Wednesday, April 5, 2017

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3080 - यानि राजा साबू के डिस्ट्रिक्ट में पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर मनप्रीत सिंह की पत्नी पूनम सिंह की अचानक से प्रस्तुत हुई उम्मीदवारी ने दूसरे उम्मीदवारों के चुनावी समीकरणों को गड़बड़ाने का काम तो कर ही दिया है

चंडीगढ़ । वर्ष 2018-19 के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए अचानक से प्रस्तुत हुई पूनम सिंह की उम्मीदवारी ने एक विवाद को जन्म देने के साथ-साथ डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति के समीकरणों को नए सिरे से संयोजित होने की स्थितियाँ भी बनाई हैं । विवाद का कारण यह  आरोप बना है कि पूनम सिंह की उम्मीदवारी के जरिए राजेंद्र उर्फ़ राजा साबू के नजदीकियों ने एक बार फिर रोटरी के नियमों तथा उसके आदर्शों के साथ खिलवाड़ शुरू कर दिया है । पूनम सिंह पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर मनप्रीत सिंह की पत्नी हैं, और मौजूदा रोटरी वर्ष में असिस्टेंट गवर्नर के पद पर हैं । डिस्ट्रिक्ट बाइलॉज के अनुसार, असिस्टेंट गवर्नर के पद पर होने के कारण वह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए उम्मीदवार नहीं हो सकती हैं । आरोप के अनुसार, पूनम सिंह यदि एक सामान्य रोटेरियन होतीं, तो उन्हें डिस्ट्रिक्ट बाइलॉज पढ़ा दिया जाता और उन्हें उम्मीदवार नहीं बनने दिया जाता - पूनम सिंह लेकिन एक सामान्य रोटेरियन नहीं हैं; वह पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर मनप्रीत सिंह की पत्नी हैं, उन मनप्रीत सिंह की - जो राजा साबू के बड़े खास लोगों में हैं : इसलिए डिस्ट्रिक्ट बाइलॉज को अनदेखा करते हुए पूनम सिंह की उम्मीदवारी को स्वीकृति दे दी गई है । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रमन अनेजा का कहना लेकिन यह है कि वर्ष 2018-19 के गवर्नर के लिए होने वाला चुनाव रोटरी इंटरनेशनल की एक विशेष घोषणा के तहत हो रहा है, जो डिस्ट्रिक्ट बाइलॉज की बंदिश से अलग है; तथा व्यावहारिक कारणों से भी जिसे डिस्ट्रिक्ट बाइलॉज के अनुसार नहीं करवाया जा सकता है । रमन अनेजा का कहना है कि उन्होंने रोटरी इंटरनेशनल से भी पूछ लिया है कि पूनम सिंह का स्टेटस ऐसा ऐसा है, वह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए उम्मीदवार हो सकती हैं या नहीं ? रोटरी इंटरनेशनल के नियमों के अनुसार, पूनम सिंह उम्मीदवार होने की पात्रता रखती हैं - इसलिए वहाँ से स्पष्ट जबाव आ गया कि हाँ, वह उम्मीदवार हो सकती हैं । रमन अनेजा का कहना है कि रोटरी इंटरनेशनल से हरी झंडी मिलने के बाद ही वर्ष 2018-19 के लिए पूनम सिंह की उम्मीदवारी को मान्य किया गया है ।
पूनम सिंह की उम्मीदवारी पर सवाल उठाने वाले लोगों का कहना लेकिन यह है कि बात सिर्फ नियम-कानूनों की नहीं है, डिस्ट्रिक्ट में - राजा साबू के डिस्ट्रिक्ट में अपनाए गए ऊँचे आदर्शों का पालन करने की भी है । उनका तर्क है कि डिस्ट्रिक्ट बाइलॉज बनाए ही इसलिए गए हैं, ताकि रोटरी में डिस्ट्रिक्ट की एक विशेष पहचान बनाई जा सके । यह ठीक है कि वर्ष 2018-19 के गवर्नर के लिए होने वाला चुनाव एक विशेष चुनाव है, जिसमें व्यावहारिक रूप में डिस्ट्रिक्ट बाइलॉज के नियमों का पूरी तरह पालन नहीं किया जा सकता है - लेकिन इसका मतलब यह कहाँ है कि डिस्ट्रिक्ट बाइलॉज की जो मुख्य बातें हैं - जो डिस्ट्रिक्ट की विशेष पहचान बनाने के लिए तय की गईं थीं, उनका भी पालन न किया जाए । डिस्ट्रिक्ट में कई लोगों का मानना और कहना है कि कम से कम डिस्ट्रिक्ट के बड़े नेताओं व पदाधिकारियों से तो यह उम्मीद की ही जाती है कि डिस्ट्रिक्ट बाइलॉज के जरिए जिन चीजों/बातों को रोकने की कोशिश की गई है, वह 'चोर-दरवाजों' से उन्हें करने का प्रयास न करें । इस तरह की बातों और आलोचनाओं से बेपरवाह बने पूनम सिंह की उम्मीदवारी के समर्थक नेताओं का कहना है कि चुनावी राजनीति में इस तरह की बातें होती ही हैं और तरह तरह के आरोप लगते ही हैं; पूनम सिंह की उम्मीदवारी रोटरी के किसी भी नियम का उल्लंघन नहीं करती है, और रोटरी इंटरनेशनल के संबद्ध पदाधिकारियों से व्यापक विचार-विमर्श के बाद ही पूनम सिंह की उम्मीदवारी को प्रस्तुत किया गया है - इसके बाद भी कुछेक लोग उनकी उम्मीदवारी पर विवाद खड़ा कर रहे हैं, तो यह दूसरे उम्मीदवारों के नजदीकी लोग हैं जो दरअसल पूनम सिंह की उम्मीदवारी प्रस्तुत होने के कारण अपने अपने उम्मीदवारों की स्थिति पर पड़ने वाले प्रतिकूल असर से घबराए हुए हैं ।
पूनम सिंह की अचानक से प्रस्तुत हुई उम्मीदवारी ने वर्ष 2018-19 के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के लिए उम्मीदवारी प्रस्तुत किए बैठे दूसरे उम्मीदवारों के चुनावी समीकरणों को गड़बड़ाने का काम तो वास्तव में किया ही है । पूनम सिंह की उम्मीदवारी ने एक तरफ सत्ता खेमे का एकजुट समर्थन मिलने की उम्मीद कर रहे डॉक्टर सुधीर चौधरी, प्रदीप अग्रवाल, कपिल गुप्ता की संभावनाओं और उम्मीदों को चोट पहुँचाई है; तो दूसरी तरफ सत्ता खेमे में बिखराव के भरोसे अपनी नैय्या पार होने के प्रति आश्वस्त बैठे रमेश बजाज के लिए चुनौती बढ़ा दी है - और उनके लिए चुनावी मुकाबले को थोड़ा मुश्किल बना दिया है । असिस्टेंट गवर्नर के रूप में पूनम सिंह की डिस्ट्रिक्ट में प्रभावी सक्रियता रही है, जिस कारण क्लब्स के प्रेसीडेंट के बीच उनकी अच्छी पहचान और पैठ है - जबकि दूसरे उम्मीदवारों को अभी क्लब्स के प्रेसीडेंट्स से परिचित होने का काम ही करना है; यह बात उन्हें दूसरे उम्मीदवारों के मुकाबले बढ़त दिलाती है । असिस्टेंट गवर्नर होने के नाते पूनम सिंह को दूसरे असिस्टेंट गवर्नर्स की भी मदद मिल सकती है, जो अपने अपने जोन में उनके लिए समर्थन जुटाने का काम कर सकते हैं ।
पूनम सिंह को पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में मनप्रीत सिंह की पहचान और सक्रियता का फायदा भी मिल सकता है । उनके क्लब के वरिष्ठ सदस्य, दूसरे पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर जेपीएस सिबिया अगले रोटरी वर्ष के डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर होने के नाते उनकी उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने में मददगार हो सकते हैं । उल्लेखनीय है कि किसी भी वर्ष के क्लब-प्रेसीडेंट्स की अवॉर्ड और अगले रोटरी वर्ष की डिस्ट्रिक्ट टीम में जगह पर नजर होती है - और यह दोनों 'चीजें' ऑफर करने की स्थिति में पूनम सिंह की उम्मीदवारी के समर्थक नेता सक्षम हैं - इसलिए उनकी उम्मीदवारी एक मजबूत आधार पर खड़ी दिखती है । पूनम सिंह की उम्मीदवारी के सामने हालाँकि चुनौती भी कम नहीं है । उनकी जीत डिस्ट्रिक्ट के सत्ता समीकरणों में मनप्रीत सिंह और जेपीएस सिबिया की स्थिति को मजबूत बनाने का काम करेगी - जो मधुकर मल्होत्रा, शाजु पीटर व यशपाल दास जैसे पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स को स्वीकार नहीं होगी । जेपीएस सिबिया के अगले रोटरी वर्ष के डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर हो जाने से मधुकर मल्होत्रा पहले से ही चिढ़े बैठे हैं, क्योंकि उन्हें उम्मीद थी कि डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर का पद उन्हें मिलेगा । ऐसे में, इन लोगों के पूनम सिंह की उम्मीदवारी के खिलाफ सक्रिय होने की पूरी पूरी संभावना है । सत्ता खेमे के नेताओं की आपसी होड़ के कारण हो सकने वाले नुकसान से बचना पूनम सिंह के लिए बड़ी चुनौती होगी, और उनकी इस चुनौती में ही दूसरे उम्मीदवारों को अपनी अपनी कामयाबी का रास्ता निकलता नजर आ रहा है । चुनावी परिदृश्य और साफ होने में अभी कुछ दिन और इंतजार करना पड़ेगा, लेकिन पूनम सिंह की अचानक से प्रस्तुत हुई उम्मीदवारी ने चुनावी परिदृश्य को दिलचस्प अभी से बना दिया है ।