नई दिल्ली । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए ललित खन्ना की उम्मीदवारी को प्रमोट करने के उद्देश्य से आयोजित हुए रोटरी क्लब दिल्ली नॉर्थ के आयोजन में जुटे लोगों की भीड़ देख कर बौखलाए मुकेश अरनेजा ने रंग में भंग डालने का जो प्रयास किया, उसके लिए उन्हें मौके पर ही लताड़ मिली और लोगों के बीच उनकी जम कर फजीहत हुई । उल्लेखनीय है कि मुकेश अरनेजा दो वर्ष पहले तक इसी क्लब के सदस्य हुआ करते थे और कुछ वर्ष पहले तक ललित खन्ना उनके बड़े खास हुआ करते थे । ललित खन्ना के साथ खास संबंधों के साथ इस क्लब में रहते हुए मुकेश अरनेजा न सिर्फ डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बने, बल्कि रोटरी की व्यवस्था और राजनीति में ऊँचाइयों तक पहुँचे - लेकिन अपनी घटिया और टुच्ची हरकतों के चलते दो वर्ष पहले उन्हें न सिर्फ
बड़े बेआबरू होकर क्लब से निकलना पड़ा, बल्कि रोटरी की व्यवस्था व राजनीति
में भी उनका ऐसा बुरा हाल हुआ कि रोटरी इंस्टीट्यूट जैसे प्रमुख आयोजन में
उन्हें कोई जगह नहीं मिली । यहाँ इस तथ्य पर ध्यान देना प्रासंगिक होगा
कि इसी क्लब के दो और सदस्य - एमएल अग्रवाल तथा केके गुप्ता भी डिस्ट्रिक्ट
गवर्नर बने हैं, और मुकेश अरनेजा से बहुत पहले बने हैं तथा रोटरी की व्यवस्था और राजनीति में मुकेश अरनेजा से ज्यादा ऊँचाइयों पर पहुँचे और रहे हैं - और क्लब में भी बहुत सम्मान के साथ बने हुए हैं । मुकेश अरनेजा क्लब के पदाधिकारियों तथा वरिष्ठ सदस्यों के साथ बदतमीजीपूर्ण व्यवहार के कारण पिछले कुछ वर्षों से लगातार क्लब से
निकाले जाने की कार्रवाइयों के निशाने पर आते रहे थे, लेकिन हर बार वह माफी
माँग कर बचते रहे थे - दो वर्ष पहले लेकिन हालात ऐसी स्थिति में आ पहुँचे
थे कि फिर उनका माफी माँग कर बचना भी संभव नहीं हो सका ।
मुकेश अरनेजा जिस क्लब से दो वर्ष पहले बड़े बेआबरू होकर निकले थे, उस क्लब को उन्होंने घटती सदस्य-संख्या के लिए निशाना बनाया । अपने इस रवैये के लिए मुकेश अरनेजा को दोतरफा फजीहत झेलनी पड़ी - क्लब के लोगों ने तो यह कहते हुए मुकेश अरनेजा को लताड़ा कि क्लब की घटी सदस्य-संख्या का जिक्र करते हुए मुकेश अरनेजा इस तथ्य को छिपा बैठे कि इसके लिए वही तो प्रमुख रूप से जिम्मेदार हैं । पिछले कुछ वर्षों में मुकेश अरनेजा की कारस्तानियों के कारण ही कई लोग क्लब तथा रोटरी ही छोड़ गए, दो वर्ष पहले जब मुकेश अरनेजा बेआबरू होकर खुद क्लब से निकले तब उनके साथ उनके कुछ संगी-साथी भी क्लब से निकले । मुकेश अरनेजा इस तथ्य को भी छिपा गए कि उनके निकलने पर क्लब की जो सदस्य-संख्या थी, उनके निकलने के बाद उसमें इजाफा हुआ है । इन तथ्यों से अनभिज्ञ, आयोजन में मौजूद दूसरे क्लब के सदस्यों ने मुकेश अरनेजा को यह कहते हुए कोसा कि अतिथि के रूप में आयोजन में शामिल होने आए मुकेश अरनेजा को इस तरह का नकारात्मक व्यवहार नहीं करना चाहिए था । मुकेश अरनेजा के लिए बड़ी फजीहत की बात यह हुई कि उनके बाद बोलने आए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट सतीश सिंघल ने क्लब की भूरि-भूरि प्रशंसा की । अन्य वक्ताओं के रूप में निवर्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर जेके गौड़ तथा मौजूदा डिस्ट्रिक्ट गवर्नर शरत जैन और अन्य वक्ताओं ने भी क्लब के कामकाज की जमकर तारीफ की । लोगों का कहना रहा कि क्लब में रहते हुए क्लब के दूसरे सदस्यों के साथ मुकेश अरनेजा के जो भी झगड़े रहे हों, जो भी खुन्नसे रही हों - क्लब छोड़ देने के साथ मुकेश अरनेजा को उन्हें भी छोड़ देना चाहिए । लेकिन जो लोग मुकेश अरनेजा को जानते हैं, उनका कहना है कि मुकेश अरनेजा अपने दुष्ट व्यवहार व सोच को छोड़ नहीं सकते हैं - जैसे कुत्ते की पूँछ को किसी भी तरह से सीधा नहीं किया सकता है, ठीक वैसे ही मुकेश अरनेजा को भी किसी भी तरह से दुष्टता से दूर नहीं किया जा सकता है ।
मुकेश अरनेजा ने अपने ही पूर्व क्लब के आयोजन को खराब करने की जो कोशिश की, उसे कई लोगों ने उनकी बौखलाहट के रूप में देखा/पहचाना । उक्त आयोजन दरअसल क्लब का आयोजन तो था ही, वास्तव में उसके पीछे का उद्देश्य ललित खन्ना की उम्मीदवारी को प्रमोट करना था । ऐसे में, आयोजन में रोटेरियंस की जो भीड़ जुटी - उसे देख कर मुकेश अरनेजा को तगड़ा झटका लगा और वह बुरी तरह बौखला गए । मुकेश अरनेजा की कोशिश है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए ललित खन्ना की उम्मीदवारी को लोगों के बीच स्वीकार्यता न मिले । इसके लिए, अगले रोटरी वर्ष में होने वाले डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव को त्रिकोणीय बनाने के लिए मुकेश अरनेजा ने अशोक जैन को पुनः उम्मीदवार बनने के लिए प्रेरित करने के साथ साथ कुछेक और लोगों को भी उम्मीदवारी के लिए उकसाया, जिसमें अभी तक तो उनकी दाल नहीं गली है । इस मामले में असफल रहने का उनका फ्रस्ट्रेशन, ललित खन्ना की उम्मीदवारी को प्रमोट करने के उद्देश्य से हुए आयोजन को सफल होता देख और भड़क गया । आयोजन में क्लब्स के प्रेसीडेंट-इलेक्ट की अच्छी-खासी उपस्थिति को देख कर तो मुकेश अरनेजा का माथा ऐसा चकराया कि फिर वह आयोजन में एक अतिथि के रूप में आमंत्रित और अपनी उपस्थिति की गरिमा को पूरी तरह भुला बैठे और अपनी बातों से आयोजन को खराब करने में - तथा आयोजन में उपस्थित दूसरे लोगों के रंग में भंग डालने में जुट गए । मुकेश अरनेजा की बदकिस्मती यह रही कि उनकी यह हरकत बैकफायर कर गई - उन्हें क्लब के पदाधिकारियों से भी लताड़ सुनने को मिली और दूसरे लोगों ने भी उन्हें लानत दी ।
मुकेश अरनेजा के इस रवैये और इस रवैये के चलते हुई उनकी फजीहत ने लोगों के बीच ललित खन्ना के लिए हमदर्दी पैदा करने और बनाने का काम किया । लोगों ने इस तथ्य को एक बार फिर याद किया कि कुछ समय पहले तक ललित खन्ना उनके बड़े नजदीक और खास हुआ करते थे - लेकिन जब से ललित खन्ना ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बनने के बारे में सोचा, मुकेश अरनेजा उनके साथ दुश्मनों जैसा व्यवहार करने लगे हैं । यह मुकेश अरनेजा की घटिया सोच का ही सुबूत है कि वह अपने नजदीक के लोगों को सिर्फ इस्तेमाल करना चाहते हैं - उन्हें आगे बढ़ता देखते हैं तो उनके खिलाफ हो जाते हैं । दीपक गुप्ता जब पहली बार उम्मीदवार बने थे, मुकेश अरनेजा तब उनके खिलाफ थे । आलोक गुप्ता जब पहली बार उम्मीदवार बने थे, मुकेश अरनेजा ने तब उन्हें धोखा देकर जेके गौड़ का साथ दिया था । इस तरह, अपने नजदीकियों के साथ धोखा करने का मुकेश अरनेजा का पुराना इतिहास है । ललित खन्ना उनके नए शिकार हैं ।
मुकेश अरनेजा को दरअसल यह बात इसलिए ही हजम नहीं हुई कि ललित खन्ना की उम्मीदवारी को प्रमोट करने के उद्देश्य से आयोजित हुए आयोजन में डिस्ट्रिक्ट के लोगों ने खासी दिलचस्पी ली, और अपनी उपस्थिति दिखा कर उन्होंने अपनी दिलचस्पी को जाहिर भी किया । क्लब्स के प्रेसीडेंट-इलेक्ट के साथ-साथ खासतौर से उत्तरप्रदेश के क्लब्स के पदाधिकारियों व वरिष्ठ सदस्यों ने इस आयोजन में जिस उत्साह के साथ भागीदारी की, उसे देख कर मुकेश अरनेजा के पेट में कुछ ज्यादा ही दर्द हो गया । आयोजन में उपस्थित लोगों के अनुसार, ललित खन्ना की उम्मीदवारी को प्रमोट करने के उद्देश्य से हुए आयोजन में 30 से अधिक क्लब्स के प्रेसीडेंट-इलेक्ट देखे गए और खासतौर से उत्तरप्रदेश के क्लब्स के पदाधिकारियों व प्रमुख लोगों को सक्रिय देखा गया - जो लोग नहीं दिखे, आयोजन में उपस्थित लोगों ने खुद से उन्हें फोन करके उनकी अनुपस्थिति के बारे में पूछा तो सभी से प्रायः यही सुनने को मिला कि अपनी निजी व्यस्तता के चलते वह आयोजन में नहीं आ पाए हैं, और उनकी अनुपस्थिति के अन्य कोई अर्थ न निकाले जाएँ । इस तरह की बातों से आयोजन का माहौल ललित खन्ना की उम्मीदवारी के संदर्भ में उत्साहजनक बना, जिसे देख कर मुकेश अरनेजा ने आपा खो दिया - लेकिन आपा खो देने के कारण किए गए उनके व्यवहार ने उनकी ही फजीहत की/कराई तथा लोगों के बीच ललित खन्ना के प्रति हमदर्दी पैदा की ।
मुकेश अरनेजा जिस क्लब से दो वर्ष पहले बड़े बेआबरू होकर निकले थे, उस क्लब को उन्होंने घटती सदस्य-संख्या के लिए निशाना बनाया । अपने इस रवैये के लिए मुकेश अरनेजा को दोतरफा फजीहत झेलनी पड़ी - क्लब के लोगों ने तो यह कहते हुए मुकेश अरनेजा को लताड़ा कि क्लब की घटी सदस्य-संख्या का जिक्र करते हुए मुकेश अरनेजा इस तथ्य को छिपा बैठे कि इसके लिए वही तो प्रमुख रूप से जिम्मेदार हैं । पिछले कुछ वर्षों में मुकेश अरनेजा की कारस्तानियों के कारण ही कई लोग क्लब तथा रोटरी ही छोड़ गए, दो वर्ष पहले जब मुकेश अरनेजा बेआबरू होकर खुद क्लब से निकले तब उनके साथ उनके कुछ संगी-साथी भी क्लब से निकले । मुकेश अरनेजा इस तथ्य को भी छिपा गए कि उनके निकलने पर क्लब की जो सदस्य-संख्या थी, उनके निकलने के बाद उसमें इजाफा हुआ है । इन तथ्यों से अनभिज्ञ, आयोजन में मौजूद दूसरे क्लब के सदस्यों ने मुकेश अरनेजा को यह कहते हुए कोसा कि अतिथि के रूप में आयोजन में शामिल होने आए मुकेश अरनेजा को इस तरह का नकारात्मक व्यवहार नहीं करना चाहिए था । मुकेश अरनेजा के लिए बड़ी फजीहत की बात यह हुई कि उनके बाद बोलने आए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट सतीश सिंघल ने क्लब की भूरि-भूरि प्रशंसा की । अन्य वक्ताओं के रूप में निवर्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर जेके गौड़ तथा मौजूदा डिस्ट्रिक्ट गवर्नर शरत जैन और अन्य वक्ताओं ने भी क्लब के कामकाज की जमकर तारीफ की । लोगों का कहना रहा कि क्लब में रहते हुए क्लब के दूसरे सदस्यों के साथ मुकेश अरनेजा के जो भी झगड़े रहे हों, जो भी खुन्नसे रही हों - क्लब छोड़ देने के साथ मुकेश अरनेजा को उन्हें भी छोड़ देना चाहिए । लेकिन जो लोग मुकेश अरनेजा को जानते हैं, उनका कहना है कि मुकेश अरनेजा अपने दुष्ट व्यवहार व सोच को छोड़ नहीं सकते हैं - जैसे कुत्ते की पूँछ को किसी भी तरह से सीधा नहीं किया सकता है, ठीक वैसे ही मुकेश अरनेजा को भी किसी भी तरह से दुष्टता से दूर नहीं किया जा सकता है ।
मुकेश अरनेजा ने अपने ही पूर्व क्लब के आयोजन को खराब करने की जो कोशिश की, उसे कई लोगों ने उनकी बौखलाहट के रूप में देखा/पहचाना । उक्त आयोजन दरअसल क्लब का आयोजन तो था ही, वास्तव में उसके पीछे का उद्देश्य ललित खन्ना की उम्मीदवारी को प्रमोट करना था । ऐसे में, आयोजन में रोटेरियंस की जो भीड़ जुटी - उसे देख कर मुकेश अरनेजा को तगड़ा झटका लगा और वह बुरी तरह बौखला गए । मुकेश अरनेजा की कोशिश है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए ललित खन्ना की उम्मीदवारी को लोगों के बीच स्वीकार्यता न मिले । इसके लिए, अगले रोटरी वर्ष में होने वाले डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव को त्रिकोणीय बनाने के लिए मुकेश अरनेजा ने अशोक जैन को पुनः उम्मीदवार बनने के लिए प्रेरित करने के साथ साथ कुछेक और लोगों को भी उम्मीदवारी के लिए उकसाया, जिसमें अभी तक तो उनकी दाल नहीं गली है । इस मामले में असफल रहने का उनका फ्रस्ट्रेशन, ललित खन्ना की उम्मीदवारी को प्रमोट करने के उद्देश्य से हुए आयोजन को सफल होता देख और भड़क गया । आयोजन में क्लब्स के प्रेसीडेंट-इलेक्ट की अच्छी-खासी उपस्थिति को देख कर तो मुकेश अरनेजा का माथा ऐसा चकराया कि फिर वह आयोजन में एक अतिथि के रूप में आमंत्रित और अपनी उपस्थिति की गरिमा को पूरी तरह भुला बैठे और अपनी बातों से आयोजन को खराब करने में - तथा आयोजन में उपस्थित दूसरे लोगों के रंग में भंग डालने में जुट गए । मुकेश अरनेजा की बदकिस्मती यह रही कि उनकी यह हरकत बैकफायर कर गई - उन्हें क्लब के पदाधिकारियों से भी लताड़ सुनने को मिली और दूसरे लोगों ने भी उन्हें लानत दी ।
मुकेश अरनेजा के इस रवैये और इस रवैये के चलते हुई उनकी फजीहत ने लोगों के बीच ललित खन्ना के लिए हमदर्दी पैदा करने और बनाने का काम किया । लोगों ने इस तथ्य को एक बार फिर याद किया कि कुछ समय पहले तक ललित खन्ना उनके बड़े नजदीक और खास हुआ करते थे - लेकिन जब से ललित खन्ना ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बनने के बारे में सोचा, मुकेश अरनेजा उनके साथ दुश्मनों जैसा व्यवहार करने लगे हैं । यह मुकेश अरनेजा की घटिया सोच का ही सुबूत है कि वह अपने नजदीक के लोगों को सिर्फ इस्तेमाल करना चाहते हैं - उन्हें आगे बढ़ता देखते हैं तो उनके खिलाफ हो जाते हैं । दीपक गुप्ता जब पहली बार उम्मीदवार बने थे, मुकेश अरनेजा तब उनके खिलाफ थे । आलोक गुप्ता जब पहली बार उम्मीदवार बने थे, मुकेश अरनेजा ने तब उन्हें धोखा देकर जेके गौड़ का साथ दिया था । इस तरह, अपने नजदीकियों के साथ धोखा करने का मुकेश अरनेजा का पुराना इतिहास है । ललित खन्ना उनके नए शिकार हैं ।
मुकेश अरनेजा को दरअसल यह बात इसलिए ही हजम नहीं हुई कि ललित खन्ना की उम्मीदवारी को प्रमोट करने के उद्देश्य से आयोजित हुए आयोजन में डिस्ट्रिक्ट के लोगों ने खासी दिलचस्पी ली, और अपनी उपस्थिति दिखा कर उन्होंने अपनी दिलचस्पी को जाहिर भी किया । क्लब्स के प्रेसीडेंट-इलेक्ट के साथ-साथ खासतौर से उत्तरप्रदेश के क्लब्स के पदाधिकारियों व वरिष्ठ सदस्यों ने इस आयोजन में जिस उत्साह के साथ भागीदारी की, उसे देख कर मुकेश अरनेजा के पेट में कुछ ज्यादा ही दर्द हो गया । आयोजन में उपस्थित लोगों के अनुसार, ललित खन्ना की उम्मीदवारी को प्रमोट करने के उद्देश्य से हुए आयोजन में 30 से अधिक क्लब्स के प्रेसीडेंट-इलेक्ट देखे गए और खासतौर से उत्तरप्रदेश के क्लब्स के पदाधिकारियों व प्रमुख लोगों को सक्रिय देखा गया - जो लोग नहीं दिखे, आयोजन में उपस्थित लोगों ने खुद से उन्हें फोन करके उनकी अनुपस्थिति के बारे में पूछा तो सभी से प्रायः यही सुनने को मिला कि अपनी निजी व्यस्तता के चलते वह आयोजन में नहीं आ पाए हैं, और उनकी अनुपस्थिति के अन्य कोई अर्थ न निकाले जाएँ । इस तरह की बातों से आयोजन का माहौल ललित खन्ना की उम्मीदवारी के संदर्भ में उत्साहजनक बना, जिसे देख कर मुकेश अरनेजा ने आपा खो दिया - लेकिन आपा खो देने के कारण किए गए उनके व्यवहार ने उनकी ही फजीहत की/कराई तथा लोगों के बीच ललित खन्ना के प्रति हमदर्दी पैदा की ।