Monday, October 12, 2015

इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के यंग मैंबर्स के बीच पहुँची अपनी बदनामी को ढँकने के लिए अमरजीत चोपड़ा को सहारा बनाने की विजय गुप्ता की कोशिश सफल होगी क्या ?

नई दिल्ली । अमरजीत चोपड़ा जिस तरह संजय वासुदेव की उम्मीदवारी का समर्थन करने की घोषणा करने के बावजूद संजीव चौधरी के लिए समर्थन जुटाने की कोशिश करते देखे गए, उससे विजय गुप्ता को उम्मीद बँधी थी कि अमरजीत चोपड़ा को वह अपने समर्थन के लिए भी राजी कर लेंगे - किंतु अमरजीत चोपड़ा अभी तक तो विजय गुप्ता से पटते हुए नहीं लग रहे हैं । उल्लेखनीय है कि चौतरफा मुसीबतों में घिरे विजय गुप्ता अपने नजदीकियों व समर्थकों को अपने साथ बनाए रखने के लिए लगातार उन्हें यह भरोसा देते रहे हैं कि इंस्टीट्यूट के पूर्व प्रेसीडेंट अमरजीत चोपड़ा जल्दी ही उनकी उम्मीदवारी का समर्थन करने की घोषणा करेंगे । शुरू में तो लोगों को ऐसा लगा कि इस तरह का झूठा दावा करके विजय गुप्ता अपने नजदीकियों व समर्थकों को बहकाने का काम कर रहे हैं, किंतु बाद में यह स्पष्ट हुआ कि विजय गुप्ता को सचमुच में खुद भी यह विश्वास रहा कि अमरजीत चोपड़ा को वह जल्दी ही अपने समर्थन में ले आयेंगे । पिछले दिनों उन्होंने कुछेक लोगों से बहुत ही भरोसे से यह कहा कि वह अमरजीत चोपड़ा की नस नस को पहचानते हैं, और उनकी कमजोरियों से अच्छी तरह परिचित हैं - इसलिए उनके लिए अमरजीत चोपड़ा को पटाना, तथा अपने साथ लाना कोई मुश्किल नहीं होगा । विजय गुप्ता ने लोगों को याद दिलाया कि पिछली बार भी उन्हें अमरजीत चोपड़ा का समर्थन ऐन मौके पर ही घोषित हुआ था । इंस्टीट्यूट के वाइस प्रेसीडेंट के पिछले चुनाव का नतीजा आने के बाद विजय गुप्ता ने अमरजीत चोपड़ा के लिए जिस तरह के गाली-गलौच भरे शब्दों का सार्वजनिक रूप से उच्चारण किया था, उसे देखने/सुनने/जानने वालों को इस बात पर भरोसा तो नहीं था कि विजय गुप्ता से तमाम गालियाँ खाने के बाद भी अमरजीत चोपड़ा उनका समर्थन करने को तैयार हो जायेंगे - लेकिन इन दोनों को जानने वालों का कहना रहा कि यह दोनों कुछ भी कर सकते हैं । 
विजय गुप्ता को यूँ तो काफी अहंकारी व अकड़ू किस्म के व्यक्ति के रूप में जाना/पहचाना जाता है, किंतु अपना काम निकालने/बनाने के लिए माफी माँगने व खुशामद करने की कला में भी वह खासे उस्ताद माने जाते हैं । और अमरजीत चोपड़ा की तो ख्याति ही इस बात के लिए है कि वह कब कहाँ किस करवट बैठेंगे, इसे समझना नामुमकिन ही है । अमरजीत चोपड़ा की महिमा बड़ी ही निराली है, इतनी निराली कि अपने हर कदम से वह लोगों को हैरान/परेशान ही करते रहते हैं । पिछले वर्षों के उनके निरालेपन के किस्सों को यदि जाने भी दें, तो अभी ही संजय वासुदेव के साथ उन्होंने जो खेल खेला है उसे देख कर संजय वासुदेव व उनके समर्थक सकते में हैं । उल्लेखनीय है कि इंस्टीट्यूट की सेंट्रल काउंसिल के चुनाव के संदर्भ में अमरजीत चोपड़ा ने संजय वासुदेव की उम्मीदवारी का समर्थन करने की घोषणा की हुई है । दूसरे लोगों के साथ साथ संजय वासुदेव व उनके समर्थक लेकिन यह जान/सुन कर हैरान/परेशान हो गए हैं कि अमरजीत चोपड़ा तो संजीव चौधरी के लिए समर्थन जुटाने के अभियान में लगे हुए हैं । कुछेक लोगों का मानना/कहना है कि अमरजीत चोपड़ा बड़े भोले किस्म के सरल हृदय व्यक्ति हैं, जिसका फायदा लोग उठा लेते हैं; किंतु अन्य कई लोगों का मानना/कहना ठीक इसके विपरीत है और वह यह कि अमरजीत चोपड़ा ऊँची महत्वाकांक्षा के साथ बड़ी छोटी सोच रखने वाले व्यक्ति हैं, और इस कारण अपनी पहचान/प्रतिष्ठा को दाँव पर लगाते हुए 'छोटी छोटी नालियों' में भी घुसने को तैयार हो जाते हैं । विजय गुप्ता और अमरजीत चोपड़ा की खूबियों/कमियों को देखते/पहचानते हुए कई लोगों ने विजय गुप्ता के इस दावे पर भरोसा करना शुरू भी कर दिया कि पीछे उन्होंने अमरजीत चोपड़ा को चाहें जितना भला-बुरा कहा हो, लेकिन चूँकि वह उनकी कमजोरियों को जानते/समझते हैं इसलिए अंततः वह अमरजीत चोपड़ा को अपने समर्थन के लिए पटा लेंगे । 
विजय गुप्ता ने अपनी बात को विश्वसनीय बनाने/दिखाने के लिए तर्क भी दिया कि अमरजीत चोपड़ा वायदा करने तथा अपने वायदे को घोषित करने के बाद भी जब संजय वासुदेव का साथ छोड़ कर संजीव चौधरी के साथ जुड़ सकते हैं; तो इसकी क्या गारंटी है कि कल वह संजीव चौधरी का साथ छोड़ कर उनके साथ नहीं आ जायेंगे ? अमरजीत चोपड़ा को संजय वासुदेव की बजाए संजीव चौधरी की उम्मीदवारी के समर्थन में देख कर कई लोगों को हालाँकि आश्चर्य तो हुआ, किंतु अमरजीत चोपड़ा की 'महिमा' से परिचित होने के कारण उनके आश्चर्य को ज्यादा चर्चा नहीं मिली । लोगों ने मान/समझ लिया कि अमरजीत चोपड़ा को संजीव चौधरी से जरूर कुछ फायदे वाला 'काम' होने की उम्मीद बनी होगी, इसलिए उन्होंने यह भूल जाने में कोई देर नहीं लगाई कि उन्होंने तो संजय वासुदेव की उम्मीदवारी का समर्थन करने का ऐलान किया हुआ है । इसी तरह की बातें करते हुए विजय गुप्ता ने अपने नजदीकियों व समर्थकों को आश्वस्त किया हुआ है कि फायदे वाले 'काम' के चक्कर में अमरजीत चोपड़ा के हाथों में जल्दी ही उनकी उम्मीदवारी का झंडा होगा । 
अमरजीत चोपड़ा की तरफ से लेकिन अभी तक विजय गुप्ता के पक्ष में आ सकने के कोई संकेत मिलते नहीं दिखे हैं । संकेत बल्कि उलटे मिल/दिख रहे हैं । हाल ही के दिनों में जिन लोगों की अमरजीत चोपड़ा से विजय गुप्ता को लेकर बात हुई है, उनका कहना है कि अमरजीत चोपड़ा अब की बार विजय गुप्ता की खुशामद या किसी फायदे वाले ऑफर में फँसने के मूड में नहीं दिख रहे हैं । इंस्टीट्यूट के पिछले वाइस प्रेसीडेंट के चुनाव का नतीजा आने के बाद विजय गुप्ता ने उन्हें लेकर जो गाली-गलौच की थी, उसे वह भूले नहीं हैं और अभी वह विजय गुप्ता को माफ करने के मूड में बिलकुल नहीं हैं । अमरजीत चोपड़ा के नजदीकियों का कहना है कि पिछले दिनों विजय गुप्ता ने तरह तरह से अमरजीत चोपड़ा से पुनः तार जोड़ने के प्रयास तो खूब किए हैं, लेकिन अमरजीत चोपड़ा उनके प्रयासों को कामयाब नहीं होने दे रहे हैं । पंजाब व हरियाणा में अमरजीत चोपड़ा के नजदीक समझे जाने वाले चार्टर्ड एकाउंटेंट्स से संपर्क साधने के जरिए विजय गुप्ता ने अमरजीत चोपड़ा के खेमे में घुसने की कोशिश की, किंतु इसमें भी उनकी दाल पकने की खुशबु किसी को भी नहीं लगी है ।
विजय गुप्ता के लिए समस्या की बात दरअसल यह हो गई है कि यंग चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के बीच पैठ बनाने की उनकी कोशिशें सिरे नहीं चढ़ पा रही हैं । 'यंग मैंबर्स एम्पॉवरमेंट कमेटी' के चेयरमैन के रूप में उन्होंने यंग चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के बीच अभी तक जो भी काम किए हैं, वह कोई राजनीतिक फल देने वाले साबित होते हुए नहीं दिखे हैं । हुआ दरअसल यह है कि कमेटी के चेयरमैन के रूप में विजय गुप्ता जब यंग चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के बीच पहुँचते हैं, तो पता चलता है कि उनकी बदनामी उनसे पहले उन यंग चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के बीच पहुँची हुई है । वास्तव में हुआ यह है कि चुनाव के चक्कर में हर उम्मीदवार की निगाह यंग चार्टर्ड एकाउंटेंट्स पर है; और दूसरे सभी उम्मीदवारों को लगता है कि 'यंग मैंबर्स एम्पॉवरमेंट कमेटी' के चेयरमैन के रूप में काम करते हुए विजय गुप्ता कहीं इनके वोटों पर कब्जा न कर लें - इसलिए हर कोई यंग मैंबर्स के बीच विजय गुप्ता की 'जन्मपत्री' जरूर खोलता/पढ़ता है । इससे विजय गुप्ता की सारी कवायद पर पानी फिर जा रहा है । इस स्थिति में, उन्हें एक ऐसे बड़े सहारे की जरूरत महसूस हो रही है जो लोगों के बीच - खासतौर से यंग मैंबर्स के बीच उनकी साख व विश्वसनीयता को स्थापित कर सके । इस बड़े सहारे के रूप में विजय गुप्ता ने अमरजीत चोपड़ा को पहचाना है । विजय गुप्ता समझते हैं कि अमरजीत चोपड़ा की नस नस को चूँकि वह पहचानते हैं और उनकी कमजोरियों से भी वह वाकिफ हैं, इसलिए अमरजीत चोपड़ा का 'शिकार' करना उनके लिए आसान होगा । कई स्थितियाँ ऐसी हैं जिनका हवाला देकर वह अमरजीत चोपड़ा का समर्थन मिलने का दावा कर सकते हैं, और अपने इस दावे के प्रति लोगों को विश्वास भी दिला सकते हैं । यही उन्होंने किया भी । लेकिन इस बार अमरजीत चोपड़ा - अपनी सारी भलमनसाहत या अपनी स्वार्थी-सोच के बावजूद - विजय गुप्ता के झाँसे में फँसते हुए नहीं दिख रहे हैं ।