गाजियाबाद । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर शिव कुमार चौधरी 'नो ड्यूज सर्टीफिकेट' देने को लेकर पहले बहानेबाजी और फिर बकवासबाजी करने के चक्कर में अपनी फजीहत और करवा बैठे हैं । हालाँकि
मामला बड़े सीधे तरीके से निपट सकता था, और वह इस तरह कि जिन क्लब्स के
ड्यूज क्लियर हो गए हैं, उन्हें डिस्ट्रिक्ट गवर्नर कार्यालय अपने आप से
'नो ड्यूज सर्टीफिकेट' दे दे - न दे पाया हो, तो क्लब्स के पदाधिकारियों के
माँगने पर दे दे, या उन्हें बता दे कि कब तक दे दिया जायेगा । इतने सीधे
से मामले में विवाद की और या झगड़े की कोई बात नहीं है ।
लेकिन शिव कुमार चौधरी ने सीधे से काम को सीधे से करना सीखा ही नहीं है;
सीधे से काम में भी बकवासबाजी करने और अपनी बेवकूफी दिखाने को वह अपनी
होशियारी समझते हैं । इस मामले में भी उन्होंने ऐसा ही किया । 'नो ड्यूज सर्टीफिकेट' माँगने वालों पर भड़क कर उन्होंने पूछा कि पहले कभी किसी गवर्नर ने यह
दिया है क्या ? सीधे तरीके से 'नो ड्यूज सर्टीफिकेट' देने की बजाए शिव
कुमार चौधरी भड़क कर पूछ रहे हैं कि इसे लेकर 'इस वर्ष इतनी बेचैनी क्यों ?'
क्लब्स के पदाधिकारियों का कहना है कि वह तो इस वर्ष पदाधिकारी बने हैं,
उन्हें क्या पता कि पिछले वर्षों में क्या हुआ है; वह तो बस इतना जानते हैं
कि उन्होंने सभी ड्यूज दे दिए हैं, तो उन्हें उसकी रसीद और सर्टीफिकेट मिल
जाना चाहिए - लायंस इंटरनेशनल के नियमानुसार भी जो उनका अधिकार है ।
नो ड्यूज सर्टीफिकेट को लेकर 'इस वर्ष इतनी बेचैनी क्यों' - जैसा सवाल पूछ कर शिव कुमार चौधरी ने अपने लिए मुसीबतों को और आमंत्रित कर लिया । लोगों का कहना है कि इस 'बेचैनी' के लिए शिव कुमार चौधरी खुद ही जिम्मेदार हैं । दरअसल पहले के किसी गवर्नर पर और चाहें जो आरोप रहे हों, पैसों की ठगी के ऐसे आरोप किसी पर नहीं लगे - जैसे आरोप शिव कुमार चौधरी पर लगते रहे हैं । लायंस क्लब मसूरी के प्रेसीडेंट सतीश अग्रवाल बार-बार शिव कुमार चौधरी से अपने पैसे वापस करने की गुहार लगाते रहे, लेकिन शिव कुमार चौधरी के कानों पर जूँ तक नहीं रेंगी । डिस्ट्रिक्ट में इससे पहले ऐसा नजारा देखने को कभी नहीं मिला । पहले कभी नहीं सुना गया कि किसी डिस्ट्रिक्ट गवर्नर ने आपदा पीड़ितों के लिए मँगवाई गई इमरजेंसी ग्रांट में घपला कर दिया है । पहले कभी यह भी नहीं सुना गया कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर ने एमजेएफ के लिए लोगों से पैसे तो ले लिए, लेकिन उक्त पैसे लायंस इंटरनेशनल फाउंडेशन को भेजने की बजाए अपनी जेब में रख लिए । इस तरह की हरकतें डिस्ट्रिक्ट में पहली बार हुईं, और इन हरकतों के चलते शिव कुमार चौधरी की लोगों के बीच भारी बदनामी हुई । पैसों की ठगी और लूट से जुड़ी उनकी हरकतों के कारण ही क्लब्स के पदाधिकारियों को डर रहा कि उनके ड्यूज के पैसे शिव कुमार चौधरी कहीं हड़प न लें, और कहीं उनकी दशा भी लायंस क्लब मसूरी के अध्यक्ष सतीश अग्रवाल जैसी न हो जाए । इसलिए क्लब्स के पदाधिकारी दिए गए ड्यूज की रसीद और 'नो ड्यूज सर्टीफिकेट' माँग रहे हैं, ताकि वह निश्चिन्त हो सकें कि उनके द्वारा दिए ड्यूज उचित जगह पहुँच गए हैं । माँगने के बावजूद, 'नो ड्यूज सर्टीफिकेट' देने की बजाए - उसे लेकर बहानेबाजी और बकवासबाजी करने की शिव कुमार चौधरी की हरकत से लोगों के बीच डर और बैठ गया है कि उनके द्वारा दिए गए ड्यूज सही-सलामत उचित जगह पहुँच गए हैं, या दूसरे कई मामलों में किए गए घपलों की तरह शिव कुमार चौधरी ने उनमें भी कोई घपला कर दिया है ?
'नो ड्यूज सर्टीफिकेट' को लेकर डिस्ट्रिक्ट ट्रेजरर तथा डिस्ट्रिक्ट सेक्रेटरी के रवैये ने भी क्लब्स के पदाधिकारियों को चिंतित और परेशान किया । 'नो ड्यूज सर्टीफिकेट' को लेकर लोगों ने डिस्ट्रिक्ट ट्रेजरर से पूछताछ की, तो उनसे जबाव मिला कि इस बारे में उन्हें कुछ नहीं पता है । डिस्ट्रिक्ट सेक्रेटरी से पूछा गया तो उनकी तरफ से टका सा जबाव मिला कि मैं तो पारिवारिक व व्यापारिक कामों में व्यस्त हूँ, इस बारे में डिस्ट्रिक्ट ऑफिस से पूछो । लोगों ने कहा कि यह तो अच्छी बात है कि डिस्ट्रिक्ट सेक्रेटरी लायनिज्म की बजाए पारिवारिक व व्यापारिक जिम्मेदारियों को तवज्जो दें; लेकिन लायनिज्म करने के लिए और डिस्ट्रिक्ट सेक्रेटरी बनने के लिए किसी ने उनकी खुशामद तो की नहीं थी; उनके पास समय नहीं है, तो यह सब छोड़ क्यों नहीं देते ? लोगों ने कह तो दिया, लेकिन वह भी जानते हैं कि डिस्ट्रिक्ट सेक्रेटरी पारिवारिक व व्यापारिक व्यस्तता का वास्ता देकर अपनी जिम्मेदारी से बचते भी रहेंगे और पद पर भी बने रहेंगे । डिस्ट्रिक्ट ट्रेजरर और डिस्ट्रिक्ट सेक्रेटरी के इस रवैये ने 'नो ड्यूज सर्टीफिकेट' के मामले को और उलझा दिया । उलझते मामले पर लोगों ने और सवाल उठाए तो डिस्ट्रिक्ट गवर्नर शिव कुमार चौधरी भड़क उठे - जिसके नतीजे के रूप में खुद उनकी ही और फजीहत हो गई है ।
नो ड्यूज सर्टीफिकेट को लेकर 'इस वर्ष इतनी बेचैनी क्यों' जैसे उनके सवाल पर लोगों ने कहना शुरू कर दिया है कि इस वर्ष डिस्ट्रिक्ट को चूँकि पहली बार पैसों की ठगी और लूट करने वाला गवर्नर मिला है, इसलिए 'नो ड्यूज सर्टीफिकेट' को लेकर इस 'बेचैनी' है । देखना दिलचस्प होगा कि इस फजीहत के बाद भी डिस्ट्रिक्ट गवर्नर शिव कुमार चौधरी सीधे तरीके से क्लब्स को 'नो ड्यूज सर्टीफिकेट' दे देंगे, या बहानेबाजी और बकवासबाजी का अपना 'शो' अभी और दिखायेंगे ?
नो ड्यूज सर्टीफिकेट को लेकर 'इस वर्ष इतनी बेचैनी क्यों' - जैसा सवाल पूछ कर शिव कुमार चौधरी ने अपने लिए मुसीबतों को और आमंत्रित कर लिया । लोगों का कहना है कि इस 'बेचैनी' के लिए शिव कुमार चौधरी खुद ही जिम्मेदार हैं । दरअसल पहले के किसी गवर्नर पर और चाहें जो आरोप रहे हों, पैसों की ठगी के ऐसे आरोप किसी पर नहीं लगे - जैसे आरोप शिव कुमार चौधरी पर लगते रहे हैं । लायंस क्लब मसूरी के प्रेसीडेंट सतीश अग्रवाल बार-बार शिव कुमार चौधरी से अपने पैसे वापस करने की गुहार लगाते रहे, लेकिन शिव कुमार चौधरी के कानों पर जूँ तक नहीं रेंगी । डिस्ट्रिक्ट में इससे पहले ऐसा नजारा देखने को कभी नहीं मिला । पहले कभी नहीं सुना गया कि किसी डिस्ट्रिक्ट गवर्नर ने आपदा पीड़ितों के लिए मँगवाई गई इमरजेंसी ग्रांट में घपला कर दिया है । पहले कभी यह भी नहीं सुना गया कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर ने एमजेएफ के लिए लोगों से पैसे तो ले लिए, लेकिन उक्त पैसे लायंस इंटरनेशनल फाउंडेशन को भेजने की बजाए अपनी जेब में रख लिए । इस तरह की हरकतें डिस्ट्रिक्ट में पहली बार हुईं, और इन हरकतों के चलते शिव कुमार चौधरी की लोगों के बीच भारी बदनामी हुई । पैसों की ठगी और लूट से जुड़ी उनकी हरकतों के कारण ही क्लब्स के पदाधिकारियों को डर रहा कि उनके ड्यूज के पैसे शिव कुमार चौधरी कहीं हड़प न लें, और कहीं उनकी दशा भी लायंस क्लब मसूरी के अध्यक्ष सतीश अग्रवाल जैसी न हो जाए । इसलिए क्लब्स के पदाधिकारी दिए गए ड्यूज की रसीद और 'नो ड्यूज सर्टीफिकेट' माँग रहे हैं, ताकि वह निश्चिन्त हो सकें कि उनके द्वारा दिए ड्यूज उचित जगह पहुँच गए हैं । माँगने के बावजूद, 'नो ड्यूज सर्टीफिकेट' देने की बजाए - उसे लेकर बहानेबाजी और बकवासबाजी करने की शिव कुमार चौधरी की हरकत से लोगों के बीच डर और बैठ गया है कि उनके द्वारा दिए गए ड्यूज सही-सलामत उचित जगह पहुँच गए हैं, या दूसरे कई मामलों में किए गए घपलों की तरह शिव कुमार चौधरी ने उनमें भी कोई घपला कर दिया है ?
'नो ड्यूज सर्टीफिकेट' को लेकर डिस्ट्रिक्ट ट्रेजरर तथा डिस्ट्रिक्ट सेक्रेटरी के रवैये ने भी क्लब्स के पदाधिकारियों को चिंतित और परेशान किया । 'नो ड्यूज सर्टीफिकेट' को लेकर लोगों ने डिस्ट्रिक्ट ट्रेजरर से पूछताछ की, तो उनसे जबाव मिला कि इस बारे में उन्हें कुछ नहीं पता है । डिस्ट्रिक्ट सेक्रेटरी से पूछा गया तो उनकी तरफ से टका सा जबाव मिला कि मैं तो पारिवारिक व व्यापारिक कामों में व्यस्त हूँ, इस बारे में डिस्ट्रिक्ट ऑफिस से पूछो । लोगों ने कहा कि यह तो अच्छी बात है कि डिस्ट्रिक्ट सेक्रेटरी लायनिज्म की बजाए पारिवारिक व व्यापारिक जिम्मेदारियों को तवज्जो दें; लेकिन लायनिज्म करने के लिए और डिस्ट्रिक्ट सेक्रेटरी बनने के लिए किसी ने उनकी खुशामद तो की नहीं थी; उनके पास समय नहीं है, तो यह सब छोड़ क्यों नहीं देते ? लोगों ने कह तो दिया, लेकिन वह भी जानते हैं कि डिस्ट्रिक्ट सेक्रेटरी पारिवारिक व व्यापारिक व्यस्तता का वास्ता देकर अपनी जिम्मेदारी से बचते भी रहेंगे और पद पर भी बने रहेंगे । डिस्ट्रिक्ट ट्रेजरर और डिस्ट्रिक्ट सेक्रेटरी के इस रवैये ने 'नो ड्यूज सर्टीफिकेट' के मामले को और उलझा दिया । उलझते मामले पर लोगों ने और सवाल उठाए तो डिस्ट्रिक्ट गवर्नर शिव कुमार चौधरी भड़क उठे - जिसके नतीजे के रूप में खुद उनकी ही और फजीहत हो गई है ।
नो ड्यूज सर्टीफिकेट को लेकर 'इस वर्ष इतनी बेचैनी क्यों' जैसे उनके सवाल पर लोगों ने कहना शुरू कर दिया है कि इस वर्ष डिस्ट्रिक्ट को चूँकि पहली बार पैसों की ठगी और लूट करने वाला गवर्नर मिला है, इसलिए 'नो ड्यूज सर्टीफिकेट' को लेकर इस 'बेचैनी' है । देखना दिलचस्प होगा कि इस फजीहत के बाद भी डिस्ट्रिक्ट गवर्नर शिव कुमार चौधरी सीधे तरीके से क्लब्स को 'नो ड्यूज सर्टीफिकेट' दे देंगे, या बहानेबाजी और बकवासबाजी का अपना 'शो' अभी और दिखायेंगे ?