Wednesday, April 12, 2017

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 ए टू में हरीश वाधवा ने जेपी सिंह को वोट देने की घोषणा करके डिस्ट्रिक्ट के चुनावी माहौल के तापमान को खासा बढ़ा दिया है

नई दिल्ली हरीश वाधवा ने अपने एक वाट्स-ऐप संदेश में अपने क्लब - लायंस क्लब गन्नौर गोल्ड के वोट जेपी सिंह और यशपाल अरोड़ा को देने की घोषणा करके डिस्ट्रिक्ट के चुनावी परिदृश्य को खासा रोमांचक बना दिया है । मजे की बात यह हुई है कि उनकी इस घोषणा को दोनों खेमे अपनी अपनी जीत के रूप में भी देख रहे हैं, लेकिन अंदरूनी तौर पर उनकी इस घोषणा के पीछे छिपे मंतव्य के चक्कर में परेशान भी हो रहे हैं । दोनों खेमों के नेताओं का मानना और कहना है कि जो घोषणा हुई है, वह किसी और ने की होती - तो महत्त्वपूर्ण नहीं होती; किंतु उक्त घोषणा चूँकि हरीश वाधवा ने की है, इसलिए खासी महत्त्वपूर्ण हो उठी है - और दोनों खेमों को एक तरफ आश्वस्त भी करती है, तो दूसरी तरफ असमंजस में भी डालती है । उक्त घोषणा हरीश वाधवा की तरफ से होने के कारण क्यों महत्त्वपूर्ण हो गई है - यह समझने के लिए यह जानना जरूरी है कि हरीश वाधवा हैं कौन ? हरीश वाधवा सत्ता खेमे के एक प्रमुख समर्थक हैं, और सत्ता खेमे के एक प्रमुख स्तंभ पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रमेश नांगिया के 'आदमी' के रूप में देखे/पहचाने जाते हैं; और वह सत्ता खेमे के नेताओं के भरोसे अगले लायन वर्ष में सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के उम्मीदवार होने/बनने की तैयारी कर रहे हैं । अब ऐसा व्यक्ति अपने क्लब के वोट इंटरनेशनल डायरेक्टर एंडॉर्सी के चुनाव में प्रतिद्धंद्धी खेमे के उम्मीदवार जेपी सिंह को देने की खुली घोषणा कर रहा है, तो इसमें प्रतिद्धंद्धी खेमे के लिए खुश होने की बात तो बनती ही है; सत्ता खेमे के लोग हालाँकि इसलिए खुश हैं कि हरीश वाधवा अपने क्लब के वोट सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के चुनाव में उनके उम्मीदवार को दे/दिलवा रहे हैं ।
खुश होने के साथ-साथ सत्ता खेमे में निराशा लेकिन इस बात पर है कि उनका एक पक्का समर्थक आधा आधा बँट गया है और वह प्रतिद्धंद्धी खेमे से भी जा मिला है । प्रतिद्धंद्धी खेमे के लोगों की निराशा का कारण यह है कि हरीश वाधवा को फाँसने के लिए उन्होंने जाल तो पूरा बिछाया था, हरीश वाधवा लेकिन आधे ही फँसे । हरीश वाधवा के दोनों नावों में पैर रखने के इस किस्से में पर्दे के पीछे की कहानी दरअसल यह है कि जेपी सिंह ने अगले लायन वर्ष में हरीश वाधवा को उनकी उम्मीदवारी के लिए समर्थन देने का संकेत दिया है । हरीश वाधवा को यूँ तो सत्ता खेमे के नेताओं का समर्थन भी घोषित है, लेकिन सत्ता खेमे में लायंस क्लब अंबाला सेंट्रल गोल्ड के रमन गुप्ता का नाम भी चल रहा है । इसलिए अगले लायन वर्ष की अपनी उम्मीदवारी में वजन पैदा करने के लिए हरीश वाधवा ने जेपी सिंह से भी तार जोड़ लिए हैं जेपी सिंह खेमे की तरफ से अगले लायन वर्ष के लिए चूँकि लायंस क्लब सोनीपत के मदन बत्रा का नाम भी है, इसलिए हरीश वाधवा पूरी तरह जेपी सिंह के खेमे में नहीं गए हैं । संभवतः हरीश वाधवा को लगता है कि दोनों खेमों में वह अपनी एक एक टाँग फँसाए रखेंगे, तो अगले लायन वर्ष में उनका 'काम' शर्तिया बन ही जाएगा । उनका काम बनेगा या नहीं, यह तो अगले लायन वर्ष में ही पता चलेगा - अभी के उनके रवैये ने लेकिन दोनों खेमों के नेताओं की खुशियों को आधा-आधा जरूर कर दिया है; और साथ ही साथ उम्मीदों व आशंकाओं से भी भर दिया है । जेपी सिंह के खेमे के नेताओं को लग रहा है कि हरीश वाधवा को वह अपनी तरफ यदि आधा खींच सकने में सफल रहे हैं, तो बाकी बचे दिनों में वह उन्हें गुरचरण सिंह भोला के समर्थन के लिए भी राजी कर लेंगे । दूसरी तरफ, सत्ता खेमे के नेताओं के बीच यह देख कर राहत तो है कि हरीश वाधवा उन्हें बार-बार आश्वस्त कर रहे हैं कि सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के चुनाव में उनके क्लब के वोट यशपाल अरोड़ा को ही मिलेंगे - लेकिन इंटरनेशनल डायरेक्टर एंडॉर्सी पद के चुनाव को लेकर हरीश वाधवा ने उन्हें जो झटका दिया है, उसके कारण वह उन्हें लेकर सशंकित भी हैं ।
बात सिर्फ हरीश वाधवा और उनके क्लब के चार वोटों की नहीं है - भले ही किसी भी चुनाव में एक एक वोट भी महत्त्वपूर्ण होता है । बात एक रुझान की है - जिसका प्रतिनिधित्व हरीश वाधवा करते हुए नजर आ रहे हैं । हरीश वाधवा के जेपी सिंह को वोट देने के फैसले को जेपी सिंह खेमे के नेता अपनी बड़ी जीत के रूप में देख रहे हैं - डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच उन्हें यह कहने और बताने का मौका मिला है कि सत्ता खेमे के नेताओं ने ब्लड बैंक से जुड़े आरोपों को मुद्दा बना कर जेपी सिंह को घेरने की जो कोशिश की है, वह सफल नहीं हो सकी है; और उनके तमाम जेपी सिंह विरोधी प्रचार के बाद भी हरीश वाधवा जैसे उनके ही नजदीकी जेपी सिंह के समर्थन में खड़े हो रहे हैं । एक दिलचस्प संयोग यह रहा कि ब्लड बैंक से जुड़ी बयानबाजी में अपना पक्ष रखते हुए जेपी सिंह खेमे की तरफ से 'लायंस ब्लड बैंक की सच्चाई' शीर्षक से जो फोल्डर लोगों के बीच प्रचारित/प्रसारित किया गया, उसके बाद ही हरीश वाधवा का जेपी सिंह को समर्थन घोषित करते हुए वाट्स-ऐप संदेश जारी हुआ । हरीश वाधवा के जेपी सिंह को समर्थन घोषित करने से जेपी सिंह खेमे के लोगों को यह कहने का मौका मिला और उन्होंने जोर-शोर से इसे कहा भी कि 'लायंस ब्लड बैंक की सच्चाई' फोल्डर में दिए गए तथ्यों ने लोगों को सच्चाई से परिचित कराया है, और हरीश वाधवा जैसे सत्ता खेमे के प्रमुख लोगों ने भी ब्लड बैंक के मामले में जेपी सिंह को क्लीन चिट दे दी है । हरीश वाधवा के जेपी सिंह को वोट देने के फैसले ने सत्ता खेमे के नेताओं की ब्लड बैंक से जुड़े आरोपों के जरिए जेपी सिंह को घेरने की रणनीति को तगड़ा झटका दिया है ।
हरीश वाधवा के कारण जेपी सिंह खेमे की तरफ से ब्लड बैंक के बारे में बताई गयी 'सच्चाई' को स्वीकृति मिलने और इस तरह सत्ता खेमे के नेताओं के हाथ से एक बड़ा मुद्दा छिन जाने के बाद सत्ता खेमे के नेताओं ने अपना सारा ध्यान सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के चुनाव पर केंद्रित कर लिया है । पिछले दस-पंद्रह दिनों में दिल्ली और हरियाणा व हिमाचल प्रदेश के विभिन्न शहरों में दोनों खेमों की तरफ से जो मीटिंग्स हुई हैं, उनमें लोगों की कुल मिलाकर लगभग बराबर की सी भागीदारी ही रही है । इससे संकेत मिल रहा है कि दोनों खेमों के बीच मुकाबला खासी टक्कर का है । मजे की बात यह देखने को मिल रही है कि एक तरफ हरीश वाधवा का उदाहरण देकर जेपी सिंह खेमे की तरफ से संदेश दिया जा रहा है कि उन्होंने सत्ता खेमे के एक बड़े हिस्से को अपनी तरफ कर लेने में सफलता प्राप्त कर ली है; तो दूसरी तरफ सत्ता खेमे के लोग भी हरीश वाधवा का ही उदाहरण देकर दावा कर रहे हैं कि सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के चुनाव में उनके साथ के लोग अभी भी उनके ही साथ हैं । दोनों खेमों के नेताओं की तरफ से किए जा रहे अपनी अपनी जीत के दावों के बीच हरीश वाधवा ने वाट्स-ऐप संदेश के जरिए दोनों तरफ रहने के संकेत देकर लेकिन चुनावी माहौल के तापमान को और बढ़ा दिया है ।