Sunday, April 9, 2017

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 में इंटरनेशनल डायरेक्टर का चयन करने वाली नोमीनेटिंग कमेटी के चुनाव में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर शरत जैन के रवैए ने रमेश अग्रवाल के लिए मुसीबत पैदा की

नई दिल्ली । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में शरत जैन जिस तरह से रमेश अग्रवाल द्वारा तय की गई वोट-जुटाऊ योजना को क्रियान्वित करने से पीछे हटते दिख रहे हैं, उसके चलते रमेश अग्रवाल को इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए अधिकृत उम्मीदवार का चयन करने वाली नोमीनेटिंग कमेटी के चुनाव के लिए प्रस्तुत की गई अपनी उम्मीदवारी अभी से संकट में पड़ती नजर आ रही है रमेश अग्रवाल ने क्लब के कुछेक सदस्यों को यह कहते/बताते हुए शरत जैन के खिलाफ भड़काने का प्रयास किया है कि शरत जैन का यही रवैया रहा, तो क्लब को डिस्ट्रिक्ट में एक बार फिर से बदनामी का सामना करना पड़ेगा । अपनी जीत/हार को क्लब के मान/अपमान से जोड़ कर रमेश अग्रवाल ने शरत जैन पर मदद के लिए सक्रिय होने के लिए दबाव बनाने का काम शुरू तो किया है, लेकिन क्लब के ही कुछेक सदस्यों का कहना है कि शरत जैन को रमेश अग्रवाल को पूरी तरह बर्फ में लगा देने का जो मौका मिला है - उसे वह यूँ ही नष्ट नहीं होने देंगे । शरत जैन जानते/समझते हैं कि रमेश अग्रवाल इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए बनने वाली नोमीनेटिंग कमेटी के लिए यदि चुन लिए गए तो डिस्ट्रिक्ट तो छोड़िए, क्लब तक में उनकी स्थिति को दोयम दर्जे की बना देंगे शरत जैन के नजदीकियों का ही कहना/बताना है कि शरत जैन को यह अच्छी तरह समझ में आ रहा है कि डिस्ट्रिक्ट में और क्लब में अपनी स्थिति को सम्मानजनक बनाए रखने के लिए यह जरूरी है कि रमेश अग्रवाल इंटरनेशनल डायरेक्टर के लिए बनने वाली नोमीनेटिंग कमेटी का चुनाव हार जाएँ । रमेश अग्रवाल को हरवाने के लिए तो शरत जैन कुछ नहीं कर सकते हैं, लेकिन वह इतना तो कर ही सकते हैं कि वह उन्हें चुनाव जितवाने के लिए कुछ न करें ।
रमेश अग्रवाल के लिए समस्या की बात यह है कि उन्होंने अपनी जीत का सारा ताना-बाना ही शरत जैन के भरोसे बुना है । रमेश अग्रवाल की डिस्ट्रिक्ट में वैसे ही खासी बदनामी है, जिसके चलते इस वर्ष के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में अशोक जैन को बुरी तरह से हारना पड़ा । अशोक जैन की बुरी हार के लिए डिस्ट्रिक्ट में हर किसी ने 'रमेश अग्रवाल के उम्मीदवार' की उनकी पहचान को ही जिम्मेदार माना/ठहराया डिस्ट्रिक्ट में लोगों का मानना और कहना है कि डिस्ट्रिक्ट में लोगों के बीच रमेश अग्रवाल के प्रति जो गुस्सा और नाराजगी है, उसका खामियाजा अशोक जैन को भुगतना पड़ा है । रमेश अग्रवाल को भी इस बात का अहसास तो है, और इसीलिए वह पहले इंटरनेशनल डायरेक्टर के लिए बनने वाली नोमीनेटिंग कमेटी के चुनाव से दूर रहने में ही अपनी भलाई देख रहे थे रमेश अग्रवाल के लिए रोटरी की राजनीति और व्यवस्था में लेकिन जीने/मरने वाले हालात बन गए हैं । रोटरी की राजनीति और व्यवस्था में अपने पुनर्जीवन के लिए उन्हें कुछ बड़ा करना जरूरी लग रहा है । इंटरनेशनल डायरेक्टर के लिए बनने वाली नोमीनेटिंग कमेटी की सदस्यता में उन्हें ऐसा ही मौका दिख रहा है । रमेश अग्रवाल को लगता है कि डिस्ट्रिक्ट के लोगों में उनके प्रति जो गुस्सा और नाराजगी है, वह अशोक जैन का 'खून पीकर' काफी कुछ रिलीज हो चुकी है - बाकी जो थोड़ी/बहुत बची होगी, उसे वह शरत जैन की मदद से दूर कर लेंगे । शरत जैन के नजदीकियों के अनुसार, रमेश अग्रवाल ने शरत जैन को फार्मूला सुझाया है कि इस वर्ष के अवॉर्ड्स का लालच दिखा कर क्लब-प्रेसीडेंट्स के वोट खरीदे जा सकते हैं । रमेश अग्रवाल का विश्वास है कि क्लब्स के प्रेसीडेंट्स अवॉर्ड के लालची होते ही हैं - और शरत जैन के जरिए वह उनके इस लालच का फायदा उठा कर उनके वोट हासिल कर सकेंगे रमेश अग्रवाल ने शरत जैन को जिम्मेदारी सौंपी कि क्लब-प्रेसीडेंट्स को अवॉर्ड का आश्वासन देकर वह उनके लिए वोट पक्के करने का काम करें
रमेश अग्रवाल लेकिन यह देख/जान कर हैरान और परेशान हैं कि शरत जैन इस काम में कोई दिलचस्पी ही नहीं ले रहे हैं । हाल/फिलहाल के दिनों में अपनी उम्मीदवारी के सिलसिले में रमेश अग्रवाल ने जिन भी लोगों से बात की, उनसे उन्हें ऐसे कोई संकेत नहीं मिले जिनसे उन्हें आभास हुआ हो कि शरत जैन ने उनकी उम्मीदवारी के लिए तय की गई वोट-जुटाऊ योजना पर कुछ किया हो । यह जान कर रमेश अग्रवाल को अपनी उम्मीदवारी पर अभी से खतरा मँडराता दिखने लगा है, और उन्होंने शरत जैन की नकेल कसने के लिए क्लब में शरत जैन पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है । रमेश अग्रवाल लोगों को बता रहे हैं कि उन्होंने ही शरत जैन को गवर्नर बनवाया और डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर के रूप में उनकी गवर्नरी चलवाई, लेकिन अब जब उन्हें शरत जैन की मदद की जरूरत है - तो शरत जैन उनके साथ परायो जैसा व्यवहार कर रहे हैं, और इस तरह अहसानफरामोशी दिखा रहे हैं क्लब के सदस्यों को भावनात्मक रूप से ब्लैकमेल करने के लिए रमेश अग्रवाल क्लब की इज्जत का हवाला भी यह कहते हुए दे रहे हैं कि यदि वह चुनाव हारे तो क्लब की दोहरी बेइज्जती होगी । इस तरह की बातों का शरत जैन की तरफ से भी जबाव आ रहा है कि डिस्ट्रिक्ट में क्लब का नाम यदि खराब है तो इसके लिए रमेश अग्रवाल की घटिया हरकतें जिम्मेदार हैं । शरत जैन की तरफ से कहा/बताया जा रहा है कि रमेश अग्रवाल की घटिया हरकतों के कारण ही अगले डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सतीश सिंघल इतने पीड़ित हैं कि वह रमेश अग्रवाल को अपने किसी भी कार्यक्रम में कोई तवज्जो नहीं दे रहे हैं; सगे भाई जैसे पड़ोसी डिस्ट्रिक्ट - डिस्ट्रिक्ट 3011 में निवर्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुधीर मंगला ने रमेश अग्रवाल को अपने डिस्ट्रिक्ट में 'घुसने' तक नहीं दिया था; अपने डिस्ट्रिक्ट में भी निवर्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर जेके गौड़ उनकी कारस्तानियों से परेशान होकर उनके खिलाफ गए हैं; उनकी हरकतों का ही परिणाम निकला कि अशोक जैन डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में बुरी तरह हार गए शरत जैन की तरफ से कहा जा रहा है कि रमेश अग्रवाल उन पर मदद न करने का आरोप लगा कर दरअसल इंटरनेशनल डायरेक्टर के लिए बनने वाली नोमीनेटिंग कमेटी के चुनाव में अपनी संभावित हार का ठीकरा उनके सिर फोड़ने की अभी से तैयारी कर रहे हैं ।
रमेश अग्रवाल और शरत जैन के बीच की इस झींगामश्ती को स्वाभाविक घटनाचक्र के रूप में देख/पहचान रहे लोगों का मानना और कहना है कि रमेश अग्रवाल के बदतमीजीपूर्ण रवैए और स्वभाव को देखते हुए शरत जैन का असहयोगात्मक रुख उचित ही है । शरत जैन को डिस्ट्रिक्ट में और क्लब में यदि उचित सम्मान के साथ रहना है, तो यह जरूरी है कि रमेश अग्रवाल हारे हुए ही रहें - जीतने के बाद तो रमेश अग्रवाल फिर शरत जैन को कुछ समझेंगे ही नहीं । दरअसल रमेश अग्रवाल हैं ही ऐसे - वह किसी के लिए कुछ करना चाहेंगे, तो फिर खुशी के साथ उसके लिए बहुत कुछ करेंगे - लेकिन करने के साथ-साथ उसकी पूरी पूरी कीमत भी बसूलते चलेंगे और इस प्रक्रिया में उसके साथ बदतमीजी की सीमाएँ भी लाँघते जायेंगे । रमेश अग्रवाल ने यही कुछ जेके गौड़ के साथ किया जेके गौड़ को गवर्नर बनवाने से लेकर उनकी गवर्नरी चलाने/चलवाने तक में रमेश अग्रवाल ने पूरी पूरी मेहनत की - लेकिन बदले में जेके गौड़ को उन्होंने ऐसा ऐसा 'निचोड़ा' कि आज वह जेके गौड़ के दुश्मन नंबर एक बन गए हैं । यही हाल उन्होंने शरत जैन का किया है - इसलिए ही शरत जैन जान/समझ रहे हैं कि रमेश अग्रवाल यदि इंटरनेशनल डायरेक्टर का चयन करने वाली नोमीनेटिंग कमेटी के लिए चुन लिए गए, तो डिस्ट्रिक्ट में और क्लब में उनके लिए सम्मान के साथ रह पाना मुश्किल हो जाएगा । यह जान/समझ लेने के कारण ही शरत जैन ने रमेश अग्रवाल की वोट-जुटाऊ योजना से दूर रहने का निश्चय किया है । शरत जैन के इस निश्चय ने रमेश अग्रवाल की उम्मीदवारी के सामने शुरू में ही संकट खड़ा कर दिया है । इस संकट से उबरने के लिए ही रमेश अग्रवाल ने क्लब में शरत जैन की गर्दन पकड़ने और उन्हें रास्ते पर लाने की चालबाजियाँ तेज कर दी हैं - उन्होंने अपने नजदीकियों से कहा है कि किसी भी तरह उन्हें शरत जैन को 'रास्ते पर लाना' ही है यह देखना दिलचस्प होगा कि शरत जैन किस तरह से रमेश अग्रवाल की चालबाजियों का मुकाबला करते हैं - कर भी पाते हैं, या नहीं ?