लखनऊ
। विशाल सिन्हा को नरेश अग्रवाल, सुशील अग्रवाल, विनोद खन्ना, जगदीश
गुलाटी की चमचागिरी करने पर नरेश अग्रवाल से सार्वजनिक रूप से जो लताड़
सुनने को मिली - और जिसके बाद विशाल सिन्हा ने तेजपाल खिल्लन का दामन पकड़ने
की जो कोशिश की है, उसके चलते मल्टीपल काउंसिल की चुनावी राजनीति का
परिदृश्य खासा रोचक हो उठा है । उल्लेखनीय है कि
मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन के पद के लिए मुख्य रूप से दो नाम चर्चा में हैं -
डिस्ट्रिक्ट 321 ई के अनिल तुलस्यान और डिस्ट्रिक्ट 321 ए टू के विनय गर्ग
। अनिल तुलस्यान को लीडरशिप के उम्मीदवार के रूप में देखा/पहचाना जा रहा
है, जिसकी बागडोर विनोद खन्ना ने संभाली हुई है; जबकि विनय गर्ग को लीडरशिप
से नहीं, बल्कि लीडरशिप के गुर्गे नेताओं से चिढ़ने वाले लोगों का समर्थन
देखा/पहचाना जा रहा है - जिनकी बागडोर तेजपाल खिल्लन के हाथ में है ।
तेजपाल खिल्लन को लीडरशिप के नाम पर इंटरनेशनल प्रेसीडेंट होने जा रहे नरेश
अग्रवाल से समस्या नहीं है, उनको - खुद को नरेश अग्रवाल का प्रतिनिधि
मानने/समझने वाले विनोद खन्ना से समस्या है । तेजपाल
खिल्लन को विनोद खन्ना से इस हद तक समस्या है कि विनोद खन्ना के नजदीकी
होने के 'अपराध' में उन्होंने अपने ही डिस्ट्रिक्ट के पूर्व डिस्ट्रिक्ट
गवर्नर - पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर केएम गोयल और मौजूदा मल्टीपल काउंसिल
चेयरमैन जेसी वर्मा को डिस्ट्रिक्ट में बर्फ में लगाया हुआ है । मजे की
बात यह है कि जेसी वर्मा को मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन बनवाने में तेजपाल
खिल्लन की महत्त्वपूर्ण भूमिका थी, किंतु जेसी वर्मा बाद में चूँकि विनोद खन्ना
के नजदीक हो गए - जिसके नतीजे के रूप में जेसी वर्मा को तेजपाल खिल्लन के
विरोध का इस हद तक सामना करना पड़ा कि अपने ही डिस्ट्रिक्ट की हाल ही में
संपन्न हुई डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस से उन्हें दूर-दूर रहना पड़ा ।
इस पृष्ठभूमि में, मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन का चुनाव किन्हीं दो उम्मीदवारों के बीच नहीं - बल्कि वास्तव में विनोद खन्ना और तेजपाल खिल्लन के बीच है । विशाल सिन्हा ने लीडरशिप का दामन पकड़ा हुआ था । वह तरह तरह से नरेश अग्रवाल तथा अन्य पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर्स को खुश करने के अभियान में लगे हुए थे । हालाँकि खुद को नरेश अग्रवाल का प्रतिनिधि और प्रवक्ता समझने वाले विनोद खन्ना की दिलचस्पी उनकी बजाए पहले योगेश सोनी में और फिर अनिल तुलस्यान में होती दिखी, तो भी विशाल सिन्हा ने उम्मीद नहीं छोड़ी । उन्हें विश्वास रहा कि खुशामद करने वाले अपने गुण से वह विनोद खन्ना को राजी कर लेंगे । वैसे भी वह विनोद खन्ना के पक्के वाले चेले रहे हैं । विनोद खन्ना को भी उनसे कोई समस्या या शिकायत तो नहीं रही; लेकिन फिर भी विनोद खन्ना ने उन्हें उम्मीदवार के रूप में स्वीकार करने में दिलचस्पी नहीं दिखाई तो इसका कारण यह रहा कि विनोद खन्ना ने पाया कि एक उम्मीदवार के रूप में विशाल सिन्हा के पास कुछ भी नहीं है - न अपने फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर का समर्थन उनके पास है, और न वह उम्मीदवार के रूप में पैसे खर्च करने को तैयार हैं । मल्टीपल काउंसिल की पिछली दो मीटिंग्स में विनोद खन्ना ने विशाल सिन्हा को गिफ्ट बाँटने का सुझाव दिया था, लेकिन विशाल सिन्हा ने गिफ्ट बाँटने की बजाए गिफ्ट लेने में ज्यादा दिलचस्पी दिखाई । अब ऐसे 'फुकरे' उम्मीदवार का विनोद खन्ना भी क्या करते ? यूँ तो अनिल तुलस्यान के पास भी अपने फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर का समर्थन नहीं है, लेकिन एक उम्मीदवार के रूप में वह पैसे खर्च करने के लिए तैयार हैं - लिहाजा विनोद खन्ना ने उनके नाम पर हरी झंडी दे दी ।
विशाल सिन्हा ने लेकिन तब भी उम्मीद नहीं छोड़ी और लीडरशिप के नेताओं की खुशामद में वह लगे रहे । उन्हें विश्वास रहा कि लीडरशिप के नेताओं की आरती कर कर के वह उन्हें अपनी उम्मीदवारी के लिए राजी कर लेंगे । लेकिन पिछले दिनों उनसे गड़बड़ यह हो गई कि लीडरशिप के नेताओं की उन्होंने कुछ ज्यादा ही आरती कर दी - जिस पर खुद नरेश अग्रवाल ही भड़क गए और उन्होंने विशाल सिन्हा को नसीहत दे डाली कि कुछ भी कहने से पहले सोच विचार लिया करो । हुआ दरअसल यह कि वर्ष 2022 की इंटरनेशनल कन्वेंशन के लिए दिल्ली को हरी झंडी मिली तो इस अवसर को विशाल सिन्हा ने लीडरशिप के नेताओं को मक्खन लगाने के अवसर के रूप में पहचाना । विशाल सिन्हा की एक बड़ी खूबी यह है कि चाहें मक्खन लगाने का काम करना हो, चाहें गालियाँ देनी हों - वह कंजूसी नहीं करते । उक्त मामले में भी यही हुआ - दिल्ली में इंटरनेशनल कन्वेंशन को हरी झंडी मिलने का श्रेय देने के जोश में विशाल सिन्हा ने सोशल मीडिया में लीडरशिप के नेताओं को कुछ ज्यादा ही मक्खन लगा दिया, जो नरेश अग्रवाल को हजम नहीं हुआ और उन्होंने सोशल मीडिया में ही विशाल सिन्हा को लताड़ लगा दी । विशाल सिन्हा के लिए नमाज़ पढ़ने के चलते रोज़े गले पड़ जाने वाला मामला हो गया । नरेश अग्रवाल के इस रवैए को देख कर विशाल सिन्हा ने समझ लिया कि लीडरशिप मल्टीपल चेयरमैन पद के लिए तो छोड़िए - किसी भी पद के लिए उनके नाम पर विचार नहीं करेगी । लिहाजा उन्होंने तुरंत पैंतरा बदला और वह तेजपाल खिल्लन की शरण में आ गए । विशाल सिन्हा को पता है कि तेजपाल खिल्लन किस बात से खुश होते हैं - सो, तेजपाल खिल्लन के डिस्ट्रिक्ट की डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस में पहुँच कर तेजपाल खिल्लन के सामने विनोद खन्ना को उन्होंने जी भर कर कोसा । जैसा कि पहले कहा जा चुका है कि न खुशामद करने में और न गालियाँ बकने में - विशाल सिन्हा कोई कंजूसी नहीं करते हैं ।
तेजपाल खिल्लन के सामने विनोद खन्ना को गालियाँ देना विशाल सिन्हा के कितना काम आएगा - यह तो बाद में पता चलेगा; क्योंकि तेजपाल खिल्लन के यहाँ अभी तो विनय गर्ग का पलड़ा भारी दिख रहा है । इसका सबसे जोरदार कारण तो यही है कि विनय गर्ग और विनोद खन्ना के बीच छत्तीस का रिश्ता है - तेजपाल खिल्लन आश्वस्त हैं कि विनय गर्ग उन्हें जेसी वर्मा की तरह से धोखा नहीं देंगे, और किसी भी कीमत पर विनोद खन्ना के साथ नहीं जायेंगे । इसके अलावा, विनय गर्ग अकेले ऐसे उम्मीदवार हैं जिन्हें अपने फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इंद्रजीत सिंह का पूरा और पक्का समर्थन है; साथ ही उम्मीदवार के रूप में विनय गर्ग पैसे खर्च करने के लिए भी तैयार हैं । समझा जाता है कि मल्टीपल की राजनीति में तेजपाल खिल्लन जो कुछ भी करना चाहते हैं - वह जिन भी नेताओं से खासतौर से निपटना चाहते हैं, उसमें मल्टीपल चेयरमैन के रूप में विनय गर्ग ही उनके लिए फिट रहेंगे । इस स्थिति को विशाल सिन्हा भी समझ रहे हैं । इसलिए उन्होंने यह तो समझ लिया है कि चेयरमैन पद के लिए तो उनकी दाल नहीं गल पाएगी - लेकिन फिर भी वह तेजपाल खिल्लन के सामने विनोद खन्ना को गालियाँ दे रहे हैं तो इस उम्मीद में कि इससे खुश होकर तेजपाल खिल्लन उन्हें मल्टीपल काउंसिल में कोई पद तो दिलवा ही देंगे । चमचागिरी के जरिए लीडरशिप के नेताओं को खुश करने की विशाल सिन्हा की चाल के उलटी पड़ने और नरेश अग्रवाल से लताड़ खाने के बाद उनके तेजपाल खिल्लन की शरण में आ जाने से मल्टीपल काउंसिल की चुनावी राजनीति में कुछ रौनक तो आ गई है ।
इस पृष्ठभूमि में, मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन का चुनाव किन्हीं दो उम्मीदवारों के बीच नहीं - बल्कि वास्तव में विनोद खन्ना और तेजपाल खिल्लन के बीच है । विशाल सिन्हा ने लीडरशिप का दामन पकड़ा हुआ था । वह तरह तरह से नरेश अग्रवाल तथा अन्य पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर्स को खुश करने के अभियान में लगे हुए थे । हालाँकि खुद को नरेश अग्रवाल का प्रतिनिधि और प्रवक्ता समझने वाले विनोद खन्ना की दिलचस्पी उनकी बजाए पहले योगेश सोनी में और फिर अनिल तुलस्यान में होती दिखी, तो भी विशाल सिन्हा ने उम्मीद नहीं छोड़ी । उन्हें विश्वास रहा कि खुशामद करने वाले अपने गुण से वह विनोद खन्ना को राजी कर लेंगे । वैसे भी वह विनोद खन्ना के पक्के वाले चेले रहे हैं । विनोद खन्ना को भी उनसे कोई समस्या या शिकायत तो नहीं रही; लेकिन फिर भी विनोद खन्ना ने उन्हें उम्मीदवार के रूप में स्वीकार करने में दिलचस्पी नहीं दिखाई तो इसका कारण यह रहा कि विनोद खन्ना ने पाया कि एक उम्मीदवार के रूप में विशाल सिन्हा के पास कुछ भी नहीं है - न अपने फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर का समर्थन उनके पास है, और न वह उम्मीदवार के रूप में पैसे खर्च करने को तैयार हैं । मल्टीपल काउंसिल की पिछली दो मीटिंग्स में विनोद खन्ना ने विशाल सिन्हा को गिफ्ट बाँटने का सुझाव दिया था, लेकिन विशाल सिन्हा ने गिफ्ट बाँटने की बजाए गिफ्ट लेने में ज्यादा दिलचस्पी दिखाई । अब ऐसे 'फुकरे' उम्मीदवार का विनोद खन्ना भी क्या करते ? यूँ तो अनिल तुलस्यान के पास भी अपने फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर का समर्थन नहीं है, लेकिन एक उम्मीदवार के रूप में वह पैसे खर्च करने के लिए तैयार हैं - लिहाजा विनोद खन्ना ने उनके नाम पर हरी झंडी दे दी ।
विशाल सिन्हा ने लेकिन तब भी उम्मीद नहीं छोड़ी और लीडरशिप के नेताओं की खुशामद में वह लगे रहे । उन्हें विश्वास रहा कि लीडरशिप के नेताओं की आरती कर कर के वह उन्हें अपनी उम्मीदवारी के लिए राजी कर लेंगे । लेकिन पिछले दिनों उनसे गड़बड़ यह हो गई कि लीडरशिप के नेताओं की उन्होंने कुछ ज्यादा ही आरती कर दी - जिस पर खुद नरेश अग्रवाल ही भड़क गए और उन्होंने विशाल सिन्हा को नसीहत दे डाली कि कुछ भी कहने से पहले सोच विचार लिया करो । हुआ दरअसल यह कि वर्ष 2022 की इंटरनेशनल कन्वेंशन के लिए दिल्ली को हरी झंडी मिली तो इस अवसर को विशाल सिन्हा ने लीडरशिप के नेताओं को मक्खन लगाने के अवसर के रूप में पहचाना । विशाल सिन्हा की एक बड़ी खूबी यह है कि चाहें मक्खन लगाने का काम करना हो, चाहें गालियाँ देनी हों - वह कंजूसी नहीं करते । उक्त मामले में भी यही हुआ - दिल्ली में इंटरनेशनल कन्वेंशन को हरी झंडी मिलने का श्रेय देने के जोश में विशाल सिन्हा ने सोशल मीडिया में लीडरशिप के नेताओं को कुछ ज्यादा ही मक्खन लगा दिया, जो नरेश अग्रवाल को हजम नहीं हुआ और उन्होंने सोशल मीडिया में ही विशाल सिन्हा को लताड़ लगा दी । विशाल सिन्हा के लिए नमाज़ पढ़ने के चलते रोज़े गले पड़ जाने वाला मामला हो गया । नरेश अग्रवाल के इस रवैए को देख कर विशाल सिन्हा ने समझ लिया कि लीडरशिप मल्टीपल चेयरमैन पद के लिए तो छोड़िए - किसी भी पद के लिए उनके नाम पर विचार नहीं करेगी । लिहाजा उन्होंने तुरंत पैंतरा बदला और वह तेजपाल खिल्लन की शरण में आ गए । विशाल सिन्हा को पता है कि तेजपाल खिल्लन किस बात से खुश होते हैं - सो, तेजपाल खिल्लन के डिस्ट्रिक्ट की डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस में पहुँच कर तेजपाल खिल्लन के सामने विनोद खन्ना को उन्होंने जी भर कर कोसा । जैसा कि पहले कहा जा चुका है कि न खुशामद करने में और न गालियाँ बकने में - विशाल सिन्हा कोई कंजूसी नहीं करते हैं ।
तेजपाल खिल्लन के सामने विनोद खन्ना को गालियाँ देना विशाल सिन्हा के कितना काम आएगा - यह तो बाद में पता चलेगा; क्योंकि तेजपाल खिल्लन के यहाँ अभी तो विनय गर्ग का पलड़ा भारी दिख रहा है । इसका सबसे जोरदार कारण तो यही है कि विनय गर्ग और विनोद खन्ना के बीच छत्तीस का रिश्ता है - तेजपाल खिल्लन आश्वस्त हैं कि विनय गर्ग उन्हें जेसी वर्मा की तरह से धोखा नहीं देंगे, और किसी भी कीमत पर विनोद खन्ना के साथ नहीं जायेंगे । इसके अलावा, विनय गर्ग अकेले ऐसे उम्मीदवार हैं जिन्हें अपने फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इंद्रजीत सिंह का पूरा और पक्का समर्थन है; साथ ही उम्मीदवार के रूप में विनय गर्ग पैसे खर्च करने के लिए भी तैयार हैं । समझा जाता है कि मल्टीपल की राजनीति में तेजपाल खिल्लन जो कुछ भी करना चाहते हैं - वह जिन भी नेताओं से खासतौर से निपटना चाहते हैं, उसमें मल्टीपल चेयरमैन के रूप में विनय गर्ग ही उनके लिए फिट रहेंगे । इस स्थिति को विशाल सिन्हा भी समझ रहे हैं । इसलिए उन्होंने यह तो समझ लिया है कि चेयरमैन पद के लिए तो उनकी दाल नहीं गल पाएगी - लेकिन फिर भी वह तेजपाल खिल्लन के सामने विनोद खन्ना को गालियाँ दे रहे हैं तो इस उम्मीद में कि इससे खुश होकर तेजपाल खिल्लन उन्हें मल्टीपल काउंसिल में कोई पद तो दिलवा ही देंगे । चमचागिरी के जरिए लीडरशिप के नेताओं को खुश करने की विशाल सिन्हा की चाल के उलटी पड़ने और नरेश अग्रवाल से लताड़ खाने के बाद उनके तेजपाल खिल्लन की शरण में आ जाने से मल्टीपल काउंसिल की चुनावी राजनीति में कुछ रौनक तो आ गई है ।