पानीपत
। जेपी सिंह और गुरचरण सिंह भोला की चुनावी जीत ने मल्टीपल काउंसिल
चेयरमैन पद के लिए विनय गर्ग की उम्मीदवारी को खतरे में डाल दिया है ।
यूँ तो जेपी सिंह और गुरचरण सिंह भोला की मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद के
चुनाव में कोई निर्णायक भूमिका नहीं है, लेकिन फिर भी इनकी चुनावी जीत यदि
मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद के लिए विनय गर्ग की उम्मीदवारी के लिए खतरे की
घंटी बजाती 'सुनी' जा रही है तो इसका कारण यह है कि - जेपी सिंह और गुरचरण
सिंह भोला की चुनावी जीत वास्तव में विनय गर्ग और उनके साथियों की 'चुनावी
रणनीति' की हार की कहानी कह रही है - जो मल्टीपल की चुनावी राजनीति में
दोहराती दिख रही है । उल्लेखनीय है कि डिस्ट्रिक्ट की सत्ता पूरी तरह से
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में विनय गर्ग और उनके साथियों के हाथ में थी और
पिछले वर्ष मिले झटके के कारण जेपी सिंह पूरी तरह पस्त थे; सेकेंड वाइस
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए जेपी सिंह खेमे की तरफ से जिन गुरचरण सिंह
भोला को उम्मीदवार बनाया गया, उनका लायनिज्म में ज्यादा कोई परिचय और अनुभव
नहीं था - इसके बावजूद विनय गर्ग और उनके साथियों को पराजय का सामना
करना पड़ा, जो इस बात का सुबूत है कि उनकी चुनावी रणनीति पूरी तरह फेल रही ।
ऐसे में, लोगों को लग रहा है कि विनय गर्ग और उनके साथी जब डिस्ट्रिक्ट
में हर तरह से अनुकूल समझे जा रहे चुनाव को 'मैनेज' करने में असफल रहे हैं,
तो मल्टीपल के थोड़े ट्रिकी समझे जाने वाले चुनाव को वह कैसे संभाल सकेंगे
और कैसे मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन बन सकेंगे ?
विनय गर्ग और उनके साथियों को डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में जो तगड़ा झटका लगा है, वह वास्तव में नकारात्मक सोच पर पूरी तरह निर्भर रहने के साथ-साथ उनके बीच तालमेल के अभाव और उनके अति-विश्वास का नतीजा है । उन्होंने अपने प्रचार-अभियान में सिर्फ जेपी सिंह और गुरचरण सिंह भोला की कमजोरियों को निशाना बनाया; उन्होंने अपने उम्मीदवारों की कमजोरियों पर कोई ध्यान नहीं दिया - उन्होंने इस बात पर भी गौर नहीं किया कि जेपी सिंह और गुरचरण सिंह भोला किस तरह से अपनी अपनी कमजोरियों को दूर करने तथा अपनी अपनी खूबियों से उन्हें ढँकने का प्रयास कर रहे हैं । विनय गर्ग और उनके साथियों पर नकारात्मक सोच इस हद तक हावी थी कि पिछले वर्ष उनके साथ रहे जो पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स तथा हाल ही तक साथ रहे जो 'फ्यूचर' डिस्ट्रिक्ट गवर्नर उनका साथ छोड़ रहे थे, उन्हें अपने साथ बनाए रखने की कोशिश करने की बजाए - वह उन पर 'बिकने' का आरोप लगाने लगे थे । तालमेल का अभाव कई मौकों पर सामने आया, लेकिन उससे उन्होंने कोई सबक नहीं लिया । यह सब इसलिए भी हुआ, क्योंकि विनय गर्ग और उनके साथी अति-विश्वास का बुरी तरह शिकार थे । पिछले एक महीने में गुरचरण सिंह भोला के प्रचार अभियान ने जो रफ्तार पकड़ी थी, और जिसके कारण उन्हें दिल्ली और हरियाणा दोनों जगह समर्थन मिलता और बढ़ता नजर आ रहा था - वह विनय गर्ग और उनके साथियों को 'दिखा' ही नहीं, और चुनाव के पहले तक वह खतरे को भाँप ही नहीं पाए और यशपाल अरोड़ा को सौ वोटों से जीता हुआ घोषित कर रहे थे ।
विनय गर्ग और उनके साथियों ने डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में जो मात खाई, उसे चूँकि उनकी राजनीतिक अपरिपक्वता के नतीजे के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है - इसीलिए विनय गर्ग से हमदर्दी रखने वाले लोगों को डर हुआ है कि इसी अपरिपक्वता के चलते विनय गर्ग कहीं मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन का मिलता दिख रहा पद न गवाँ दें । जिस तरह डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति को ताकत देने वाले सारे तत्त्व विनय गर्ग और उनके साथियों के हाथ में थे, ठीक उसी तरह से मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद के लिए सारी अनुकूलता विनय गर्ग के पक्ष में दिखाई दे रही है - लेकिन जो गलतियाँ उनसे डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में हुई हैं, ठीक वही गलतियाँ वह मल्टीपल की राजनीति में करते देखे जा रहे हैं । मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद की राजनीति में संभावित समर्थकों को अपने साथ रखने की विनय गर्ग की तरफ से कोई कोशिश ही नहीं हो रही है, और उन्होंने सारा दारोमदार तेजपाल खिल्लन पर छोड़ दिया है - जो सिर्फ इस बात पर भरोसा किए बैठे हैं कि विभिन्न डिस्ट्रिक्ट्स के फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर चूँकि लीडरशिप के खिलाफ हैं, इसलिए उनके वोट उन्हें अपने आप ही मिल जायेंगे । सच जबकि यह है किसी भी चुनावी राजनीति में अपने आप कुछ नहीं होता है । स्थितियाँ यदि अनुकूल होती भी हैं, तो उन अनुकूल स्थितियों को समर्थन में बदलने के लिए प्रयत्न करना होता है । तेजपाल खिल्लन का रवैया मल्टीपल की राजनीति में संभावित सहयोगियों को लेकिन एक-दूसरे के सामने नीचा दिखाने और उन्हें अपमानित करने वाला है ।
तेजपाल खिल्लन ने अपने डिस्ट्रिक्ट की डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस में जितेंद्र चौहान की ठीक उसी अंदाज में बेइज्जती की, जैसी कि उन्होंने पिछले दिनों जितेंद्र चौहान के सामने मुकेश गोयल की - की थी । पिछले दिनों एक मौके पर इकट्ठा हुए तेजपाल खिल्लन, जितेंद्र चौहान के साथ मुकेश गोयल से मिलने उनके कमरे में आए और उन्हें खुश करने वाली बातें कीं - लौटते समय लेकिन वह जितेंद्र चौहान से बोले कि 'मुकेश को ठीक बना दिया न' । तेजपाल खिल्लन से यह सुन कर जितेंद्र चौहान भौंचक तो हुए, लेकिन चुप रह गए । यह बात उन्हें लेकिन अभी तब याद आई, जब तेजपाल खिल्लन के डिस्ट्रिक्ट की डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस में वह मुकेश गोयल की तरह से ही तेजपाल खिल्लन के शिकार बने । अपने डिस्ट्रिक्ट की डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस में तेजपाल खिल्लन ने परिस्थितियोंवश 'मजबूर' होकर जितेंद्र चौहान को मुख्य अतिथि तो बना दिया, लेकिन उनकी पीठ पीछे कई लोगों से उन्होंने पूछने के अंदाज में कहा कि 'जितेंद्र तो सेट हो गया है न' । लायनिज्म में बातें छिपती तो हैं नहीं, सो जितेंद्र चौहान तक बात पहुँच ही गई । उन्होंने यह सुना तो उन्हें मुकेश गोयल के साथ किया गया तेजपाल खिल्लन का व्यवहार याद आ गया और फिर उन्होंने उक्त किस्सा लोगों को सुनाया । इस तरह की हरकतों से तेजपाल खिल्लन मल्टीपल में नेतागिरी कर सकेंगे - इसमें लोगों को शक है । लोगों के बीच यह चर्चा पहले से ही है कि मल्टीपल की राजनीति में तेजपाल खिल्लन की दिलचस्पी सिर्फ इसलिए है ताकि उनका धंधा ठीक से चलता रहे और बढ़े ।
ऐसे में, तेजपाल खिल्लन पर निर्भरता विनय गर्ग के लिए आत्मघाती साबित हो सकती है । मल्टीपल की इस वर्ष की चुनावी राजनीति में तेजपाल खिल्लन, मुकेश गोयल, जितेंद्र चौहान, केएस लूथरा आदि की निर्णायक भूमिका देखी जा रही है - इनके बीच लेकिन तालमेल और परस्पर विश्वास का नितांत अभाव है । इसके चलते मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद के चुनाव को लेकर इनकी तरफ से कोई कारगर रणनीति ही नहीं बन पा रही है । इसका फायदा उठाते हुए अनिल तुलस्यान ने इनके बीच अपने लिए समर्थन तलाशने/बनाने का काम शुरू कर दिया है । समस्या की और आलोचना की बात यह है कि विनय गर्ग इस सारे घटनाचक्र से या तो अनजान बने हुए हैं, और या देखते हुए भी इसके पीछे छिपे खतरे को समझ नहीं पा रहे हैं - और अपनी तरफ से कोई प्रयत्न करते हुए नहीं दिख रहे हैं । मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद के चुनाव में पर्दे के सामने और पर्दे के पीछे से भूमिका निभाने वाले लोगों की मुख्य शिकायत यही है कि विनय गर्ग अपनी उम्मीदवारी को लेकर खुद ही गंभीर नहीं हैं । इस तरह, विनय गर्ग के लिए ठीक डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति जैसे ही हालात हैं : डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में स्थितियाँ पूरी तरह अनुकूल होने के बावजूद विनय गर्ग और उनके साथियों ने सब कुछ खो दिया; मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद के लिए परिस्थितियाँ पूरी तरह विनय गर्ग के अनुकूल हैं - लेकिन यहाँ भी वह उन्हीं गलतियों और कमजोरियों का शिकार बनते नजर आ रहे हैं ।
विनय गर्ग और उनके साथियों को डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में जो तगड़ा झटका लगा है, वह वास्तव में नकारात्मक सोच पर पूरी तरह निर्भर रहने के साथ-साथ उनके बीच तालमेल के अभाव और उनके अति-विश्वास का नतीजा है । उन्होंने अपने प्रचार-अभियान में सिर्फ जेपी सिंह और गुरचरण सिंह भोला की कमजोरियों को निशाना बनाया; उन्होंने अपने उम्मीदवारों की कमजोरियों पर कोई ध्यान नहीं दिया - उन्होंने इस बात पर भी गौर नहीं किया कि जेपी सिंह और गुरचरण सिंह भोला किस तरह से अपनी अपनी कमजोरियों को दूर करने तथा अपनी अपनी खूबियों से उन्हें ढँकने का प्रयास कर रहे हैं । विनय गर्ग और उनके साथियों पर नकारात्मक सोच इस हद तक हावी थी कि पिछले वर्ष उनके साथ रहे जो पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स तथा हाल ही तक साथ रहे जो 'फ्यूचर' डिस्ट्रिक्ट गवर्नर उनका साथ छोड़ रहे थे, उन्हें अपने साथ बनाए रखने की कोशिश करने की बजाए - वह उन पर 'बिकने' का आरोप लगाने लगे थे । तालमेल का अभाव कई मौकों पर सामने आया, लेकिन उससे उन्होंने कोई सबक नहीं लिया । यह सब इसलिए भी हुआ, क्योंकि विनय गर्ग और उनके साथी अति-विश्वास का बुरी तरह शिकार थे । पिछले एक महीने में गुरचरण सिंह भोला के प्रचार अभियान ने जो रफ्तार पकड़ी थी, और जिसके कारण उन्हें दिल्ली और हरियाणा दोनों जगह समर्थन मिलता और बढ़ता नजर आ रहा था - वह विनय गर्ग और उनके साथियों को 'दिखा' ही नहीं, और चुनाव के पहले तक वह खतरे को भाँप ही नहीं पाए और यशपाल अरोड़ा को सौ वोटों से जीता हुआ घोषित कर रहे थे ।
विनय गर्ग और उनके साथियों ने डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में जो मात खाई, उसे चूँकि उनकी राजनीतिक अपरिपक्वता के नतीजे के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है - इसीलिए विनय गर्ग से हमदर्दी रखने वाले लोगों को डर हुआ है कि इसी अपरिपक्वता के चलते विनय गर्ग कहीं मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन का मिलता दिख रहा पद न गवाँ दें । जिस तरह डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति को ताकत देने वाले सारे तत्त्व विनय गर्ग और उनके साथियों के हाथ में थे, ठीक उसी तरह से मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद के लिए सारी अनुकूलता विनय गर्ग के पक्ष में दिखाई दे रही है - लेकिन जो गलतियाँ उनसे डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में हुई हैं, ठीक वही गलतियाँ वह मल्टीपल की राजनीति में करते देखे जा रहे हैं । मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद की राजनीति में संभावित समर्थकों को अपने साथ रखने की विनय गर्ग की तरफ से कोई कोशिश ही नहीं हो रही है, और उन्होंने सारा दारोमदार तेजपाल खिल्लन पर छोड़ दिया है - जो सिर्फ इस बात पर भरोसा किए बैठे हैं कि विभिन्न डिस्ट्रिक्ट्स के फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर चूँकि लीडरशिप के खिलाफ हैं, इसलिए उनके वोट उन्हें अपने आप ही मिल जायेंगे । सच जबकि यह है किसी भी चुनावी राजनीति में अपने आप कुछ नहीं होता है । स्थितियाँ यदि अनुकूल होती भी हैं, तो उन अनुकूल स्थितियों को समर्थन में बदलने के लिए प्रयत्न करना होता है । तेजपाल खिल्लन का रवैया मल्टीपल की राजनीति में संभावित सहयोगियों को लेकिन एक-दूसरे के सामने नीचा दिखाने और उन्हें अपमानित करने वाला है ।
तेजपाल खिल्लन ने अपने डिस्ट्रिक्ट की डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस में जितेंद्र चौहान की ठीक उसी अंदाज में बेइज्जती की, जैसी कि उन्होंने पिछले दिनों जितेंद्र चौहान के सामने मुकेश गोयल की - की थी । पिछले दिनों एक मौके पर इकट्ठा हुए तेजपाल खिल्लन, जितेंद्र चौहान के साथ मुकेश गोयल से मिलने उनके कमरे में आए और उन्हें खुश करने वाली बातें कीं - लौटते समय लेकिन वह जितेंद्र चौहान से बोले कि 'मुकेश को ठीक बना दिया न' । तेजपाल खिल्लन से यह सुन कर जितेंद्र चौहान भौंचक तो हुए, लेकिन चुप रह गए । यह बात उन्हें लेकिन अभी तब याद आई, जब तेजपाल खिल्लन के डिस्ट्रिक्ट की डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस में वह मुकेश गोयल की तरह से ही तेजपाल खिल्लन के शिकार बने । अपने डिस्ट्रिक्ट की डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस में तेजपाल खिल्लन ने परिस्थितियोंवश 'मजबूर' होकर जितेंद्र चौहान को मुख्य अतिथि तो बना दिया, लेकिन उनकी पीठ पीछे कई लोगों से उन्होंने पूछने के अंदाज में कहा कि 'जितेंद्र तो सेट हो गया है न' । लायनिज्म में बातें छिपती तो हैं नहीं, सो जितेंद्र चौहान तक बात पहुँच ही गई । उन्होंने यह सुना तो उन्हें मुकेश गोयल के साथ किया गया तेजपाल खिल्लन का व्यवहार याद आ गया और फिर उन्होंने उक्त किस्सा लोगों को सुनाया । इस तरह की हरकतों से तेजपाल खिल्लन मल्टीपल में नेतागिरी कर सकेंगे - इसमें लोगों को शक है । लोगों के बीच यह चर्चा पहले से ही है कि मल्टीपल की राजनीति में तेजपाल खिल्लन की दिलचस्पी सिर्फ इसलिए है ताकि उनका धंधा ठीक से चलता रहे और बढ़े ।
ऐसे में, तेजपाल खिल्लन पर निर्भरता विनय गर्ग के लिए आत्मघाती साबित हो सकती है । मल्टीपल की इस वर्ष की चुनावी राजनीति में तेजपाल खिल्लन, मुकेश गोयल, जितेंद्र चौहान, केएस लूथरा आदि की निर्णायक भूमिका देखी जा रही है - इनके बीच लेकिन तालमेल और परस्पर विश्वास का नितांत अभाव है । इसके चलते मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद के चुनाव को लेकर इनकी तरफ से कोई कारगर रणनीति ही नहीं बन पा रही है । इसका फायदा उठाते हुए अनिल तुलस्यान ने इनके बीच अपने लिए समर्थन तलाशने/बनाने का काम शुरू कर दिया है । समस्या की और आलोचना की बात यह है कि विनय गर्ग इस सारे घटनाचक्र से या तो अनजान बने हुए हैं, और या देखते हुए भी इसके पीछे छिपे खतरे को समझ नहीं पा रहे हैं - और अपनी तरफ से कोई प्रयत्न करते हुए नहीं दिख रहे हैं । मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद के चुनाव में पर्दे के सामने और पर्दे के पीछे से भूमिका निभाने वाले लोगों की मुख्य शिकायत यही है कि विनय गर्ग अपनी उम्मीदवारी को लेकर खुद ही गंभीर नहीं हैं । इस तरह, विनय गर्ग के लिए ठीक डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति जैसे ही हालात हैं : डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में स्थितियाँ पूरी तरह अनुकूल होने के बावजूद विनय गर्ग और उनके साथियों ने सब कुछ खो दिया; मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद के लिए परिस्थितियाँ पूरी तरह विनय गर्ग के अनुकूल हैं - लेकिन यहाँ भी वह उन्हीं गलतियों और कमजोरियों का शिकार बनते नजर आ रहे हैं ।