Thursday, April 27, 2017

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3080 में जितेंद्र ढींगरा के साथ राजा साबू की तस्वीर में अभिव्यक्त बॉडी-लैंग्वेज ने लोगों को राजा साबू की दयनीय स्थिति पर बातें बनाने का मौका दिया

चंडीगढ़ डिस्ट्रिक्ट को एक राजा की तरह चलाने वाले राजेंद्र उर्फ़ राजा साबू और - डिस्ट्रिक्ट के इसी राजा की डिस्ट्रिक्ट में ही नहीं, बल्कि पूरे रोटरी समुदाय में फजीहत करने/करवाने वाले जितेंद्र ढींगरा की यह संयुक्त तस्वीर डिस्ट्रिक्ट के लोगों को रोमांचित तो कर ही रही है, साथ ही डिस्ट्रिक्ट के बदलते माहौल को भी बयाँ कर रही है । यूँ तो ऐसी बहुत सी तस्वीरें हैं, जिनमें राजा साबू और जितेंद्र ढींगरा साथ-साथ हैं - लेकिन उन तस्वीरों में और इस तस्वीर में दोनों की जो बॉडी-लैंग्वेज है, उसमें जमीन-आसमान का अंतर है । यह अंतर होना स्वाभाविक भी है । अभी तक दोनों की रोटरी-हैसियत में बड़ा भारी अंतर था, जो अब न सिर्फ काफी घट गया है, बल्कि पलट भी गया है । जितेंद्र ढींगरा कुछ समय पहले तक राजा साबू के गिरोह के एक खाड़कू टाइप कार्यकर्ता हुआ करते थे, जो राजा साबू के दरबारी बने हुए पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स के दिशा-निर्देश पर अपने जैसे दूसरे कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर राजा साबू के राजा-पने को बनाए रखने का काम करते थे । अपने अहंकार में चूर राजा साबू की दो वर्ष पहले लेकिन मति मारी गई और उन्होंने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में नोमीनेटिंग कमेटी द्वारा चुने गए अधिकृत उम्मीदवार टीके रूबी को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बनने से रोकने के लिए षड्यंत्र रचा - जिसके बाद फिर भीषण संग्राम मचा, जिसमें राजा साबू की तथाकथित महानता के तिनके तिनके ऐसे उड़े कि राजा साबू का सारा राजा-पना हवा हो गया  टीके रूबी से भिड़ने की राजा साबू की एक बेवकूफ़ी ने राजा साबू को ऐसी धूल चटाई कि डिस्ट्रिक्ट और रोटरी समुदाय में व्याप्त राजा साबू का सारा ऑरा (आभामंडल) धूल में मिल गया । पिछले दो वर्षों में चले इस संग्राम के नायक बने जितेंद्र ढींगरा ।
जितेंद्र ढींगरा रोटरी की व्यवस्था में अभी डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए नामित घोषित हुए हैं, लेकिन डिस्ट्रिक्ट में उनकी हैसियत इस पद से बहुत बहुत ऊँची हो गई है - और उनकी यही हैसियत राजा साबू के लिए सीधी चुनौती बन गई है । जितेंद्र ढींगरा की बनी इस हैसियत के सामने राजा साबू की स्थिति इतनी दयनीय हो उठी है, कि हर छोटी से छोटी बात में अपनी टाँग अड़ाए रखने वाले राजा साबू अब बड़ी से बड़ी बात में भी फैसला करने और निर्देश देने से बच रहे हैं । राजा साबू की इस दयनीयता के चलते सीओएल तथा इंटरनेशनल डायरेक्टर का चुनाव करने वाली नोमीनेटिंग कमेटी के लिए उम्मीदवार तय करने का काम डिस्ट्रिक्ट में लटका पड़ा है । राजा साबू की पहले जैसी हैसियत बची रह गई होती, तो राजा साबू का अभी तक इशारा हो गया होता - और कोई न कोई दो पूर्व गवर्नर्स उनकी कृपा पा गए होते । पर बदली हुई स्थिति में राजा साबू के लिए यह फैसला करना मुश्किल हो रहा है - दरअसल वह यह देखना चाहते हैं कि इन दोनों पदों पर जितेंद्र ढींगरा का रवैया क्या है ? मजे की बात यह है कि कॉलिज ऑफ गवर्नर्स में अभी जितेंद्र ढींगरा का अपना कोई गुट नहीं है - और इस नाते से वह उक्त पदों के लिए 'अपने' कोई उम्मीदवार लाने की स्थिति में नहीं हैं; इसके बावजूद राजा साबू उनसे डरे हुए हैं, तो इसका कारण यह है कि जितेंद्र ढींगरा कॉलिज ऑफ गवर्नर्स के बीच के परस्पर विवाद और एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ को उकसा कर मैनेज कर सकते हैं इसलिए राजा साबू अभी यह देख रहे हैं कि जितेंद्र ढींगरा उक्त पदों को लेकर क्या रवैया अपनाते हैं; तो जितेंद्र ढींगरा अभी राजा साबू की पहल का इंतजार कर रहे हैं ।
रोटरी क्लब चंडीगढ़ सिटी ब्यूटीफुल के वरिष्ठ पूर्व प्रेसीडेंट एमपी गुप्ता ने सीओएल की चयन प्रक्रिया में होने वाले नियम-उल्लंघन की तरफ ध्यान दिला कर राजा साबू की मुसीबतों को और बढ़ा दिया है । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रमन अनेजा को संबोधित एक पत्र में एमपी गुप्ता ने डिस्ट्रिक्ट बाई-लॉज का वास्ता देकर रेखांकित किया है कि सीओएल के लिए उम्मीदवारों के नाम डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस में घोषित किए जाने चाहिए थे, लेकिन जो नहीं किए गए एमपी गुप्ता ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रमन अनेजा से पूछा है कि क्या कारण है कि सीओएल के लिए प्रतिनिधि चुनने के मामले में डिस्ट्रिक्ट बाई-लॉज का पालन नहीं किया गया । रमन अनेजा बेचारे इस बात का कोई जबाव ही नहीं दे पा रहे हैं । दरअसल राजा साबू ने डिस्ट्रिक्ट के सारे कामकाज पर अपनी ऐसी पकड़ बनाई हुई है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर की भूमिका एक कठपुतली से ज्यादा नहीं है । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर को काम राजा साबू के दिशा-निर्देश पर करना पड़ता है; लेकिन जब बात फँसती है और उससे सवाल पूछा जाता है - तो उसे मुँह छिपाना पड़ता है इसी चक्कर में, पिछले दो वर्षों से राजा साबू की कारस्तानियों को जो चुनौती मिल रही है - उसके चलते दिलीप पटनायक और डेविड हिल्टन को लोगों के बीच भारी फजीहत झेलना पड़ी है, और अब रमन अनेजा के साथ भी यही हो रहा है ।
ऐसे में, डिस्ट्रिक्ट के लोगों को लग रहा है कि राजा साबू अपने आप को तथा 'अपने' गवर्नर को और ज्यादा फजीहत से बचाने के लिए अब जितेंद्र ढींगरा के साथ 'दोस्ती' करना चाहते हैं । राजा साबू भी हालाँकि जान/समझ तो रहे ही होंगे कि जितेंद्र ढींगरा खुद तो उनकी कठपुतली नहीं ही बनेंगे - कठपुतली बनने को तैयार दूसरे गवर्नर्स को भी चैन से नहीं बैठने देंगे, और इसलिए उक्त दूसरे गवर्नर्स भी उनके साथ बगावत कर सकते हैं । जितेंद्र ढींगरा ने डिस्ट्रिक्ट के लोगों को यह तो बता/समझा ही दिया है कि राजा साबू की जी-हुजूरी में जो रहेगा, वह केवल फजीहत का शिकार होगा और अपनी बदनामी ही करवायेगा । डीसी बंसल ने अपने साथ हुई नाइंसाफी को मुद्दा बना कर अभी जो कानूनी कार्रवाई की है, और प्रवीन चंद्र गोयल ने जिस तरह से अपने वास्तविक वर्ष का ही डिस्ट्रिक्ट गवर्नर 'बनने' के लिए प्रयास करना शुरू किया है - वह राजा साबू की कमजोर होती पकड़ का ही संकेत और सुबूत है अपनी कमजोर होती स्थिति को सँभालने के लिए ही राजा साबू ने पहले तो जितेंद्र ढींगरा के साथ युद्ध-विराम करने का रास्ता अपनाया, और अब वह जितेंद्र  ढींगरा के नजदीक होने और 'दिखने' का प्रयास कर रहे हैं । जितेंद्र ढींगरा के साथ की उनकी तस्वीर में उनकी बॉडी-लैंग्वेज उनके इसी प्रयास की 'चुगली' कर रही है । दरअसल उनकी बॉडी-लैंग्वेज 'पढ़' लेने के कारण ही जितेंद्र ढींगरा के साथ की उनकी इस तस्वीर को लेकर डिस्ट्रिक्ट में जितने मुँह उतनी बातें वाली स्थिति है