Tuesday, April 18, 2017

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 से ऑर्च क्लम्प सोसायटी के पहले और अकेले सदस्य बनकर सुभाष जैन ने रोटरी की व्यवस्था में अपने खुद के नंबर तो बनाए/बढ़ाए ही हैं, साथ ही डिस्ट्रिक्ट के सदस्यों को भी गौरवान्वित होने का मौका दिया है

गाजियाबाद । ऑर्च क्लम्प सोसायटी (एकेएस) के नए बने सदस्यों के सम्मान में रोटरी इंटरनेशनल के वरिष्ठ पदाधिकारियों की तरफ से रोटरी इंटरनेशनल के मुख्यालय में आयोजित हुए डिनर में सुभाष जैन की उपस्थिति ने डिस्ट्रिक्ट 3012 के सदस्यों को अनोखे किस्म के गौरव के अहसास से परिचित कराने का काम किया है । सुभाष जैन डिस्ट्रिक्ट 3012 के पहले और अकेले सदस्य हैं, जो ऑर्च क्लम्प सोसायटी के सदस्य बने हैं । उल्लेखनीय है कि रोटरी फाउंडेशन के रचयिता और संस्थापक ऑर्च सी क्लम्प के नाम पर स्थापित ऑर्च क्लम्प सोसायटी की सदस्यता रोटरी फाउंडेशन में ढाई लाख अमेरिकी डॉलर देने वाले व्यक्ति को मिलती है । इस सोसायटी के सदस्य बनने वाले का उसके जीवन साथी के साथ रोटरी इंटरनेशनल के अमेरिका स्थित मुख्यालय में आयोजित होने वाले इंडक्शन समारोह में सम्मान किया जाता है; और उसके परिचय के साथ उसकी और उसके जीवनसाथी की तस्वीर उसी मुख्यालय की अठारहवीं मंजिल पर स्थापित इंटरएक्टिव गैलरी में लगाई जाती है । ऑर्च सी क्लम्प रोटरी इंटरनेशनल के छठे इंटरनेशनल प्रेसीडेंट थे, और उन्होंने ही 1917 में रोटरी फाउंडेशन की स्थापना की थी । इस सोसायटी के दुनिया भर में करीब ढाई सौ सदस्य हैं । सुभाष जैन के साथ, पड़ोसी डिस्ट्रिक्ट - डिस्ट्रिक्ट 3011 के नवदीप चावला तथा पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुरेश जैन भी इस सोसायटी के सदस्य बने हैं ।
डिस्ट्रिक्ट 3012 से सुभाष जैन के ऑर्च क्लम्प सोसायटी के पहले और अकेले सदस्य बनने के तथ्य का दिलचस्प पहलू यह भी है कि पिछले दो वर्षों में डिस्ट्रिक्ट में रोटरी फाउंडेशन की जो मीटिंग्स हुई हैं, उनमें ऑर्च क्लम्प सोसायटी का सदस्य बनने की घोषणा करके रमेश अग्रवाल, जेके गौड़ और दीपक गुप्ता भी तालियाँ बटोर चुके हैं - लेकिन जब सोसायटी का सदस्य बनने के लिए पैसे देने का समय आया - तो यह तीनों ही पीछे हट गए हैं । डिस्ट्रिक्ट के आयोजनों में कई लोग इस तरह की धोखेबाजी करते हैं - तालियाँ बटोरने के लिए पीएचएफ बनने के लिए वह अपना नाम तो दे देते हैं, लेकिन जब उसके लिए पैसे देने की बात आती है तो मुँह छिपाते फिरते हैं; इस तरह की हरकत लेकिन रमेश अग्रवाल, जेके गौड़ और दीपक गुप्ता जैसे लोग भी कर सकते हैं - और वह भी रोटरी इंटरनेशनल के बड़े पदाधिकारियों के सामने, यह किसी ने नहीं सोचा होगा उल्लेखनीय है कि डिस्ट्रिक्ट 3012 को ऑर्च क्लम्प सोसायटी की तरफ जाने वाला रास्ता दिखाने का श्रेय भी सुभाष जैन को ही है । पिछले रोटरी वर्ष में सुभाष जैन ने ही इंटरनेशनल डायरेक्टर मनोज देसाई तथा पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर सुशील गुप्ता की उपस्थिति में हुए रोटरी फाउंडेशन के आयोजन में ऑर्च क्लम्प सोसायटी की सदस्यता के लिए दिलचस्पी दिखाई थी । रोटरी के बड़े नेताओं की निगाह में चढ़ने के लिए रमेश अग्रवाल और जेके गौड़ ने भी सुभाष जैन का अनुसरण किया । सुभाष जैन के खिलाफ डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद का चुनाव लड़ रहे दीपक गुप्ता को भी लगा कि वह भी उक्त सोसायटी का सदस्य बनने की घोषणा कर देंगे, तो चुनाव जीत जायेंगे - लिहाजा उन्होंने भी सुभाष जैन का अनुसरण किया और अपने लिए तालियाँ बजवा लीं । पिछले रोटरी वर्ष में उक्त सोसायटी का सदस्य बनने की घोषणा करने वाले रमेश अग्रवाल, जेके गौड़ और दीपक गुप्ता के लिए इस वर्ष जब सचमुच पैसे देने का मौका आया - तो यह रोटरी नेताओं व पदाधिकारियों से बचते/छिपते फिरे । दीपक गुप्ता ने तो कुछ ज्यादा ही ड्रामा फैलाया दरअसल पिछले वर्ष की पराजय के चलते वह इतने सदमे में थे कि उन्हें लगा कि ऑर्च क्लम्प सोसायटी का सदस्य बनने के लिए हामी भरने के बाद भी वह यदि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी का चुनाव नहीं जीत सकते हैं, तो फिर रोटरी में पैसे खर्च करने का क्या फायदा ?
मजे की बात यह है कि ऑर्च क्लम्प सोसायटी का सदस्य बनने के लिए पूरी रकम एक साथ देने की जरूरत भी नहीं है । जरूरत सिर्फ एक एग्रीमेंट करने की है, जिसके तहत तीन वर्ष में रकम पूरी करना होगी । रमेश अग्रवाल, जेके गौड़ और दीपक गुप्ता लेकिन उक्त एग्रीमेंट करने से भी बचने के लिए भाग खड़े हुए । दिलचस्प बात यह है कि उक्त सोसायटी का सदस्य बनने के लिए जब तालियाँ बजी थीं - तब मंच पर सुभाष जैन के साथ रमेश अग्रवाल, जेके गौड़ और दीपक गुप्ता भी थे; किंतु उक्त सोसायटी की सदस्यता के लिए एग्रीमेंट करने का मौका आया तो सुभाष जैन अकेले रह गए इसी का नतीजा रहा कि अभी जब रोटरी इंटरनेशनल के शिकागो स्थित मुख्यालय में नए बने सोसायटी सदस्यों के लिए डिनर का आयोजन हुआ, तो उसमें डिस्ट्रिक्ट 3012 से सिर्फ सुभाष जैन ही मौजूद थे । इस प्रसंग में मुकेश अरनेजा का रवैया भी ध्यान देने योग्य है । पिछले रोटरी वर्ष में डिस्ट्रिक्ट रोटरी फाउंडेशन चेयरमैन के रूप में बीच समयावधि में उन्होंने एक सूची जारी की थी, जिसमें उन लोगों के नाम थे जिन्होंने रोटरी फाउंडेशन के लिए घोषणा करने के बावजूद पैसे नहीं दिए थे । पैसे देने का समय बीत नहीं गया था, लेकिन फिर भी मुकेश अरनेजा ने अपनी नीच सोच का परिचय देते हुए उक्त सूची जारी की थी - जिसके पीछे उनका वास्तविक उद्देश्य सुभाष जैन को नीचा दिखाना था; सुभाष जैन के चक्कर में उन्होंने डिस्ट्रिक्ट के और कई रोटेरियंस को अपमानित करने का प्रयास किया था । लेकिन अब जब उनके 'चेले' दीपक गुप्ता ने रोटरी फाउंडेशन को ठेंगा दिखा दिया है, तो डिस्ट्रिक्ट रोटरी फाउंडेशन चेयरमैन के रूप में मुकेश अरनेजा ने अपने मुँह पर ताला लगा लिया है । इस प्रसंग में मजेदार संयोग यह भी है कि दीपक गुप्ता के साथ रोटरी फाउंडेशन के साथ धोखाधड़ी करने वाले रमेश अग्रवाल और जेके गौड़ भी रोटरी को मुकेश अरनेजा की ही देन हैं
उल्लेखनीय है कि पिछले रोटरी वर्ष में जब सुभाष जैन ने ऑर्च क्लम्प सोसायटी का सदस्य बनने की घोषणा की थी, तब मुकेश अरनेजा और दीपक गुप्ता ने उनकी इस घोषणा को चुनाव जीतने के उनके एक हथकंडे के रूप में प्रचारित किया था । फिर उन्होंने खुद भी इसी 'हथकंडे' को अपना लिया । लेकिन इसे जब पूरा करने का समय आया, तो मैदान से ही भाग खड़े हुए । सुभाष जैन ने लेकिन दिखाया और साबित किया कि उक्त सोसायटी का सदस्य बनने की उनकी घोषणा उनका कोई हथकंडा नहीं था, बल्कि रोटरी के लिए ईमानदारी और गहरी संलग्नता के साथ कुछ बड़ा करने के ज़ज्बे की अभिव्यक्ति था - जिसे उन्होंने पूरी ईमानदारी से निभाया और पूरा किया है इस तरह डिस्ट्रिक्ट 3012 के इतिहास में सुभाष जैन ने एक नई इबारत लिखी है, उन्होंने सिर्फ एक रिकॉर्ड ही नहीं बनाया है - उन्होंने लोगों के बीच कुछ अलग, कुछ खास करने का हौंसला पैदा किया है, उन्होंने दिखाया है कि पुराने ढर्रे पर या पुरानी लीक पर चलने की बजाये नए नए तरीकों से लोगों को प्रेरित किया जा सकता है, नए नए क्षेत्रों में संभावनाएँ तलाशी जा सकती हैं, और सचमुच ऐसा कुछ किया जा सकता है जिसके बारे में दूसरों ने कभी सोचा भी न हो । सुभाष जैन ने जो किया है - उससे रोटरी की व्यवस्था में उनके खुद के नंबर तो बने/बढ़े ही हैं, साथ ही डिस्ट्रिक्ट के सदस्यों को भी गौरवान्वित होने का मौका मिला है । इसीलिए सुभाष जैन की यह उपलब्धि सिर्फ एक रिकॉर्ड भर नहीं हैं - बल्कि उससे कहीं ऊँची और बड़ी बात है ।