चंडीगढ़ । राजेंद्र उर्फ राजा साबू और उनके गिरोह के पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स
को वर्ष 2017-18 के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद को लेकर मनमानी करने के मामले
में पहले तो टीके रूबी के हाथों फजीहत झेलना पड़ी, और अब डीसी बंसल ने
उन्हें दिन में तारे दिखा दिए हैं ।
राजा साबू और उनके गिरोह के पूर्व गवर्नर्स की कारस्तानियों के चलते
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट प्रवीन चंद्र गोयल और मुसीबत में फँस गए हैं ।
उन्हें न सिर्फ 21 से 23 अप्रैल के बीच होने वाले प्रेसीडेंट्स इलेक्ट
ट्रेनिंग सेमीनार और सेक्रेटरीज इलेक्ट ट्रेनिंग सेमीनार जैसे अपने
महत्त्वपूर्ण आयोजन को स्थगित कर देना पड़ा है - बल्कि उनकी डिस्ट्रिक्ट गवर्नरी और खतरे
में पड़ गई है । उल्लेखनीय है कि प्रवीन चंद्र गोयल बेचारे अच्छे-भले वर्ष
2018-19 के लिए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर चुने गए थे, लेकिन राजा साबू और उनके
गिरोह के पूर्व गवर्नर्स ने अपनी मनमानी चलाते हुए उन्हें झगड़े में पड़ी
वर्ष 2017-18 की गवर्नरी पर ट्रांसफर करवा दिया । प्रवीन चंद्र गोयल ने
वर्ष 2017-18 के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में काम करना शुरू भी कर दिया
था - और इसी प्रक्रिया में प्रेसीडेंट्स इलेक्ट व सेक्रेटरीज इलेक्ट के
ट्रेनिंग प्रोग्राम की तैयारी की गई थी; लेकिन डीसी बंसल द्वारा शुरू की
गई अदालती कार्रवाई के कारण उनके रंग में भंग पड़ गया है - और ठीक एक दिन
पहले प्रवीन चंद्र गोयल को उक्त प्रोग्राम को स्थगित कर देना पड़ा है । डीसी
बंसल ने वर्ष 2017-18 के गवर्नर पद पर अपना दावा करते हुए जो अदालती
कार्रवाई की है, उसके चलते प्रवीन चंद्र गोयल की गवर्नरी पर खतरा और
मंडराने लगा है । डिस्ट्रिक्ट में दिलचस्प नजारा यह बना है कि राजा
साबू और उनके गिरोह के पूर्व गवर्नर्स ने पिछले दो वर्षों से जिन लोगों को
तरह तरह की अपनी हरकतों से परेशान किया हुआ था - वह यह तमाशा देख रहे हैं
और मजे ले रहे हैं कि राजा साबू और उनके गिरोह के लोग कैसे अपने ही बिछाए
जाल में खुद फँस गए हैं ।
राजा साबू और उनके गिरोह के पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स के लिए रोटरी इंटरनेशनल के प्रमुख पदाधिकारियों के सामने शर्मिंदगी की स्थिति इसलिए और बनी है कि पिछले दो वर्षों से वह उनके सामने जिन डीसी बंसल की पैरोकारी कर रहे थे, उन्हीं डीसी बंसल द्वारा शुरू की गई अदालती कार्रवाई के चलते रोटरी इंटरनेशनल प्रेसीडेंट जॉन जर्म तथा रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड के सदस्यों सहित अन्य पदाधिकारियों को अदालती सम्मन जारी हुआ है । उल्लेखनीय है कि वर्ष 2017-18 के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद को लेकर की जा रही अपनी मनमानी को सही साबित करने के लिए राजा साबू और उनके गिरोह के पूर्व गवर्नर्स ने रोटरी इंटरनेशनल के उच्च पदाधिकारियों को यह बताने/समझाने के लिए पूरा जोर लगाया हुआ था कि टीके रूबी तो डिस्ट्रिक्ट और रोटरी के लिए सही व्यक्ति नहीं हैं, जबकि डीसी बंसल डिस्ट्रिक्ट और रोटरी के आदर्शों और नियम-कानूनों और उसके फैसलों को लागू करने का काम जेनुइनली करने वाले व्यक्ति हैं । ऐसे में, राजा साबू और उनके गिरोह के पूर्व गवर्नर्स के लिए रोटरी इंटरनेशनल के उच्च पदाधिकारियों को अब यह बताना/समझाना मुश्किल और शर्मिंदगीभरा काम होगा कि वह जिन टीके रूबी की बुराई किया करते थे, उन टीके रूबी ने तो रोटरी इंटरनेशनल के फैसले को सम्मान देते हुए स्वीकार कर लिया; लेकिन वह जिन डीसी बंसल की वकालत कर रहे थे, उन डीसी बंसल ने रोटरी इंटरनेशनल के फैसले को अदालत में चुनौती देने का कदम क्यों उठाया है और क्यों पूरी रोटरी को ही अदालत में घसीट लिया है ?
डीसी बंसल ने रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड के उस फैसले को अदालत में चुनौती दी है, जिसके तहत वर्ष 2017-18 के लिए हुए चुनाव में उन्हें विजयी घोषित किए गए तत्कालीन डिस्ट्रिक्ट गवर्नर डेविड हिल्टन के फैसले को रद्द कर दिया गया है । रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड के फैसले के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाने के डीसी बंसल के फैसले को राजा साबू के रवैये के प्रति उनकी नाराजगी की अभिव्यक्ति के रूप में भी देखा/पहचाना जा रहा है । डीसी बंसल के नजदीकियों का कहना है कि डीसी बंसल बहुत ही शांतिप्रिय और रोटरी के आदर्शों का पालन करने वाले व्यक्ति हैं; डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की लड़ाई में वह इतने गहरे तक नहीं धँसना चाहते थे - लेकिन राजा साबू और उनके गिरोह के पूर्व गवर्नर्स ने अपनी बेशर्म और निर्लज्ज किस्म की हरकतों के चलते उन्हें सब्ज़बाग दिखाए और उन्हें इस्तेमाल करते हुए उक्त लड़ाई को बढ़ाते गए - और जब सब कुछ हार बैठे, तब उन्होंने डीसी बंसल को अकेला छोड़ दिया । डीसी बंसल के नजदीकियों का कहना है कि रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड का जब फैसला आया था, तब कई लोगों ने अदालती कार्रवाई के लिए उन्हें उकसाया था, लेकिन उस समय डीसी बंसल ने और ज्यादा उकसावे में आने के प्रति दिलचस्पी नहीं दिखाई थी । उसके बाद के दिनों में राजा साबू और उनके गिरोह के पूर्व गवर्नर्स की जो हरकतें रहीं, उससे डीसी बंसल ने लेकिन अपने आप को 'अपने ही लोगों द्वारा' ठगा हुआ महसूस किया । उल्लेखनीय है कि पिछले करीब दो वर्षों में जो तमाशा चला, उसमें डीसी बंसल और टीके रूबी - दोनों ने ही बहुत कुछ खोया और बहुत मानसिक प्रताड़ना झेली और अंततः दोनों को ही कुछ भी हासिल नहीं हुआ । रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड का फैसला आने के बाद लेकिन डिस्ट्रिक्ट में जो घटना-चक्र चला उसमें टीके रूबी तो डिस्ट्रिक्ट की व्यवस्था और राजनीति में पुनः जगह पाते/बनाते नजर आए, लेकिन डीसी बंसल एक भूले-बिसरे अध्याय बनते हुए दिखे । यह ठीक है कि वर्ष 2019-20 के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद पर हुई जितेंद्र ढींगरा की चुनावी जीत के कारण टीके रूबी को जल्दी से सक्रिय होने और केंद्रीय भूमिका में आने का अवसर मिला, लेकिन डीसी बंसल के लिए भी मौकों की कोई कमी नहीं थी - प्रवीन चंद्र गोयल की गवर्नरी के साथ उन्हें सम्मानजनक स्थान दिया जा सकता था । राजा साबू और उनके गिरोह के गवर्नर्स ने लेकिन उनके साथ 'यूज एंड थ्रो' वाला रवैया अपनाया, और उन्हें कोई तवज्जो नहीं दी - लिहाजा डीसी बंसल ने भी बगावती तेवर अपना लिए, और वह अदालत की शरण में जा पहुँचे हैं ।
डीसी बंसल की इस अदालती कार्रवाई से डिस्ट्रिक्ट के सत्ता खेमे में नए समीकरण बनने की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है । डीसी बंसल की इस कार्रवाई से पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर मधुकर मल्होत्रा की बाँछे खिल गई हैं - और उन्हें प्रवीन चंद्र गोयल तथा राजा साबू से एक साथ निपटने का मौका मिल गया है । मधुकर मल्होत्रा यूँ तो राजा साबू की आँख का तारा रहे हैं, और पिछले दो वर्षों में जो तमाशा हुआ - उसे राजा साबू के दिशा निर्देशन में उन्होंने ही संयोजित किया हुआ था; जितेंद्र ढींगरा की चुनावी सफलता के साथ भी वह वही खेल खेलना चाहते थे - जो उन्होंने टीके रूबी की चुनावी सफलता के साथ खेला, लेकिन राजा साबू की तरफ से हरी झंडी न मिलने के कारण ऐन मौके पर उन्हें पीछे हटना पड़ा । इससे भी बड़ा झटका मधुकर मल्होत्रा को प्रवीन चंद्र गोयल द्वारा डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर नहीं बनाए जाने के कारण लगा - और इसके लिए वह राजा साबू को जिम्मेदार मानते/ठहराते हैं । राजा साबू, मधुकर मल्होत्रा और प्रवीन चंद्र गोयल चूँकि एक ही क्लब में हैं - इसलिए प्रवीन चंद्र गोयल के गवर्नर-काल के डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर पद पर मधुकर मल्होत्रा अपना स्वाभाविक हक मान रहे थे, लेकिन डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर का पद मिल गया जेपीएस सिबिया को । इसके चलते डिस्ट्रिक्ट में मधुकर मल्होत्रा की खासी किरकिरी हुई और लोगों के बीच संदेश गया कि राजा साबू के दरबार में मधुकर मल्होत्रा के नंबर घट गए हैं । डीसी बंसल की अदालती कार्रवाई से प्रवीन चंद्र गोयल की गवर्नरी पर जो संकट आया है, उसने तो मधुकर मल्होत्रा को प्रफुल्लित किया ही है, साथ ही मधुकर मल्होत्रा को इस उम्मीद से भी भर दिया है कि इस नई बनी परिस्थिति से निपटने के लिए राजा साबू उन्हें फिर से अपने दरबार में पहले जैसी ही हैसियत देने के लिए मजबूर होंगे । डीसी बंसल की अदालती कार्रवाई से मधुकर मल्होत्रा की छिपाए न छिप पा रही खुशी को देखते/समझते हुए राजा साबू गिरोह के ही दूसरे कुछेक पूर्व गवर्नर्स तथा अन्य लोगों को तो यह भी शक हो रहा है कि डीसी बंसल की अदालती कार्रवाई के पीछे कहीं मधुकर मल्होत्रा ही तो नहीं हैं ?
इस तरह डीसी बंसल की अदालती कार्रवाई ने राजा साबू गिरोह के बीच ही न सिर्फ बबाल पैदा कर दिया है, बल्कि राजा साबू सहित गिरोह के दूसरे पूर्व गवर्नर्स के लिए भारी फजीहत की स्थिति पैदा कर दी है । यह स्थिति क्या मोड़ और स्वरूप लेगी, यह तो अभी कुछ दिन बाद ही स्पष्ट हो सकेगा - अभी लेकिन यह बात तो साफ हो गई है कि डीसी बंसल की इस कार्रवाई से राजा साबू और उनके गिरोह के पूर्व गवर्नर्स उसी गड्ढे में खुद गिर पड़े हैं, जिसे उन्होंने दूसरों के लिए खोदा था ।
राजा साबू और उनके गिरोह के पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स के लिए रोटरी इंटरनेशनल के प्रमुख पदाधिकारियों के सामने शर्मिंदगी की स्थिति इसलिए और बनी है कि पिछले दो वर्षों से वह उनके सामने जिन डीसी बंसल की पैरोकारी कर रहे थे, उन्हीं डीसी बंसल द्वारा शुरू की गई अदालती कार्रवाई के चलते रोटरी इंटरनेशनल प्रेसीडेंट जॉन जर्म तथा रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड के सदस्यों सहित अन्य पदाधिकारियों को अदालती सम्मन जारी हुआ है । उल्लेखनीय है कि वर्ष 2017-18 के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद को लेकर की जा रही अपनी मनमानी को सही साबित करने के लिए राजा साबू और उनके गिरोह के पूर्व गवर्नर्स ने रोटरी इंटरनेशनल के उच्च पदाधिकारियों को यह बताने/समझाने के लिए पूरा जोर लगाया हुआ था कि टीके रूबी तो डिस्ट्रिक्ट और रोटरी के लिए सही व्यक्ति नहीं हैं, जबकि डीसी बंसल डिस्ट्रिक्ट और रोटरी के आदर्शों और नियम-कानूनों और उसके फैसलों को लागू करने का काम जेनुइनली करने वाले व्यक्ति हैं । ऐसे में, राजा साबू और उनके गिरोह के पूर्व गवर्नर्स के लिए रोटरी इंटरनेशनल के उच्च पदाधिकारियों को अब यह बताना/समझाना मुश्किल और शर्मिंदगीभरा काम होगा कि वह जिन टीके रूबी की बुराई किया करते थे, उन टीके रूबी ने तो रोटरी इंटरनेशनल के फैसले को सम्मान देते हुए स्वीकार कर लिया; लेकिन वह जिन डीसी बंसल की वकालत कर रहे थे, उन डीसी बंसल ने रोटरी इंटरनेशनल के फैसले को अदालत में चुनौती देने का कदम क्यों उठाया है और क्यों पूरी रोटरी को ही अदालत में घसीट लिया है ?
डीसी बंसल ने रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड के उस फैसले को अदालत में चुनौती दी है, जिसके तहत वर्ष 2017-18 के लिए हुए चुनाव में उन्हें विजयी घोषित किए गए तत्कालीन डिस्ट्रिक्ट गवर्नर डेविड हिल्टन के फैसले को रद्द कर दिया गया है । रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड के फैसले के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाने के डीसी बंसल के फैसले को राजा साबू के रवैये के प्रति उनकी नाराजगी की अभिव्यक्ति के रूप में भी देखा/पहचाना जा रहा है । डीसी बंसल के नजदीकियों का कहना है कि डीसी बंसल बहुत ही शांतिप्रिय और रोटरी के आदर्शों का पालन करने वाले व्यक्ति हैं; डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की लड़ाई में वह इतने गहरे तक नहीं धँसना चाहते थे - लेकिन राजा साबू और उनके गिरोह के पूर्व गवर्नर्स ने अपनी बेशर्म और निर्लज्ज किस्म की हरकतों के चलते उन्हें सब्ज़बाग दिखाए और उन्हें इस्तेमाल करते हुए उक्त लड़ाई को बढ़ाते गए - और जब सब कुछ हार बैठे, तब उन्होंने डीसी बंसल को अकेला छोड़ दिया । डीसी बंसल के नजदीकियों का कहना है कि रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड का जब फैसला आया था, तब कई लोगों ने अदालती कार्रवाई के लिए उन्हें उकसाया था, लेकिन उस समय डीसी बंसल ने और ज्यादा उकसावे में आने के प्रति दिलचस्पी नहीं दिखाई थी । उसके बाद के दिनों में राजा साबू और उनके गिरोह के पूर्व गवर्नर्स की जो हरकतें रहीं, उससे डीसी बंसल ने लेकिन अपने आप को 'अपने ही लोगों द्वारा' ठगा हुआ महसूस किया । उल्लेखनीय है कि पिछले करीब दो वर्षों में जो तमाशा चला, उसमें डीसी बंसल और टीके रूबी - दोनों ने ही बहुत कुछ खोया और बहुत मानसिक प्रताड़ना झेली और अंततः दोनों को ही कुछ भी हासिल नहीं हुआ । रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड का फैसला आने के बाद लेकिन डिस्ट्रिक्ट में जो घटना-चक्र चला उसमें टीके रूबी तो डिस्ट्रिक्ट की व्यवस्था और राजनीति में पुनः जगह पाते/बनाते नजर आए, लेकिन डीसी बंसल एक भूले-बिसरे अध्याय बनते हुए दिखे । यह ठीक है कि वर्ष 2019-20 के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद पर हुई जितेंद्र ढींगरा की चुनावी जीत के कारण टीके रूबी को जल्दी से सक्रिय होने और केंद्रीय भूमिका में आने का अवसर मिला, लेकिन डीसी बंसल के लिए भी मौकों की कोई कमी नहीं थी - प्रवीन चंद्र गोयल की गवर्नरी के साथ उन्हें सम्मानजनक स्थान दिया जा सकता था । राजा साबू और उनके गिरोह के गवर्नर्स ने लेकिन उनके साथ 'यूज एंड थ्रो' वाला रवैया अपनाया, और उन्हें कोई तवज्जो नहीं दी - लिहाजा डीसी बंसल ने भी बगावती तेवर अपना लिए, और वह अदालत की शरण में जा पहुँचे हैं ।
डीसी बंसल की इस अदालती कार्रवाई से डिस्ट्रिक्ट के सत्ता खेमे में नए समीकरण बनने की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है । डीसी बंसल की इस कार्रवाई से पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर मधुकर मल्होत्रा की बाँछे खिल गई हैं - और उन्हें प्रवीन चंद्र गोयल तथा राजा साबू से एक साथ निपटने का मौका मिल गया है । मधुकर मल्होत्रा यूँ तो राजा साबू की आँख का तारा रहे हैं, और पिछले दो वर्षों में जो तमाशा हुआ - उसे राजा साबू के दिशा निर्देशन में उन्होंने ही संयोजित किया हुआ था; जितेंद्र ढींगरा की चुनावी सफलता के साथ भी वह वही खेल खेलना चाहते थे - जो उन्होंने टीके रूबी की चुनावी सफलता के साथ खेला, लेकिन राजा साबू की तरफ से हरी झंडी न मिलने के कारण ऐन मौके पर उन्हें पीछे हटना पड़ा । इससे भी बड़ा झटका मधुकर मल्होत्रा को प्रवीन चंद्र गोयल द्वारा डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर नहीं बनाए जाने के कारण लगा - और इसके लिए वह राजा साबू को जिम्मेदार मानते/ठहराते हैं । राजा साबू, मधुकर मल्होत्रा और प्रवीन चंद्र गोयल चूँकि एक ही क्लब में हैं - इसलिए प्रवीन चंद्र गोयल के गवर्नर-काल के डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर पद पर मधुकर मल्होत्रा अपना स्वाभाविक हक मान रहे थे, लेकिन डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर का पद मिल गया जेपीएस सिबिया को । इसके चलते डिस्ट्रिक्ट में मधुकर मल्होत्रा की खासी किरकिरी हुई और लोगों के बीच संदेश गया कि राजा साबू के दरबार में मधुकर मल्होत्रा के नंबर घट गए हैं । डीसी बंसल की अदालती कार्रवाई से प्रवीन चंद्र गोयल की गवर्नरी पर जो संकट आया है, उसने तो मधुकर मल्होत्रा को प्रफुल्लित किया ही है, साथ ही मधुकर मल्होत्रा को इस उम्मीद से भी भर दिया है कि इस नई बनी परिस्थिति से निपटने के लिए राजा साबू उन्हें फिर से अपने दरबार में पहले जैसी ही हैसियत देने के लिए मजबूर होंगे । डीसी बंसल की अदालती कार्रवाई से मधुकर मल्होत्रा की छिपाए न छिप पा रही खुशी को देखते/समझते हुए राजा साबू गिरोह के ही दूसरे कुछेक पूर्व गवर्नर्स तथा अन्य लोगों को तो यह भी शक हो रहा है कि डीसी बंसल की अदालती कार्रवाई के पीछे कहीं मधुकर मल्होत्रा ही तो नहीं हैं ?
इस तरह डीसी बंसल की अदालती कार्रवाई ने राजा साबू गिरोह के बीच ही न सिर्फ बबाल पैदा कर दिया है, बल्कि राजा साबू सहित गिरोह के दूसरे पूर्व गवर्नर्स के लिए भारी फजीहत की स्थिति पैदा कर दी है । यह स्थिति क्या मोड़ और स्वरूप लेगी, यह तो अभी कुछ दिन बाद ही स्पष्ट हो सकेगा - अभी लेकिन यह बात तो साफ हो गई है कि डीसी बंसल की इस कार्रवाई से राजा साबू और उनके गिरोह के पूर्व गवर्नर्स उसी गड्ढे में खुद गिर पड़े हैं, जिसे उन्होंने दूसरों के लिए खोदा था ।