Friday, October 30, 2015

इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की सेंट्रल काउंसिल की उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने वास्ते की गई विजय गुप्ता की मीटिंग का बहिष्कार करके फरीदाबाद के चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ने विजय गुप्ता की स्थिति को और मुश्किल बनाया

फरीदाबाद । विजय गुप्ता की सेंट्रल काउंसिल की अपनी उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने के उद्देश्य से फरीदाबाद में आयोजित की गई मीटिंग के बुरी तरह फ्लॉप होने से विजय गुप्ता के बचे-खुचे समर्थकों का हौंसला भी पस्त होता दिख रहा है । उनके नजदीकियों व समर्थकों ने बताया कि उन्हें यह आभास तो पहले से था कि विजय गुप्ता के लिए इस बार मामला मुश्किल बना हुआ है; लेकिन यह अंदाज उन्हें बिलकुल नहीं था कि उनके लिए हालात सिर्फ मुश्किल नहीं, बल्कि वास्तव में बहुत ही बुरे बन गए हैं । फरीदाबाद में लोग उनसे खफा हैं, यह चर्चा तो रही है; लेकिन लोग उनसे इतने खफा हैं कि उनके द्वारा लगातार खुशामद करते रहने के बावजूद लोग उनके साथ खड़े तक दिखने के लिए तैयार नहीं हुए - तो विजय गुप्ता के लिए खतरे की घंटी को उनके नजदीकियों व समर्थकों ने भी साफ साफ सुन लिया है । विजय गुप्ता के नजदीकियों के अनुसार ही, विजय गुप्ता ने फरीदाबाद की मीटिंग के लिए फरीदाबाद के करीब छह सौ लोगों को खुद फोन करके निमंत्रित किया था । कई लोगों से उन्होंने साफ साफ कहा भी था कि मेरी हालत इस बार बहुत टाइट है, इसलिए तुम्हें आना जरूर है ताकि मैं दूसरे शहरों के लोगों को बता/दिखा सकूँ कि मेरी हालत उतनी खस्ता नहीं है, जितनी की बताई जा रही है । कई लोगों से उन्होंने यह भी कहा कि अपने साथ जिसे चाहो उसे भी ले आओ, तुम लोगों की पार्टी हो जायेगी और मेरा काम बन जायेगा । मीटिंग शुरू होने के समय तक वह लोगों को फोन करके मीटिंग में आने की बात याद दिलाते रहे और पूछते रहे कि अभी तक निकले नहीं, कहाँ तक पहुँचे, कितनी देर में पहुँच रहे हो, आदि-इत्यादि । लेकिन मीटिंग में पहुँचने वालों की संख्या पचास-साठ के बीच तक ही पहुँच पाई । उनके समर्थकों ने हालाँकि करीब अस्सी लोगों के मीटिंग में पहुँचने का दावा किया ।
फरीदाबाद की मीटिंग के फ्लॉप होने का विजय गुप्ता पर दोहरा असर पड़ा है । इससे एक तरफ तो उनके सामने 'अपने घर' को संभालने की जरूरत पैदा हुई है, और दूसरी तरफ दूसरे शहर के लोगों को यह समझाने में दिक्कत खड़ी हुई है कि जब उनके अपने शहर के लोग उनके साथ नहीं हैं, तो वह क्यों उनकी उम्मीदवारी का समर्थन करें ? उल्लेखनीय है कि पिछले महीनों में विजय गुप्ता से दूसरे शहरों में लगातार यह पूछा जाता रहा है कि फरीदाबाद में तुम्हारी स्थिति के खराब होने की बातें क्यों हो रही हैं ? विजय गुप्ता लोगों को आश्वस्त करते रहे कि यह सब दूसरे उम्मीदवारों के समर्थकों का झूठा प्रचार है, जो उन्हें बदनाम करने के लिए किया जा रहा है । विजय गुप्ता दूसरे शहरों के लोगों को आश्वस्त करते रहे कि फरीदाबाद में लोग उनके साथ पहले भी थे और अब भी हैं; जब भी मैं फरीदाबाद में मीटिंग करूँगा तब यह बात साबित हो जायेगी । लेकिन अब जब फरीदाबाद में की गई उनकी मीटिंग बुरी तरह फ्लॉप हो गई है, तो दूसरे शहरों के लोगों का सामना करना उनके लिए मुश्किल हो गया है । दूसरे शहरों के उन लोगों का सामना करना तो उनके लिए और भी मुश्किल हो गया है, जिनसे वह यह दावा कर चुके थे कि फरीदाबाद में लोग पूरी तरह उनके साथ हैं । फरीदाबाद की मीटिंग के फ्लॉप होने से वास्तव में यह साबित हो गया है कि फरीदाबाद में अपनी बुरी स्थिति को छिपाने के लिए वह लगातार झूठ पर झूठ बोले जा रहे थे, और दूसरे उम्मीदवारों के समर्थकों पर नाहक ही आरोप मढ़ रहे थे । 
फरीदाबाद में अपनी बुरी स्थिति का विजय गुप्ता को आभास तो था; यह दावा करते हुए उनके नजदीकियों ने बताया कि लेकिन उन्हें उम्मीद थी कि वह जब मीटिंग में लोगों को आमंत्रित करेंगे तो मीटिंग में तो लोग आ ही जायेंगे । विजय गुप्ता ने चालाकी यह खेली कि लोगों से सहयोग/समर्थन की सीधी बात करने की बजाए उन्हें मीटिंग में आने का निमंत्रण दिया । उन्हें पता था कि वह पहले यदि सहयोग/समर्थन की बात करेंगे, तो लोग भड़केंगे और अपना गुस्सा निकालेंगे; इससे बचने के लिए उन्होंने मीटिंग में आने का निमंत्रण दिया । उनका सोचना यह था कि मीटिंग में खाने-पीने के चक्कर में लोग आ जायेंगे और वह जब वहाँ खाते-पीते हुए लोगों की भीड़ देखेंगे, तो उनका गुस्सा खुद-ब-खुद ठंडा पड़ जायेगा । फरीदाबाद में मीटिंग करने के जरिए विजय गुप्ता ने एक तीर से दो निशाने लगाने की योजना बनाई थी - उन्हें उम्मीद थी कि उनकी इस योजना से एक तरफ तो फरीदाबाद में उनके प्रति लोगों के बीच जो गुस्सा है, वह शांत हो जायेगा; तथा दूसरी तरफ इस मीटिंग में जुटी भीड़ को दिखा/बता कर वह दूसरे शहरों के लोगों को समझा सकेंगे कि फरीदाबाद में उनकी पतली हालत की जो बातें हो रही हैं, वह दूसरे उम्मीदवारों के समर्थकों द्वारा फैलाई जा रही अफवाहें हैं । लेकिन फरीदाबाद में हुई उनकी मीटिंग जिस बुरी तरह से पिटी, और फरीदाबाद में लोगों ने उनकी मीटिंग का जिस संगठित तरीके से बहिष्कार किया - उससे साबित हुआ है कि फरीदाबाद में लोग उनकी चालों व कारस्तानियों से अब सावधान हो गए हैं तथा उनमें फँसने को तैयार नहीं हैं । 
विजय गुप्ता को फरीदाबाद में सार्वजनिक रूप से पहला झटका कुछेक महीने पहले तब लगा था जब फरीदाबाद ब्रांच की मैनेजमेंट कमेटी के सदस्य विपिन मंगला ने फरीदाबाद के चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की ई डायरेक्टरी इंस्टीट्यूट के पूर्व प्रेसीडेंट वेद जैन के हाथों रिलीज करवा दी थी । उल्लेखनीय है कि फरीदाबाद के चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की डायरेक्टरी छापना और चुनाव से पहले उसे रिलीज करना विजय गुप्ता का पुराना फंडा रहा है; लेकिन विपिन मंगला ने जिस तरह विजय गुप्ता से उनका यह फंडा छीन लिया - उसके कारण वह न केवल फंडा-विहीन हो गए, बल्कि उनकी भारी किरकिरी भी हुई । इस मामले को लेकर फरीदाबाद में और फरीदाबाद के बाहर भी लोगों को यह कहने का मौका मिला कि फरीदाबाद में विजय गुप्ता का यह कैसा हाल है कि उनकी नाक के नीचे फरीदाबाद ब्रांच की मैनेजमेंट कमेटी के एक सदस्य ने उनसे उनका फंडा छीन लिया, और उन्हें भनक तक नहीं मिली । विपिन मंगला ने जिस कार्यक्रम में वेद जैन के हाथों ई डायरेक्टरी रिलीज करवाई थी, उस कार्यक्रम में विजय गुप्ता भी मौजूद थे; और विपिन मंगला द्वारा ई डायरेक्टरी प्रस्तुत करने पर वह हक्के-बक्के रह गए थे । विजय गुप्ता भुनभुनाए तो बहुत थे, लेकिन विपिन मंगला ने उन्हें जो चोट पहुँचाई - उसके दर्द से वह बच नहीं सके । उनके समर्थक मानते हैं और कह भी रहे हैं कि विपिन मंगला ने उन्हें जो चोट पहुँचाई थी, उससे उन्हें सावधान हो जाना चाहिए था - और स्थिति को सँभालने की कोशिश करना चाहिए थी । विजय गुप्ता ने लेकिन सच्चाई को ठीक से समझा/पहचाना नहीं, और यह मान लिया कि वह अपनी चालबाजियों से स्थिति को अपने पक्ष में ले आयेंगे । फरीदाबाद में मीटिंग के जरिए विजय गुप्ता ने वास्तव में यही करने की कोशिश की थी - लेकिन जो उन्हें उलटी पड़ी है और जिसने पलट कर उनकी स्थिति को और मुश्किल बना दिया है ।