कई लोगों को इसमें अगले रोटरी वर्ष में रवींद्र सिंह की खुद की उम्मीदवारी भी छिपी दिख रही है ।