गाजियाबाद ।
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर शिव कुमार चौधरी की नस नस को लोग इतना पहचान गए हैं कि
उन्होंने जब डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस लेह में करने की विधिवत घोषणा की थी,
तब हर कोई यही कह/बता रहा था कि शिव कुमार चौधरी को कॉन्फ्रेंस सचमुच लेह
में करना नहीं है - वह तो चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों को ब्लैकमेल करने
के लिए, उनसे पैसे ऐंठने के लिए अभी लेह का नाम दे रहे हैं, बाद में वह
कॉन्फ्रेंस की जगह बदल देंगे । लोगों का कहा/बताया सच हो रहा है । शिव कुमार चौधरी डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस की जगह बदलने के बाबत मीटिंग करने जा रहे हैं ।
इसके लिए उन्होंने फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर और सेकेंड वाइस
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के साथ-साथ कुछेक अन्य लोगों की मांग का हवाला दिया है ।
लोग उनके नाटक को समझ रहे हैं - दूसरों की माँग का उन्हें यदि सचमुच ख्याल
होता, तो वह लेह में डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस करने की घोषणा ही नहीं करते ।
उल्लेखनीय है कि विधिवत घोषणा करने से बहुत पहले से ही शिव कुमार चौधरी
लेह में डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस करने की बात कह रहे थे, और हर कोई कह/बता
रहा था कि लेह में कॉन्फ्रेंस करना बहुत ही अव्यावहारिक है - शिव कुमार
चौधरी ने लेकिन किसी की नहीं 'सुनी' । 'सुनी'
इसीलिए नहीं, क्योंकि वह भी जानते ही थे कि अव्यावहारिक है - लेकिन उन्हें
कौन सचमुच लेह में कॉन्फ्रेंस करना थी, उन्हें तो लेह में कॉन्फ्रेंस करने
की घोषणा करके उम्मीदवारों से पैसे ऐंठने की जमीन तैयार करना थी ।
डिस्ट्रिक्ट की तीसरी कैबिनेट मीटिंग में डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस के बारे
में और सभी मुद्दे डिस्कस करते हुए जगह की बात को शिव कुमार चौधरी ने बाद
के लिए टाल दिया था, क्योंकि उन्हें पता था कि वह लेह का नाम लेंगे तो उसका
विरोध होगा - और तब यदि वह लेह का नाम पास नहीं करवा सके, तो उम्मीदवारों
को ब्लैकमेल करने का मौका उनसे छिन जायेगा ।
उनके इस व्यवहार से साबित है कि डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस की जगह को लेकर
दूसरे लोगों की राय और सुझावों की उन्हें कभी भी परवाह नहीं थी, लेकिन
अब यदि वह दूसरों की माँग का हवाला देकर जगह बदलने के लिए मीटिंग करने जा
रहे हैं तो इसलिए कि उन्हें लग रहा है कि अब जगह बदलने के ऐवज में
उम्मीदवारों से पैसे ऐंठने का उचित समय आ गया है ।
शिव कुमार चौधरी के लिए बदकिस्मती की बात यह रही कि लेह में कॉन्फ्रेंस के मामले में उन्हें अनीता गुप्ता तथा सुनील जैन से भी धोखा मिला । इन्होंने उन्हें आश्वस्त किया था कि ये अपने उम्मीदवार से उन्हें पैसे दिलवा देंगे, लेकिन अब ये दोनों ही अपने ही दिए आश्वासन को पूरा करने से बचने के लिए बहानेबाजी कर रहे हैं । इनके नजदीकियों के अनुसार, मामला वास्तव में इस बात पर बिगड़ा हुआ है कि शिव कुमार चौधरी चाहते हैं कि खर्चे के नाम पर पैसे उन्हें दे दिए जाएँ; अनीता गुप्ता और सुनील जैन का कहना है कि बताओ खर्चा कहाँ करना हैं - खर्च हम करेंगे । शिव कुमार चौधरी की पैसों के मामले में दरअसल इतनी कुख्याति है कि अनीता गुप्ता और सुनील जैन को डर है कि उन्होंने पैसे यदि शिव कुमार चौधरी को दे दिए - तो फिर उनका कोई भरोसा नहीं कि वह काम भी करेंगे या नहीं । इसी अविश्वास के चलते शिव कुमार चौधरी फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर अजय सिंघल से बात करने को मजबूर हुए कि - बताओ क्या करना है ? अजय सिंघल चाहते ही थे कि शिव कुमार चौधरी बात करने को तो तैयार हों - और इस तरह मीटिंग करने के लिए जरूरत और भूमिका बन गई ।
शिव कुमार चौधरी दरअसल इस गलतफहमी में हैं कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर होने के नाते वह जैसे जो चाहेंगे, वह कर लेंगे । जानकारों का कहना है कि शिव कुमार चौधरी के साथ समस्या यह है कि न तो उन्हें ज्यादा कुछ पता है, न वह पता करने की जरूरत समझते हैं - 'कोढ़ में खाज' वाली बात यह हुई कि उन्हें सलाहकार भी मूर्ख किस्म के मिल गए, जो उन्हें उल्टी-सीधी पट्टी पढ़ाते हुए उनसे मूर्खतापूर्ण फैसले करवाते हैं, और उनकी फजीहत करवाते हैं । मूर्ख किस्म के सलाहकारों की सलाह पर ही शिव कुमार चौधरी ने लेह में डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस की घोषणा कर दी, लेकिन जब उन्होंने देखा/पाया कि इससे उन्होंने जो कमाई करने की सोची थी, वह कमाई होना तो दूर की बात - उनकी फजीहत के लिए मौका और बन रहा है, तो अब वह जगह बदलने के लिए सौदेबाजी पर उतर आए हैं । अनीता गुप्ता और सुनील जैन की तरफ से कहा/बताया जा रहा है कि शिव कुमार चौधरी ने उनसे कहा है कि जहाँ कहो वहाँ कॉन्फ्रेंस की घोषणा कर देता हूँ; शिव कुमार चौधरी ने अपनी तरफ से ऑफर भी दिया है कि चाहो तो सुनील जैन के इंस्टीट्यूट में कॉन्फ्रेंस करवा लो, वहाँ व्यवस्था में उनके ही लोग होंगे - जिनकी मदद से सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के चुनाव में मनमाफिक 'फैसला' करवाना आसान हो जायेगा; लायंस इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट गवर्नर की रिपोर्ट को ही स्वीकार करेगा । अनीता गुप्ता और सुनील जैन को ऑफर आकर्षक तो लग रहा है, लेकिन मामला पैसों को लेकर अटका हुआ है । चर्चा है कि इस ऑफर को संभव करने की जो कीमत शिव कुमार चौधरी माँग रहे हैं, उस कीमत के लिए अनीता गुप्ता और सुनील जैन अपने उम्मीदवार को राजी नहीं कर पा रहे हैं । इसके आलावा विश्वास का भी संकट है - अनीता गुप्ता और सुनील जैन, शिव कुमार चौधरी की चालबाजियों पर निर्भर होने के बाद भी उनके ऑफर पर भरोसा नहीं कर पा रहे हैं ।
दरअसल शिव कुमार चौधरी ने अनीता गुप्ता और सुनील जैन से पैसे ऐंठने के लिए यह जो तर्क दिया है कि लायंस इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट गवर्नर की रिपोर्ट को ही स्वीकार करेगा - उसमें बड़ा पेंच है । तकनीकी रूप से यह बात सच है कि लायंस इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट गवर्नर की रिपोर्ट को स्वीकार करता है - लेकिन सच यह भी है कि विवाद होने पर लायंस इंटरनेशनल पूरी प्रक्रिया और नीयत की भी पड़ताल करता है, और इस आधार पर डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के फैसले को स्वीकार करने से इंकार भी कर देता है । अजित निगम के क्लब को बंद करवाने के मामले में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में शिव कुमार चौधरी को लायंस इंटरनेशनल के कारण जो फजीहत झेलना पड़ी, वह इस बात का पुख्ता सुबूत और उदाहरण है । तथ्यात्मक रूप से देखें तो अजित निगम का क्लब बंद होने के संदर्भ में बिलकुल परफेक्ट केस था, लेकिन डिस्ट्रिक्ट गवर्नर कार्यालय में बैठे मूर्खों ने इसे जिस तरह से हैंडल किया - उसके कारण डिस्ट्रिक्ट गवर्नर की रिपोर्ट को लायंस इंटरनेशनल ने स्वीकार करने से इंकार कर दिया । इस प्रसंग से सोचने/विचारने की बात यह बनती है कि एक क्लब को बंद करने के बारे में दी गई डिस्ट्रिक्ट गवर्नर की रिपोर्ट को स्वीकार करने से जब लायंस इंटरनेशनल ने इंकार कर दिया, तो डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के मामले में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर की रिपोर्ट को वह आँख बंद करके कैसे और क्यों स्वीकार कर लेगा ? इसी बात को सोच-विचार कर अनीता गुप्ता तथा सुनील जैन के लिए शिव कुमार चौधरी के ऑफर को स्वीकार करना मुश्किल हो रहा है । लोगों का कहना है कि 15 अप्रैल की मीटिंग वास्तव में अनीता गुप्ता और सुनील जैन पर दबाव बनाने के लिए रखी गई है - और लोगों को लग रहा है कि इस मीटिंग में जगह को लेकर सिर्फ सौदेबाजी ही होनी है ।
शिव कुमार चौधरी के लिए बदकिस्मती की बात यह रही कि लेह में कॉन्फ्रेंस के मामले में उन्हें अनीता गुप्ता तथा सुनील जैन से भी धोखा मिला । इन्होंने उन्हें आश्वस्त किया था कि ये अपने उम्मीदवार से उन्हें पैसे दिलवा देंगे, लेकिन अब ये दोनों ही अपने ही दिए आश्वासन को पूरा करने से बचने के लिए बहानेबाजी कर रहे हैं । इनके नजदीकियों के अनुसार, मामला वास्तव में इस बात पर बिगड़ा हुआ है कि शिव कुमार चौधरी चाहते हैं कि खर्चे के नाम पर पैसे उन्हें दे दिए जाएँ; अनीता गुप्ता और सुनील जैन का कहना है कि बताओ खर्चा कहाँ करना हैं - खर्च हम करेंगे । शिव कुमार चौधरी की पैसों के मामले में दरअसल इतनी कुख्याति है कि अनीता गुप्ता और सुनील जैन को डर है कि उन्होंने पैसे यदि शिव कुमार चौधरी को दे दिए - तो फिर उनका कोई भरोसा नहीं कि वह काम भी करेंगे या नहीं । इसी अविश्वास के चलते शिव कुमार चौधरी फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर अजय सिंघल से बात करने को मजबूर हुए कि - बताओ क्या करना है ? अजय सिंघल चाहते ही थे कि शिव कुमार चौधरी बात करने को तो तैयार हों - और इस तरह मीटिंग करने के लिए जरूरत और भूमिका बन गई ।
शिव कुमार चौधरी दरअसल इस गलतफहमी में हैं कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर होने के नाते वह जैसे जो चाहेंगे, वह कर लेंगे । जानकारों का कहना है कि शिव कुमार चौधरी के साथ समस्या यह है कि न तो उन्हें ज्यादा कुछ पता है, न वह पता करने की जरूरत समझते हैं - 'कोढ़ में खाज' वाली बात यह हुई कि उन्हें सलाहकार भी मूर्ख किस्म के मिल गए, जो उन्हें उल्टी-सीधी पट्टी पढ़ाते हुए उनसे मूर्खतापूर्ण फैसले करवाते हैं, और उनकी फजीहत करवाते हैं । मूर्ख किस्म के सलाहकारों की सलाह पर ही शिव कुमार चौधरी ने लेह में डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस की घोषणा कर दी, लेकिन जब उन्होंने देखा/पाया कि इससे उन्होंने जो कमाई करने की सोची थी, वह कमाई होना तो दूर की बात - उनकी फजीहत के लिए मौका और बन रहा है, तो अब वह जगह बदलने के लिए सौदेबाजी पर उतर आए हैं । अनीता गुप्ता और सुनील जैन की तरफ से कहा/बताया जा रहा है कि शिव कुमार चौधरी ने उनसे कहा है कि जहाँ कहो वहाँ कॉन्फ्रेंस की घोषणा कर देता हूँ; शिव कुमार चौधरी ने अपनी तरफ से ऑफर भी दिया है कि चाहो तो सुनील जैन के इंस्टीट्यूट में कॉन्फ्रेंस करवा लो, वहाँ व्यवस्था में उनके ही लोग होंगे - जिनकी मदद से सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के चुनाव में मनमाफिक 'फैसला' करवाना आसान हो जायेगा; लायंस इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट गवर्नर की रिपोर्ट को ही स्वीकार करेगा । अनीता गुप्ता और सुनील जैन को ऑफर आकर्षक तो लग रहा है, लेकिन मामला पैसों को लेकर अटका हुआ है । चर्चा है कि इस ऑफर को संभव करने की जो कीमत शिव कुमार चौधरी माँग रहे हैं, उस कीमत के लिए अनीता गुप्ता और सुनील जैन अपने उम्मीदवार को राजी नहीं कर पा रहे हैं । इसके आलावा विश्वास का भी संकट है - अनीता गुप्ता और सुनील जैन, शिव कुमार चौधरी की चालबाजियों पर निर्भर होने के बाद भी उनके ऑफर पर भरोसा नहीं कर पा रहे हैं ।
दरअसल शिव कुमार चौधरी ने अनीता गुप्ता और सुनील जैन से पैसे ऐंठने के लिए यह जो तर्क दिया है कि लायंस इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट गवर्नर की रिपोर्ट को ही स्वीकार करेगा - उसमें बड़ा पेंच है । तकनीकी रूप से यह बात सच है कि लायंस इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट गवर्नर की रिपोर्ट को स्वीकार करता है - लेकिन सच यह भी है कि विवाद होने पर लायंस इंटरनेशनल पूरी प्रक्रिया और नीयत की भी पड़ताल करता है, और इस आधार पर डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के फैसले को स्वीकार करने से इंकार भी कर देता है । अजित निगम के क्लब को बंद करवाने के मामले में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में शिव कुमार चौधरी को लायंस इंटरनेशनल के कारण जो फजीहत झेलना पड़ी, वह इस बात का पुख्ता सुबूत और उदाहरण है । तथ्यात्मक रूप से देखें तो अजित निगम का क्लब बंद होने के संदर्भ में बिलकुल परफेक्ट केस था, लेकिन डिस्ट्रिक्ट गवर्नर कार्यालय में बैठे मूर्खों ने इसे जिस तरह से हैंडल किया - उसके कारण डिस्ट्रिक्ट गवर्नर की रिपोर्ट को लायंस इंटरनेशनल ने स्वीकार करने से इंकार कर दिया । इस प्रसंग से सोचने/विचारने की बात यह बनती है कि एक क्लब को बंद करने के बारे में दी गई डिस्ट्रिक्ट गवर्नर की रिपोर्ट को स्वीकार करने से जब लायंस इंटरनेशनल ने इंकार कर दिया, तो डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के मामले में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर की रिपोर्ट को वह आँख बंद करके कैसे और क्यों स्वीकार कर लेगा ? इसी बात को सोच-विचार कर अनीता गुप्ता तथा सुनील जैन के लिए शिव कुमार चौधरी के ऑफर को स्वीकार करना मुश्किल हो रहा है । लोगों का कहना है कि 15 अप्रैल की मीटिंग वास्तव में अनीता गुप्ता और सुनील जैन पर दबाव बनाने के लिए रखी गई है - और लोगों को लग रहा है कि इस मीटिंग में जगह को लेकर सिर्फ सौदेबाजी ही होनी है ।